माई भंगाराम के अदालत : जिहां दोष सिद्ध होय म देवता मनला मिलथे सजा
हमर इहाँ के मूल निवासी समाज के कतकों परंपरा अइसन हे, जेला देश दुनिया म अउ कहूँ देखे या सुने बर नइ मिलय. अइसने परंपरा म हर बछर भादो महीना म होने वाला माई भंगाराम के मंदिर म लगइया अदालत घलो हे, जिहां अपन देवत्व के अंतर्गत आने वाला काम-बुता अउ लोगन के दुख-सुख ले जुड़े सरेखा ले संबंधित कारज म सफल नइ होय म दोषी देवता ल सजा दिए जाथे.
माई भंगाराम के अदालत केशकाल घाटी के ऊपर मंदिर म अउ ठउका अइसनेच बस्तर राज के जुन्ना ठीहा, जे ह अब धमतरी जिला के कुर्सीघाट बोराई मार्ग म आथे भादो महीना के अंधियारी पाख म शनिच्चर के दिन लगथे.
माई भंगाराम के अदालत लगे के पहिली के 6 शनिच्चर के देवी देवता मन के विशेष रूप ले सेवा-पूजा करे जाथे. तेकर पाछू फेर सातवाँ शनिच्चर के आसपास के 9 परगना के जम्मो देवी देवता के संगे-संग पुजारी, सिरहा गुनिया, मांझी, गायता अउ मुखिया मन ए भादो जातरा म संघरथें. ए भादो जातरा या कहिन माई भंगाराम के अदालत या दरबार के खास बात ए आय के एमा माईलोगिन मन बर इहाँ संघरना प्रतिबंधित होथे.
माई भंगाराम के अदालत म जिहां बंजारी माता, कुंवरपाठ बाबा अउ नरसिंह नाथ के आगू म सबो देवी देवता मन के साल भर के लेखा-जोखा के हिसाब होथे.
देवी देवता मन के प्रतिनिधि के रूप म पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता अउ मुखिया मनला देवता मन के पक्ष रखे के अवसर दिए जाथे. अउ जब ए प्रतिनिधि मन के दलील म घलो देवता मन ऊपर लगे निष्क्रियता के दोष ले मुक्त नइ हो पावय, त संबंधित देवता ल उंकर दोष के छोटे बड़े के अनुसार निलंबन, बर्खास्तगी या फेर सजा-ए-मौत के सजा दे जाथे.
निलंबन के स्थिति म वो देवता ल एक विशेष जगा म रख दिए जाथे, जिहां उंकर मन बर जेल के मानक ठउर होथे. बाद म उंकर काम फेर सही जनाय म वापस देव ठउर म संघार लिए जाथे.
बर्खास्त के सजा म संबंधित देवता ल तीर के नरवा म विसर्जित कर दिए जाथे. ठउर अइसने सजा-ए-मौत के सजा म घलो उनला सीधा सीधा विसर्जित कर दिए जाथे.
हमर बस्तर के ए परंपरा आदि काल ले सरलग चले आवत हे, अउ आगू घलो चलत रइही. जब तक हम अपन परंपरा के सम्मान करत रहिबो, अपन आस्था ऊपर अडिग रहिबो.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
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