Thursday, 9 February 2023

बस नाॅव के होथे सिरजन..

बस नाॅव के होथे सिरजन

सोशलमीडिया के आए ले
रचनाकार मन के
रचना के
बगराव ह जबर बाढ़गे हे.
हमन अकेल्ला
ओला चारों खुंट
बगरा नइ पावन
तेकर सेती
कतकों लोगन
ओकर खाल्हे म
अपन नाॅव चटका के
बगरा देथें.
फेर
बाय असन तब जनाथे
जब वो बगरइया ह
मूल लेखक के नाॅव ल
ओ रचना ले मेटा देथे.

ककरो रचना
ओकर विचार, दर्शन
या बात ह बने लागथे
त ओकर बगराव तो
होना ही चाही
फेर
संग म
ओ रचनाकार के
मूल नाॅव अउ
पहचान घलो तो ओमा
रहना चाही.

अइसन कतकों उत्साही
बगरइया मन तो
अइसनो हें
जेन
मोर रचना ल
मोरेच जगा
ए कहिके पठो देथें
थोरिक देखिहौ तो,
मोर नवा सिरजन ल
अउ जब मैं
ओ रचना ल देखथौं
त ओ मनखे के सिरजन
बस अतके जनाथे-
ओकर खाल्हे म
मोर नाॅव के जगा
ओकर अपन नाॅव ह
ठउर पा जाए रहिथे.
-सुशील भोले-9826992811

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