हमन,
कवि आन साहेब
कागज-पातर ल रंगथन
अउ कलम ल बउरथन
कभू अंतस के गोठ
त कभू दुखहारी के रोग
कभू राजा के नियाव
ते कभू परजा पीरा
उनन-गुनन नहीं
कहि देथन सोझ.
एकरे सेती
कोनो कहि देथे जकला
कोनो बइहा
त कोनो आतंकी
या अलगाववादी
कभू-कभू
देश अउ समाजद्रोही
घलो
फेर दरपन के कहाँ दोस होथे
वो तो बस
जस के तस देखा देथे
ठउका कवि कस
आखिर दूनों के सुभाव तो
एकेच होथे.
-सुशील भोले-9826992811
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