संसो//
शहर के पारा म लहुटत हमर गाँव
आजा रे आजा गाँव म
सरग अस सुग्घर ठॉंव म
चंदा के हाॅंसी देखबे चंदैनी के ठिठोली
सुरूज ह इहें बोलथे सुख के रे बोली
बादर ह जस पाथे इहेंच के नॉव म
आजा रे आजा गाँव म...
शहरी जिनगी के चींव-चॉंव, धुर्रा-धुंगिया अउ नाली मन के बस्सई ले असकटा के मैं अपन गाँव के सुरता करत ए गीत ल लिखे के उदिम करे रेहेंव. तब ए सपना म घलो नइ गुने रेहेंव के उही मोर सरग अस गाँव ह घलो कभू अइसने शहर के हिस्सा बन जाही!
कक्षा आठवीं पढ़े खातिर मैं बछर 1973-74 म रायपुर आए रेहेंव. तब ए शहर ह अपन डेना ल जादा लमा नइ पाए रिहिसे. तब हमन अभी के पुरानी बस्ती थाना के आगू म राहत रेहेन. उहाँ ले थोरके आगू लाखे नगर चौक तक बढ़े तहाँ ले खारून नदिया महादेव घाट के जावत ले चारों मुड़ा खेत-खार दिखत राहय. वइसने एती महराजबंद तरिया ले उतरे त चारों मुड़ा खेती-किसानी म भीड़े लोगन पाते. दशहरा बखत रावनभाॅंठा जावन त इहाँ उहाँ ले लामे खेत के मेड़ो म रेंगत जावन.
वइसने टिकरापारा के पूछी खूंदते नजर भर खेतेच खेत दिखय. तब बोरिया, कांदूल, डूंडा आदि गाँव मन गजब दुरिहा जनावय. वोती अकेल्ला दुकेल्ला जाय म डरभुतहा बानी के जनावय. फेर अब ए सब गाँव मन रायपुर के अलग-अलग वार्ड अउ पारा के रूप म लहुटत हावंय. अइसने रायपुर के चारों मुड़ा के गाँव मन घलो ए शहर के समुंदर म समागे हावंय. एकरे संग गाँव-गॅंवई के सहजता, सरलता, संस्कार अउ परंपरा मन घलो शहरी आडंबर अउ तामझाम के रंग म रंगत दिखे लागे हे.
जेन किसान मन खेत म नॉंगर जोतत, बियारा म धान मिंजत अउ बारी-बखरी म साग-भाजी बोवत या टोरत दिख जावय, वोमन अब शहर के कोनो दूकान या फेक्ट्री म मजूरी-हमाली करत दिखथे. कोनो मन रिक्शा ठेला पेलत या कचरा के ढेर म प्लास्टिक के पन्नी झिल्ली बीनत.
बहुत अभियावन नजारा देखब म आथे. लोगन अपन सोना उगलत धनहा मनला बेच-बेच के बड़का-बड़का सीमेंट के घर बनवा डारिन. फेर कुछ बछर के छकल-बकल खवई-पियई म सबो ल गंवा डारिन. आज उन छोटे छोटे मजूरी-हमाली के भरोसा दू जुवर के पेट ल पोंसे पावत हें.
गाँव मन के अइसन विनाश लीला करे के पाछू घलो शहर के रकत पीये के टकर ह छूटत नइए, भलुक दिन के दिन अउ बढ़ोत्तरी देखे म आवत हे. अभी इहाँ के स्मार्ट सिटी के जेन नक्शा आए हे, ए ह मोर अपन खुद के गाँव नगरगाँव, मोहदी, बरबंदा आदि, सबला अपन सपेटा म कब्जियावत हे. मैं कभू लोगन ल बड़ा गरब के साथ बतावौं, के मोर गाँव के घर ह हमर रायपुर के घर ले ठउका 29 किमी के दुरिहा म हे. फेर अब ए नवा स्मार्ट सिटी के योजना पूरे के बाद हमर गाँव ह रायपुर के ए पारा ले वो पारा हो जाही.
रायपुर के सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र के चारों मुड़ा होवत फैलाव ह हमन ल ए बात के पहिली च ले आरो कराए असन करत रिहिसे. काबर ते औद्योगिक क्षेत्र के प्रदूषण धुंगिया ह हमरो गाँव के वातावरण ल करिया डारत रिहिसे. अब स्मार्ट सिटी के नवा नक्शा ल देखे के बाद लागत हे- गाँव के सामाजिक सांस्कृतिक चिन्हारी सबो ह शहर के गंदगी भरे पारा अउ कोलकी-संगसी के रूप म लहुट जाही.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
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