Monday 3 August 2015

गुरु घासीदास जी की जन्म एवं कर्म भूमि...

*मनखे मनखे एक समान* का जयघोष करने वाले महान संत गुरुघासीदास जी की जन्म भूमि, तप भूमि एवं कर्म भूमि में एक साथ जाने का अद्भुत संयोग रविवार 2 अगस्त 2015 को बना। अवसर था अखिल भारतीय गुरु घासीदास साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा. जे. आर. सोनी एवं मिनी माता फाउंडेशन के रामशरण टंडन के संयुक्त संयोजन में गिरौदपुरी, छाता पहाड़ एवं पंचकुंड की यात्रा।
सतनाम धर्म के संस्थापक गुरू घासीदास जी का जन्म 18 दिसंबर सन् 1756 को एक कृषक परिवार में महानदी के किनारे बसे गिरौदपुरी ग्राम में हुआ था। उन्होंने दलित-शोषित और उपेक्षित वर्ग के लोगों को अाध्यात्मिक शक्ति के साथ जोड़ने का वंदनीय प्रयास किया। उन्होंने अपनी जन्म भूमि से कुछ ही दूरी पर घनघोर जंगल के बीच बसे छाता पहाड़ पर साधना की और आत्मज्ञान प्राप्त किया। आज लाखों और करोड़ों की संश्या में उनके अनुयायी इन पुण्य स्थलों का दर्षन कर अपने आप को धन्य समझते हैं। फाल्गुम माह में यहां पर विशेष मेला का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से लोग लाखों की संख्या में दर्शन लाभ हेतु आते हैं। और अपनी मनोकामना पूर्ण कर आनंदित हो अपने-अपने घरों को वापस लौट जाते हैं।
इस यात्रा में छत्तीसगढ़ प्रदेश के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त डा. सुशील त्रिवेदी, सद्भावना दर्पण के संपादक गिरीश पंकज, सृजन गाथा डाट काम के संपादक जयप्रकाश मानस, डा. सुधीर शर्मा, किरण अवस्थी, सुशील भोले, प्रवीण गोधेजा, रामस्वरूप टंडन, मुकेश वर्मा आदि शामिल थे।
 गुरुघासीदास जी की जन्म भूमि

 गुरुघासीदास जी की जन्म भूमि में रायपुर के प्रतिष्ठित साहित्यकार

जन्म भूमि में अखण्ड ज्योति कलश

 तप एवं कर्म भूमि गिरौदपुरी मंदिर का प्रवेश द्वार

 तप एवं कर्म भूमि गिरौदपुरी मंदिर 

 विश्व का सबसे उंचा जैतखंब और लेखक सुशील भोले

 विश्व के सबसे उंचे जैतखंब से प्रकृति का विहंगम दृश्य

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