Friday 31 May 2013

वंदे मातरम्...

(पिछले दिनों बहुजन समाज पार्टी के एक सांसद द्वारा संसद में वंदेमातरम् गान का बहिष्कार किया गया था, उसी की प्रतिक्रिया स्वरूप यह गीत... )














हर मजहब से ऊंचा है ये वंदेमातरम्
भूखों का भगवान सरीखा वंदेमातरम्....

चलो बढ़ाएं कदम मिलाकर फिर से आगे
आज प्रश्न फिर उठ जागा है देश के आगे
कोई कहीं ललकार रहा है वंदेमातरम्.....

आजादी दिलवाई जिसने जोश जगाकर
हर सूबे को गले लगाया आगे बढ़कर
फिर कोई क्यों नकार रहा है वंदेमातरम्.....

नवभारत में स्वर्णिम सवेरा आया जिससे
बच्चा-बच्चा जन-मन-गण को गाया जिससे
आज हिसाब सब मांग रहा है वंदेमातरम्....
                                          सुशील भोले 
                                    संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                           ई-मेल -  sushilbhole2@gmail.com
                                     मो.नं. 098269 92811

Tuesday 28 May 2013

मेरी प्रकाशित कृतियां...(1)

(नोट - अभी तक मेरी कुल पांच किताबें प्रकाशित हो पायी हैं, इनमें से दो किताबों में सुशील वर्मा, दो अन्य किताबों मेंं सुशील भोले एवं एक किताब में भोले सुशील वर्मा के नाम से प्रकाशित हुई हैं। यह मेरे साधना काल के पूर्व और बाद के समय को चिन्हित करता है, क्योंकि मैं पहले सुशील वर्मा के नाम पर लिखता था। बाद में आध्यात्मिक दीक्षा के पश्चात गुरु आदेश पर सुशील भोले लिखने लगा।)

 जिनगी के रंग
(छत्तीसगढ़ी काव्य संकलन)
प्रथम संस्करण - अगस्त 2005
कीमत - 51 रुपये
प्रकाशक - स्वामी आत्मानंद प्रतिष्ठान, रायपुर

 आखर अंजोर
(छत्तीसगढ़ के मूल धर्म एवं संस्कृति पर आधारित लेखों का संकलन)
प्रथम संस्करण - अगस्त 2006
कीमत - 21 रुपये
प्रकाशक - आदि धर्म पुनर्जागरण अभियान, रायपुर

 ढेंकी
(छत्तीसगढ़ी कहानी संकलन)
प्रथम संस्करण - 2008
कीमत - 50 रुपये
प्रकाशक - सृजन सम्मान, रायपुर



Monday 27 May 2013

छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य मंडल द्वारा सम्मान-पत्र

 छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य मंडल द्वारा अपने स्थापना दिवस के अवसर पर मुझे यह सम्मान-पत्र दिया गया था। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष अमरनाथ त्यागी, सचिव गोपाल सोलंकी, हिम्मत सिंह अरमो, मनोहर शर्मा सहित समिति के सभी सदस्य उपस्थित थे।

Saturday 25 May 2013

कभी जीवन देकर तुम देखो...























(छत्तीसगढ़ के जीरम घाटी (सुकमा-बस्तर) क्षेत्र में शनिवार 25 मई  2013 को देश के सबसे बड़े नक्सल हमला के संदर्भ में हार्दिक श्रद्धांजलि सहित यह गीत-)

सुनो आग पर चलने वालों, कभी घास पर चलकर देखो
जीवन लेना तो है आसां, कभी जीवन देकर तुम देखो....

रक्तपात से कैसे होगा, जीवन कोई खुशहाल भरा
न्याय कहां स्थापित होगा, जब रीत जाएगी ये धरा
छुप-छुप कांटों पर चलने वालों, राजमार्ग पर चलकर देखो...

कभी खोदते पुल और सड़कें, कभी शाला भवन ढहा देते
विद्युत खंभों को तुम पहले, गुप्तचर समझ जला देते
अरे अंधकार को बांटने वालों, कभी ज्ञान-ज्योत जलाकर देखो...

