Thursday 29 December 2022

1857: सोनाखान' किताब के गोठ

किताब के गोठ//
नाटक, उपन्यास संग ऐतिहासिक आलेख के आरो करावत '1857 : सोनाखान'
    वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, इतिहासकार आशीष सिंह के हाले म आए किताब '1857 : सोनाखान' ह नाटक के संगे-संग उपन्यास अउ एक ऐतिहासिक आलेख के एकमई आरो करावत हे. वइसे तो मैं स्वाधीनता संग्राम म छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद नारायण सिंह के ऊपर लिखे नाटक, कतकों आलेख अउ कविता मन के संगे-संग खण्डकाव्य सबो पढ़े हंव, फेर '1857 : सोनाखान' ल पढ़त जतका रोमांच अउ गरब के अनुभूति होइस, वो ह बेजोड़ अउ अतुलनीय हे. एला पढ़त बेरा जनावत रिहिसे जइसे छत्तीसगढ़ म स्वतंत्रता संग्राम ले जुड़े सउंहे सिनेमा के छापा देखत हौं.
    आशीष सिंह छत्तीसगढ़ म त्यागमूर्ति के नॉव ले प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर प्यारेलाल सिंह के नाती होय के संगे-संग पुरखा साहित्यकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अउ छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन के धारन खंभा रेहे हरि ठाकुर जी के सपूत आय, उनला स्वाधीनता आन्दोलन अउ साहित्य संग जुड़ाव विरासत म मिले हे. एकरे सेती उंकर ए किताब म वो जम्मो गुन अउ संस्कार ह जगजग ले दिखथे.
    आजादी के अमृत महोत्सव ल समर्पित किताब :1857 : सोनाखान' अपन शीर्षक ले ही जानबा करावत हे, के ए ह देश म होय प्रथम स्वाधीनता संग्राम के बेरा छत्तीसगढ़ अंचल म होय जम्मो गतिविधि मन के रचनात्मक छापा आय, जेला लेखक ह नाटक शैली ले शुरुआत करत उपन्यास अउ फेर तथ्यात्मक ऐतिहासिक घटनाक्रम अउ पात्र मनला जीवंत करे के ठउका उदिम करे हे. एमा पं. रामसनेही, घनश्याम गुरुजी आदि एक-दू  पात्र मनला अपन डहर ले जोड़ के कथानक मनला विस्तार देके जोंग करे हे, जे ह कोनो जगा ले अनफभिक नइ जनावत हे.
    किताब '1857 : सोनाखान' ल वइसे तो छत्तीसगढ़ी के ही किताब माने जाही, फेर एमा कुछ पात्र मनके संवाद हिंदी अउ अंगरेज मनके संवाद अंगरेजी म हे. उहें बीच बीच के कथ्य मन हिंदी म हें. तभो ए किताब ल छत्तीसगढ़ी के ही नवाचार किताब के रूप म स्वीकार करे जाना चाही.
    ए किताब म छत्तीसगढ़ी हाना, लोकगीत अउ हरि ठाकुर जी के खंडकाव्य के पंक्ति मनला दृश्य अउ बेरा-बखत के अनुरूप ठउका समोए गे हे, जेकर ले एला पढ़त बेरा गजब निक जनाथे. इहाँ के पारंपरिक परब-तिहार अउ उंकर ले जुड़े परंपरा अउ संस्कार मनला घलो बेरा-बतर के मुताबिक जोड़ के रखे गे हे.
    हरि ठाकुर स्मारक संस्थान, रायपुर द्वारा प्रकाशित '1857 : सोनाखान' किताब कुल 144 पेज के हे, जेकर कीम्मत 200 रु. रखे गे हे. ए किताब ल पढ़े के बाद लोगन के कुछ भ्रम ह घलो भागही. जइसे पहिली नारायण सिंह के शहादत दिवस ल 19 दिसंबर के मनाए जावत रिहिसे. हमन खुदे एक-दू पइत इही तारीख म संघरे रेहेन. एमा स्पष्ट करे गे हे, के शहादत दिवस 10 दिसंबर के आय. एकर पहला पेज म नारायण सिंह ल फांसी के सजा दे के बाद रायपुर के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर चार्ल्स सी. इलियट द्वारा नागपुर के कमिश्नर जाॅर्ज प्लाउडन ल लिखे गे पाती ल छापे गे हे. जेकर ले वो जम्मो बात प्रमाणित होथे.
    अइसने पहिली ए बताए जाय के नारायण सिंह ल तोप म बांध के गोला दाग के उड़ा दे गे रिहिसे. भारत सरकार के डाक विभाग ह एकर ले संबंधित एक डाक टिकट घलो जारी करे रिहिसे. फेर लेखक ह अपन शोध के माध्यम ले ए बात ल स्पष्ट करे हे, के तोप ले उड़ाए के संबंध म कोनो किसम के दस्तावेज नइ मिले हे. वोमन नारायण सिंह के शहादत स्थल (जेन जगा उनला फांसी दे गइस) तेकरो बारे म उल्लेख करे हें, के तब के पुलिस छावनी म सिपाही मनके उपस्थिति म फांसी दिए गे रिहिसे. किताब म बताए गे हवय के आज के पुलिस लाइन ह तब के पुलिस छावनी आय. माने नारायण सिंह ल अभी के पुलिस लाइन के आसपास ही कोनो जगा फांसी दिए गे रिहिस होही. जबकि आज उंकर शहादत स्थल ल जय स्तंभ चौक बताए जाथे, ए ह सही नइ जनावय.
    एक ऐतिहासिक पात्र अउ उंकर संग जुड़े जम्मो घटना अउ दृश्य मनला प्रमाणित रूप म लिखे खातिर जतका आवश्यक जिनिस के जरूरत होथे, ए किताब म वो सबो ल संजोए के कोशिश करे गे हे. मैं ए बड़का अउ जब्बर बुता खातिर भाई आशीष सिंह ल बधाई देवत ए किताब अउ उंकर खुद के सफलता खातिर शुभकामना देवत हौं.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Sunday 18 December 2022

