सुरता//
रायपुर म गणेश उत्सव के परंपरा
अभी के लोहार चौक जेला पहिली सुखरू चौक कहे जाय, उहाँ इही सुखरू लोहार ह जेकर नॉव ले एला सुखरू चौक कहे जाय, इही जगा के अपन दुकान म हर बछर गणेश बइठारय अउ गणेश जी के आगू म एक ठन पानी के नान्हे असन टंकी बनावय, अउ ए टंकी म वो हर बछर डुडूंग मछरी, जेकर मुड़ी ह थोकिन बॉंबी बरोबर जनावय अउ बाकी के धड़ ह सॉंप असन लाम राहय, ते मन तउंरत राहय.. हमन तब खोखोपारा मिडिल स्कूल म पढ़त राहन, तब हमन वो सुखरू लोहार के गणेश जी ल देखे के नॉव म कम अउ डुडूंग मछरी मनला मार सरमर सरमर तउंरत देखे बर उहाँ जादा जावन.
वइसे तो रायपुर म गणेश उत्सव के चलन ह गजबे च जुन्ना हे, फेर एकर निश्चित जानकारी शायदेच कोनो ल होही. कुछ जानकारी रखइया मन बताथें के पहिली रायपुर म सिरिफ एकेच झन मूर्ति बनइया रिहिसे, जेकर नॉव रिहिसे- गोविन्द राव गिरहे. वो मन कंकाली पारा म मूर्ति बनावंय, संग म उन मयारुक पेंटर घलो रिहिन हें.
गोविन्द राव जी के दू झन चेला रिहिन हें- नारायण राव अउ मुकुन्द लाल यादव. मुकुन्द लाल यादव जिहां अच्छा मूर्ति बनइया रिहिन हें, उहें नारायण राव अच्छा पेंटर रिहिन हें. आगू चल के दूनों एक दूसर के कला ल सीखे के कोशिश करिन. माने, मुकुन्द लाल ह नारायण राव ल मूर्ति बनाय बर सिखावय, त नारायण राव ह मुकुन्द लाल ल पेंटिंग करे बर. धीरे धीरे मुकुन्द लाल ह दूनों कला माने मूर्ति बनई अउ पेंटिंग करई दूनों ल सीखगे, फेर नारायण राव ह मूर्ति बनाय बर नइ सीख पाइस. हाँ ए जरूर होइस के नारायण राव के सुवारी लक्ष्मीबाई ह मूर्ति बनाय बर सीख गे, तहाँ ले लक्ष्मीबाई ह कतकों बछर तक ए बुता ल व्यवसाय के रूप म अपनाय रहिस.
नारायण राव के कतकों झन चेला होइन- मोहनलाल यादव, नारायण यादव (कुशालपुर) परस पेंटर जे हा गुढ़ियारी म ऐतिहासिक नरियर के गणेश मूर्ति ल बनाए रिहिसे. रहीस पेंटर रामनगर, माधव पेंटर, घनश्याम फूटान, हेनुराम सोन, केशव साहू. अइसने मुकुन्द लाल यादव के घलो कुछ चेला होइन, जेमा रेखराज ध्रुव (मंदिर हसौद) नरेश पेंटर, श्याम पेंटर अउ रामनारायण यादव (पुत्र). ए किसम इहाँ मूर्ति बनइया मन के संख्या बाढ़त गिस.
रायपुर म पहिली छोटे छोटे मूर्ति मढ़ाए के रिवाज रिहिसे. लोहार चौक म सुखरू लोहार पारंपरिक रूप ले गणेश बइठारय. उंकर मूर्ति हर बछर एके असन राहय. लोगन बतावंय के वो मन मूर्ति ल तो विसर्जित कर देवत रिहिन हें, फेर सजावट के जम्मो जिनिस मनला अवइया बछर खातिर सुरक्षित मढ़ा देवत रिहिन हें. इंकर एक विशेषता रिहिसे के हर बछर मूर्ति के आगू म एक ठन नान्हे असन पानी के टंकी बनावंय अउ वोमा सॉंप असन दिखइया डुडूंग मछरी ढील देवंय. नान्हे लइका मन बर वो मछरी ह देखनी हो जावय. ठीक उंकरेच बाजू म महरू दाऊ जी घलो गणेश बइठारय. उंकर विशेषता ए रिहिसे के उन सजावट म चारों मुड़ा कॉंच के सजावट करंय. वोकर गणपति मढ़ाय के हाल भीतर खुसरन त मार बिजली अंजोर म कॉंच मन चकमिक चकमिक करत राहय. एकरे सेती लोगन एला कॉंच वाले गणेश घलो काहंय.
रायपुर म गणेश सजावट के रौनक अउ तब बाढ़िस, जब रामरतन बेरिया ह गुढ़ियारी पड़ाव म एक भारी भरकम झॉंकी बनाइस. मोला सुरता हे- गुढ़ियारी के गणेश झॉंकी ल देखे बर हम एक अलग से दिन निकाल के जावन.
तब हमन पुरानी बस्ती थाना जगा राहत रेहेन. एक दिन एती रामसागर पारा के जावत ले गणेश झॉंकी मनला देखन अउ फेर दूसर दिन गुढ़ियारी के झॉंकी ल फुरसुदहा देखे बर जावन. फल धरे के टुकनी, जूट के बोरा अउ पालीथीन मनला जोड़ जाड़ के वो हर अइसन झॉंकी बनाइस, जेन देखे म उभरे वाले पेंटिंग बरोबर जनावय. वो झॉंकी ल देखे बर पूरा गुढ़ियारी म मेला बरोबर रौनक राहय. रामरतन बेरिया रायपुर के ही रहइया रिहिसे, फेर वो ह मुंबई म जाके फिल्म मन के सेट बनाए बर सीख गे रिहिसे, एकरे जबर उपयोग वो ह गणपति के सजावट म करय.