जल-जमीन-जंगल हमें भी, प्यारा है जीवन जैसा
सृष्टि का आधार यही है, तब विनाश इसका कैसै
मानवाधिकार की बातें अच्छी, पर मानवधर्म निभाकर देखो...

                             सुशील भोले
                  संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
                          मोबा. नं. 098269-92811
                    ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

प्यासा पनघट पर बैठा है....











ताल-तलैये सूख गये, नदियों की भी यही कहानी।
प्यासा पनघट पर बैठा है, भरकर आँखों में पानी।।

महानदी अब रेत उगलती, शिवनाथ सकुचाती है
अरपा-पैरी सांसें मंगतीं, निर्जीव सी गुहराती हैं
मेघदूत तो आते हैं पर, अघाती नहीं है यक्षिणी...

धरती खोदी पाताल सुखाया, सोख लिया जलस्रोतों को
बारिश की कुछ बूंदें आईं, दे दी उसे कल-पुर्जों को
मौसम का फिर दोष है क्या, हमने ही की है नादानी.....

दृश्य प्रलय-सा हुआ उपस्थित, खेतों और खलिहानों में
वृक्ष नहीं अब जीवन पाते, वन-उपवन-बागानों में
हमने खुद ही आग लगाई, छिनी प्रकृति की जवानी....
                                         सुशील भोले 
                                    संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                           ई-मेल -   sushilbhole2@gmail.com
                                     मो.नं. 098269 92811   

Wednesday 22 May 2013

मया-पिरित बरसाबे रे बादर...


(गर्मी के तांडव से निजात पाने के लिए वर्षा के बादलों को आमंत्रित करता एक छत्तीसगढ़ी गीत....)












गरजत-घुमरत आबे रे बादर, मया-पिरित बरसाबे
मोर धनहा ह आस जोहत हे, नंगत के हरसाबे... रे बादर....

जेठ-बइसाख के हरर-हरर म, धरती ह अगियागे
अंग-अंग ले अगनी निकलत हे, छाती घलो करियागे
आंखी फरकावत झुमरत आके, जिवरा ल जुड़वाबे ... रे बादर..

तरिया-नंदिया अउ डबरी ह, सोक-सोक ले सुखागे हे
कब के छोड़े बिरहीन सही, निच्चट तो अइलागे हे
बाजा घड़कावत आके तैं ह, फेर गाभिन कर देबे ... रे बादर...

जीव-जंतु अउ चिरई-चिरगुन, ताला-बेली होगे हें
तोर अगोरा म बइठे-बइठे, आंखी ल निटोरत हें
जिनगी दे बर फिर से तैं ह, अमरित बूंद पियाबे.. रे बादर...

नांगर-बक्खर के साज-संवांगा, कर डारे हावय किसान
खातू पलागे गाड़ा थिरागे, अक्ती म जमवा डारे हे धान
अब तो भइगे आके तैं ह, अरा-ररा करवाबे... रे बादर....
                                          सुशील भोले 
                                    संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                           ई-मेल -   sushilbhole2@gmail.com
                                     मो.नं. 098269 92811

Tuesday 21 May 2013

मंगल-परिणय...


मित्रों,
आप सभी के आशीर्वाद से मेरी सुपुत्री सौ.कां. वंदना का चि. अजयकांत के साथ एवं सौ.कां. ममता का चि. वेंकटेश के साथ रविवार 19 मई 2013 को हर्षोल्लास के साथ विवाह संपन्न हुआ।
मैं आप सभी का आभारी हूं कि आप लोगों ने मेरी दोनों ही पुत्रियों को अपना स्नेह और अशीर्वाद दिया।
                                    धन्यवाद,






                                             सुशील भोले 
                                       कस्टम कालोनी के सामने,
                                      संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                           ई-मेल -  sushilbhole2@gmail.com
                                     मो.नं. 098269 92811


Thursday 16 May 2013

मेरी बेटियों की शादी...




