ग्राम-पांडुका, जिला गरियाबंद से लगभग 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित सिरकट्टी आश्रम अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए स्मरण किया जाता है। इसके नामकरण के संबंध में बताया जाता है कि यहां पर जिन मूर्तियों को स्थापित किया गया है, उनके सिर कटे हुए हैं। इसीलिए इस आश्रम का नाम लोकभाषा में अपभ्रंश होकर *सिरकट्टी* हो गया। बताया जाता है कि ये सिर कटी मूर्तियां यहीं पैरी नदी के तट पर बिखरी हुई मिली थीं, जिन्हें एकत्रित कर एक विशाल वृक्ष के नीचे स्थापित कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी की सहायक नदी पैरी के तट पर स्थित यह स्थल प्राकृतिक रूप से अत्यंत मनोरम है। अब इस आश्रम में इन मूर्तियों के अलावा विभिन्न समाज के द्वारा अलग-अलग कई अन्य मंदिरों का भी निर्माण करा दिया गया है। जिसके कारण यह जनआस्था का एक प्रमुख केन्द्र बन गया है।
पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि यहां पर स्थित पैरी नदी के तट पर पहले बंदरगाह हुआ करता था। तब जल मार्ग से व्यापार होता था। इसीलिए नावों को सुरक्षित स्थन पर खड़ा करने के लिए नदी के तट पर पत्थरों को काटकर गोदीनुमा आकार बनाया गया है। यह स्थान अभी भी स्पष्ट दिखाई देता है। सिरकट्टी आश्रम से मगरलोड की ओर जाने वाले मार्ग पर जो पुल बना हुआ है, उसके किनारे पुराने बंदरगाह का अवशेष स्पष्ट दिखाई देता है।
सुशील भोले sushil bhole
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी की सहायक नदी पैरी के तट पर स्थित यह स्थल प्राकृतिक रूप से अत्यंत मनोरम है। अब इस आश्रम में इन मूर्तियों के अलावा विभिन्न समाज के द्वारा अलग-अलग कई अन्य मंदिरों का भी निर्माण करा दिया गया है। जिसके कारण यह जनआस्था का एक प्रमुख केन्द्र बन गया है।
पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि यहां पर स्थित पैरी नदी के तट पर पहले बंदरगाह हुआ करता था। तब जल मार्ग से व्यापार होता था। इसीलिए नावों को सुरक्षित स्थन पर खड़ा करने के लिए नदी के तट पर पत्थरों को काटकर गोदीनुमा आकार बनाया गया है। यह स्थान अभी भी स्पष्ट दिखाई देता है। सिरकट्टी आश्रम से मगरलोड की ओर जाने वाले मार्ग पर जो पुल बना हुआ है, उसके किनारे पुराने बंदरगाह का अवशेष स्पष्ट दिखाई देता है।
सुशील भोले sushil bhole
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
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