एकर बाद फेर हाथ गोड़ हाले डोले वाले झॉंकी बने के शुरूआत होइस. अइसन झॉंकी मन म सजावट खातिर रखाय पुतला मन के हाथ गोड़ चलय, वो मन रेंगत असन जनावंय. इहू मनला देखे बर लोगन के भीड़ उमड़ जाय.
एकर पाछू फेर बड़े बड़े गुफा बनाय के चलन चालू होइस. गोलबाजार, रामसागर पारा म दू तीन घर मनला मिला के अइसे गुफा बनावंय के लोगन के देखनी हो जावय. लोगन नदिया, पहाड़ सबो ल नाहकत बुलकत गणेश जी के दरस करंय.
गुढ़ियारी म ही नरियर ले बने गणेश जी ह सबो कीर्तिमान मन ल टोर दिए रिहिसे. ए ह अपन किसम के अनोखा प्रयोग रिहिसे, जेन बहुते सफल अउ चर्चित होए रिहिसे. लोगन एकजुवरिया ले ही लाईन लगा के दर्शन खातिर खड़े हो जावंय. कोनो किसम के अलहन घटना झन घट जाय, अइसे गुन के बाद म प्रशासन ह एला बंद करवा दे रिहिसे.
जब बड़का बड़का मूर्ति बने के परंपरा चालू होइस, त गोल बाजार म अतका बड़का मूर्ति बनवा डरिन, ते वोकर स्थापना करे खातिर दू ठन क्रेन के सहारा लेना परगे, एकरे सेती वो गणपति के नॉव क्रेन वाला गणेश परगे. इहिच गोल बाजार म एक पइत गणेश उत्सव खातिर चंदा ले के बेरा जबर विवाद होगे रिहिसे, तब आयोजक मन ए गणेश उत्सव समिति के नॉव ल ही "विवादास्पद गणेश उत्सव समिति" रख दिए रिहिन हें.
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पाछू जब बिलासपुर म हाईकोर्ट बनाए के निर्णय होए रिहिसे तब रायपुर म वोकर खंडपीठ बनाए के माॅंग ले लेके जबर आन्दोलन होए रिहिसे. ए बखत कंकाली पारा के तंबोली परिवार अउ आने जम्मो लोगन गजबेच सुग्घर मूर्ति बनवा के स्थापना करवाए रिहिन हें. ए मूर्ति ल जब तक खंडपीठ के माॅंग पूरा नइ हो जावय, तब तक विसर्जन नइ करन कहिके अंड़ दिए रिहिन हें. बाद म गणेश विसर्जन के कतकों दिन के पाछू मान मनौव्वल कर के वो गणपति के विसर्जन करवाए गे रिहिसे. ए घटना के सेती गजब दिन तक वो गणेश ल खंडपीठ गणेश कहे जावय.
गुढ़ियारी के गणेश समिति वाले मन नवा-नवा प्रयोग करत राहंय. एक पइत उहाँ परस पेंटर ह नरियर ले भारी जबर गणेश प्रतिमा बनाए रिहिसे. ए नरियर के प्रतिमा ह रायपुर के इतिहास म नवा अध्याय जोड़े रिहिसे. ए गणेश ल देखे खातिर सिरिफ रायपुर भर के नहीं, भलुक आने आने गाँव शहर के लोगन घलो आवंय.
आवव अब चिटिक गणेश विसर्जन के गोठ कर लेइन. सियान मन बतावंय के पहिली गणेश प्रतिमा के विसर्जन पुरानी बस्ती के खो खो तरिया म करे जावय. बइला गाड़ी म सुग्घर केरा पान म सजा के झॉंकी निकाले जावय. वो बेरा म आज असन न तो चकाचौंध करत लाईट के व्यवस्था रिहिसे अउ न ही जनरेटर सेट, एकरे सेती वो बखत बइला गाड़ी के आगू आगू माटी तेल म बोरे वाला भभका मशाल धर के रेंगय, ए किसम तब विसर्जन झॉंकी निकलय. बाद म फेर बूढ़ा तरिया म मूर्ति विसर्जन होए लगिस. हमन बूढ़ा तरिया म मूर्ति विसर्जन होवत ही देखत रेहेन. खो खो तरिया के बेरा म शायद हमर मन के जनम नइ होए रिहिसे.
जब बूढ़ा तरिया के पानी जादा मतलाय लगिस अउ मूर्ति म लगे रसायन मन के सेती जलप्रदूषण के शिकायत आए लगिस, त फेर प्रशासन ह मूर्ति मन के विसर्जन ल खारुन नदिया म करे के नियम बनाइस. शुरू शुरू म खारुन नदिया के पुलिया ऊपर ले मूर्ति ल सउंहे ढपेल के विसर्जित करे जावत रिहिसे, फेर पाछू इहाँ फिसले वाले मशीन बनाए गिस. अउ जब नदिया के पानी घलो बनेच मतलाय लगिस, तब इहाँ कुंड बना के मूर्ति मनला विसर्जित करे जाय लगिस, जेन अभी तक चलतेच हे.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
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