रविवार 19 मई 2013 को मेरी दो बेटियों की शादी एक ही मंडप पर संपन्न होने जा रही है।
मेरे संजय नगर, रायपुर स्थित निवास पर आयोजित इस कार्यक्रम में सौ.कां. वंदना का चि. अजयकांत के साथ एवं सौ.कां. ममता का चि. वेंकटेश के साथ गोधूलीवेला में विवाह संपन्न होगा।
जिन मित्रों को किसी कारणवश निमंत्रण नहीं मिल पाया हो, कृपया इसे ही निमंत्रण स्वीकार कर वर-वधूओं को अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
                                             सुशील भोले
                                       कस्टम कालोनी के सामने,
                                      संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                           ई-मेल - sushilbhole2@gmail.com
                                     मो.नं. 098269 92811

Saturday 11 May 2013

चलो गांव की ओर...












चलो गांव की ओर जहां सूरज गीत सुनाता है
तारों के घुंघरू बांध, चंद्रमा नृत्य दिखाता है.....

अल्हड़ बाला-सी इठलाती, नदी जहां से बहती है
मंद महकती पुरवाई, जहां प्रेम की गाथा कहती है
बूढ़ा बरगद पुरखों की, झलक जहां दिखलाता है....

रिश्ते-नाते जहां अभी भी मन को पुलकित करते हैं
दादी-नानी के नुस्खे, जीवन में रस-रंग भरते हैं
पूरा कस्बा परिवार सरीखा जहां अभी भी रहता है...

भाषा जिसकी भोली-भाली, तुतलाती बेटी-सी प्यारी
जहां संस्कृति पल्लवित होती जैसे मालिन की फुलवारी
धर्म जहां हिमालय जैसा, अडिग आशीष लुटाता है.....

सांझ ढले जब ग्वाले की, बंशी की तान बजती है
गो-धूली गुलाल सरीखी, जब माथे पर सजती है
तब पूरा परिवेश जहां का, गोकुल-सा बन जाता है....
                                           सुशील भोले 
                                    संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                           ई-मेल -   sushilbhole2@gmail.com
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Wednesday 8 May 2013

महतारी के अंचरा...













जीयत-मरत जे संग-संग रहिथे, छिन-छिन करथे पहरा
मोर तो सरबस तीरथ-बरत आय, महतारी के अंचरा.....

सुख-दुख म जे पल-पल रहिथे, नीत-अनीत घलो सहिथे
संग छोड़ जाथे छइहां तबले, वो स्वांसा कस धड़कत रहिथे
जिनगी ल पबरित कर देथे, जइसे गंगा के लहरा....

अंगरी धर के रेंगेंव जे दिन, दुनिया के हर भेद बताइस
गुरु सहीं समझा-बुझा के, मनसा भरम ल भगवाइस
फेर छछले-बाढ़े के बेरा म, बनिस सावन के बदरा....

सृष्टि के संचालन खातिर, जब आइस जिनगी म बेरा
तब संग लगा दिस संगवारी, अउ बना दिस एक डेरा
फेर मोह-माया के जोरन जोर के, आंजीस आंखी म कजरा...
                                          सुशील भोले 
                                    संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                           ई-मेल -  sushilbhole2@gmail.com
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Friday 3 May 2013

बचपन वापस आ जाए...


ऐसा कर दो कोई करिश्मा, बचपन वापस आ जाए
जीवन चक्र घुमा दो मेरा, शाम, सवेरा हो जाए.....

मां की लोरी फिर कानों में, गंूज रही है सांझ-सवेरे
दादी किस्से सुना रही है, बाल सखाओं को घेरे
फिर आंगन में हाथों के बल, धमा-चौकड़ी हो जाए...

स्कूल के दिन फिर ललचाते, अक्षर-अक्षर मुझे बुलाते
दोहे और पहाड़े गाते, जाने क्या-क्या राग सुनाते
ऐसा कर दो कोई गुरुजी, छड़ी फिर से चमकाए....

मुझे बुलाती हैं वो गलियां, जहां कभी कंचा खेला
जीवन की पगदंडी पकड़ी, और देखा इंसा का रेला
ऐसा कर दो कोई उस पथ पर, कदम मेरा फिर चल जाए...
                                         सुशील भोले 
                                    संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
                           ई-मेल -  sushilbhole2@gmail.com
                                     मो.नं. 098269 92811