जेकर संग कोस भर
अड़कट्टा दउंड़ देवन
खंड़ भर नदिया ल
एकसंस्सू तउर देवन
वो संगी के अब
कुछू सोर नइ मिलत हे
कोन मेर लथर के
परे हंफरत हे?
सिरतोन उमर संग
अब उहू झरत हे.
सुरता हे मोला
वो मंझनिया भर किंजरना
ए खार ले वो खार
बमरी पेंड़ म लासा हुदरना
कोस भर बजार जाके
वोला तउलना अउ बेंचना
फेर उही संगी अब
अपटे धरत हे
पांव के पनही घलो
वोला अब
गरू लगत हे
सिरतोन उमर संग
अब उहू झरत हे..
मुचमुची गोठ अउ
मया के पाती
बदला म एकर वो अब
बीमा के नवा योजना
पढ़त हे
जमा-पूंजी के सरेखा संग
बेटा-बेटी के
सपना गढ़त हे
नोनी के बिदा ले उबरिस
त बाबू खातिर
अंगरी के पोर गिनत हे
सिरतोन उमर संग
अब उहू झरत हे...
-सुशील भोले-9826992811
Thursday, 20 January 2022
उहू झरत हे...
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