Wednesday 18 January 2017

मया होगे हे एक जोगिन संग....














मया होगे हे एक जोगिन संग कइसे बितही जिनगी
बिच्छल पेंड़वा अउ डारा हे, जेमा बइठे हे वो फुनगी
कइसे चढ़बे सरग निसैनी, थेगहा तो कुछू के नइए
बस चकवा सहीं बीत जाही का ए जिनगी के खनगी

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811

Tuesday 17 January 2017

जे समाज के मुखिया अउ ....

जे समाज के मुखिया अउ बुद्धिजीवी हो जाथें दलाल
वो समाज के हो जाथे तब तो फेर निच्चट बाराहाल
भोगथें गुलामी अइसन मन, इंकर संग म पूरा राज
जइसे छत्तीसगढ़िया होगें हें आज अपनेच घर बेहाल

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811

Thursday 12 January 2017

माघ महीना आगे हे संगी....










माघ महीना आगे हे संगी आमा म लगगे मउर
अमरइया म आके कोइली देख छेड़ दिए हे सुर
मन कुलकत हे भाग जही अब तो दिन जाड़ के
अबड़ दंदोरत रिहिसे, जे आंखी-मुंह ल फार के

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 80853-05931, 98269-92811

Monday 9 January 2017

छेरछेरा...



छत्तीसगढ़ में पौस माह की पूर्णिमा तिथि को *छेरछेरा* का जो पर्व मनाया जाता है, वह भगवान शिव द्वारा पार्वती के घर जाकर भिक्षा मांगने के प्रतीक स्वरूप मनाया जाने वाला पर्व है।

आप सभी को यह ज्ञात है कि पार्वती से विवाह पूर्व भोलेनाथ ने कई किस्म की परीक्षाएं ली थीं। उनमें एक परीक्षा यह भी थी कि वे नट बनकर नाचते-गाते पार्वती के निवास पर भिक्षा मांगने गये थे, और स्वयं ही अपनी (शिव की) निंदा करने लगे थे, ताकि पार्वती उनसे (शिव से) विवाह करने के लिए इंकार कर दें।

छत्तीसगढ़ में जो छेरछेरा का पर्व मनाया जाता है, उसमें भी लोग नट बनकर नाचते-गाते हुए भिक्षा मांगने के लिए जाते हैं। छत्तीसगढ़ के मैदानी भागों में तो अब नट बनकर (विभिन्न प्रकार के स्वांग रचकर) नाचते-गाते हुए भिक्षा मांगने जाने का चलन कम हो गया है, लेकिन यहां के बस्तर क्षेत्र में अब भी यह प्रथा बहुतायत में देखी जा सकती है। वहां बिना नट बने इस दिन कोई भी व्यक्ति भिक्षाटन नहीं करता।

ज्ञात रहे इस दिन यहां के बड़े-छोटे सभी लोग भिक्षाटन करते हैं, और इसे किसी भी प्रकार से छोटी नजरों से नहीं देखा जाता, अपितु इसे पर्व के रूप में देखा और माना जाता है। और लोग बड़े उत्साह के साथ बढ़चढ़ कर दान देते हैं। इस दिन कोई भी व्य्क्ति किसी भी घर से खाली हाथ नहीं जाता। लोग आपस में ही दान लेते और देते हैं।

इस छेरछेरा पर्व के कारण यहां के कई गांवों में कई जनकल्याण के कार्य भी संपन्न हो जाते हैं। हम लोग जब मिडिल स्कूल में पढ़ते थे, तब हमारे गुरूजी पूरे स्कूल के बच्चों को बैंडबाजा के साथ पूरे गांव में भिक्षाटन करवाते थे, और उससे जो धन प्राप्त होता था, उससे बच्चों के खेलने के लिए और व्यायाम से संबंधित तमाम सामग्रियां लेते थे।

मुझे स्मरण है, हमारे गांव में कलाकारों की एक टोली थी, जो इस दिन पूरे रौ में होती थी। मांदर-ढोलक और झांझ-मंजीरा लिए जब नाचते-गाते, डंडा के ताल साथ कुहकी पारते (लोकनृत्य में यह एक शैली है ताल के साथ मुंह से आवाज निकालने की इसे ही कुहकी पारना कहते हैं) यह टोली निकलती थी तो लोग उन्हें दान देने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा करते थे। उस टोली को अपने यहां आने का अनुरोध करते थे। छेरछेरा का असली रूप और असली मजा ऐसा ही होता था, जो अब कम ही देखने को मिलता है।

ज्ञात रहे कि छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, जिसे मैं आदि धर्म कहता हूं वह सृष्टिकाल की संस्कृति है। युग निर्धारण की दृष्टि से कहें तो सतयुग की संस्कृति है, जिसे उसके मूल रूप में लोगों को समझाने के लिए हमें फिर से प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ लोग यहां के मूल धर्म और संस्कृति को अन्य प्रदेशों से लाये गये ग्रंथों और संस्कृति के साथ घालमेल कर लिखने और हमारी मूल पहचान को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।

मित्रों, सतयुग की यह गौरवशाली संस्कृति आज की तारीख में केवल छत्तीसगढ़ में ही जीवित रह गई है, उसे भी गलत-सलत व्याख्याओं के साथ जोड़कर भ्रमित किया जा रहा। मैं चाहता हूं कि मेरे इसे इसके मूल रूप में पुर्नप्रचारित करने के सद्प्रयास में आप सब सहभागी बनें...।

सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

Friday 6 January 2017

मोर स्वतंत्रता दिवस साल म ....















मोर स्वतंत्रता दिवस साल म एके बेर आथे
जब तीजा मनाए बर वो अपन मइके जाथे
तब आजादी के गीत ह संगी गजब के सुहाथे
करमा-ददरिया के धुन म मन-अंतस ह गाथे

* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 059315

Wednesday 4 January 2017

रोज नंदावत हावय संगी हमर....














रोज नंदावत हावय संगी हमर गंवई के खाई
गस्ती खाल्हे बइठे राहय, धर के मुर्रा-लाई
आवत-जावत स्कूल ले रोज खीसा भर लेवन
अब पेंड़ कटागे छांव नंदागे अउ जिनगी के सुघराई

सुशील भोले
9826992811, 8085305931

Monday 2 January 2017

आज सुवारी गिस हे मइके....















आज सुवारी गिस हे मइके, गउ आजादी कस लागत हे
कथरी-कमरा छोड़-छांड़ के, गोरसी तापे कस भावत हे
फेर जादा नइए आजादी के दिन तइसे घलो जनावत हे
हफ्ता भर म आ जाहूं कहिके, वो फोन म धमकावत हे

* सुशील भोले
मो. 98269 92811, 80853 05931