Wednesday 29 June 2022

अध्यात्म अउ साहित्य पुरोधा सुशील भोले

आध्यात्मिकता अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य के पुरोधा:-
०२ जुलाई के 'श्री सुशील कुमार वर्मा "भोले जी "जी के जन्म दिन शुभकामना" विशेष

छत्तीसगढ़ की पावन धरा म जन्मे अद्भुत प्रतिभा के धनी,कुशाग्र बुद्धि ,दूरद्रष्टा,छत्तीसगढ़ के मयारू माटी म रंगे रतन बेटा, छ ग राज के उजागर करईया,छ ग राज के कला सँस्कृति,साहित्य,स्वाभिमान अउ अस्मिता के लाज बचईया,रखवारी करईया,छत्तीसगढ़ीहा मन के अधिकार खातिर सरलग आवाज उठईया,आध्यात्म चिंतन के पुरोधा
वरिष्ठ साहित्यकार,पत्रकार,स्तम्भकार, साहित्य के पुरोधा,श्री सुशील कुमार वर्मा जी के जनम ०२ जून सन १९६१ म शुभ लगन के पावन बेला म भाठापारा शहर थाना-धरसीवां,जिला-रायपुर (छ ग) म
इनकर  पिता स्व. श्री रामचन्द्र  वर्मा जी,माता स्व.श्रीमती उर्मिला देवी वर्मा जी,के घर म दूसर संतान के रूप म जनम होइस।
श्री भोले जी मन चार भाई अउ दू बहिन रिसे।जेमा भोले जी दूसर पाठ के रिहीन।श्री भोले के पिता श्री प्राथमिक शाला म गुरुजी रिहीन जेकर शिक्षा सँस्कार सरलग मिलत रिहीस।अउ एकर से भोले जी ल अड़बड़ लाभ मिलिस।उकर प्रतिभा हर फरी-फरी दिखे लागिस।
तभे तो कहे गे हे-
"बिरवान के होत चिकने पात।"
"पूत के पाँव पलना म दिख जाथे।"

अइसे माने जाथे की प्रतिभा हर कोनो चीज के मोहताज नई होवय।प्रतिभा ल मात्र अउ मात्र अवसर,समय,स्थान,के दरकार होथे।भले ही कतको विकट परिस्थिति होय।ओहर अवसर पाके अँकुरित हो ही जाथे।अउ ओहर एक विशाल बरगद कस बड़े होके आसपास के मन ल भी अपन सुग्घर छइहाँ प्रदान करथे।

श्री शुशील कुमार वर्मा "भोले जी" के परिवार:-
सम्मानीय श्री भोले जी के धरम पत्नी श्रीमती वसन्ती देवी वर्मा जी अउ इनकर पुत्री रत्न के रूप म तीन संतान हावे जेमा-
१.श्री मती नेहा वर्मा-पति श्री रविन्द्र वर्मा
२.श्री मती वंदना वर्मा-पति श्री अजयकांत वर्मा
३.श्री मती ममता वर्मा-पति श्री वेंकेटेश वर्मा जी हैं।

श्री भोले जी के शिक्षा-दीक्षा:-
आपमन के शिक्षा दीक्षा अपन जनम स्थान भठापारा म ४ थी के शिक्षा ल प्राप्त करिन।७वीं तक नगरगांव म अउ ८वीं ले 11वीं तक के शिक्षा रायपुर म प्राप्त करिन।एकर बाद अपन रुचि,अनुसार  प्रिंटिंग प्रेस लाइन वाला ट्रेंड म आई टी आई के कोर्स ल पास करिन।अउ फिर प्रेस लाइन म आके एक कुशल कंपोजीटर के रूप सेवा ल शुरू करिन।

