Tuesday, 25 January 2022

मोर कहानी लेखन...

मोर सबले पहिली कहानी 'ढेंकी' ह सन् 1983 म दैनिक अग्रदूत के साप्ताहिक परिशिष्ट म छपिस, तब वो ह हिन्दी म लिखे गे रिहिसे. वो बखत एकर संपादन अंचल के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार अउ प्रो. विनोद शंकर शुक्ल जी करत रिहिन. ए कहानी ल पढ़े के बाद टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी ए कहानी ल फिर से छत्तीसगढ़ी म लिखे बर कहिन, त मैं 'ढेंकी' ल फेर छत्तीसगढ़ी म लिखेंव, अउ बाद म फेर उहू ह छपिस.
फेर आगू चलके जब हमन 'मयारु माटी' मासिक पत्रिका चालू करेन, त फेर सरलग अउ कतकोन कहानी लिखेंव
अउ छत्तीसगढ़ी म ही लिखेंव. जे मन मासिक 'मयारु माटी', छत्तीसगढ़ी सेवक, लोकाक्षर, चौपाल, मड़ई, पहट, बरछाबारी के संगे-संग अउ कतकों पत्र-पत्रिका म छपे के संग आकाशवाणी रायपुर ले घलो लगातार प्रसारित होवत राहय.
इही बीच वैभव प्रकाशन वाले डाॅ. सुधीर शर्मा ए कहानी मनला संकलन के रूप म निकाले खातिर जोजियाइन, त फेर ए जम्मो म के छांट सकेल के सन् 2006 म "ढेंकी" के नांव ले पहला संस्करण वैभव प्रकाशन ले ही निकालेन. बाद म जब एकर मांग अउ होए लागिस, त सन् 2021-22 म एकर दूसरा संस्करण घलो छपिस.
ए ह मोर बर गौरव के बात आय, के डाॅ. पालेश्वर शर्मा जी के संपादन म "छत्तीसगढ़ी की श्रेष्ठ कहानियाँ" नांव ले एक संकलन छपे रिहिसे, उहू म मोर कहानी 'ढेंकी' ल संघारे गे रिहिसे.
'ढेंकी' के संबंध म एक अउ बात. आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक श्याम वर्मा जी ल ए कहानी गजब पसंद रिहिसे. वो बतावय- सुशील भाई, मोर  जगा जब 'मोर भुइयां' कार्यक्रम म प्रसारण खातिर बने असन नवा कहानी नइ राहत राहय, त मैं 'ढेंकी' ल फेर से ढील देवत रेहेंव. अइसे किसम ए ढेंकी ह आकाशवाणी ले 10-12 बार तो प्रसारित होइच गे हे.
ढेंकी के संगे-संग अमरबेल, एंहवाती, मन के सुख, धरमयुद्ध आदि कहानी मन घलो गजब लोकप्रिय होए रिहिन हें.

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