किताब के गोठ//
छापे ले जादा जनमानस म स्थापित करना होथे सार्थक
कोनो भी किताब ल लिखे अउ बने चिक्कन-चॉंदन छापे ले जादा महत्वपूर्ण ए होथे, के वो किताब ल जेन मनखे मन खातिर लिखे गे हे, वोमन के पहुँच म वो किताब जावय अउ वोमा जेन उद्देश्य निहित हे, तेला वो मनखे आत्मसात करय. तभे वो किताब ल या वोकर लिखान ल सार्थक माने जा सकथे.
अभी हमर छत्तीसगढ़ी लेखन संसार म अइसने किसम के दृश्य जादा देखे म आवत हे. लोगन बढ़िया सुंदर असन रूप-रंग म किताब छपवावत हें, अउ वोला दू-चार हितु-पिरितु मन ल भेंट करे के बाद बॉंचे मनला कॉंच के आलमारी म सजा के जमावत जावत हें. अइसन नजारा तब ले जादा देखे म आवत हे, जब ले हमर इहाँ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के गठन होए हे, अउ आयोग ह छत्तीसगढ़ी किताब मनला छपवाए के जोखा मढ़ाए हे.
अइसन किताब मन म कुछ किताब तो बहुत महत्व के हे, जेमन ल आलमारी ले निकाल के लोगन के पहुँच तक लेगे अउ उंकर अंतस म आत्मसात करवाए के जरूरत हे. अइसन किताब मन म अभी छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस 28 नवंबर के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा विमोचित किताब 'छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण मार्गदर्शिका' घलो हे, जेला शासकीय स्तर म लोगन ल आत्मसात करे खातिर प्रेरित करे के जरूरत हे.
काबर ते अभी कुछ बेरा ले हमन छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण के विषय म गजब गोठ-बात करत रेहे हावन, तेकर सेती छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग डहर ले प्रकाशित 'छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण मार्गदर्शिका' ल जन-जन म बगराए अउ वोला माने खातिर प्रेरित करना गजबेच जरूरी हे.
वइसे तो छत्तीसगढ़ी के व्याकरण अउ मानकीकरण खातिर पहिली घलो कतकों गुनिक मन सैकड़ों बछर ले अपन-अपन सख भर बुता करत रेहे हें. फेर एकर खातिर सरकारी माध्यम ले छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के गठन के बाद ले ही बनेच बुता होय हे. आयोग के दूसरा अध्यक्ष दानेश्वर शर्मा जी के कार्यकाल म एकर शुरुआत होइस, जे ह तीसरा अध्यक्ष डॉ. विनय पाठक जी के कार्यकाल म जा के बनेच सिध परिस.
छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण खातिर 22 जुलाई 2018 दिन इतवार के बिलासपुर म आयोजित राज्यस्तरीय संगोष्ठी म पूरा राज भर ले जुरियाए सौ ले आगर साहित्यकार मन भाग लिए रहिन हें, जेमा छत्तीसगढ़ी भाषा अउ देवनागरी लिपि ऊपर जबर चर्चा होए रिहिसे.
ए संगोष्ठी के दस्तावेजीकरण के दायित्व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, व्याकरणाचार्य डाॅ. विनोद कुमार वर्मा जी अउ नरेन्द्र कौशिक 'अमसेनवी' जी ल दिए गे रिहिसे. ए किताब 'छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण मार्गदर्शिका' ह उही राज्यस्तरीय संगोष्ठी के पूरा लेखाजोखा आय.
ए किताब के सार इही आय- हमला छत्तीसगढ़ी के लेखन म नागरी लिपि के जम्मो 52 वर्ण ल बउरना हे, जेला केन्द्रीय शासन द्वारा हिन्दी के लेखन खातिर मान्य करे गे हे. छत्तीसगढ़ी के लेखन म कहूँ आने भाषा के शब्द मनला बउरना हे, त उनला जस के तस लेना हे, वोमा कोनो किसम के टोर-फोर नइ करना हे.
अइसन किताब मनला लिखे या छपवाय के सार्थकता तभे हे, जब वोला लोगन आत्मसात करय. वोकरे मुताबिक लिखय-पढ़य. ए किताब ह छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के द्वारा 2018 म आयोजित संगोष्ठी के निचोड़ आय. ए किताब ल राजभाषा आयोगे ह छपवाय हावय, त एला लोगन ल अपन लेखन म बउरे खातिर राजभाषा आयोग ल ही सबले जादा उदिम करना चाही. जतका भी जगा छत्तीसगढ़ी ल कोनो न कोनो रूप म बउरे जावत हे, उन सबो जगा म आयोग डहर ले पाती लिख के 2018 म लिए गे निर्णय के मुताबिक छत्तीसगढ़ी ल लिखे खातिर अनुरोध करना चाही. खासकर इहाँ अभी कुछ प्रिंट अउ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मन म जेन छत्तीसगढ़ी के चलन देखे जावत हे, उनमा तो एकर सोर बगराना बहुते जरूरी जनाथे. मोला भरोसा हे, सरकारी माध्यम के द्वारा जब लोगन ल एकर खातिर प्रेरित करे जाही, त निश्चित रूप ले वो ह सफलता के मंजिल ल अमरही.
छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण के कारज सफल होय, लोगन ए किताब अउ एमा समाहित बात ल आत्मसात करॅंय इही शुभकामना हे.
-सुशील भोले-9826992811
Thursday, 15 December 2022
किताब : मानकीकरण मार्गदर्शिका
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