श्री भोले जी के प्रेस लाईन अउ साहित्यिक यात्रा:-
श्री भोले जी सबसे पहिली दैनिक अग्रदूत समाचार पत्र म साहित्यिक यात्रा ल शुरू करिन,इनकर गज्जब के प्रतिभा ल देख के सरकारी प्रेस म इमन ल नौकरी मिलगे।अउ इहाँ कुछ दिन सेवा करिन,लेकिन इमन ल अपन माटी अपन राज के मया हर खिंच लिस।अउ सन १९८३-८४ म स्वयं के  कविता,कहानी के प्रकाशन होइस।एखर बाद तो आज ले सरलग श्री भोले जी के साहित्य साधना,सेवा हर चलत हावय।जेखर लाभ ल हम सब्बो ल प्राप्त होवत हावय।इही दौरान म आप दैनिक अग्रदूत,दैनिक तरुण छत्तीसगढ़,म सहसम्पादक के रूप म सेवा देहे लगीन।अउ इही सब समाचार,पत्र,पत्रिका, के सेवा करत-करत स्वयं के प्रिंटिंग प्रेस के संचालन शुरू करदिन।
जेहर मासिक समाचार पत्र "मयारू माटी" के रुप म स्थापित होइस।अउ इहाँ ल साहित्यिक समाचार पत्र के प्रकाशन तो होबे करिस,इहाँ ल ऑडियो गीत कैसेट रिकॉर्डिंग भी होय लगिस।जेला श्री भोले जी ह एक सुग्घर स्टूडियो के रूप म आकार दिन।
श्री भोले जी के सुग्घर कविता कहिनी आलेख:-
१.छितका कुरिया(काव्य संग्रह१९८८)
२.दरस के साथ(लंबी कविता १९८९)
३. जिनगी के रंग ( गीत व भजन संग्रह १९९५)
४.ढेंकी (कहिनी संकलन २००६)
५.आखर अँजोर (छ ग की सँस्कृति पर
    आधारित आलेख  २००६)
     दूसरा संस्करण (२०१७)
६.भोले के गोले(काव्य संग्रह २०१५)
७.सब ओखरे संतान (चार गोड़िया मन के संकलन २०२१-२२)
८.सुरता के संसार(संस्मरण मन के संकलन २०२१-२२)
श्री भोले जी के कॉलम लेखन-
१.तरकश अउ तीर (दै.नवभास्कर १९९०)
२.आखर अँजोर(दै. तरुण छ ग २००६-०७)
३.डहर चलैती(दै.अमृत सन्देश २००९)
४.गुड़ी के गोठ(साप्ता. इतवारी २०१०से २०१५ तक)
५.बेंदरा बिनास(साप्ता.छ ग सेवक८८-८९)
६.किस्सा कलयुगी हनुमान के(मयारू माटी ८८-८९)
अन्य लेखन-
१.प्रदेश एवम राष्ट्रीय स्तर के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेख कविता कहानी समीक्षा साक्षातकार आदि का नियमित रूप से प्रकाशन।
२."लहर" एवम "फूल बगिया" ऑडियो कैसेट में गीत लेखन एवम गायन।
३.अनेक सांस्कृतिक मंचों द्वारा गीत एवम भजन गायन।
श्री भोले जी के सम्पादन अउ प्रकाशन:-
१.मयारू माटी
(छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य के पहिली सम्पूर्ण पत्रिका प्रकाशन ०९ दिसम्बर १९८७)

श्री भोले जी के सहसम्पादन-
1.दैनिक अग्रदूत
2.दैनिक तरुण छत्तीसगढ़
3.दैनिक अमृत सन्देश
4.दैनिक छत्तीसगढ़ इतवारी अखबार
5.जय छत्तीसगढ़ अस्मिता(मासिक)
6.अनेक साहित्यिक सामाजिक पत्र-पत्रिकाएँ

श्री भोले जी के आध्यात्मिक जीवन:-
श्री भोले जी के जिंनगी ह आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत रिसे।जेखर कठिन तप ,धियान, साधना ह सरलग १९९४ ले २००८ तक १४ बच्छर तक चलिस।ए साधना ले श्री भोले जी ल आध्यात्मिक रहस्य,अउ आत्मज्ञान,के प्रप्ति होइस।एखरे सेती ओहर हमेशा कथे कि-
"साहित्य ल,जिनगी ल,आध्यात्म के दृष्टि से देखे जाना चाही।"
ओहर आगे कथें-
"बिना आध्यात्म के जिनगी ल मुक्ति नई मिलय।"

श्री भोले जी ल सम्मान बड़ाई:-
१. छ ग राज भाषा आयोग दुवारा
   (राज भाषा सम्मान २०१०)
२. अनगिन सामाजिक,धार्मिक,साहित्यिक
   संस्था समिति दुवारा सम्मान
३. भारत सरकार
    साहित्य अकादमी दुवारा सम्मान
    गुजराती एउ छत्तीसगढ़ी भाषा २०१७
     के सम्मेलन में भागीदारी

