Sunday 18 September 2022

1 अक्टूबर सियान जोहार दिवस

1 अक्टूबर : सियान मनला जोहार पैलगी कर आशीष पाए के दिन..
    वइसे तो सियान मन के जोहार पैलगी रोजेच करना चाही, फेर उंकर मन खातिर हमर मन म लुकाय श्रद्धा अउ सम्मान के भाव ल व्यक्त करे खातिर, उंकर मन खातिर हमर चिंता फिकर अउ कर्तव्य ल उजागर करे खातिर घलो एक दिन निश्चित करे गे हवय, अउ वो तिथि आय 1 अक्टूबर के दिन, जेला अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिन या अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस कहिथन. हमर मयारुक भाखा म कहिन त 'सियान जोहार दिवस'.
    अंतर्राष्ट्रीय सियान दिवस मनाए के शुरुआत सन् 1990 म होए हे. दुनिया के सियान मन संग होवइया दुर्व्यवहार अउ अन्याय ल रोके खातिर लोगन ल एकर खातिर जागरूक करे खातिर 14 दिसंबर 1990 के ए फैसला करे गिस. तब ए फैसला लिए गिस, हर बछर 1 अक्टूबर ल अंतर्राष्ट्रीय सियान दिवस के रूप म मनाए जाही. 1 अक्टूबर 1991 के पहिली बेर सियान दिवस मनाए गिस, जेन अब सरलग हर बछर मनाए जावत हे.  
    एकर पहिली घलो सियान मन खातिर चिंता जतावत उंकर मन खातिर अइसन उदिम करे गे रिहिसे. सन् 1982 म विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 'वृद्धावस्था ल सुखी बनावव' नारा देके 'सबो खातिर स्वास्थ्य' अभियान चलाए गे रिहिसे. एकर बाद संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1991 म अंतर्राष्ट्रीय सियान दिवस के शुरुआत करे के पाछू 1999 ल 'अंतर्राष्ट्रीय सियान बछर' के रूप म मनाए गे रिहिसे.
    ए दिन ल चुकता सियान मन खातिर समर्पित करे गे हवय. उंकर मन खातिर वृद्धाश्रम जइसन जगा मन म घलो कतकों किसम के आयोजन करके उंकर सम्मान अउ खुशी के बने चेत करे जाथे. खास करके उंकर मन खातिर सुविधा अउ उंकर समस्या ऊपर विचार करे जाथे. उंकर मनके स्वास्थ्य खातिर गजबेच चेत करे जाथे.
    सियान मन हमर मन बर साक्षात देवता स्वरूप होथें. उंकर अनुभव के खजाना हमर मन बर सिरिफ एक किताब नहीं, भलुक पूरा के पूरा पुस्तकालय होथे. उंकर मनके आशीर्वाद ले हमर मन के पालन पोषण अउ बढ़ोत्तरी होय रहिथे. तब तो उंकर मन खातिर सम्मान अउ मया होना स्वाभाविक होथे. फेर एकरो ले जादा महत्वपूर्ण होथे, वो अवस्था म उंकर मन संग रहना, जब उन अक्षम अउ असहाय होथें. आज लकर-धकर के बेरा म अइसन सरलग रह पाना संभव नइए, तभो अइसन एक दिन ल तो उनला पूरा के पूरा समर्पित करना च चाही. काबर ते उनला ए उमर म तुंहर मया दुलार के छोड़ अउ तो कुछु च नइ चाही.
    त आवव, हम अपन सियान मन के सम्मान करन, उनला मया देवन अउ उंकर ले आशीष के खजाना पावन.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Tuesday 13 September 2022

