Monday, 1 January 2024

अई .. इहाँ के रहइया नोहय...

अई .. इहाँ के रहइया नोहय... 
    मशाल के भभका अंजोर म चिकारा, तमुरा अउ करताल संग म होवत खड़े साज ले कनिहा म तबला पेटी बांध के नाचत नाचा ले लेके आज के जगर-बगर अंजोर म झॉंय-झिपिंग होवत सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप म भले सरलग बढ़ोत्तरी देखे जावत हे, फेर जिहां तक मंचीय गरिमा के बात हे, त एकर संदर्भ अउ प्रस्तुति म वो ह थोरिक कमी आए असन जनाथे.
   मैं ह नाचा के वो खड़े साज वाले रूप ल घलो देखे हौं, जेमा मशाल के अंजोर म गाँव के कोनो चौंक-चाकर जगा म चार ठन बांस ल गड़िया के रात भर विशुद्ध जनरंजन के कार्यक्रम देखाए जावय. बिना माईक के होवइया ए कार्यक्रम म पारंपरिक गीत मन के संगे-संग समसामयिक विषय मन ऊपर तुकबंदी के शैली म जोड़े गे गीत मन के बीच म सामाजिक अउ राजनैतिक विसंगति ले जुड़े विषय म बड़ सुघ्घर गढ़न के पिरोए जाय. वो बेरा ह स्वाधीनता आन्दोलन के रिहिसे तेकर सेती नाचा प्रसंग मन म गाँधी बबा के संग देश ल आजादी देवया के जबर उदिम के आरो मिल जावत रिहिसे.
    खड़े साज के बाद हारमोनियम तबला संग बइठ के गावत-बजावत नाचा के घलो अबड़ मजा ले हावन. तब तक माईक अउ कमती पॉवर वाले बिजली-बत्ती आगे रिहिसे. 
    हमन स्कूल-कॉलेज के पढ़त ले एकर भारी आनंद ले हावन. वइसे तो हमर खुद के गाँव नगरगाँव म घलो अलवा-जलवा नाचा पार्टी रिहिसे, तभो कोस दू-चार कोस के दुरिहा म कोनो गाँव म नाचा होय के आरो मिलय त दू-चार संगी संघर के उहाँ सइकिल म धमकीच देवत रेहेन. हमर गाँव के खंड़ म बसे बोहरही धाम म हर बछर महाशिवरात्रि के बेरा तीन दिन के जबर मेला भराथे. एमा रतिहा बेरा नाचा के कार्यक्रम तो होबेच करथे. कभू-कभू तो अइसनो हो जावय के एकेच रतिहा म दू अलग अलग जगा एके संग नाचा के कार्यक्रम चल जावय. तब हमन दर्शक दीर्घा के नाचा प्रेमी होय के संग वालंटियर के बुता घलो कर डारत रेहेन. तब परी मनला मोजरा देखाय के अलगेच सेवाद राहय. तीन-सेलिया टार्च के बटन ल चपक के परी के मुंह म अंजोर मारन त वो ह स्टेज म नचई-गवई ल छोड़ के हमर मन तीर म आ धमकय. 
   हमन सब संगी बरार के पॉंच-दस जतका सका जाय ततका रुपिया देके बिदा करन तहाँ ले वोहा मंच म जाके सर्रावय-
    अई.. इहाँ के रहइया नोहय.. रहिथे नगरगाँव गा.. अउ का सुशील कहिथे तइसे वोकर नॉव गा.. पास म बलाके मयारु दिसे दू के नोट गा..  मैं तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा करती हूँ.. अउ सुनथस गा बजकाहर का किहिसे तेला..? 
   -ले सुनाना बाई.. सुनाना ओ.. 
   -ओ किहिसे- चलना-चलना जाबो बोहरही के बजार .. तोर बर लुहूं चूरी-पटा अउ पहिनाहूं सोनहा ढार.. 
    बछर 1970 के दशक म फेर नाचा ल अउ परिष्कृत कर के सांस्कृतिक मंच के स्वरूप दे गइस. दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ल एकर श्रेय जाथे. जइसे खड़े साज ल हारमोनियम तबला संग बइठ के नाचा के सुघ्घर रूप दे के श्रेय दाऊ मंदरा जी ल जाथे ठउका वइसनेच.