श्री भोले जी के लक्ष्य अउ हार्दिक इच्छा:-
श्री भोले जी के हार्दिक इच्छा ए हावय की हमर छत्तीसगढ़ राज के मूल आदि धर्म एवम सँस्कृति  के इहाँ स्थापना अउ,पुनर्जीवित होवय।ए सम्बन्ध म ओहर कहिथें-
"हमर जो मूल तत्व हे, ओला इहाँ भुला दिए गे हे।जो भी हमन आज समझत हवन, जानत हवन  ओहर  हमर सँस्कृति के अंग नोहय।ओ हर उत्तर भारत ले आए हे।जेला हमर ऊपर थोप दिए गे हे।ओ सब ल हटा के हमर अपन सँस्कृति के रक्षा करना हे, अउ ओकर प्रचार-प्रसार करना हे।"

श्री भोले जी के साहित्य सेवा व छ ग निर्माण म महती भूमिका अउ ओकर उपेक्षा:-
श्री भोले जी ह छ ग के निर्माण म महती भूमिका निभाए हावय।जेहर एकर अस्मिता,मान सम्मान ल ,आरुग अँजोर रखे ख़ातिर अपन आप ल समर्पित कर दिन।श्री भोले जी ह भली-भांति जान गे रिसे की छ ग के सँस्कृति ह कईसे म बाँचही।अउ इहाँ के असल पुरखा, कोन हर आय।ए सबो ल जान के श्री भोले जी हर अपन बात ल छ ग भाखा साहित्य के माध्यम से दमदारी के साथ उठाए लगीन।श्री भोले जी जब अपन मासिक "अखबार मयारू माटी" के शुरुवात करिन त सबसे पहिली इही अखबार म छतीसगढ़ी भाखा के उपयोग करिन।अउ हमर छत्तीसगढ़ी भाखा के कोठी ल अपन पोगरी राज के विकास ल समृद्ध करे के बात करिन।अउ ए परन करिन कि वह आजीवन छत्तीसगढ़ी भाखा के उपयोग करही,अउ अपन राज के बोली भाखा के चिन्हारी करवाही।पर दुख के बात एहर आय की अतका कुछ करे के बाद म भी श्री भोले जी के साहित्य सेवा अउ छ ग राज के लिए ओकर संघर्ष ,सेवा ल भुला दिए गिस।जबकि ओहर एखर असल सम्मान अउ पुरस्कार के लाईक रिहीन।मैं शासन म बइठे मुखिया मन ल ल ए बिनती करत हाँव की इनकर आरो लेवय।जेखर ओहर लायक हे।श्री भोले जी एक निम्न मध्यम परिवार ले रिसे आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न नई रिसे फिर भी ओहर अपन जिनगी के गाड़ी ल साहित्य सेवा करत अपन पूरा परिवार के पालन पोषण करत रिहीन।अईसनहे समय म श्री भोले जी अपन आप ल आध्यात्म के तरफ ध्यान साधना म लगा दिन।अउ आर्थिक स्थिति हर कमज़ोर होगे।अईसे कमज़ोर स्थिति म "दुब्बर बर दु आषाढ़ होगे।" अउ सन २४ अक्टूबर २०१८ के दिन श्री भोले जी ल अचानक लकवा के पक्छा घात अपन चपेट म ले लिस।अउ ए प्रकार से श्री भोले जी शारीरिक रूप से कमजोर होगिन।

श्री भोले जी के मोती बानी अउ बानगी:-

१.श्रम के महिमा के सुग्घर गान-
   पत्थर-पत्थर बोल रहा है,
   मन की आंखें खोल रहा है,
  तेरे श्रम का हर-एक पल,
   इतिहास बन बोल रहा है।।

हर मंदिर का देव तुम्हारे,
श्रम को शीश झुकाता है,
चट्टानों से सृजित होकर,
जो अब पूजा जाता है,
तेरी महिमा गा-गा कर,
शिखर क्षितिज पर डोल रहा है।।

२.चलो आज फिर दीप जलादें
   श्रम के सभी ठिकानों पर..

३.दुख पीरा के सँगवारी-
जा रे मोर गीत तय खदर बन जाबे
  बिना घर के मनखे बर तय घर बन जाबे

४.मया के सुग्घर सन्देश
मोर अँगना म आबे चिरइयाँ
    मया के गीत सुनाबे..