सुशील यदु सुरता.. भुइया बनाइस

23 सितम्बर पुण्यतिथि म सुरता//
छत्तीसगढ़ी झंडा ल अगास म लहराए खातिर भुइॅंया बनाइस सुशील यदु
    छत्तीसगढ़ी साहित्य के इतिहास म जब कभू एकर खातिर संगठन के माध्यम ले जमीनी बुता करइया मन के नाॅंव लिखे जाही त सुशील यदु के नाॅंव ल वोमा सबले आगू लिखे जाही. सन् 1981 म 'छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति' के गठन करे के बाद वोहा जिनगी के आखिरी साँस तक एकर खातिर जबर बुता करीस. आज हमन छत्तीसगढ़ी भाखा-साहित्य के अतका विस्तारित रूप देखथन, लोगन के जुराव देखथन त वोमा ए समिति अउ सुशील यदु के अपन संगी मन संग मिलके करे गे जबर मैदानी बुता के पोठ हाथ हे.
    ए समिति के गठन के पहिली घलो पुरखा साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ी खातिर कारज करत रेहे हें, फेर वोहा लेखन, प्रकाशन अउ मंच के माध्यम ले जनमानस म छत्तीसगढ़ी खातिर मया उपजाए के बुता रिहिसे. समिति के माध्यम ले आरुग भाखा-साहित्य खातिर रचनात्मक संगठित बुता 'छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति' ले ही चालू होय हे. एकर पाछू इहाँ छत्तीसगढ़ी सेवक के संपादक जागेश्वर प्रसाद जी के संयोजन म 'छत्तीसगढ़ी भासा-साहित्य प्रचार समिति' घलो बनिस. ए ह संयोग आय, मोला ए दूनों समिति संग जुड़े के साथ ही सचिव बनाए गे रिहिसे. ए दूनों समिति के गोष्ठी-बइठका अलग-अलग होवत राहय. छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के गोष्ठी आदि जिहां पुरानी बस्ती के देवबती सोनकर धरमशाला म जादा करके होवय, त छत्तीसगढ़ी भासा-साहित्य प्रचार समिति के गोष्ठी आदि 'छत्तीसगढ़ी सेवक' के कार्यालय म ही जादा होवय. छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के कार्यक्रम आरुग भाखा-साहित्य ऊपर आधारित रचनात्मक किसम के राहय त प्रचार समिति के बेनर म कतकों पइत छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची म संघारे के संगे-संग अउ अइसने विषय मनला लेके धरना प्रदर्शन के घलो आयोजन हो जावत रिहिसे.
    महतारी पूना बाई अउ सियान खोरबाहरा राम यदु जी के घर 10 जनवरी 1956 के जनमे सुशील यदु के आमतौर म चिन्हारी 'छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति' के संस्थापक अध्यक्ष के रूप म ही जादा होथे. फेर वो कवि मंच के हास्य कवि के रूप म घलो अपन एक अलगेच चिन्हारी बना लिए रिहिसे. घोलघोला बिना मंगलू नइ नाचय रे, अल्ला अल्ला हरे हरे, होतेंव महूं कहूं कुकुर, नाम बड़े दरसन छोटे आदि मन तो उंकर मनपसंद कविता रिहिसे. संग म गंभीर रचना कौरव पांडव के परीक्षा अउ सुराजी बीर मन ऊपर लिखे कालजयी रचना मन घलो मंच म जबरदस्त ताली बटोरय.
    उंकर लिखे कुछ गीत मन तो गजबे च लोकप्रिय घलो होए रिहिसे. 'चंदैनी गोंदा' के सर्जक दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के सुझाए विषय ऊपर लिखे एक गीत तो मोला आज तक गजब निक लागथे-

जिनगी पहार होगे रे
सोचे रेहेन फूल होही,
खांड़ा के धार होगे रे...
रेती महल बनगे आज बिसवास ह
बेली बंधागे हे कतकों के आस ह
पीरा ह सार होगे रे
जिनगी पहार होगे रे...

    अइसने एक अउ गीत हे, जेकर नॉंव ले उंकर गीत अउ कविता के समिलहा संग्रह छपे हे-

फूल हांसन लागे रे दारि, बगिया झूमरगे
बगिया मा जब चले आये सजनी मोर, मन के मिलौनी मोरे
हरियर आमा रे घन मउरे...
तोरे पिरित के रंग मा अइसन रंगे हंव
सपना के सुरता दिन में आथे सजन मोरे
हाय रे बलम मोरे, हरियर आमा घन मउरे...