डोंगरपाली .. चंद्रशेखर चकोर

चमत्कार के असली चेहरा देखावत 'डोंगरपाली'
    छत्तीसगढ़ी सिनेमा मन म अभिनय के संगे-संग लेखन, निर्माण अउ निर्देशन के बुता करइया चंद्रशेखर चकोर काली संझा कलाकार संगी गोविन्द धनगर संग हमर ठीहा पधारिन अउ अपन हालेच म विमोचन होय उपन्यास 'डोंगरपाली' भेंट करिन.
    चंद्रशेखर चकोर ल छत्तीसगढ़ म लोक खेल के संवर्धक के रूप म विशेष रूप ले जाने जाथे, फेर संग म ए ह एक अच्छा अभिनेता अउ लेखक घलो हे. छत्तीसगढ़ी के चौमासा पत्रिका 'बरछाबारी' के प्रकाशन संपादन घलो बड़ दिन ले करत रेहे हे.
    डोंगरपाली चंद्रशेखर चकोर के पहला उपन्यास आय. एकर पहिली एकर दू कहानी संकलन अउ खुद के लिखे ददरिया मनके संग्रह के संगे-संग सिनेमा के स्क्रिप्ट, नाटक आदि गजब लिखे हे.
    'डोंगरपाली' गाँव-गंवई म देखब म आने वाला वो चमत्कार के असल रूप ल देखावत उपन्यास आय, जेमा कोनो बइगा-गुनिया, पंडा-पुरोहित मन लोगन ल भरमा के अध्यात्म के असली रूप के बदला माया के अंधरा कुंआ-बावली म ढकेल डारथें.
    लेखक एक साहित्यकार होए के संगे-संग कलाकार अउ सिनेमा के निर्माता-निर्देशक घलो हे, तेकर सेती वोकर ए उपन्यास के भाषा, वोमा उकेरे गे दृश्य अउ विषयवस्तु जम्मो म वो सब जिनिस दिखाई देथे.
     चंद्रशेखर चकोर के ए पहला उपन्यास आय तभो वो  अपन भाव ल व्यक्त करे म सफल होय हे. भरोसा हे आगू चलके अउ सार्थक अउ कालजयी उपन्यास के सिरजन उंकर कलम ले होही अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य के ढाबा ल पोठ करही. पहला उपन्यास डोंगरपाली खातिर चंद्रशेखर चकोर ल बधाई अउ भविष्य खातिर शुभकामना.
-सुशील भोले-9826992811

Thursday 15 December 2022

कतकों बेर मनाए जाथे नवा बछर

कतकों बेर मनाए जाथे नवा बछर..
    हमर देश ल बहुभाषी बहुसंस्कृति वाले देश कहे जाथे, एकरे सेती इहाँ कतकों परब तिहार के रूप-रंग अउ चलन घलो बहुआयामी देखेब म आथे. ठउका इही बानी नवा बछर ल घलो इहाँ कतकों बेर मनाए जाथे. वइसे जादा करके ए देखे म आथे, के खेती-किसानी ले जुड़े कोनो विशेष परब या बेरा ल ही अलग-अलग संस्कृति म नवा बछर के रूप म मनाए जाथे.