५.माता सेवा के गुहार
मोतियन चउँक पुराएँव जोहार दाई
     डेहरी म दिया जलाएँव..

६.सार एउ असल के सन्देश
सुशील भोले के गुण लेवा ये
    आय मोती बानी,
    सार सार म सबो सार हे
    नोहय कथा-कहानी।।

सम्मानीय श्री भोले जी के साहित्यिक यात्रा अद्भुत हावय जेमा कोई दु राय नइए।यखर लेखनी हर अईसे कोनो क्षेत्र म नइये गेहे जेमा नई चले होही।ओकर बारे म कतको लिखबो बोलबो बहुत कम आय।ओकर बारे म लिखना "जइसे सुरुज ल दीया झलकाना आय।"
श्री भोले जी हर हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य के जीता जागता एक महाकाव्य आय।जेहर छ ग के लिए,स्वाभिमान के लिए,अस्मिता के लिए,इहाँ के मूल आदि धर्म के लिए आपन आप ल समर्पित कर दिन हे।एकर योगदान ल कभु भुलाए नई जा सके।
उनकर ०२ जून के जन्म दिवस म ओला हमर छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य के तरफ ले बहुत बहुत हार्दिक शुभकामना हे। उकर सुखमय,स्वस्थ जिनगी के कामना करत हाँव।इही शुभकामना के साथ उकर साहित्य के सेवा सरलग चलत राहय,हमर भाखा,अउ राज पोठ होवत राहय।

शुभकामना संदेश
अशोक पटेल "आशु"

Tuesday 28 June 2022

ठाकुर भला बिराजे हो...


    सुरता//
ठाकुर भला बिराजे हो...
   पहिली जब आवागमन के साधन बहुत कम रिहिसे, तभो श्रद्धालु मन तीरथ-बरत करत रिहिन हें. तब लोगन जादा करके रेंगत ही जावंय अउ अपन ईष्ट मन के पूजन- दर्शन कर के वापस रेंगत ही लहुट आवंय. तब ए तीरथ-बरत कर के लहुटे श्रद्धालु मन ल 'नवा जनम' धर के लहुटे हें, कहिके घर-परिवार के संगे-संग जम्मो गाँव भर के लोगन बाजा-रूंजी संग नाचत-गावत परघावंय.

    अइसने जब हमर गाँव ले जे मन भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करे खातिर रेंगत  उड़ीसा राज के तीरथ जगन्नाथपुरी जावंय अउ जब उन लहुट के वापस गाँव आवंय, त उन  गाँव के तरिया तीर के कोनो मंदिर म या फेर बस्ती के अमाती म कोनो पीपर पेड़ के छाॅंव तरी रुक जावंय, अउ घर-परिवार वाले मनला अपन तीरथ-बरत के लहुट आए के आरो जनावंय.

    तब घर परिवार वाले मन जम्मो गाँव वाले मन संग मिल के उनला माॅंदर, ढोलक, झाॅंझ- मंजीरा संग गावत-बजावत 'परघाए' बर जावंय.  अतेक दुरिहा ले रेंगत जाके तीरथ कर के लहुट आए लोगन ल 'नवा जनम' धरके आए हे, अइसे समझे जावय. एकरे सेती उंकर स्वागत म पूरा गाँव सकला जावय. ए बेरा म जेन भजन गाये जाय, वोला जगन्नतिहा गीत कहे जाय...

ठाकुर भला बिराजे हो...
उड़ीसा जगन्नाथ पुरी में भला बिराजे-2

ओड़िया मांगैं खिचरी
बंगाली मांगैं भात
साधु मांगै दर्शन महापरसाद
    ठाकुर भला बिराजे हो ....

काहे छोड़े मथुरा नगरी?
काहे छोड़े कांशी ?
झारखंड म आए बिराजे
वृंदावन के वासी
    ठाकुर भला बिराजे हो ....

नील चक्र में धजा बिराजे
मस्तक सोहे हीरा
ठाकुर आगे दासी नाचे
गावैं दास कबीरा
      ठाकुर भला बिराजे हो...

***"
एक अउ गीत गाए जावय...

भजन बोलो भगवान के
तोर नइया ल लगाही वो ह पार हो...
ए भजन बोले... हो मुरली वाला के...