     सुशील यदु के आकाशवाणी अउ दूरदर्शन ले घलो बेरा-बेरा म कविता परिचर्चा आदि के प्रसारण होवत राहय. उहें वोमन प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र 'नवभारत' म 'लोकरंग' शीर्षक ले सरलग 1993 ले 2002 तक कालम घलो लिखिन. एमा कलाकार अउ साहित्यकार मनके परिचय घलो देके काम करिन. ए बात तो सच आय, हमर इहाँ कतकों अइसन प्रतिभा हें जिनला मिडिया के मंच नइ मिल पाए के सेती लोगन के नजर ले अनजान असन रहे बर पर जाथे. आज के सोशलमीडिया के जमाना म घलो अइसन देखे बर मिल जाथे, त गुनव वो बखत जब मिडिया के अंजोर भारी दुर्लभ रिहिसे, वो बेरा अइसन मंच देना कतेक बड़े बुता रिहिसे.
    सुशील यदु के गीत मन आडियो, विडियो के संगे-संग फिलिम म घलो गाये अउ संघारे गिस. सुशील यदु ह अपन लेखन के रद्दा म आए खातिर अपन महतारी पूना देवी ल प्रारंभिक प्रेरणा बतावय, जबकि गुरु उन बद्रीविशाल यदु 'परमानंद' ल मानय. हमन संग म ही परमानंद जी संग जुड़े रेहेन. पुरखा साहित्यकार हरि ठाकुर जी के उन अपन आप ल सेनापति समझय, तेकरे सेती उंकर अगुवाई म वो बखत चलत छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन के रद्दा म घलो रेंगय.
    छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के माध्यम ले कतकों अइसन साहित्यकार मनला प्रकाशन के मंच घलो दिए गिस, जेमन किताब छपवाए के स्थिति म नइ रिहिन. मोला हमर गाँव नगरगांव के सूरदास कवि रंगू प्रसाद नामदेव जी के जबर सुरता हे. रंगू प्रसाद जी कुंडलियाँ के सिद्धहस्त कवि रिहिन हें, फेर उन खुद होके किताब छपवाए के स्थिति म नइ रिहिन, अइसन म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति ह उंकर किताब 'हपट परे तो हर गंगे' छपवाए रिहिसे. अइसने हेमनाथ यदु के व्यक्तित्व अउ कृतित्व, बनफुलवा, पिंवरी लिखे तोर भाग, बगरे मोती, सतनाम के बिरवा आदि आदि अलग अलग रचनाकार मनके रचना ल छपवाए गे रिहिसे.
    सुशील यदु के अपन खुद के लिखे पांच कृति घलो छपे हे- 1.छत्तीसगढ़ के सुराजी बीर, 2. लोकरंग भाग-1, 3. लोकरंग भाग-2, 4. घोलघोला बिना मंगलू नइ नाचय, 5. हरियर आमा घन मउरे.
    छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के माध्यम ले पुरखा साहित्यकार, कलाकार आदि मनके सुरता घलो करे जावय.  समिति के सालाना जलसा म तो उंकर मनके नाम ले सम्मान घलो दिए जावत रिहिसे, फेर उंकर मनके जनम या पुण्यतिथि के बेरा म या वोकर संबंधित महीना म अलग से गोष्ठी आदि के आयोजन करे जावत रिहिसे.
    पुरखा मनके सुरता करत-करत सुशील यदु घलो 23 सितम्बर 2017 के रतिहा करीब 9.30 बजे सुरता के संसार म समागे. आज उंकर बिदागरी तिथि म उंकरेच ए गीत संग उंकर सुरता-जोहार-

मोर दियना के बाती बरत रहिबे ना
चारों खूंट ला अंजोरी करत रहिबे ना...
पीरा हीरा के बाती बनायेंव
मया के आंसू के तेल भरायेंव
तन के पछीना के लेयेंव अचमन
मन अउ काया के फूल चघायेंव
दुखिया के पीरा हरत रहिबे ना
मोर दियना के बाती बरत रहिबे ना...
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Saturday 3 September 2022

दानेश्वर शर्मा पहला छत्तीसगढ़ी कवि रिकार्ड होवइया

3 फरवरी पुण्यतिथि म सुरता//
नामी ग्रामोफोन अउ कैसेट कंपनी म रिकार्ड होवइया पहला छत्तीसगढ़ी कवि दानेश्वर शर्मा
     हमन जब कभू छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक मंच के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत के जागरण अउ गौरवशाली रूप के बात करथन त वोकर शुरुआत 'चंदैनी गोंदा' ले ही करथन. फेर चंदैनी गोंदा के जनम होय के पहिली घलो सन् 1965 म ही दानेश्वर शर्मा जी के रचना मन के रिकार्डिंग देश के नामी ग्रामोफोन कंपनी 'हिज़ मास्टर्स वायस' ले मंजुला दासगुप्ता जी के आवाज म रिकार्ड होके आगे रिहिसे, अउ वोमा रिकार्ड होए चारों गीत- 1. कइसे के बेटी मैं तोला वो भेजंव.. 2. चल मोर जॅंवारा मड़ई देखे जाबो.. 3. मइके ल देखे होगे साल गा, भइया तुमन निच्चट बिसार देव.. 4. तपत कुरु भई तपत कुरु, बोल रे मिट्ठू तपत कुरु.  ग्रामोफोन के संगे-संग आकाशवाणी के माध्यम ले चारों धूम मचावत रिहिसे.
    दानेश्वर शर्मा जी के जनम दुरुग जिला के गाँव मेड़ेसरा म सियान गंगा प्रसाद जी द्विवेदी अउ महतारी इंदिरा देवी जी के घर सन् 1931 के सितम्बर महीना म अनंत चौदस के दिन होए रिहिसे. फेर स्कूल म भर्ती करवाए खातिर उंकर जनमदिन तिथि ल 10 माई 1931 लिखवा दिए गइस, जेहा आज सरकारी रिकार्ड म चारों मुड़ा चलत हे.
    दानेश्वर शर्मा जी जतका सुग्घर रचनाकार रिहिन हें, वतकेच सुग्घर वक्ता अउ कवि मंच के संचालक घलो रिहिन हें. मोर सौभाग्य आय, सन् 1988 के दिसम्बर महीना म रायपुर के रामदयाल तिवारी स्कूल म होय छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य प्रचार समिति के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन म उंकर संचालन म होय कवि सम्मेलन म मोला पहिली बेर कविता पाठ करे के अवसर मिले रिहिसे. बाद म तो कतकों मंच अउ कार्यक्रम म संघरे के अवसर मिलत राहय. दानेश्वर शर्मा जी जब 'छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग' के अध्यक्ष पद म बिराजिन तब विशेष रूप ले उंकर संगति मिलिस. उंकर कार्यकाल म छपे आयोग के वार्षिक स्मारिका म संपादक मंडल के सदस्य के रूप म काम करे के अवसर घलो मिलिस. शर्मा जी के ए अध्यक्षीय कार्यकाल ल एक सफल कार्यकाल के रूप म सदा दिन सुरता करे जाही.
    दानेश्वर शर्मा जी के रचना मनला इहाँ के कतकों गायक गायिका मन अपन स्वर देके इहाँ के संगीत जगत म जिहां अपन अलगे चिन्हारी बनाइन, उहें उंकर रचना मन देश के नामी पत्र-पत्रिका- अखण्ड ज्योति, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, नागपुर टाइम्स (अंगरेजी) ले लेके स्थानीय कतकों पत्रिका मन म छपे के संगे-संग आकाशवाणी के नागपुर, रायपुर, भोपाल, इंदौर, रीवां, छतरपुर अउ इलाहाबाद आदि केन्द्र ले प्रसारित होवत राहय. वोमन हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के संगे-संग अंगरेजी अउ संस्कृत म घलो लिखॅंय. दैनिक भास्कर अउ नवभारत म 'लोक दर्शन' के नाम ले कालम घलो लिखिन.