    आजकल अंतर्राष्ट्रीय स्तर म 1 जनवरी ल ही नवा बछर के रूप म मनाए के जादा चलन देखे जावत हे, जेन ह असल म ईसाई धर्म के नवा बछर के शुरुआत आय. 1 जनवरी ल नवा बछर के रूप म मनाए के शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 ले होय रिहिसे. एकर तारीख के गिनती ह ग्रिगोरियन कैलेंडर के मुताबिक होथे.

    हमर देश मूल रूप ले कृषि प्रधान देश आय. एकरे सेती इहाँ सबो डहर नवा बछर के उछाह कृषि आधारित ही होथे.

    अक्ती छत्तीसगढ़ी नवा बछर..
     हमर छत्तीसगढ़ म बैसाख महीना म अंजोरी पाख के तीज तिथि म अक्ती के रूप म नवा बछर मनाए जाथे. इही दिन इहाँ खेती-किसानी ले जुड़े जम्मो कमइया संग पौनी-पसारी मनके नवा बछर खातिर नियुक्ति होथे. हमर इहाँ इहिच दिन इहाँ के खरीफ धान के बोवई के शुरुआत घलो होथे, जेला इहाँ के भाषा म 'मुठधरई' या 'मूठ धरना' कहे जाथे.

    आवव जानथन अइसने अउ कब-कब इहाँ नवा बछर मनाए के परंपरा हे...

नवसंवत्सर-
चैत महीना के अंजोरी पाख म एकम के दिन ल नवा बछर माने जाथे. एला हिन्दू धर्म के नवा बछर के रूप म घलो मनाए जाथे. इहाँ ए जानना जरूरी हे, के भारतीय कैलेंडर के गिनती सूर्य अउ चंद्रमा के आधार म होथे. अइसे मान्यता हे के विक्रमादित्य के बेरा म सबले पहिली भारत म कैलेंडर या पंचाग के चलन शुरू होइस. एकर छोड़े 12 महीना के एक बछर अउ 7 दिन के एक हफ्ता के चलन ल घलो विक्रम संवत ले ही माने जाथे.

    उगाडी-
ए नवा बछर ल कर्नाटक अउ आंध्र प्रदेश म मनाए जाथे. एला तेलुगु नवा बछर घलो कहिथें. ए ह हमर हिन्दी के चैत महीना अउ अंग्रेजी के मार्च-अप्रैल के बीच म आथे.

    गुड़ी पड़वा-
चैत महीना के अंजोरी पाख म एकम के दिन गुड़ीपड़वा के तिहार ल मनाए जाथे. मराठी अउ कोंकणी लोगन एला नवा बछर के रूप म मनाथें. ए दिन गुड़ी ल घर के मुहाटी म लगाए जाथे.

    बैसाखी-
बैसाखी ल पंजाबी नवा बछर घलो कहे जाथे. एला 13 या 14 अप्रैल के मनाए जाथे. एकर मुख्य तिहार खालसा के जन्म स्थान अउ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर म मनाए जाथे.  अब तो ए तिहार ल अमेरिका, कनाडा अउ इंग्लैंड के संगे-संग जिहां-जिहां खालसा पंथ ल मानने वाले मन रहिथें उहाँ-उहाँ मनाए जाथे.

    पुथंडु-
    तमिल महीना Chithirai   के पहली दिन, जे ह अप्रैल महीना के बीच म परथे, वो दिन तमिल नवा बछर मनाए जाथे. ए बेरा म लोगन एक-दूसर ल Puthandu Vazthukal कहिथें. ए दिन कच्चा आमा, गुड़ अउ लीम के फूल ले ए तिहार खातिर विशेष पकवान बनाये जाथे.

