Thursday, 29 December 2022

1857: सोनाखान' किताब के गोठ

किताब के गोठ//
नाटक, उपन्यास संग ऐतिहासिक आलेख के आरो करावत '1857 : सोनाखान'
    वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, इतिहासकार आशीष सिंह के हाले म आए किताब '1857 : सोनाखान' ह नाटक के संगे-संग उपन्यास अउ एक ऐतिहासिक आलेख के एकमई आरो करावत हे. वइसे तो मैं स्वाधीनता संग्राम म छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद नारायण सिंह के ऊपर लिखे नाटक, कतकों आलेख अउ कविता मन के संगे-संग खण्डकाव्य सबो पढ़े हंव, फेर '1857 : सोनाखान' ल पढ़त जतका रोमांच अउ गरब के अनुभूति होइस, वो ह बेजोड़ अउ अतुलनीय हे. एला पढ़त बेरा जनावत रिहिसे जइसे छत्तीसगढ़ म स्वतंत्रता संग्राम ले जुड़े सउंहे सिनेमा के छापा देखत हौं.
    आशीष सिंह छत्तीसगढ़ म त्यागमूर्ति के नॉव ले प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर प्यारेलाल सिंह के नाती होय के संगे-संग पुरखा साहित्यकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अउ छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन के धारन खंभा रेहे हरि ठाकुर जी के सपूत आय, उनला स्वाधीनता आन्दोलन अउ साहित्य संग जुड़ाव विरासत म मिले हे. एकरे सेती उंकर ए किताब म वो जम्मो गुन अउ संस्कार ह जगजग ले दिखथे.
    आजादी के अमृत महोत्सव ल समर्पित किताब :1857 : सोनाखान' अपन शीर्षक ले ही जानबा करावत हे, के ए ह देश म होय प्रथम स्वाधीनता संग्राम के बेरा छत्तीसगढ़ अंचल म होय जम्मो गतिविधि मन के रचनात्मक छापा आय, जेला लेखक ह नाटक शैली ले शुरुआत करत उपन्यास अउ फेर तथ्यात्मक ऐतिहासिक घटनाक्रम अउ पात्र मनला जीवंत करे के ठउका उदिम करे हे. एमा पं. रामसनेही, घनश्याम गुरुजी आदि एक-दू  पात्र मनला अपन डहर ले जोड़ के कथानक मनला विस्तार देके जोंग करे हे, जे ह कोनो जगा ले अनफभिक नइ जनावत हे.
    किताब '1857 : सोनाखान' ल वइसे तो छत्तीसगढ़ी के ही किताब माने जाही, फेर एमा कुछ पात्र मनके संवाद हिंदी अउ अंगरेज मनके संवाद अंगरेजी म हे. उहें बीच बीच के कथ्य मन हिंदी म हें. तभो ए किताब ल छत्तीसगढ़ी के ही नवाचार किताब के रूप म स्वीकार करे जाना चाही.
    ए किताब म छत्तीसगढ़ी हाना, लोकगीत अउ हरि ठाकुर जी के खंडकाव्य के पंक्ति मनला दृश्य अउ बेरा-बखत के अनुरूप ठउका समोए गे हे, जेकर ले एला पढ़त बेरा गजब निक जनाथे. इहाँ के पारंपरिक परब-तिहार अउ उंकर ले जुड़े परंपरा अउ संस्कार मनला घलो बेरा-बतर के मुताबिक जोड़ के रखे गे हे.
    हरि ठाकुर स्मारक संस्थान, रायपुर द्वारा प्रकाशित '1857 : सोनाखान' किताब कुल 144 पेज के हे, जेकर कीम्मत 200 रु. रखे गे हे. ए किताब ल पढ़े के बाद लोगन के कुछ भ्रम ह घलो भागही. जइसे पहिली नारायण सिंह के शहादत दिवस ल 19 दिसंबर के मनाए जावत रिहिसे. हमन खुदे एक-दू पइत इही तारीख म संघरे रेहेन. एमा स्पष्ट करे गे हे, के शहादत दिवस 10 दिसंबर के आय. एकर पहला पेज म नारायण सिंह ल फांसी के सजा दे के बाद रायपुर के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर चार्ल्स सी. इलियट द्वारा नागपुर के कमिश्नर जाॅर्ज प्लाउडन ल लिखे गे पाती ल छापे गे हे. जेकर ले वो जम्मो बात प्रमाणित होथे.
    अइसने पहिली ए बताए जाय के नारायण सिंह ल तोप म बांध के गोला दाग के उड़ा दे गे रिहिसे. भारत सरकार के डाक विभाग ह एकर ले संबंधित एक डाक टिकट घलो जारी करे रिहिसे. फेर लेखक ह अपन शोध के माध्यम ले ए बात ल स्पष्ट करे हे, के तोप ले उड़ाए के संबंध म कोनो किसम के दस्तावेज नइ मिले हे. वोमन नारायण सिंह के शहादत स्थल (जेन जगा उनला फांसी दे गइस) तेकरो बारे म उल्लेख करे हें, के तब के पुलिस छावनी म सिपाही मनके उपस्थिति म फांसी दिए गे रिहिसे. किताब म बताए गे हवय के आज के पुलिस लाइन ह तब के पुलिस छावनी आय. माने नारायण सिंह ल अभी के पुलिस लाइन के आसपास ही कोनो जगा फांसी दिए गे रिहिस होही. जबकि आज उंकर शहादत स्थल ल जय स्तंभ चौक बताए जाथे, ए ह सही नइ जनावय.
    एक ऐतिहासिक पात्र अउ उंकर संग जुड़े जम्मो घटना अउ दृश्य मनला प्रमाणित रूप म लिखे खातिर जतका आवश्यक जिनिस के जरूरत होथे, ए किताब म वो सबो ल संजोए के कोशिश करे गे हे. मैं ए बड़का अउ जब्बर बुता खातिर भाई आशीष सिंह ल बधाई देवत ए किताब अउ उंकर खुद के सफलता खातिर शुभकामना देवत हौं.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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