    मैं व्यक्तिगत रूप ले साहित्य अउ पत्रकारिता के संग जुड़े रेहे के संग ही आडियो रिकार्डिंग स्टूडियो के संचालन घलो करत रेहेंव, तेकर सेती मोर उठक-बइठक ह कला, साहित्य, संगीत सबोच क्षेत्र के पोठहा लोगन संग होवत रिहिसे. इंकर मन संग मुंहाचाही घलो होवय, जेला पत्र-पत्रिका म छापत घलो रेहेन. 
    खड़े साज ले जेन नाचा अउ फेर नाचा ले सांस्कृतिक मंच तक के विकासयात्रा होवत हमर ए मंचीय प्रस्तुति ह आगू बढ़े हे, तेकर संबंध म मैं दाऊ रामचंद्र देशमुख, दाऊ महासिंह चंद्राकर, खुमान साव, कोदूराम वर्मा, लक्ष्मण मस्तुरिया आदि जइसन जम्मोच कला-संस्कृति के रखवार मन संग गोठबात करत रेहेंव. सबोच झन एकर विषय अउ प्रस्तुति म सरलग आवत गिरावट ऊपर चिंतित रिहिन. अभी जइसे कवि सम्मेलन के मंच मन म हास्य के नॉव म फूहड़ता अउ अश्लीलता घलो ह अपन ठउर बना डारथे ठउका वइसनेच सांस्कृतिक मंच म घलो एकर मन के आरो मिल जाथे.
    पहिली गीत-संगीत ल विस्तार दे बर तावा आइस, जेला ग्रामोफोन काहन. एकर पाछू आडियो कैसेट आइस. इही आडियो कैसेट के चलन बाढ़े के संग इहाँ के मयारुक गीत मन म हल्का-फुल्का गीत मन धीरे धीरे संघरत गीन. तब फेर ए कैसेट के गीत के हल्का पन ह मंच के प्रस्तुति म घलो जनाए लगिस. एक बेरा अइसनो आइस जब एकरे मन के बोलबाला दिखे लागिस. ए मनला प्रोत्साहित करे म आडियो कैसेट कंपनी वाले मन के विशेष हाथ हे, जे मन आडियो के संगे-संग विडीयो घलो बनाए लगे रिहिन हें. वइसे बड़का सांस्कृतिक मंच वाले मन तो कइसनो कर के मंच के गरिमा ल बचाए के जतन करत रहिथें आजो करत हें, फेर जे मन चार-छै झनला जोर-सकेल के गावत-नाचत रहिथें अइसने मन आडियो विडीयो कंपनी वाले मन के झॉंसा म झट फंस जाथें. उन जइसे गढ़न के नाचे-गाये बर कहिथें, बिन सोचे-गुने वइसनेच कूद-फांद देथें.
    हमर लोक संगीत के अइसन दुर्दशा ल देख के कतकों बेर विचार आथे- जइसे सिनेमा मन के प्रदर्शन के पहिली उनला फिल्म प्रमाणन बोर्ड ले अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी होथे, ठउका वइसनेच लोक कला अउ संगीत क्षेत्र खातिर घलो एक अइसे संस्थान बनना चाही, जे ह अइसन जम्मो किसम के गीत, संगीत अउ सांस्कृतिक प्रस्तुति मन के सोर-खबर लेवत राहय.
   सांस्कृतिक मंच मन के भारी बढ़ोत्तरी के बाद घलो अभी नाचा पार्टी वाले मन के कभू-कभार दर्शन हो जाथे. ए पार्टी वाले मन के प्रदर्शन ल देख के अभी घलो मन ल थोक संतोष जनाथे, के इन फूहड़ता अउ अश्लीलता ले अभी घलो इनला बंचा के राखे हावंय.
   अभी बीते बछर म नाचा कलाकार डोमार सिंह कुंवर ल पद्मश्री के उपाधि ले सम्मानित करे गे रिहिसे जे हा हमर पुरखौती परंपरा के संरक्षण संवर्धन खातिर प्रोत्साहित करे के बड़का उदिम आय. भरोसा हे, अउ दूसर कलाकार मन घलो पुरखौती परंपरा ल संजो के रखे के रद्दा म आगू आहीं. मंच के गरिमा ल बनाए रखहीं.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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