    बोहाग बिहू-
एला असामी नवा बछर के रूप म जाने जाथे. ए बोहाग बिहू परब ल अप्रैल महीना के बीच म मनाए जाथे. एला असम के सबले बड़का परब के रूप म मनाए जाथे.

    पोहला बोईशाख-
एला बंगाली नवा बछर घलो कहिथें. ए ह अप्रैल महीना के बीच म परथे. बंगाल म एला 'पोहला बोईशाख' कहे जाथे. ए ह बैशाख महीना के पहला दिन होथे. पोहला माने पहला अउ बोईशाख ह बंगाली कैलेंडर के पहला महीना आय. बंगाली कैलेंडर ह हिन्दू वैदिक सौर मास ऊपर ही आधारित हे. पश्चिम बंगाल के छोड़े त्रिपुरा के पहाड़ी क्षेत्र म घलो पोहला बोईशाख मनाए जाथे.

    बेस्तु वर्ष-
एला गुजराती नवा बछर कहे जाथे. गुजराती नवा बछर बेस्तु वर्ष कहे जाथे, एला देवारी बिहान दिन मनाए जाथे. मान्यता हे, के भगवान कृष्ण ह ब्रज म तेज बरखा ल छेंके खातिर गोवर्धन पहाड़ ल उठाय रिहिसे, वोकरे सेती ए दिन गोवर्धन पूजा करे जाथे. गुजराती नवा बछर के शुरुआत इही गोवर्धन पूजा के दिन ल माने जाथे.

    विषु-
केरल म मनाए जाने वाला नवा बछर ल 'विषु' के रूप म जाने जाथे. ए ह मलयालम महीना मेदम के पहिली तिथि म आथे. केरल म विषु उत्सव के दिन धान बोआई के बुता के शुरुआत होथे. विषु परब म सबले महत्वपूर्ण होथे- विषुकनी रसम, जेला घर के सबो झन निभाथें. एमा घर के सबो झन बिहनिया सबले पहिली अपन कुल देवी-देवता मनके दर्शन-पूजन करथें.

    नवरेह-
कश्मीरी नवा बछर नवरेह ल कश्मीर म नवा चंद्रवर्ष के रूप म मनाए जाथे. एला चैत नवरात के पहला दिन मनाए जाथे. नवरेह के तिहार ल कश्मीरी पंडित मन बड़ उत्साह के साथ मनाथें. नवरेह के बिहनिया सबले पहिली चाॅंउर ले भरे बर्तन ल देखथें. एला समृद्धि ले भरे भविष्य के प्रतीक माने जाथे.

    हिजरी-इस्लामिक नवा बछर-
इस्लामिक नवा बछर मुहर्रम के पहला दिन ले शुरू होथे. हिजरी चंद्रमा आधारित कैलेंडर आय. इस्लामिक धार्मिक परब तिहार मनला मनाए खातिर हिजरी कैलेंडर के ही इस्तेमाल करे जाथे.
-प्रस्तुति : सुशील भोले-9826992811

किताब : मानकीकरण मार्गदर्शिका

किताब के गोठ//
छापे ले जादा जनमानस म स्थापित करना होथे सार्थक
    कोनो भी किताब ल लिखे अउ बने चिक्कन-चॉंदन छापे ले जादा महत्वपूर्ण ए होथे, के वो किताब ल जेन मनखे मन खातिर लिखे गे हे, वोमन के पहुँच म वो किताब जावय अउ वोमा जेन उद्देश्य निहित हे, तेला वो मनखे आत्मसात करय. तभे वो किताब ल या वोकर लिखान ल सार्थक माने जा सकथे.
    अभी हमर छत्तीसगढ़ी लेखन संसार म अइसने किसम के दृश्य जादा देखे म आवत हे. लोगन बढ़िया सुंदर असन रूप-रंग म किताब छपवावत हें, अउ वोला दू-चार हितु-पिरितु मन ल भेंट करे के बाद बॉंचे मनला कॉंच के आलमारी म सजा के जमावत जावत हें. अइसन नजारा तब ले जादा देखे म आवत हे, जब ले हमर इहाँ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के गठन होए हे, अउ आयोग ह छत्तीसगढ़ी किताब मनला छपवाए के जोखा मढ़ाए हे.
    अइसन किताब मन म कुछ किताब तो बहुत महत्व के हे, जेमन ल आलमारी ले निकाल के लोगन के पहुँच तक लेगे अउ उंकर अंतस म आत्मसात करवाए के जरूरत हे. अइसन किताब मन म अभी छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस 28 नवंबर के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा विमोचित किताब 'छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण मार्गदर्शिका' घलो हे, जेला शासकीय स्तर म लोगन ल आत्मसात करे खातिर प्रेरित करे के जरूरत हे.
   काबर ते अभी कुछ बेरा ले हमन छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण के विषय म गजब गोठ-बात करत रेहे हावन, तेकर सेती छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग डहर ले प्रकाशित 'छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण मार्गदर्शिका' ल जन-जन म बगराए अउ वोला माने खातिर प्रेरित करना गजबेच जरूरी हे.
     वइसे तो छत्तीसगढ़ी के व्याकरण अउ मानकीकरण खातिर पहिली घलो कतकों गुनिक मन सैकड़ों बछर ले अपन-अपन सख भर बुता करत रेहे हें. फेर एकर खातिर सरकारी माध्यम ले छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के गठन के बाद ले ही बनेच बुता होय हे. आयोग के दूसरा अध्यक्ष दानेश्वर शर्मा जी के कार्यकाल म एकर शुरुआत होइस, जे ह तीसरा अध्यक्ष डॉ. विनय पाठक जी के कार्यकाल म जा के बनेच सिध परिस.
    छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण खातिर 22 जुलाई 2018 दिन इतवार के बिलासपुर म आयोजित राज्यस्तरीय संगोष्ठी म पूरा राज भर ले जुरियाए सौ ले आगर साहित्यकार मन भाग लिए रहिन हें, जेमा छत्तीसगढ़ी भाषा अउ देवनागरी लिपि ऊपर जबर चर्चा होए रिहिसे.
    ए संगोष्ठी के दस्तावेजीकरण के दायित्व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार, कथाकार, व्याकरणाचार्य डाॅ. विनोद कुमार वर्मा जी अउ नरेन्द्र कौशिक 'अमसेनवी' जी ल दिए गे रिहिसे. ए किताब 'छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण मार्गदर्शिका' ह उही राज्यस्तरीय संगोष्ठी के पूरा लेखाजोखा आय.
    ए किताब के सार इही आय- हमला छत्तीसगढ़ी के लेखन म नागरी लिपि के जम्मो 52 वर्ण ल बउरना हे, जेला केन्द्रीय शासन द्वारा हिन्दी के लेखन खातिर मान्य करे गे हे. छत्तीसगढ़ी के लेखन म कहूँ आने भाषा के शब्द मनला बउरना हे, त उनला जस के तस लेना हे, वोमा कोनो किसम के टोर-फोर नइ करना हे.
    अइसन किताब मनला लिखे या छपवाय के सार्थकता तभे हे, जब वोला लोगन आत्मसात करय. वोकरे मुताबिक लिखय-पढ़य. ए किताब ह छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के द्वारा 2018 म आयोजित संगोष्ठी के निचोड़ आय. ए किताब ल राजभाषा आयोगे ह छपवाय हावय, त एला लोगन ल अपन लेखन म बउरे खातिर राजभाषा आयोग ल ही सबले जादा उदिम करना चाही. जतका भी जगा छत्तीसगढ़ी ल कोनो न कोनो रूप म बउरे जावत हे, उन सबो जगा म आयोग डहर ले पाती लिख के 2018 म लिए गे निर्णय के मुताबिक छत्तीसगढ़ी ल लिखे खातिर अनुरोध करना चाही. खासकर इहाँ अभी कुछ प्रिंट अउ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मन म जेन छत्तीसगढ़ी के चलन देखे जावत हे, उनमा तो एकर सोर बगराना बहुते जरूरी जनाथे. मोला भरोसा हे, सरकारी माध्यम के द्वारा जब लोगन ल एकर खातिर प्रेरित करे जाही, त निश्चित रूप ले वो ह सफलता के मंजिल ल अमरही.
     छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण के कारज सफल होय, लोगन ए किताब अउ एमा समाहित बात ल आत्मसात करॅंय इही शुभकामना हे.
-सुशील भोले-9826992811

Tuesday 6 December 2022

उड़ा जाथे खुद के होश..

रात-दिन
मगन रहिथे
जे
देखे-सरेखे बर
पर के गुण-दोष
कहूँ चिटिक भर
झॉंक परथे
वो
अंतस ल अपने

सुध-बुध
जम्मो बिसरा जाथे
उड़ा जाथे
वोकर
खुद के होश
-सुशील भोले-9826992811

Thursday 1 December 2022

अगहन बिरस्पत कहानी 5

अगहन बिरस्पत कहनी-5
पछतावा..

     एक गाँव म बाम्हन बम्हनिन रहीन । उंखर दू झन बेटी रहिस । बड़ सुन्दर , सुशील । बम्हनीन अगहन बिरस्पत के उपास रहय । बिरस्पत के लक्ष्मी महारानी ल  लगाय बर फरा, चीला, बबरा , रकम रकम के कलेवा बनाय। लइका मन ल थोड़कन परसाद  दय।लइका मन के जी ललचाय ।अउ खातेंन कहय । फेर वो कंजूसनीन मांगे म घलो नइ देवय । एक दिन दूनों बहिनी गोठियायिन । दाई ह हमन ल थोरेछ कन देथे अउ मांगे ले नई देवय । रहा ; ए दरी बीरस्पत के भोग लगाही , अउ थोरको एती वोती जाही तहाँ ले हमन सब्बो भोग ल हेर के खा लेबो। दूनो बहिनी सुनता सलाह होगें। बिरस्पत आईस , बम्हनीन 12 बजे लछमी दाई के  सुन्दर पूजा पाठ करके भोग लगाइस ।बोबरा बनाय रहय । बम्हनीन ओ मेर ले गीस तहाँ दूनों बहिनी भोग ल निकालीन अउ उत्ता-धुर्रा खा डरिन ।
उंकर दाई आईस देखीस भोग परसाद नई हे। बड़ बगियागे.
अपन गोसइंया ल पूछिस- भोग कहाँ हे?
मैं नइ  जनवौं । बिलाइ , मुसवा ले गीस होही ।
बेटी मन ल पूछिस -भोग परसाद कहां हे?
बेटी मन एती ओती करीन ।
जादा डांट डपट परिस त मारे डर के बताईंन।
तैं ह दाई हमन ल थोर थोर परसाद देथस । हमर मन नइ भरय त हमन हेर के सबे ल खा डारेन ।
अतका सुनिस तहाँ ले का पूछे बर हे - बेटी मन ऊपर भड़कगे ।अपन गोसाईंया ल कहिस ऐमन ल घर ले निकाल।
बाम्हन कहिस - खा लीन तो का होंगे अपने लइका तय।मन लगीस होही खाय के ।
अइसन अतियाचार झन कर। बेटी घर के लक्ष्मी होथे । भरे अगहन महीना म बेटी मन ल घर ले निकाल के पाप झन करवा मोर मेर।
बम्हनीन मनाबे नई करीस।
आखरी म हार खाके बाम्हन ह बेटी मन ल घर ले निकाले के मन बनाइस। अउ बहुत दुखी मन से बिचारे लगीस कइसे करौं , का करौं, बेटी मन ल घर ले कइसे निकालौं?
बिचारत बिचारत एक ठन उपाय ओखर मन म आइस ।बेटी मन ल फुसलाइस, चलो बेटी घूमे बर जाबो ।
बेटी मन घूमे के नाम म खुश होगें। घूमे बर तइयार होगें ।
बड़ भारी मन से बेटी मन ल जंगल कोती घुमाय बर लेगीस।
बाम्हन के मन म बड़ उथल पुथल मचे रहय। बड़ असमंजस म का करय, का न करय । बेटी मन ल छोड़े के मन नहीं , नइ छोड़त हे त घर वाली के डर।
बेटी मन ल छोड़ के जाय तो जाय कइसे । फेर का करय दिल ल कड़ा करिस । दिल म पथरा रख के बड़ भारी मन से बेटी मन से बोलीस -
बेटी हो मैं थोरकुन बाहिर बट्टा ले आवत हौं, तुमन एहि मेर रहियव।
बेटी मन हव ददा  कहिन. हमन एहि मेर रहिबो । कोनो कोती नई जान ।
बाम्हन बपुरा बड़ भारी मन से रोवत रोवत बेटी मन ल घना जंगल म छोड़ के घर लहुट गे।
