सुरता//
श्यामलाल चतुर्वेदी : मंदरस घोरे कस झरय जेकर बानी ले छत्तीसगढ़ी
पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी जी एक अइसन साहित्यकार रिहिन हें, जेला सरलग सुनतेच रेहे के मन लागय. मोला तो कई पइत अइसनो जनावय के उनला कविता पाठ करत सुने ले जादा एक वक्ता के रूप म सुनत रेहे जाय. अइसन कई बखत अवसर आवय जब उनला मन भर सुनई ह गजब भावय.
मोला उनला सबले पहिली देखे अउ सुने के अवसर दिसम्बर 1987 के आखिर म तब मिले रिहिसे जब दाऊ महासिंग चंद्राकर जी के 'सोनहा बिहान' के बैनर म बिलासपुर जिला के एक गाँव म 'लोरिक चंदा' के प्रस्तुति होए रिहिसे. संयोग ले दाऊजी मोला अपन संग उहाँ अपन कार्यक्रम देखाए खातिर लेगे रिहिन हें, अउ आदरणीय चतुर्वेदी जी ल घलो उहीच मंच म सम्मान करे खातिर घलो आमंत्रित करे रिहिन हें. ठउका वोकर पंद्रहीच पहिली छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' के विमोचन 9 दिसम्बर के होए रिहिसे, जेकर पहला अंक ल धर के मैं वो कार्यक्रम म संघरे रेहेंव अउ आदरणीय चतुर्वेदी जी ल उहीच मंच म सम्मान करत भेंट करे रेंहेंव. 'मयारु माटी' के ए अंक म चतुर्वेदी जी के कहानी 'जंगो के जोमर्दी' ल हमन छापे घल़ो रेहेन. चतुर्वेदी जी घलो तब मोला अपन कविता संकलन 'पर्रा भर लाई' ल भेंट करे रिहिन हें. लोगन के फरमाइश म उन तब अपन सम्मान के आभार प्रकट करत वक्तव्य संग 'बेटी के बिदा' कविता के पाठ घलो करे रिहिन हें.
बिलासपुर जिला (अब जांजगीर-चांपा) के गाँव कोटमी म 20 फरवरी 1926 के जनमे चतुर्वेदी जी के जिनगी म एक अइसन अद्भुत संयोग घलो आए हे, जब उनला अपन खुद के लिखे कविता ऊपर परीक्षा म जुवाब लिखे बर परे रिहिसे. बिरले लोगन के जिनगी म अइसन संयोग आवत होही. बात सन् 1976 के आय. तब उन एम.ए. (हिन्दी) के परीक्षा म ऐच्छिक विषय के रूप म छत्तीसगढ़ी भाखा के रूप म छत्तीसगढ़ी भाखा के पाठ घलो संघरे रिहिसे. चतुर्वेदी जी तब अकबकागें जब उन देखिन के उंकर प्रश्न पत्र म उंकरेच कविता के बारे म पूछे गे रिहिसे.
चतुर्वेदी जी साहित्य अउ पत्रकारिता दूनों के माध्यम ले एक कलमकार के कर्तव्य ल पूरा करिन हें. संगे-संग उन एक निर्विरोध सरपंच के रूप म घलो आदर्श जीवन के गाथा गढ़े हें. सन् 1965 म उन अपन गाँव कोटमी के निर्विरोध सरपंच बने रिहिन हें. तब वो मन गाँव वाले मनला संगठित कर के शराब बंदी, जंगल के संरक्षण, सड़क बनई, कुआँ खनवाए के संग तरिया मन के साफ-सफाई करे के ठोसलग बुता करे रिहिन हें.
हमन अक्सर सुनथन के आजादी के आन्दोलन के बखत पत्रकार मन के जीवन एक ऋषि तुल्य जीवन राहय. वो मन तब एकेच संग अबड़ अकन भूमिका निभा लेवंय. पत्रकारिता के संगे-संग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक, स्वदेशी अउ स्वावलंबन के उपासक राहंय. चतुर्वेदी जी म घलो ए जम्मो रूप के दर्शन होवय. फेर अब के पत्रकार मन म अइसन दर्शन दुर्लभ होगे हवय. चतुर्वेदी जी नई दुनिया, युगधर्म, हिन्दुस्तान समाचार के संगे-संग छत्तीसगढ़ के अउ कतकों समाचार पत्र मन म सरलग समाचार भेजत राहंय. सन् 1949 ले वोमन पत्रकारिता के श्रीगणेश करिन माखनलाल चतुर्वेदी के कर्मवीर के संवाददाता के रूप म करिन. महाकौशल, लोकमान्य, नवभारत, नवभारत टाइम्स, युगधर्म, जनसत्ता आदि समाचार पत्र मन म प्रतिनिधि के रूप म जन-समस्या मनला उठावत राहंय. सन् 1981 म हिन्दुस्तान समाचार के श्रेष्ठ संवाद लेखन खातिर तब के मुख्यमंत्री द्वारा उनला सम्मानित घलो करे गे रिहिसे.
चतुर्वेदी जी के साहित्यिक कृति के रूप म कविता संकलन 'पर्रा भर लाई', कहानी संकलन 'भोलवा भोलाराम बनिस' अउ लघु खण्डकाव्य 'राम-बनवास' उल्लेखनीय हे. छत्तीसगढ़ी संस्कृति मन ऊपर आधारित उंकर विभिन्न विषय के लेख कतकों पत्र-पत्रिका मन म सरलग छपत राहय. आकाशवाणी केन्द्र मनले घलो बेरा-बेरा म उंकर वार्ता सुने बर मिलत राहय.
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सन् 2008 म गठित करे गे 'छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग' के प्रथम अध्यक्ष बने के गौरव घलो आदरणीय चतुर्वेदी जी ल मिले हे. 2 अप्रैल 2018 के उनला तत्कालीन राष्ट्रपति जी के हाथ ले पद्मश्री के सम्मान घलो मिलिस.
अद्भुत प्रतिभा के धनी अउ सहज-सरल स्वभाव के ऋषि तुल्य जिनगी जीयइया साहित्य पुरोधा ह 7 दिसम्बर 2018 के ए नश्वर देंह ल के त्याग कर परमधाम के रद्दा रेंग दिन.
उंकर सुरता ल डंडासरन पैलगी 🙏
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Saturday, 11 December 2021
श्यामलाल चतुर्वेदी.. सुरता..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment