छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव पांडुका, जिला-गरियाबंद से निकलकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले महर्षि महेश योगी की जन्मभूमि पर स्थित महर्षि आश्रम भारतीय वैदिक ज्ञान को संरक्षित करने के अपने मिशन में आज भी लगा हुआ है।
यहां प्रतिवर्ष 100 बटुकों को वैदिक कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है। इनके रहने, खाने-पीने और छात्रवृत्ति प्रदान करने की व्यवस्था भी आश्रम की ओर से की जाती है। कुछ बटुकों से चर्चा करने पर ज्ञात हुआ कि उन्हें दो वर्षों में यह पाठ्यक्रम पूरा करना होता है।
एक विशाल भू-भाग में फैले इस आश्रम को देखकर हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति का स्मरण हो उठता है। गुरुकुल की वह परंपरा कितना संयमित और सांस्कारिक था, इसका अहसास यहां के बटुकों को देखकर होता है।
आज की भौतिकवादी शिक्षा पद्धति और इस गुरुकुल की परंपरा वाली शिक्षा पद्धति में कितना अंतर है यह स्पष्ट दिखाई देता है।
सुशील भोले
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
यहां प्रतिवर्ष 100 बटुकों को वैदिक कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है। इनके रहने, खाने-पीने और छात्रवृत्ति प्रदान करने की व्यवस्था भी आश्रम की ओर से की जाती है। कुछ बटुकों से चर्चा करने पर ज्ञात हुआ कि उन्हें दो वर्षों में यह पाठ्यक्रम पूरा करना होता है।
एक विशाल भू-भाग में फैले इस आश्रम को देखकर हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति का स्मरण हो उठता है। गुरुकुल की वह परंपरा कितना संयमित और सांस्कारिक था, इसका अहसास यहां के बटुकों को देखकर होता है।
आज की भौतिकवादी शिक्षा पद्धति और इस गुरुकुल की परंपरा वाली शिक्षा पद्धति में कितना अंतर है यह स्पष्ट दिखाई देता है।
सुशील भोले
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मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
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