एती बेटी मन ददा के रद्दा देखत रहय । बड़ बेर होंगे , का होगे ददा कइसे नई आवत हे , कुछु होत हुआ तो नई होगे हे। एती ओती चारों मुड़ा ल देखय कोनों कोती ददा दिखही । आस पास ल देख डरीन फेर दिखबे न करय ।दूनों बहिनी रोय लगीन। अइसे ताइसे सांझ होंगे, अंधियार होय लग गे । घनघोर जंगल । जी के डर सबेला होथे । बड़की कहिथे बहिनी रतिया होगेहे ददा ह दिखते ही नई हे । हमन का करन , रद्दा ल बरोबर जानन घलो नहीं, ऊपर ले घुप अंधियार । बघवा-भालू  के घलो डर । चुप हो जा बहिनी , थोरकुन हिम्मत कर , चल एदे पेड़ में चढ़ जथन ।कइसनो करके रात ल काटे ल लगही । दूनों बहिनी पेड़ म चढ़गें।
एती एक झन राजा एही जंगल म लाव लश्कर सहित सिकार करे बर आय रहिस ।शिकार करत करत रतिया होंगे । मंत्री कहिस -राजा साहब रात अड़बड़ होंगे हे , जंगल बड़ घना हे । रात बिकाल जंगली जानवर  मन विचरथें । आपके आज्ञा हो तो इहें डेरा डार देथन, भिनसरहा ले चल देबो ।
राजा ल मंत्री के सलाह ह जंचगे । डेरा डाले के अनुमति दे दीस ।
सब दल बल सहित राजा के डेरा लगगे ।
राजा के डेरा-डंगरी ल देख दूनो बहिनी मारे डर के रोय लगिन उंखर आँखी ले आंसू टप टप बरसा के बूंद बरोबर गिरे लगीस ।
राजा के डेरा ठाऊका उही रुख के नीचे रहिस । आंसू राजा के ऊपर गिरिस, त राजा एती ओती देखे लगीस. मौसम तो साफ हे फेर पानी कहां ले गिरत हे । मोला  पानी गिरे के भरम कइसे होत हे । फेर आंसू टपकिस। राजा कहिस मोला भरम नई हे. पेंड़ ऊपर कुछु हे । मंत्री ल कहिस -  मंत्री पेंड़ म देखौ कुछ है , पानी टपकत हे ।
मंत्री - एती ओती चारों कोती देखीस अउ कहिस -कुछु नई हे महाराज , आप ल भरम होगे होही ।
राजा ऊपर फेर आंसू टपकिस ।
राजा कहिन- देख मंत्री फेर मोर ऊपर पानी टपकिस ।कुछु न कुछु बात हे । ध्यान से देखो ।
पानी के बूंद ल देख के मंत्री घलो अचंभित होगे ।
सिपाही मन ल आदेश दिस ।कहाँ ले पानी गिरत हे , ए पेंड़ म का हे , तुरते पता लगावव।
सबे सिपाही अउ संग आये जम्मो झन एती ओती देखे लगिन , फेर कोनो ल कुछु नई दिखिस ।
एक तो घनघोर जंगल ऊपर ले अंधियारी  रात ।
दूनो बहिनी मारे डर के पेड़ के फुनगी में चढ़गे रहंय । डारा पाना म अपन ल तोप ले रहंय अउ मनमाने रोवत रहंय।
अचानक राजा के नाऊ  चिल्लय लगीस महाराज -दिखगे , दिखगे ।
नाऊ के एक आँखी म बरोबर दिखय नई । ओखर बात ल कोनो पतियात नई रहय ।
मंत्री ओखर ऊपर झिड़किस -काय दिखगे , दिखगे करत हस ।क्षकाय ए, कुछु बोलबे के भईगे चिल्लाबे बस ।
नाऊ कहिस -श्रमहाराज दू झन सुंदरी हे पेंड़ ऊपर ।
ओखर बात ल सुन के सबे झन हांसे लगिन फेर राजा के डर म हांसे नइज्ञसकत रहीन।
मंत्री- बने देखे हस । कइसे बात करथस याहा घनघोर जंगल ऊपर ले अंधियारी रात में कोन माईलोगिन पेड़ ऊपर रहिह ।
नाऊ लबारी नइ मारत हंव महाराज , सिरतोन म मैं दू झन मोटियारी ल देखेंव।
राजा- नाऊ सही कहत होही, मंत्री ये पेड़ ल बने असन देखव ।