    उंकर छपे किताब मनके सूची घलो बड़का हे- छत्तीसगढ़ के लोक गीत (सन् 1962), हर मौसम में छंद लिखूंगा (हिन्दी गीत संग्रह 1993), लव कुश (खण्ड काव्य 2001), लोक-दर्शन (सनातन, इस्लाम, जैन, बौद्ध, मसीही, सिख आदि दर्शन व पर्व मन ऊपर निबंध संग्रह 2003), तपत कुरु भई तपत कुरु (छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह 2006), गीत अगीत (हिन्दी काव्य संग्रह 2007) आदि हे.
    देश के कतकों काव्य संग्रह मन के संगे-संग रविशंकर विश्वविद्यालय के एम. ए. (हिन्दी) के लोक साहित्य विषय खातिर घलो उंकर रचना संग्रहित रहिस.
    दानेश्वर शर्मा जी के चर्चा शिकागो विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित 'रिवोलुशनिज्म इन छत्तीसगढ़ी पोएट्री' म प्रोफेसर डाॅ. नरेंद्र देव वर्मा द्वारा लिखे लेख के माध्यम ले घलो होए हे. वोमन विश्व प्रसिद्ध संस्था 'फोर्ड फाउंडेशन' द्वारा भारत म विकास खातिर सरकारी अउ गैर सरकारी संगठन मनके 11 पुस्तक मनके संपादकीय सलाहकार रहे हें.
    भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा हर बछर होवइया 'लोककला महोत्सव' के वोमन संस्थापक-संयोजक रहे हें, जिहां ले पंथी नर्तक देवदास बंजारे, पंडवानी गायिका पद्मभूषण तीजन बाई, रितु वर्मा जइसन अंतर्राष्ट्रीय कलाकार मन छत्तीसगढ़ी के डंका बजाइन. हमर मनके सौभाग्य आय, हमू मनला वरिष्ठ साहित्यकार टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी के नाटक 'गंवइहा' ल ए प्रतिष्ठित मंच म प्रस्तुत करे के अवसर मिले रिहिसे.
    जिनगी के संझौती बेरा म दानेश्वर शर्मा जी श्रीमद भागवत महापुराण अउ देवी पुराण के बढ़िया प्रवचनकार के रूप म घलो जाने जावत रिहिन हें. उनला 2006 म राष्टपति द्वारा साहित्य सम्मान के संगे-संग अउ कतकों संस्था मनके डहार ले सम्मान मिले रिहिसे.
    3 फरवरी 2022 के रतिहा 8.10 बजे 91 बछर के उमर म दानेश्वर शर्मा जी ए नश्वर दुनिया ले बिरादरी लेके परमधाम के रद्दा धर लेइन. आज बिरादरी तिथि म उंकर सुरता ल पैलगी जोहार करत उंकर एक रचना-

डोंगरी सहीं अंटियावव तुम, नंदिया जस लहराव
ये जिनगी ल जीए खातिर, फूल सहीं मुस्कावव

निरमल झरना झरथय झरझर  परवत अउ बन मा
रिगबिग बोथय गोंदाबारी कातिक अघ्घन मा
दियना सहीं बरव झमाझम, कुवाॅं सहीं गहिरावव
ये जिनगी ल जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

तन के धरम हे मन भर करना बूता पर हित मा
हिरदे ला जलरंग करव तुम मया के अमरित मा
बिजली सहीं चमकव चमचम बादर जस घहरावव
ये जिनगी ल जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

काॅंटा खूॅंटी तो रद्दा मा दस ठन आही गा
लेकिन रेंगत पाॅंव के छइहाॅं धर नइ पाहीं गा
बघवा सहीं रुतबा राखव, हिरना जस मेछरावव
ये जिनगी ल जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811