मयारु माटी mayaru mati
Friday, 27 March 2015
कागज के पांखी.....
अबड़ उड़ावत रहिन लगाके कागज के पांखी
कुछ लबरा संगवारी घलो देवत रहिन साखी
फेर सच के दरपन इनला देखा देइस हे चेहरा
झरगे सपना शेखी के, रोवत ललियागे आंखी
*
सुशील भोले
*
(किकेट वर्ल्डकप के सेमीफाइन में हारने पर )
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment