Monday 31 August 2015

कमरछठ : कार्तिकेय जन्मोत्सव...

  भाद्रपद कृष्ण पक्ष छठ को समूचे छत्तीसगढ़ में कमरछठ के रूप में मनाया जाने वाला पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठपुत्र कार्तिकेय के जन्मोत्सव का पर्व है।

कमर छठ संस्कृत भाषा के कुमार षष्ठ का छत्तीसगढ़ी अपभ्रंश है। आप लोगों को तो ज्ञात ही होगा कि समूचे देवमंडल में केवल कार्तिकेय को ही कुमार कहा जाता है। इसीलिए यहां इस दिन माताएं सगरी बनाकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और उनके पुत्र (कार्तिकेय) के समान श्रेष्ठ पुत्र (संतान) की कामना करती हैं।  वे इस दिन दिन फलाहार के रूप में एेसे भोजन और साग-सब्जी का इस्तेमाल करती हैं, जिसे हल आदि के द्वारा न बोया गया हो, अर्थात् वह प्राकृतिक रूप से उत्पन्न वस्तुओं को ही ग्रहण करती हैं। जिसमें पसहर चावल आदि शामिल होते हैं।

 छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, जिसे मैं आदि धर्म कहता हूं वह सृष्टिकाल, युग निर्धारण की दृष्टि से कहें तो सतयुग की संस्कृति है।

यहां की संपूर्ण संस्कृति को उसके मूल रूप में लिखने और लोगों को समझाने के लिए हमें फिर से प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ लोग यहां के मूल धर्म और संस्कृति को अन्य प्रदेशों से लाये गये ग्रंथों और संस्कृति के साथ घालमेल कर लिखने और हमारी मूल पहचान को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।

सुशील भोले
54 / 191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
 मोबा. नं. 098269 92811, 080853 05931

Saturday 29 August 2015

ये भोले तोर बिना.....














जिनगी के चार दिना, कटही कइसे मोर जोंही
गुन-गुन मैं सिहर जाथौं, ये भोले तोर बिना.....

हांसी हरियावय नहीं, पीरा पिंवरावय नहीं
जिनगी के गाड़ी, तोर बिन तिरावय नहीं
श्रद्धा के गांजा-धथुरा, ले के तैं हमरो ल पीना... ये भोले...

उमंग अब उवय नहीं, संसो ह सूतय नहीं
बिपदा के बैरी सिरतोन, छोरे ये छूटय नहीं
तुंहरे हे आसा एक्के, घुरुवा कस झन तो हीना... ये भोले...

तन ह तनावय नहीं, आंसू अंटावय नहीं
मया के कुंदरा जोहीं, छाये छवावय नहीं
भक्ति म भगवान बिना, मुसकिल हे हमरो जीना... ये भोले...

सुशील भोले
संपर्क : 54-191, कस्टम कालोनी के सामने,
 डॉ. बघेल गली, संजय नगर (टिकरापारा)
रायपुर (छ.ग.) मोबा. नं. 098269 92811

Thursday 27 August 2015

तीजा-पोला और भादो का महीना

( पोला पर्व पर मिट्टी से बने बैल (नंदी) की पूजा )

छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति सृष्टिकाल की संस्कृति है, इसीलिए उस काल और संस्कार को आज भी यहाँ जीवंत रूप में देखा जाता है. यहाँ की संस्कृति में भादो महीने का अद्भुत महत्व है. कृष्ण पक्ष षष्ठी को जहां देव मंडल के सेनापति और शिव-पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय की जयंती को कमरछठ के रूप में मनाया जाता है. वहीं अमावस्या तिथि को पोला के रूप में नंदीश्वर का जन्मोत्सव मनाया जाता है.

शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देवी पार्वती ने महादेव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए जो कठोर तप किया था, उसके सुफल होने के प्रतीक स्वरूप तीजा का पर्व मनाया जाता है. और उसके ठीक दूसरे दिन अर्थात् चतुर्थी को गणनायक गणेश जी के जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है. हम भादो के महीने को शिव-पार्षदों के माह के रूप में भी स्मरण कर सकते हैं.

कृषि संस्कृति में भादो के महीने को अन्नपूर्णा के गर्भ धारण करने के रूप में भी मनाते हैं. भादो के महीने में ही हरे-भरे खेतों में लहराते धान के पौधों में दाने का भराव प्रारंभ होता है, जिसे यहां की भाषा में 'पोठरी पान" धरना कहा जाता है.
( तीजा पर्व पर फुलेरी सजाकर शिव-पार्वती की पूजा करती तीजहारिनें )
वैसे तो तीजा का पर्व शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, किन्तु अमावस्या तिथि को मनाये जाने वाले पोला पर्व उसका पूरक पर्व के रूप में देखा जाता है. इसीलिए तीजा के साथ पोला शब्द का उच्चारण संयुक्त रूप से किया जाता है.

पोला का पर्व मूल रूप से नंदीश्वर के पाकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसीलिए इस दिन नंदी के प्रतीक स्वरूप मिट्टी के बने हुए बैलों को सजाकर उसकी पूजा की जाती है. बच्चे उसका उपयोग खिलौने के रूप में भी कर लेते हैं, और बड़े बैल दौड़ का भी आयोजन कर लेते हैं.

शाम के समय गांव के बाहर या किसी प्रमुख स्थान पर पोला पटकने का  आयोजन होता है. जहां पूरे गांव की महिलाएँ, खासकर तीजहारिनें (तीजा मनाने मायका आई हुई महिलाएँ) मिट्टी के बने पोला में ठेठरी, खुरमी और मीठा चीला जैसे यहां के पारंपरिक व्यंजनों को भर कर उसे जमीन पर पटकती हैं.

इसी दिन सुबह के समय ऐसे ही पोला में व्यंजन भर कर घर के पुरुष सदस्य अपने-अपने खेतों में जाते हैं, और धान के फसल को गर्भ धारण करने के प्रतीक स्वरूप उन्हें सधौरी खिलाते हैं. (छत्तीसगढ़ में पहली बार गर्भ धारण करने वाली कन्या को पिता पक्ष की ओर सातवें या नवमें महीने में विविध व्यंजन खिलाया जाता है, इसे ही सधौरी खिलाना कहा जाता है.)

( पोला पर्व पर बैलों को सजाकर बैल दौड़ का लुत्फ उठाते ग्रामीण )
शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महादेव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए पार्वती के द्वारा किये गये कठोर तप के प्रतीक स्वरूप तीजा का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व में महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शिव-पार्वती की विशेष पूजा करती हैं. यहां की भाषा में से फुलेरी सजाकर पूजा करना कहा जाता है.

मुझे लगता है कि पूरे देश में शायद छत्तीसगढ़ का यही एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें विवाहित महिलाएं व्रत को पूर्ण करने के लिए अपना मायके जाती हैं. इसके संदर्भ में ज्ञात करने पर जानकारी मिलती है, कि पार्वती जिस समय इस व्रत को की थीं उस समय कुंवारी थीं. अर्थात् अपने पिता के घर पर थीं. इसी के प्रतीक स्वरूप यहां की विवाहित महिलाएं भी इस व्रत को पूरा करने के लिए अपने-अपने पिता के घर जाती हैं.

छत्तीसगढ़ में तीजा का पर्व महिलाओं का सबसे प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाता है. चाहे नव विवाहिता हो अथवा जीवन के संध्याकाल में पहुंच चुकी वृद्धा हो, सभी को अपना मायका जाने की जल्दी रहती है.
उसके मायके से भी यदि पिता है पिता, नहीं तो भाई अथवा उनका पुत्र तीजा का पर्व संपन्न कराने के लिए उन्हें लिवाने अवश्य जाता है.

तीजा लेगे बर आही भइया सोर-संदेशा आगे
बड़े फजर ले कौंवा आके कांव-कांव नरियागे
साल भर ले रद्दा जोहत हौं ये भादो महीना के
पोरा पटक के जाबो मइके जोरन सबो जोरागे

(सभी फोटो उदंती डॉट काम एवं अन्य वेब माध्यमों से साभार)

सुशील भोले 
54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

Wednesday 26 August 2015

इस राखी में...


















भैया के देश जाकर पंछी बस इतना ही कहना
आ नहीं सकती इस राखी में तेरी प्यारी बहना
पर इस धागे में भेजी है, अपनी मनोकामना
मेरे भैया बच्चों के संग तुम खुशियों से रहना

सुशील भोले
मोबा. 080853-05931, 098269-92811

Tuesday 25 August 2015

ठन-ठन भुइयां पखरा होगे.....













ठन-ठन भुइयां पखरा होगे कइसे उपजय धान
खातू छींचत कंगला होगे कइसे करय किसान
करजा तो रोज बाढ़त हे, जस बेसरम के झाड़ी
फेर पानी के सोत घलो मन लेवत हवंय परान

सुशील भोले
मोबा. 080853-05931, 098269-92811

Monday 24 August 2015

छत्तीसगढ़िया... सबले बढ़िया.....


















आगी-पानी जम्मो ल झेलत होगे हावय करिया
तभो ले मन उज्जर हे जस आय निरमल तरिया
रग-रग म मया भरे हे, जइसे ओगरत झिरिया
तभे तो कहिथें... छत्तीसगढ़िया... सबले बढ़िया

सुशील भोले
मोबा. नं. 098269 92811, 080853 05931

Sunday 23 August 2015

बइहा होगेंव शिव-भोले....















मैं तो बइहा होगेंव शिव-भोले,
तोर मया म सिरतोन बइहा होगेंव.....
घर-कुरिया मोर छूटगे संगी, छूटगे मया-बैपार
जब ले होये हे तोर संग जोड़ा, मोरे गा चिन्हार
लोग-लइका बर चिक्कन पखरा कइहा होगेंव गा.....
खेत-खार सब परिया परगे, बारी-बखरी बांझ
चिरई घलो मन लांघन मरथे, का फजर का सांझ
ऊपरे-ऊपर देखइया मन बर निरदइया होगेंव गा......
संग-संगवारी नइ सोझ गोठियावय, देथे मुंह ला फेर
बिन समझे धरम के रस्ता, उन आंखी देथे गुरेर
मैं तो संगी तोरे सही बस आंसू पोछइया होगेंव गा...
सुशील भोले
संपर्क : 41-191, कस्टम कालोनी के सामने,
डॉ. बघेल गली, संजय नगर (टिकरापारा)
रायपुर (छ.ग.) मोबा. नं. 098269 92811, 080853 05931

Friday 21 August 2015

चलो दीप जला दें...













चलो आज फिर दीप जला दें, श्रम के सभी ठिकानों पर
नीर बहाते कृषक-झोपड़े, और खेतों के मचानों पर......

आज दृश्य विकराल बड़ा है, मुंह बाएं आकाल खड़ा है
अन्नदाता की झोली खाली, तिस पर सेठ का कर्ज चढ़ा है
नाचे फिर खुशहाली कैसे, उमंग भरे तरानों पर......

बस्तर की सुरकंठी मैना, नक्सल-भाषा सीख गई है
घोटुल सारे उजड़ रहे हैं, इंद्रावती भी रीत गई है
सल्फी-लांदा अब नहीं सुहाते, उत्सव के मुहानों पर....

खेतों पर अब फसल सरीखे, उग रहे हैं कारखाने
गांव-गली में वीरानी पसरी, उजड़ गये हैं आशियाने
ये कैसी परिभाषा विकास की, राजनीति की दुकानों पर....

सुशील भोले
संपर्क : 41-191, कस्टम कालोनी के सामने,
 डॉ. बघेल गली, संजय नगर (टिकरापारा)
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फेसबुक और वास्तविक संसार...

फेसबुक पर हमारे पांच हजार मित्र हैं, यह सोचकर हम बड़े खुश हो जाते हैं। लगता है, हमसे ज्यादा खुशनसीब और लोकप्रिय और कोई नहीं है। लेकिन जब हमें अपने सुख-दुख में किसी अपने की आवश्यकता होती है, तब इनमें से पांच लोग भी उपलब्ध नहीं हो पाते। तब अहसास होता है कि यह काल्पनिक मित्र-संसार हमारे किसी काम का नहीं है। अंत में काम केवल वे ही लोग आते हैं, जो हमारे आस-पास होते हैं, सही मायने में हमारे अपने होते हैं।

सुशील भोले
मो.नं. 098269 92811, 080853 05931

Wednesday 19 August 2015

निर्णय और सफलता....


जिन लोगों को अपने निर्णय पर विश्वास नहीं होता, एेसे लोग जीवन में कभी सफल नहीं होते।

* सुशील भोले *
मोबा. 080853 05931, 098269 92811

रिश्ता और तब्दीली....


आज हर रिश्ता यूज एण्ड थ्रो की शैली में तब्दील होता जा रहा है। जब जरूरत हो तो किसी को गुरु बना लो, दोस्त बना लो, प्रेमी बना लो और जब जरूररत पूरी हो जाये तो फिर उसे अछूत की तरह बाहर का रास्ता दिखा दो।

* सुशील भोले
मोबा. 080853 05931, 098269 92811

Thursday 13 August 2015

हमर मूल परब-तिहार...

* सावन अमावस - हरेली (मांत्रिक शक्ति प्रागट्य दिवस)

* सावन अंजोरी पंचमी - नाग पंचमी (वासुकी जन्मोत्सव)

* सावन अंजोरी पंचमी ले पूर्णिमा तक भोजली परब

* सावन पुन्नी - परमात्मा के शिवलिंग रूप म अवतरण दिवस

* भादो अंधियारी छठ - कमरछठ (कार्तिकेय जन्मोत्सव)

* भादो अमावस - पोरा (नंदीश्वर जन्मोत्सव)

* भादो अंजोरी तीज - तीजा (पार्वती द्वारा शिव प्राप्ति खातिर करे गए तप दिवस)

* भादो अंजोरी चौथ - गणेश जन्मोत्सव

* कुंवार अंधियारी पाख - पितर पाख

* कुंवार अंजोरी नवमी - नवरात (माता शक्ति के पार्वती रूप म अवतरण दिवस)

* कुंवार अंजोरी दशमी - दसहरा (समुद्र मंथन ले निकले विष के हरण दिवस)

* कुंवार पुन्नी - शरद पुन्नी (अमरित पाए के परब)

* कातिक अंधियारी पाख - कातिक नहाए अउ सुवा नाच के माध्यम ले शिव-पार्वती बिहाव के तैयारी पाख

* कातिक अमावस्या - गौरा-गौरी पूजा (शिव-पार्वती बिहाव परब)

* कातिक पुन्नी ले शिवरात्रि तक - मेला-मड़ई के परब

* अगहन पुन्नी - परमात्मा के ज्योति स्वरूप म प्रगट दिवस

* माघ अंजोरी पंचमी - बसंत पंचमी (शिव तपस्या भंग करे बर कामदेव अउ रति के आगमन के प्रतीक स्वरूप अंडा पेंड़ गडिय़ाना, नाचना-गाना, सवा महीना के परब मनाना)

* पूस पुन्नी - छेरछेरा (शिव जी द्वारा पार्वती के घर नट बनके जाके भिक्षा मांगे के परब)

* फागुन अंधियारी तेरस - महाशिवरात्रि (परमात्मा के जटाधारी रूप म प्रगटोत्सव पर्व)

* फागुन पुन्नी - होली या काम दहन परब (तपस्या भंग करे के उदिम रचत कामदेव ल क्रोधित शिव द्वारा तीसरा नेत्र खोल के भस्म करे के परब) 

* चैत अंजोरी नवमी - नवरात (माता शक्ति के सती रूप म अवतरण दिवस)

* बइसाख अंजोरी तीज - अक्ति (किसानी के नवा बछर)

( सिरिफ अपन धरम अउ संस्कृति ह मनखे ल आत्म गौरव के बोध कराथे, जबकि दूसर के संस्कृति ह गुलामी के रस्ता देखाथे।)
सुशील भोले
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 098269 92811, 08085305931
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

हरेली परब के गाड़ा-गाड़ा बधाई

जोहार छत्तीसगढ़...
छत्तीसगढ़िया मन के अगुवा तिहार हरेली परब के जम्मो संगी मन ला गाड़ा-गाड़ा बधाई अउ शुभकामना...जोहार....


Wednesday 12 August 2015

वंदे मातरम...











घर-घर ले अब सोर सुनाथे वंदे मातरम
लइका-लइका अलख जगाथें वंदे मातरम...
देश के पुरवाही म घुरगे वंदे मातरम
सांस-सांस म आस जगाथे वंदे मातरम
रग-रग म तब जोश जगाथे वंदे मातरम....
उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम मिलके गाथें
कहूं बिपत आये म सब खांध मिलाथें
तब तोर-मोर के भेद भुलाथे वंदे मातरम....
हितवा खातिर मया लुटाथे वंदे मातरम
बैरी बर फेर रार मचाथे वंदे मातरम
अरे पाक-चीन के छाती दरकाथे वंदे मातरम...
सुवा-ददरिया-करमा धुन म वंदे मातरम
भोजली अउ गौरा म सुनथन वंदे मातरम
तब देश के खातिर चेत जगाथे वंदे मातरम...
सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
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Tuesday 11 August 2015

मिनी माता स्मृति सम्मान...

छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद स्व. मिनी माता की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में मेरा सम्मान, वक्तव्य एवं काव्यपाठ...




नवागाँव का विश्वनाथ महादेव मंदिर


 ईंट निर्मित प्राचीन मंदिर
 ईंट निर्मित प्राचीन मंदिर
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सेपूर्व दिशा में करीब 25 कि.मी की दूरी पर बसा एक गाँव है- नवागाँव (आरंग)। इस गाँव के तालाब में एक ईंट निर्मित प्राचीन मंदिर है, जिसे पुरातत्व विभाग 10 वीं सदी का बताता है। इसी से लगा हुआ है विश्वनाथ जी महादेव मंदिर है, जिसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगरी आरंग के अग्रवाल परिवार वालों के द्वारा लगभग चार सौ वर्ष पूर्व बनवाने का उपक्रम प्रारंभ किया गया था। आज यह मंदिर पूर्ण भव्यता के साथ लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

 विश्वनाथ महादेव
 विश्वनाथ महादेव
मंदिर के वर्तमान व्यवस्थापक बाल मुकुंद जी अग्रवाल ने एक मुलाकात में जानकारी दी कि इस मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया लगभग चार सौ वर्ष पूर्व उनके पूर्वज नर्मल अग्रवाल एवं उनके पुत्र भानु जी ने की थी। लेकिन निर्माण की प्रक्रिया काफी धीमी गति से हो रही थी। इसलिए उनकी तीसरी पीढ़ी के विश्वनाथ जी के समय में यह मंदिर जाकर पूर्ण आकार ले पाया।

इस मंदिर के प्रवेश द्वारा के ठीक पहले 10 वीं सदी में निर्मित एक ईंट मंदिर है, जिसे शिव मंदिर के रूप में चिन्हित किया जाता है। इस मंदिर के ठीक सामने संस्कृति विभाग छ.ग. शासन का एक सूचना पट्ट लगा है, जिसके आधार पर यह जानकारी प्राप्त होती है। ईंट निर्मित एक हनुमान मंदिर विश्वनाथ मंदिर परिसर के अंदर भी है।

छत्तीसगढ़ में ईंटों से बने मंदिरों का निर्माण सिरपुर के प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर आदि के समय से दिखाई देता है। संभव है कि इसी समय पर ही नवागाँव के ये दोनों मंदिर भी बने हों।

वैसे विश्वनाथ मंदिर के साथ ही साथ 10 वीं सदी के ये दोनों ईंट निर्मित मंदिर भी पुरातत्व प्रेमियों को अपनी आकर्षित करते हैं। इसलिए एक बार तो अवश्य ही इन्हें देखने के लिए जाना ही चाहिए।    

सुशील भोले 
54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com 

Sunday 9 August 2015

पंचमुखी महादेव.. आरंग...

राजा मोरध्वज की एेतिहासिक नगरी आरंग स्थित स्वायंभू पंचमुखी महादेव...
राजा मोरध्वज की एेतिहासिक नगरी आरंग स्थित स्वायंभू पंचमुखी महादेव...


पीपल वृक्ष को चीर कर प्रकट हुए हैं स्वायंभू पंचमुखी महादेव...

 स्वायंभू पंचमुखी महादेव... आरंग...

Thursday 6 August 2015

जोहार दाई...



















मोतियन चउंक पुरायेंव... जोहार दाई
डेहरी म दिया ल जलायेंव ....जोहार दाई
छत्तीसगढ़ महतारी परघाये बर,
अंगना म आसन बिछायेंव... जोहार दाई...

ओरी-ओरी धान लुयेन, करपा सकेलेन
बोझा उठा के फेर, सीला बटोरेन
पैर बगरायेन अउ दौंरी ल फांदेन
रात-रात भर बेलन घलो, उसनिंदा खेदेन
तब लछमी के रूप धरे, धान-कटोरा जोहारेंव... जोहार दाई...

बस्तर के बोड़ा सुघ्घर, सरगुजा के चार
जशपुर के मउहा फूल सबले अपार
शबरी के बोइर गुत्तुर, रइपुर के लाटा
नांदगांव के तेंदू पाके, हावय सबके बांटा
महानदी कछार ले, केंवट कांदा मंगायेंव..... जोहार दाई...

छुनुन-छानन साग रांधेंव, गोंदली बघार डारेंव
मुनगा के झोर सुघ्घर, बेसन लगार मारेंव
इड़हर के कड़ही दाई, अम्मट जनाही
अमली के रसा सुघ्घर, कटकट ले भाही
दही-लेवना के मथे मही, आरुग अलगायेंव..... जोहार दाई...

चूरी-पटा साज-संवागा, जम्मो तो आये हे
खिनवा-पैरी सांटी-बिछिया, करधन मन भाये हे
चांपा के कोसा साड़ी, जगजग ले दिखथे
रायगढ़ के बुने कुरती, सुघ्घर वो फभथे
राजधानी के सूती लुगरा, मुंहपोंछनी बनायेंव..... जोहार दाई...

खनर-खनर झांझ-मंजीरा, पंथी अउ रासलीला
करमा के दुम-दुम मांदर, रीलो के हीला-हीला
भोजली के देवी गंगा, जंवारा के जस सेवा
गौरा संग बिराजे हे, देखौ तो बूढ़ा देवा
कुहकी पारत ददरिया संग, सुर-ताल मिलायेंव...जोहार दाई...

सुशील भोले 
54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

सावन के ठढ़बुंदिया असन....



















सावन के ठढ़बुंदिया असन हावय तोर बोली
कभू तो रमिझिम बरसा सहीं करते गोई ठिठोली
कोन बैरी के संग सीखे हस तैं अनटेरहा चाल
मया के सोत सूखागे तइसे करथस जी बरपेली

सुशील भोले
मोबा. 080853-05931, 098269-92811

Tuesday 4 August 2015

चंदा लुकागे....













ये बैरी, दिन आगे हावय बरसात के

चंदा लुकागे आधा रात के, कइसे खवावौं दूध-भात के....

कोन दिशा ले आथे बिलवा रे बादर
अइसे घपटथे जइसे सबले हे आगर
फेर पानी रितोथे जुड़वास के.....

जेठ-बइसाख ठउका जुगजुग ले दिखय
खेलत चंदैनी संग मुच-मुच करय
तभो बेरा निकालय मुलाकात के.....

खेती-किसानी तो गदबद ले मात गे हे
धनहा मन परी सहीं सुघ्घर सज गे हे
फेर मोर होगे बिरहा बिना बात के.....

   सुशील भोले
म.नं. 41-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
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Monday 3 August 2015

गुरु घासीदास जी की जन्म एवं कर्म भूमि...

