"जोहार" अउ "जय जोहार"
एक कहावत हे- 'अड़हा बइद परान घातका'। माने अड़हा कहूं बइद ह होगे, त मरीज के मरे बिहान हे। ठउका इही किसम कहूं जे मन भाखा खातिर कारज करत हें, अउ उहू मनला भाखा अउ ओकर ले जुड़े परंपरा अउ संस्कृति के समझ नइए त उहू भाखा के मरे बिहान कस हे।
अभी जे मन हमर भाखा के नाव म एती-वोती कूदत हें, वोमा के कतकों जब मोर संग भेंट होथे, त कहि परथें-"जय जोहार" भोले जी। मैं अतका म टमड़ डारथंव के भाखा के नाव म बिल्लस खेलइया ए लोगन के भाखा अउ संस्कृति के संबंध म कतका ज्ञान हे।
अरे भई, 'जोहार' शब्द ह संबोधन खातिर अपन आप म पूर्ण शब्द आय, वोला अलग ले ककरो पंदोली के जरूरत नइए। जइसे- 'नमस्कार' या 'प्रणाम' ल ककरो जरूरत नइ परय। जोहार के मतलब ही नमस्कार करना, प्रणाम करना या जयकार करना होथे। जइसे हम जय नमस्कार या जय प्रणाम नइ काहन वइसने जय जोहार कहे के भी जरूरत नइए। अभिवादन खातिर सिरिफ "जोहार" कहना काफी हे।
गाँव म परंपरा हे- जब देवारी पइत पहाटिया मन मड़ई उठाए के बेरा सबले पहिली गाँव के गंउटिया, सरपंच या सियान ल पहिली सम्मान दे के परंपरा निभाथें, त उन कहिथें- 'चलव गा पहिली दाऊ ल, मंडल ल, या सरपंच ल जोहार लेथन, तेकर पाछू दइहान या अउ कोनो आयोजन ठउर कोती जाबो'।
असल म 'जोहार' शब्द ह 'जय' अउ 'हर' शब्द के मेल ले बने हे, जेकर अर्थ ही होथे 'हर' अर्थात शिवजी के जयकार करना. हमर ए भुइया ह जुन्ना बेरा ले बूढ़ादेव के रूप म शिव उपासक अंचल रहे हे, तेकर सेती वोकर जयकार करत ए 'जोहार' शब्द के माध्यम ले अभिवादन करत चले आवत हे.
हमर देश के पहला महिला आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी जब अपन पद के शपथ ग्रहण लीन हें, तभो उन "आप सभी को मेरा जोहार" कहे रिहिन हें. हमर देश म जतका भी जगा अभिवादन खातिर जोहार शब्द के प्रयोग करे जाथे, सबो जगा बिन काकरो पंदोली के आरुग 'जोहार' ही कहे जाथे.
सबो झनला जोहार🙏🌹😊
-सुशील भोले-9826992811
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