मयारु माटी mayaru mati
Tuesday, 31 March 2015
चैत के घाम...
चट ले जरथे अब चैत के घाम
कोइला कस हो जाथे देंह के चाम
नाक-कान-मुड़ी ल कतकों तैं तोप
बेरा के ताप म नइ लागय लगाम
*
सुशील भोले
*
1 comment:
Sarala Sharma
1 April 2015 at 13:14
घाम ले बांचे बर ओहर काय ओढ़े हे भाई ।
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घाम ले बांचे बर ओहर काय ओढ़े हे भाई ।
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