*मनखे मनखे एक समान* का जयघोष करने वाले महान संत गुरुघासीदास जी की जन्म भूमि, तप भूमि एवं कर्म भूमि में एक साथ जाने का अद्भुत संयोग रविवार 2 अगस्त 2015 को बना। अवसर था अखिल भारतीय गुरु घासीदास साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा. जे. आर. सोनी एवं मिनी माता फाउंडेशन के रामशरण टंडन के संयुक्त संयोजन में गिरौदपुरी, छाता पहाड़ एवं पंचकुंड की यात्रा।
सतनाम धर्म के संस्थापक गुरू घासीदास जी का जन्म 18 दिसंबर सन् 1756 को एक कृषक परिवार में महानदी के किनारे बसे गिरौदपुरी ग्राम में हुआ था। उन्होंने दलित-शोषित और उपेक्षित वर्ग के लोगों को अाध्यात्मिक शक्ति के साथ जोड़ने का वंदनीय प्रयास किया। उन्होंने अपनी जन्म भूमि से कुछ ही दूरी पर घनघोर जंगल के बीच बसे छाता पहाड़ पर साधना की और आत्मज्ञान प्राप्त किया। आज लाखों और करोड़ों की संश्या में उनके अनुयायी इन पुण्य स्थलों का दर्षन कर अपने आप को धन्य समझते हैं। फाल्गुम माह में यहां पर विशेष मेला का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से लोग लाखों की संख्या में दर्शन लाभ हेतु आते हैं। और अपनी मनोकामना पूर्ण कर आनंदित हो अपने-अपने घरों को वापस लौट जाते हैं।
इस यात्रा में छत्तीसगढ़ प्रदेश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त डा. सुशील त्रिवेदी, सद्भावना दर्पण के संपादक गिरीश पंकज, सृजन गाथा डाट काम के संपादक जयप्रकाश मानस, डा. सुधीर शर्मा, किरण अवस्थी, सुशील भोले, प्रवीण गोधेजा, रामस्वरूप टंडन, मुकेश वर्मा आदि शामिल थे।
 गुरुघासीदास जी की जन्म भूमि

 गुरुघासीदास जी की जन्म भूमि में रायपुर के प्रतिष्ठित साहित्यकार

जन्म भूमि में अखण्ड ज्योति कलश

 तप एवं कर्म भूमि गिरौदपुरी मंदिर का प्रवेश द्वार

 तप एवं कर्म भूमि गिरौदपुरी मंदिर 

 विश्व का सबसे उंचा जैतखंब और लेखक सुशील भोले

 विश्व के सबसे उंचे जैतखंब से प्रकृति का विहंगम दृश्य

पीयौ-पीयौ हो भोले बाबा भांग...















पीयौ-पीयौ हो भोले बाबा भांग
मोर भक्ति के ये रसदार बने हे....
नागिन बारी ले लाने हौं भांग पाना
धथुरा के जड़ अउ मिले हे चार दाना
तभे तो ये हर लसदार बने हे.... पीयौ.....
हिरदे के सिल म घिस-घिस पीसेंव
सुरहिन गइया के दूध म खिंधोलेंव
देखौ चिखौ ये तो मजेदार बने हे.. पीयौ..
काली रतिहा के एला मैं बोरे रेहेंव
मया के रस म सरबस चिभोरे रेहेंव
पी लौ बाबा ये हर मयादार बने हे.. पीयौ..
सुशील भोले
म.नं. 41-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

शिवरी नारायण


भगवान राम को जूठा बेर खिलाकर आध्यात्मिक संसार में अमर हो जाने वाली माता शबरी की पुण्य भूमि शिवरी नारायण जाने का मन बड़े दिनों से कर रहा था लेकिन एेसा कोई संयोग नहीं बन पा रहा था। रविवार 2 अगस्त को रायपुर नगर निगम के अपर आयुक्त डा. जे. आर. सोनी ने मनखे मनखे एक समान के उद्घोषक बाबा घासीदास जी की जन्म एवं तपोभूमि गिरौदपुरी धाम जाने का कार्यक्रम बनाया तो इसमें से कुछ समय निकाल कर शिवरी नारायण का भी दर्श कर आये। साथ में थे- छत्तीसगढ़ प्रदेश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त डा. सुशील त्रिवेदी, सद्भावना दर्पण के संपादक गिरीश पंकज, सृजन गाथा डा काम के संपादक जयप्रकाश मानस, डा. सुधीर शर्मा, किरण अवस्थी, सुशील भोले, प्रवीण गोधेजा, रामस्वरूप टंडन, मुकेश वर्मा।