    तीरथ-बरत कर के आए लोगन ल तब फूल, नरियर, कपड़ा लत्ता आदि भेंट कर के स्वागत करे जावय. उहू मन अपन संग म लाने महापरसाद देवंय. कतकों झन पातर बेंत के बने कोकानी लाठी अउ माला- मुंदरी घलो लाए राहंय, उहू ल देवंय.

-सुशील भोले-9826992811
-सुशील भोले-9826992811

Friday 24 June 2022

पत्र अउ पत्रिका म अंतर

पत्र अउ पत्रिका म अंतर..
    छत्तीसगढ़ी साहित्य के इतिहास म जब कभू पहला पत्रिका प्रकाशित होए के बात होथे, त 'छत्तीसगढ़ी मासिक' या फेर 'छत्तीसगढ़ी सेवक' के नॉंव लिख दिए जाथे. मोला लागथे, पत्र अउ पत्रिका के प्रारूप म तकनीकी रूप ले का अंतर होथे, एला समझे बिना अइसन लेखन ह सही नइहे.
    असल म 'छत्तीसगढ़ी मासिक' अउ 'छत्तीसगढ़ी सेवक' ए दूनों ह 'पत्र' के श्रेणी म आथे 'पत्रिका' के नहीं.
     पत्र या पत्रिका प्रकाशन के मानक म वोकर आकर-प्रकार, पृष्ठ संख्या अउ बाइंडिंग या केवल फोल्डिंग आदि ल घलो चेत करे जाथे.
    आजकल प्रकाशित होने वाला दैनिक अखबार जेला सामान्य बोलचाल म 'समाचार पत्र' घलो कहिथन. ठउका अइसने एकर आधा साईज वाला छपे अखबार ल घलो 'पत्र' ही कहिथन. हमन प्रेस के भाषा म एला 'टेबलाइज्ड' घलो कहि देथन. असल म 'छत्तीसगढ़ी मासिक' अउ 'छत्तीसगढ़ी सेवक' ए दूनों मन इही श्रेणी म आथें. काबर के वोमन चार या आठ पेज के टेबलाइज्ड साइज म फोल्डिंग वाला छपत रिहिन हें. जबकि 9 दिसंबर 1987 ले चालू होए मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' सही मायने म 'पत्रिका' रिहिसे. मयारु माटी ह शुरू म चालीस पेज के आजकल प्रकाशित होने वाला 'इंडिया टुडे' जइसे आम पत्रिका मन के साइज (प्रेस के भाषा म एला डेमी 1/4 साइज कहे जाथे) म छपत रिहिसे. बाद म एला 36 पेज के 20×30 के 1/8 साइज म छापे गिस.
    इही ह पत्रिका के मानक आय, जेहा कम से कम तीस या वोकर ले जादा पेज के बाइंडिंग वाला होय. ए मानक म 'मयारु माटी' ही छत्तीसगढ़ी भाषा के पहला मासिक पत्रिका कहलाही, जबकि पहला पत्र कहे म 'छत्तीसगढ़ी मासिक'.
-सुशील भोले

Thursday 23 June 2022

मयारु माटी.. ऐतिहासिक पल..

ऐतिहासिक बेरा के सुरता...
    छत्तीसगढ़ी साहित्य के इतिहास म 9 दिसंबर 1987 के दिन ल सदा दिन सुरता राखे जाही, जे दिन छत्तीसगढ़ी के पहला मासिक पत्रिका 'मयारु  माटी' के विमोचन रायपुर के आजाद चौक तीर तात्यापारा के कुर्मी बोर्डिंग के सभा भवन म जम्मो छत्तीसगढ़ी के मयारुक मन के उपस्थिति म संपन्न होए रिहिसे.

    ए विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि 'चंदैनी गोंदा' के सर्जक दाऊ रामचंद्र देशमुख जी रहिन हें. अध्यक्षता दैनिक नवभारत के संपादक कुमार साहू जी करे रिहिन हें. संग म 'सोनहा बिहान' के सर्जक दाऊ महासिंह चंद्राकर जी विशेष अतिथि के रूप म पधारे रिहिन. ए बेरा म छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य के जम्मो मयारुक मन उहाँ बनेच जुरियाए रिहिन.

चित्र 1- 'मयारु माटी' के विमोचन के बेरा. डेरी डहर ले- सुशील वर्मा (भोले), पंचराम सोनी, टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा, विमोचन करत दाऊ रामचंद्र देशमुख जी अउ नवभारत के संपादक रहे कुमार साहू जी.

