Tuesday 10 September 2013

सुरता हीरालाल काव्योपाध्याय


आज 11 सितंबर को छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सर्जक हीरालाल काव्योपाध्याय का स्मरण दिवस है। आज ही के दिन 11 सितंबर 1884 को उन्हेें गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के भाई की समिति द्वारा कोलकाता में काव्योपाध्याय की उपाधि प्रदान की गई थी।
ज्ञात रहे कि हीरालाल जी ने सन 1885 में छत्तीसगढ़ी व्याकरण की रचना की थी, जिसे उस समय के विश्व प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य सर जार्ज ग्रियर्सन द्वारा अंगरेजी में अनुवाद कर छत्तीसगढ़ी और अंगरेजी में संयुक्त रूप से सन 1890 में प्रकाशित करवाया गया था।
यह भी ज्ञातव्य है कि उस समय तक हिन्दी का भी कोई मानक व्याकरण नहीं बन पाया था। हिन्दी का प्रथम मानक व्याकरण सन 1921 में कामता प्रसाद गुरु के माध्यम से बना।
हीरालाल जी काव्योपाध्याय की उपाधि प्राप्त होने के पूर्व अपना नाम हीरालाल चन्नाहू लिखते थे। वे धमतरी जिला के अंतर्गत ग्राम चर्रा (कुरुद) के मूल निवासी थे, किन्तु बाद में वे रायपुर के तात्यापारा में रहने लगे, जहां उनके पिताश्री तत्कालीन मराठा सेना में नायक के पद पर पदस्थ थे।
उस महान आत्मा को हमारा नमन, जिन्होंने छत्तीसगढ़ी व्याकरण को विश्व पहचान दी।

सुशील भोले
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