Wednesday, 30 April 2014

पारंपरिक खेल

गोटा
हमारे यहां अनेक प्रकार के पारंपरिक खेल प्रचलित हैं। इन खेलों की विशेषता यह है कि इसमें धन का अपव्यय नहीं होता। बच्चे इसे अपने आप-पास के साधनों से सहज रूप से प्रप्त कर लेते हैं। आज के इस महंगाई के इस दौर में एेसे पारंपरिक खेलों के प्रति बच्चों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

भटकुल

पिट्टुल

भौंरा

बांटी

गिल्ली-डंडा

फोदा

बांटी





No comments:

Post a Comment