चित्र 2- डेरी डहर ले- कुमार साहू जी के स्वागत होवत, स्वागत करत मयारु माटी के संपादक सुशील वर्मा 'भोले', अउ बीच म कुर्सी म बइठे दिखत हें- सोनहा बिहान के सर्जक दाऊ महासिंह चंद्राकर जी.

चित्र 3- विमोचन के बेरा म उपस्थित छत्तीसगढ़ी के मयारुक मन म. डेरी डहर ले-  जागेश्वर प्रसाद जी, डॉ. देवेश दत्त मिश्र जी, डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र जी, डॉ. शालिक राम अग्रवाल 'शलभ' जी, डॉ. व्यास नारायण दुबे जी, जगदीश बन गोस्वामी जी
उंकर पाछू म डॉ. भारत भूषण बघेल जी, डॉ. राजेन्द्र सोनी जी रामचंद्र वर्मा जी संग डॉ. सुखदेव राम साहू 'सरस' अउ जम्मो छत्तीसगढ़ी के मयारुक मन.

Thursday 16 June 2022

अस्मिता के सजग प्रहरी सुशील भोले

2 जुलाई जनमदिन
छत्तीसगढ़ी अस्मिता के सजग प्रहरी सुशील भोले

जा रे मोर गीत तैं खदर बन जाबे
बिना घर के मनखे बर घर बन जाबे...
बने अस देखत जाबे कोनो भूख झन मरय
पेट के अगनिया बर लइका कोनो झन बेचय
अइसन कहूँ देखबे त चाउंर बन जाबे...
जा रे मोर गीत तैं खदर बन जाबे...

    सुशील भोले के ए वो गीत आय, जेला आकाशवाणी ले प्रसारित कविता पाठ म सुन के मैं उंकर नाम ले पहिली बार परिचित होए रेहेंव. बाद म आकाशवाणी ले उंकर कतकों कविता पाठ के संगे-संग ढेंकी, एॅंहवाती जइसन कतकों कहानी अउ वार्ता घलो सुने बर मिलिस. फेर उंकर संग पहिली बेर भेंट तब होइस, जब वोमन हमर 'संगम साहित्य एवं सांस्कृतिक समिति मगरलोड के कार्यक्रम म पहुना बन के पहुंचीन. फेर तो लगातार भेंट-मुलाकात होए लागिस, काबर ते उन हमर संगम साहित्य के हर कार्यक्रम म आए लगिन. इहाँ रतिहा बिताए लगिन. तब उंकर संग म लगातार बइठे अउ गोठ बात के अवसर मिलत गिस. इही बेरा म उंकर सम्पूर्ण व्यक्तित्व कृतित्व ले परिचित घलो होएंव. एक बेर हमर गाँव डाभा म होए कवि सम्मेलन म घलो उन पहुंचे रिहिन हें, तब हमर घर म बइठे बर घलो पधारे रिहिन हें.

    2 जुलाई सन् 1961 के महतारी उर्मिला देवी अउ पिता रामचंद्र वर्मा जी के दूसरा संतान के रूप म भाठापारा शहर म जनमे सुशील भोले जी के पैतृक गाँव रायपुर जिला के गाँव नगरगांव आय, जेन हमर राजधानी रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन ले उत्तर दिशा म करीब 10 कि.मी. के दुरिहा म हावय. इहाँ ए बताना बने जनावत हे के इंकरे मन के गाँव ले बोहाने वाला कोल्हान नरवा के खंड़ म वो जगा के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल बोहरही धाम हे.

    सुशील भोले जी ल मैं साहित्यकार ले जादा इहाँ के अस्मिता के सजग प्रहरी जादा मानथौं. काबर ते उनला मैं इहाँ के मूल संस्कृति, जीवन पद्धति अउ उपासना विधि खातिर जादा काम करत देखे हौं. हमर इहाँ के कार्यक्रम म उन आवयं त इही विषय म उंकर उद्बोधन जादा सुने बर मिलय. वोमन एकर खातिर एक समिति 'आदि धर्म जागृति संस्थान' घलो बनाए हें, जेकर माध्यम ले जनजागरण के बुता करत रहिथें. ए विषय म उंकर चार डांड़ के सुरता आवत हे-
सुशील भोले के गुन लेवौ ये आय मोती बानी
सार-सार म सबो सार हे, नोहय कथा-कहानी
कहाँ भटकथस पोथी-पतरा अउ जंगल झाड़ी
बस अतके ल गांठ बांध लौ सिरतो बनहू ज्ञानी

