मया के डोरी ले
अउ एक मोती झरत हे
सरग निसैनी ले
दिसम्बर उतरत हे..
बांचे हे भइगे
थोरके घड़ी, पल छिन
फेर हो जाही
अंगरी म वो तो गिन-गिन.
कुनकुनवत रउनिया
अउ दमोरत रतिहा के
गोरसी तापत सियान के
सोझियावत कनिहा के
कोनो बियारा म दौंरी
अउ बेलन के रेंगना
कोनो मेर के रास ल
सकेलना अउ धुंकना
नवा दिन-बादर ह
फेर परघाही नवा मौसम
बसंत के सुवागत म
करही दमादम
नवा बिहान ले बस
अतकेच हे आस
झन बोरबे तैं ह जी
ककरोच बिसवास
-सुशील भोले-9826992811
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