* स्नान करके आने पर मुख्य द्वार पर जल अर्पण के पश्चात् जय गुरुदेव, ऊँँ नम: शिवाय, जय-विजय को प्रणाम करें।
* पैर धोकर या जल छिड़क कर अंदर प्रवेश करें। पुन: अंदर के द्वार पर जल अर्पण
कर जय गुरुदेव, ऊँँ नम: शिवाय, जय-विजय को प्रणाम करें।
* गुरु स्थापना (मंत्र) कर के भगवान शिव सहित सभी देवी-देवताओं को जल
अर्पण करें।
* आसन (पूजा स्थल) की साफ-सफाई कर समस्त पूजा सामग्री एकत्र कर लें।
* गुरुस्थापना (मंत्र) कर के गुरु तथा माता-पिता के नाम से जाप कर आसन पर
जल छिड़कें तथा आसन ग्रहण करें।
* जल, दूध, बेलपत्ता, फूल-माला, भोग, चंदन-तिलक क्रमश: लगाएं।
* गुरु स्थापना (मंत्र पाठ) करते हुए दीपक में तेल डालें तथा बत्ती लगाएं।
* अपने अंग पर चंदन-भस्म लगाएं।
* ज्योति प्रज्वलित करें। हवन कुंड में भी अग्नि प्रज्वलित करें।
* अगरबत्ती जलाकर हूम-धूप (हवि) अग्नि कुंड में अर्पित करें।
* विधिवत प्रणाम कर आशीर्वाद लें।
* समस्त ग्रंथ, चालीसा, मंत्र-विद्या आदि का अपनी शक्ति के अनुसार या साधनानुसार
पाठ कर अंत में पंचाक्षरी मंत्र ऊँँ नम: शिवाय का या अपने गुरु से प्राप्त मंत्र का
१०८ बार जाप करें।
* तुलसी में (आंगन के) दीप, अगरबत्ती, जलाकर सूर्यदेव को प्रणाम करें, तथा
अंत में प्रसाद ग्रहण कर अपने आसन को उठा लें।
नोट :- जिन्हें विधिवत गुरुमंत्र नहीं मिला हो वे गुरुस्थापनी मंत्र के स्थान पर पंचाक्षरी
अर्थात ऊँँ नम: शिवाय मंत्र का लगातार जाप करते रहें।
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान
५४/१९१, डाॅ . बघेल गली, संजय नगर
(टिकरापारा) रायपुर (छत्तीसगढ)
मो/व्हा. ९८२६९९२८११, ७९७४७२५६८४
* पैर धोकर या जल छिड़क कर अंदर प्रवेश करें। पुन: अंदर के द्वार पर जल अर्पण
कर जय गुरुदेव, ऊँँ नम: शिवाय, जय-विजय को प्रणाम करें।
* गुरु स्थापना (मंत्र) कर के भगवान शिव सहित सभी देवी-देवताओं को जल
अर्पण करें।
* आसन (पूजा स्थल) की साफ-सफाई कर समस्त पूजा सामग्री एकत्र कर लें।
* गुरुस्थापना (मंत्र) कर के गुरु तथा माता-पिता के नाम से जाप कर आसन पर
जल छिड़कें तथा आसन ग्रहण करें।
* जल, दूध, बेलपत्ता, फूल-माला, भोग, चंदन-तिलक क्रमश: लगाएं।
* गुरु स्थापना (मंत्र पाठ) करते हुए दीपक में तेल डालें तथा बत्ती लगाएं।
* अपने अंग पर चंदन-भस्म लगाएं।
* ज्योति प्रज्वलित करें। हवन कुंड में भी अग्नि प्रज्वलित करें।
* अगरबत्ती जलाकर हूम-धूप (हवि) अग्नि कुंड में अर्पित करें।
* विधिवत प्रणाम कर आशीर्वाद लें।
* समस्त ग्रंथ, चालीसा, मंत्र-विद्या आदि का अपनी शक्ति के अनुसार या साधनानुसार
पाठ कर अंत में पंचाक्षरी मंत्र ऊँँ नम: शिवाय का या अपने गुरु से प्राप्त मंत्र का
१०८ बार जाप करें।
* तुलसी में (आंगन के) दीप, अगरबत्ती, जलाकर सूर्यदेव को प्रणाम करें, तथा
अंत में प्रसाद ग्रहण कर अपने आसन को उठा लें।
नोट :- जिन्हें विधिवत गुरुमंत्र नहीं मिला हो वे गुरुस्थापनी मंत्र के स्थान पर पंचाक्षरी
अर्थात ऊँँ नम: शिवाय मंत्र का लगातार जाप करते रहें।
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान
५४/१९१, डाॅ . बघेल गली, संजय नगर
(टिकरापारा) रायपुर (छत्तीसगढ)
मो/व्हा. ९८२६९९२८११, ७९७४७२५६८४