Tuesday, 28 December 2021

भारत में नववर्ष..

भारत में 1 जनवरी नहीं, कई बार मनाया जाता है नववर्ष..

    भारत एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग जगह पर अलग-अलग समय में अपनी संस्कृति और परंपराओं के साथ नए साल का उत्सव मनाया जाता है. यहाँ केवल 1 जनवरी को ही नहीं बल्कि कई अलग-अलग समय पर नववर्ष का जश्न मनाया जाता है.

   लगभग पूरी दुनिया में 1 जनवरी को नया साल के तौर पर मनाया जाता है, जो कि वास्तव में ईसाई धर्म का नया साल है. 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 से हुई थी. इसकी तारीख ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार चलती है.

जहां 1 जनवरी को दुनियाभर में नया साल मनाया जाता है, वहीं भारत एक ऐसा देश है जहां अलग-अलग जगह पर अलग-अलग समय में अपनी संस्कृति और परंपराओं के साथ नए साल का उत्सव मनाया जाता है. चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है तो यहां हर क्षेत्र में नये साल का उत्सव कृषि आधारित होता है. हमारे छत्तीसगढ़ में वैसाख माह के शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्ती पर्व के दिन कृषि का नववर्ष मनाया जाता है, इस दिन कृषि कार्य से जुड़े कामगारों की नई नियुक्ति करने के साथ ही अन्य श्रमजीवी वर्ग की भी, जिन्हें यहाँ की भाषा में पौनी-पसारी कहा जाता है, उनकी नियुक्ति की जाती है. यहाँ की मुख्य खरीफ फसल धान की बुवाई का कार्य भी इसी दिन से प्रारंभ किया जाता है, जिसे यहाँ मूठ धरना कहा जाता है.

   तो आइए हम आपको बताते हैं भारत में कब, कहाँ और किस मौसम में नया साल मनाया जाता है...

नवसंवत्सर-
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नवसंवत्सर कहते हैं. फसल पकने का प्रारंभ, किसानों की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है. भारतीय कैलेंडर की गणना, सूर्य और चंद्रमा के अनुसार होती है. माना जाता है कि विक्रमादित्य के काल में सबसे पहले भारत में कैलेंडर अथवा पंचाग का चलन शुरू हुआ. इसके अलावा 12 महीनों का एक वर्ष और सप्ताह में 7 दिनों का प्रचलन भी विक्रम संवत से ही माना जाता है.

उगाडी- तेलगू न्यू ईयर
यह नया साल कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है. तेलगू न्यू ईयर हिन्दी के चैत्र महीने और अंग्रेजी के मार्च-अप्रैल के बीच में पड़ता है.

गुड़ी पड़वा-
चैत्र महीने के पहले दिन यह त्योहार मनाया जाता है. मराठी और कोंकनी लोग इसे नए साल के रूप में मनाते हैं. इस दिन गुड़ी को घरों के द्वार पर लगाया जाता है.

बैसाखी- पंजाबी न्यू ईयर
बैसाखी 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है. मुख्य त्योहार खालसा के जन्म स्थान और अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में मनाया जाता है. यह त्योहार अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड में भी लोग आयोजित करते हैं.

पुथंडु- तमिल न्यू ईयर
तमिल माह Chithirai के पहले दिन यानी अप्रैल के मध्य में तमिल न्यू ईयर मनाया जाता है. इस मौके पर लोग एक दूसरे को Puthandu Vazthukal बोलते हैं. कच्चा आम, गुड़ और नीम के फूलों से त्योहार का खास डिश तैयार किया जाता है.

बोहाग बिहू- असामी न्यू ईयर
बोहाग बिहू अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है. यह असम का सबसे खास त्योहार है.

बंगाली नववर्ष-
बंगाली नववर्ष अप्रैल महीने के मध्य में मनाया जाता है.  बंगाल में इसे पोहला बोईशाख कहा जाता है. यह बैशाख महीने का पहला दिन होता है. पोहला का अर्थ है पहला और बोइशाख बंगाली कैलेंडर का पहला महीना है. बंगाली कैलेंडर हिन्दू वैदिक सौर मास पर आधारित है. पश्चिम बंगाल के अलावा त्रिपुरा के पहाड़ी इलाकों में भी पोहला बोईशाख मनाया जाता है.

गुजराती नववर्ष-
गुजराती नववर्ष को बेस्तु वर्ष कहा जाता है. यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में तेज बारिश को रोकने के लिए गोर्वधन पूजा की थी. गोर्वधन पूजा के दिन से गुजराती नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है.

विषु- मलयालम नववर्ष
विषु केरल में नववर्ष का दिन है. यह मलयालम महीने मेदम की पहली तिथि को मनाया जाता है. केरल में विषु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है. विषु पर्व के अहम पहलुओं में से एक है- 'विषुकनी' की रस्म, जो घर के सभी लोग निभाते हैं. इसमें घर के लोग सुबह सबसे पहले अपने ईष्ट देवी-देवता के दर्शन करते हैं.

नवरेह- कश्मीरी नववर्ष
कश्मीर में नवरेह नव चंद्रवर्ष के रूप में मनाया जाता है. यह चैत्र नवरात्र के पहले दिन मनाया जाता है. नवरेह का त्योहार कश्मीरी पंडित बड़े उत्साह से मनाते हैं. नवरेह की सुबह लोग सबसे पहले चावल से भरे पात्र को देखते हैं. इसे समृद्धशाली भविष्य का प्रतीक माना जाता है.

हिजरी-इस्लामिक नववर्ष
इस्लामिक वर्ष मुहर्रम के पहले दिन से शुरू होता है. हिजरी एक चंद्र कैलेंडर है. इस्लामिक धार्मिक त्योहार को मनाने के लिए हिजरी कैलेंडर का ही इस्तेमाल किया जाता है.
-प्रस्तुति - सुशील भोले

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