    भोले जी सन् 1983 ले दैनिक अखबार म जुड़े रहे हे, तेकर सेती उनला प्रकाशन के मंच घलो जल्दी मिलगे रिहिसे. उंकर रचना मन सन् 83 ले ही अखबार म छपे ले धर लिए रिहिसे. आकाशवाणी म घलो सन् 84 ले उंकर रचना के प्रसारण होवत हे. वोमन बतायंव- वो बखर कविता पाठ के जीवंत प्रसारण होवय. जीवंत माने, एती बोलत जा अउ वोती वोहा रेडियो ले सुनावत जाही. अब तो अइसन कोनो भी कार्यक्रम के पहिली रिकार्डिंग  कर लिए जाथे. बाद म फेर वोकर प्रसारण होथे.

   भोले जी के लगातार अखबार म जुड़े रहे के सेती छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य खातिर घलो बने काम होए हे. एक तो वोमन खुद छत्तीसगढ़ी म लगातार कालम लेखन करत राहंय, संग म हमर जइसन नवा लिखइया मनला प्रकाशन मंच दे खातिर छत्तीसगढ़ी परिशिष्ट घलो  निकालत राहंय. दैनिक अमृत संदेश म जब 'अपन डेरा' निकाले के चालू करिन, तब ले महूं ल अपन छत्तीसगढ़ी रचना मनला प्रकाशित करे खातिर एक अच्छा मंच मिले लागिस.  वइसे इहाँ ए जानना महत्वपूर्ण हे, भोले जी छत्तीसगढ़ी भाषा के पहला सम्पूर्ण मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' के स्वयं प्रकाशन-संपादन करे हें. 9 दिसम्बर 1987 ले शुरू होय मयारु माटी के ऐतिहासिक महत्व हे. तब वोमन अपन नाम सुशील वर्मा लिखत रहिन. बाद म आध्यात्मिक दीक्षा ले के बाद 'वर्मा' के जगा अपन इष्टदेव 'भोले' ल अपन पहचान बनाइन.

    सुशील भोले जी सन् 1983 ले ही छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म जमीनी रूप ले जुड़गे रिहिन, तेकर सेती उंकर मन-मतिष्क ह पूरा के पूरा छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया होगे हे. वोमन कहिथें- छत्तीसगढ़ ह हर दृष्टि ले अतका समृद्ध हे, हमला कोनो किसम ले बाहिरी लोगन ऊपर आश्रित होए के जरूरत नइए. वोमन धर्म अउ संस्कृति के संबंध म घलो अइसने कहिथें- न तो हमला बाहिर के कोनो ग्रंथ चाही न संत चाही. इहाँ सबकुछ हे. बस जरूरी हे, त सिरिफ अपन मूल ल जाने, समझे अउ आत्मसात करे के. वोमन छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद घलो आज के राजनीतिक परिदृश्य ले संतुष्ट नइहें. वोमन कहिथें- हमर पुरखा मन जेन उद्देश्य ल लेके राज्य आन्दोलन के नेंव रचे रिहिन हें, वो तो कोनो मेर छाहित होवत नइ दिखत हे. आज घलो उहि परिदृश्य दिखथे, जेन राज्य बने के पहिली रिहिसे. ए विषय म उन एक गीत घलो लिखे हें, जेला कतकों मंच म सुने ले मिलय-
राज बनगे राज बनगे देखे सपना धुआँ होगे
चारोंमुड़ा कोलिहा मन के देखौ हुआँ हुआँ होगे...
का-का सपना देखे रहिन पुरखा अपन राज बर
नइ चाही उधार के राजा हमला सुख-सुराज बर
राजनीति के पासा लगथे महाभारत के जुआ होगे...

    सुशील भोले जी के स्पष्ट कहना हे- जब तक छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति, भाषा अउ आध्यात्मिक जीवन पद्धति के स्वतंत्र पहचान नइ बन जाही, तब तक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के अवधारणा अधूरा रइही.

