अब बिरले देखे म आथे नगडेवन बजइया
नागपंचमी परब के लकठियाते नगडेवन बजइया मन हर गली अउ गाँव म एक हाथ म बांस के बने झोपली म सॉंप धरे अउ पीठ म दूसर झोपली ल कोनो पंछा बानी के कपड़ा म बांध के ओरमाए दिख जावत रिहिन हें. दू-चार झन लइका मनला देखतीन तहाँ वो नगडेवन म नागिन धुन बजा के झोपली के सॉंप ल उघार देवंय अउ ओला हुदर-कोचक के नचाय अस करत राहंय.
अब बेरा के संग ए नगडेवन बजइया मन घलो नहीं के बरोबर देखब म आथें. नागपंचमी परब म सॉंप देखा के दान-दक्षिणा मंगइया तो कतकों दिख जाथें, फेर नगडेवन बजा के दान मंगइया दिखबे नइ करत हें.
इलेक्ट्रॉनिक बाजा-रूंजी मन के आए ले हमर गजब अकन पारंपरिक बाजा मन कोनो संग्रहालय म प्रदर्शन करे के जिनिस बनत जावत हें. अउ एकरे संग ओकर बजाने वाला कलाकार घलो नंदावत जावत हें. अभी बस्तर ले एकरे ले संबंधित एक समाचार पढ़े बर मिले रिहिसे, जेमा एक समाज विशेष के मुखिया मन मोहरी बजाने वाला नइ मिले के सेती गजब चिंता फिकर करत रिहिन हें. उंकर कहना रिहिसे के उंकर देवता के पूजा-परब म मोहरी के बाजना जरूरी होथे, फेर अब पढ़े लिखे लइका मन एती चेत नइ करत हें, जेकर ले हमर परंपरा के सही रूप म निर्वहन नइ हो पावत हे. ओ मन एकर खातिर नवा लइका मनला विशेष रूप ले प्रशिक्षण दे के बात करत रिहिन हें. वइसे नवा पीढ़ी के लइका मन कला के क्षेत्र म आवत जरूर हें, फेर ओमन पारंपरिक बाजा-रूंजी ल बजाए या सीखे के बलदा इलेक्ट्रॉनिक वाद्ययंत्र ले ओकर धुन निकाल के काम चला लेवत हें.
नगडेवन जेला हमन हिंदी म बीन कहिथन, एला विशेष किसम के तुमा (लौकी) ले बनाए जावय. वइसे तो सबो किसम के तुमा मन साग रांध के खाए के काम आथे (आजकल तुमा के रस ल औषधि के रूप म पीए के चलन घलो बनेच बाढ़ गे हवय) , फेर एमा कोनो-कोनो मन के आकार-प्रकार अलगेच होथे, जेकर सेती उंकर उपयोग कुछ अलग किसम से घलो कर लिए जाथे. जइसे चकरी किसम के तुमा ले तमुरा बनाए जाथे, त कमंडल बानी के तुमा ले कमंडल. पहिली साधु-महात्मा मन जगा कमंडल जरूर दिख जावत रिहिसे, फेर आजकल इहू ल पीतल के देखब म आ जाथे. इहाँ के वन क्षेत्र म तुमड़ी घलो दिखय, जेकर पानी ह गरमी के दिन म करसी के पानी कस जुड़ बोलय.
नगडेवन बनाय खातिर जेन तुमा के उपयोग होवय, वोकर आगू भाग ह बेल असन गोल अउ पाछू के भाग ह लम्हरी पातर असन राहय, जेन ह अर्द्ध गोलाकार म मुड़े असन राहय. वो तुमा के बने पाक जाए के बाद ओकर भीतर के गुदा ल निकाल के खाली कर दिए जाय. ओकर पाछू के भाग मुड़े वाला होथे, ओमा आधा म पातर असन कुछ छेदा कर देथें अउ आगू डहार के मोटहा गोल भाग होथे, ओमा आठ-नौ इंच लंबा बांस के टुकड़ा म सात ठन नान्हे छेदा कर देथें. पाछू म तीन इंच के पत्ती काट के लगाए जाथे. बनाने वाले मन अपन-अपन कल्पना अउ पसंद के मुताबिक ओकर आकार अउ सजावटी कर लेथें. फेर ए नगडेवन के पाछू ले मुंह म फूंके ले तुमा म हवा भर जाथे, जेहा पत्ती ले गुजरे ले विशेष आवाज म बाजथे.
एकर उपयोग इहाँ घुमंतू संवरा जाति के मन जादा करंय. ओमन एकर उपयोग सॉंप पकड़े खातिर घलो करंय. उंकर बात ल मानिन त, नगडेवन के बाजे ले कइसनो जहरीला साॅंप होवय एकर धुन म बिधुन होके नाचे-झूमे लगथे. जब नाचत-झूमत थक के चूर हो जाथे, तब सपेरा मन ओ सॉंप ल पकड़ के झोपली म बंद कर के रख देथें. ओमन बताथें के सॉंप ल झोपली म बंद कर के रखे के बाद दू-तीन खाय-पीये बर कुछू नइ देवंय, तब सॉंप निच्चट कमजोर हो जाथे. अइसने बेरा म फेर ओकर जहर ल निकाल के ओकर जहर वाले दांत ल टोर देथें.
ए प्रक्रिया ल पूरा करे के बाद फेर सॉंप ल बने खवा-पीया के तंदुरुस्त करे जाथे, तेकर बाद फेर उनला प्रदर्शन खातिर लोगन के बीच लानथें.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Friday, 3 February 2023
अब बिरले देखे म आथे नगडेवन बजइया
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