'कोंदा-भैरा के गोठ' बर मोर दू डांड़
-डॉ. परदेशी राम वर्मा
छत्तीसगढ़ी भाषा बर लइकापन ले संसो करइया सुशील भोले ह जिनगी भर ठोसलगहा काम करिस. रोजी-रोजगार, पइसा-कौड़ी कुछू ल अपन जीवन म ओहा कमतिहा महत्तम के समझिस अऊ भाषा-संस्कृति, छत्तीसगढ़ महतारी के जय जयकार के बूता म भिड़गे. हरि ठाकुर, पवन दीवान के जौन परंपरा हे, वोला सुशील ह अपन पीढ़ी म सबले बढ़िया समझ के आगू बढ़े के कोशिश करिस. अब चारों मुड़ा ओकर नाव हे. छत्तीसगढ़ी भाषा के लेखक अऊ छत्तीसगढ़ी संस्कृति धरम के मरम जनइया के रूप म.
पहिली तुतारी के चार छ: डांड़ रोज लिखिस. ओकर लेख, कविता म जौन मरयादा अऊ ठठ्ठा हे वोहा ओला पाठक मन के दुलरवा लेखक बनाइस. पेपर वाले मन सुशील के रचना ल जगा तो दीन फेर ओकर अंतस के पीरा के भभका ल जादा नइ झेले सकिन त सुशील ह सोशलमीडिया ला अपन बात केहे बर मंच बनाइस. अऊ होए लागिस चारों मुड़ा सोर. कोंदा-भैरा के गोठ ल दिनों दिन पेपरो वाला मन छापे लगिन.
कोंदा-भैरा के गोठ म छत्तीसगढ़ी भाषा के मिठास, बानगी, बियंग के धार, विषय के जानकारी के रंग देखते बनिस. बहुत लोकप्रिय होइस ये लेखन हा. साल भर सुशील हा एला लिखिस. अब एक बछर पूरा होइस त राजभाषा आयोग के सचिव अनिल भतपहरी जी हा आगू बढ़ के एला पीठ थपथपाइस. आशा हे जल्दी छप के किताब के रूप म हमर हाथ म आही 'कोंदा-भैरा के गोठ' हा.
नाव गजब सुग्घर चुनिस सुशील हा.
अपन जीवन म लगातार अभाव अऊ नाहक विरोध ला झेलत सुशील हा ताल ठोक के सच्चाई लिखथे.
सच के जर पताल म ये कहावत हे. आय हे तेन अपन जाय के बेरा म जाबे करही, फेर कोनो मनखे अपन काम के कारण सदा सुरता करे के योग्य बन जाथे.
सुशील भोले हा सदा अइसने काम करे हे.
उम्मर म मोर ले छोटे ए तब आसिरबाद अऊ संगवारी लेखक साथी ये त बधाई, मंगलकामना.
-डॉ. परदेशी राम वर्मा
संपादक- अगासदिया
अध्यक्ष छत्तीसगढ़ जनवादी लेखक संघ
एल. आई. जी.18, आमदी नगर, हुडको, भिलाई (छत्तीसगढ़)
मुंहाचाही- 9827993494
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