    पाछू तीन-चार बछर ले उन लकवा रोग ले ग्रसित होय के सेती एक किसम के घर रखवार होगे हें. तभो ले उंकर छत्तीसगढ़ी खातिर निष्ठा अउ सक्रियता ह देखते बनथे. सोशलमीडिया म रोज बिहनिया चार डांड़ के कविता संग एक समसामयिक फोटो देख के गजब सुग्घर लागथे. अइसने उन जुन्ना बेरा के बात ल अउ वोकर संग जुड़े साहित्यकार कलाकार आदि मन के जेन जानकारी 'सुरता' के माध्यम ले देवत हें, वो ह हमर जइसन नवा पीढ़ी खातिर एक धरोहर के रूप म सदा दिन सुरता करे जाही.

    आज 2 जुलाई के उंकर जनमदिन के बेरा म उनला शुभकामना देवत छत्तीसगढ़ महतारी ले अरजी हे, उनला जल्दी स्वस्थ करंय, तेमा उन अपन उद्देश्य के रद्दा म सरलग बुता करत राहंय, संग म उंकर जम्मो मनोकामना ल पूरा करंय. छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन म संघरे खातिर उंकर मन म जतका भावना रिहिसे, वोला छाहित करय.
जय छत्तीसगढ़.. जय छत्तीसगढ़ी..

-भोलाराम सिन्हा, गुरुजी
ग्राम- डाभा, पो. करेली छोटी
वि.खं.मगरलोड, जिला-धमतरी-493662
मो. नं. 9165640803

Monday 13 June 2022

अपन गोठ.. चार डांड़.. बिहनिया जोहार

अपन गोठ...
  
   सोशलमीडिया के आए ले अपन टाईम लाईन के संगे-संग संगी-जहुरिया मनला बिहनिया के जोहार-पैलगी करे के उदिम ह बनेच बाढ़गे हे. इही परंपरा ह मोला 'चार डांड़' लिखे खातिर प्रेरित करिस. मैं गुनेंव- रोज सुग्घर बिहान या रतिहा जोहार करे ले अच्छा हे, कुछू दू-चार डांड़ के सामयिक गोठ लिखे जाय.
     फेर मैं जिनगी भर दैनिक अखबार म बुता करे हौं. उहाँ 'फोटो कैप्शन' दे के परंपरा हे. फोटो कैप्शन माने दिन-बादर के या कुछू फोटो विशेष संग दू आखर लिख के अखबार के कोनो विशेष जगा म वोला ठउर दिए जाथे. मोर अखबार लाईन के आदत ह ए 'चार डांड़' मनला फोटो संग सोशलमीडिया म पठोए के आदत बनिस.
     कतकों लोगन एला गजब पसंद करंय. कहाँ ले सुग्घर- सुग्घर फोटो खोज के वोकर संग चार डांड़ लिखथस कहंय. फेर ए सबला एक जगा सकेल के किताब के रूप दे के बात न मैं सोचे रेहेंव न संगी मन कहे रिहिन.
    एक दिन वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. सत्यभामा आड़िल जी कहिन के एमन के तैं किताब छपवा, भूमिका ल मैं लिखहौं. फेर मैं कहेंव- मैं तो अभी लकवा रोग के अभेरा के सेती पाछू चार बछर अकन ले खटिया के रखवारी करत हौं, अइसन म एला छपवाए खातिर भाग-दौड़ कोन करही? त दीदी सुझाव देइन, कोनो साहित्यकार मनला जोंग. मैं एकर खातिर शिक्षक साहित्यकार  अशोक पटेल 'आशु' जी ल खंधोलेंव. उन तुरते तइयार होगे. अशोक जी के भाग-दौड़ अउ सहयोग के सेती ए 'चार डांड़' मन आज किताब के रूप धर पावत हें.
    एमा का साहित्य हे, का नहीं एला तो गुनिक सुजान मन ही टमड़ पाहीं. मैं तो सिरिफ बीमारी के बेरा ल खटिया म बइठे पहवाय बर लिखत चलत हौं. ठउका अइसने 'सुरता' घलो लिखत हौं. एमन सिरिफ मोर बीमारी के बेरा ल पहवाय खातिर लिखे गे उदिम आय. तभो ले सुरता मन के घलो एक किताब 'सुरता के संसार' नाॅंव ले छप के आगे हे. आगू अउ आही अइसे जनाथे, काबर ते लिखई अभी चलतेच हे.
   आप सबके मया, दुलार अउ आशीष के अगोरा म-
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811