मंत्री ह आदेश दीस  मशाल के रोशनी ल बढ़ावव अउ पेड़ कोती करव। 
दूनों बहिनी अउ हड़बड़ा गे  जोर जोर से रोय लगिन।
उंखर रोय के आवाज सुनई दे लगीस ।
रोय के आवाज ल सुन के सबे घबरागे , कोनों परेतिन -वरेतिन तो नोहय?
मंत्री - जोर से कड़क आवाज म कहिस कोन हे , नीचे आवौ।
दूनो बहिनी अउ लदलद कांपे लगिन , रोय के आवाज अउ बढ़गे।
राजा - जो भी हो नीचे आओ । हम कुछ नइ करेंगे ।
नाऊ- ओ देखो महाराज  फुनगी में दू झन सुंदरी बइठे हे ।
मंत्री अउ राजा घलो ध्यान से देखिन ।
उहू मन ल दिखगे।
राजा  दू झन सिपाही ल आदेश दीस कि सुंदरी मनला पेंड़  के नीचे लाओ ।
सिपाही मन ल पेंड़ म चघत देख के दूनों बहिनी आधा डर अउ आधा बल करके नीचे उतर गिन।
राजा - डरे के कोई बात नई हे।
तुमन कोन हो , कहाँ रहिथवव ?क्षये जंगल म का करत रेहेंव ?
दूनों बहिनी  रो-रो के अपन आप बीती ल बताइन ।
राजा - घर के पता बताओ ।पहुँचा देते हैं ।
दूनों बहिनी कहीन चाहे कुछु हो जाय अब हमन घर नइ जान । इहें परान दे देबो ।
राजा उंखर आपबीती ल सुन के अउ उंखर निश्चय ल देख के पसीजगे ।
अपन संग म लेगे के निर्णय लीन ।
संग म अपन राज म लेगे ।
दूनों बहिनी अपूर्व सुंदरी रहीन । उंखर सुंदरता म राजा मोहागे रहय।
दूनों के आय के खबर सुन के राज म काना-फूसी होय लगीस । बात राजा के कान तक पहुंचगे ।
राजा विचारिस बात आगू झन बढ़य ।
ये मन कोनो भले घर के लगथे । मोर सरन म हें।
इंखर मान-सम्मान म कुछु आंच झन आवय।
का करे जाए । अड़बड़ सोच विचार के  निर्णय लीस।
मंत्री से मंत्रणा करीस।
राजा ह बड़े बहिनी से अउ मंत्री ह छोटे बहिनी से बिहाव करेके के निर्णय लीन ।
दूनों बहिनी से बात करीन। दूनों झन राजी-खुसी बिहाव करेबर तइयार होगीं ।
पंडित ह शुभ मुहूरत निकालीस ।
शुभ मुहूरत म बने राजी खुशी बिहाव होगे ।
दूनों बहिनी सुखपूर्वक राजी खुशी रेहे लागिन।
  एती बेटी मन ल घर ले निकल दे  के बाद बाम्हन -बम्हनीन के सबे सम्पत्ति धीरे धीरे सिराय लगीस कतकोन कमाय , घर म बरकत न होय । खाय के लाले पड़ गीस ।एक लांघन दू फरहार होगे ।जब तब बाम्हन मूड़ धर के रोवय । बम्हनीन ल कहाय -कहां-कहां तोर बात म आगेंव । लक्ष्मी असन बेटी मन ल घनघोर जंगल म छोड़ देंव। मोर बेटी मन कहाँ होहीं। कोन हाल म होहीं।जियत हे कि नहीं, कोनों शेर भालू तो नई खा डरिस । हे भगवान मैं बड़ चंडाल, मोर असन कोनों दुष्ट बाप नइ होही मैं करम छड़हा अपने हाथ ले अपने जियाय बेटी मन ल शेर चीता के खाय बर छोड़ आएंव। बम्हनीन घलो पछतावय । फेर अब पछतावत होत काय जब चिरई चुग गे खेत ।
राजा के बिहाव अउ दूनों बहिनी के रूप के भारी चर्चा होय लगीस । उंखर रूप के चर्चा फइलत-फईलत बाम्हन बम्हनीन के कान तक पहुँच गे। बम्हनीन कहिस अइसन रूप तो हमार बेटी मन के रहिस । कहूँ हमर बेटी तो नोहय।  सोर खबर लेतेव  थोड़कुन। बाम्हन खिसियाइस । तोर मति म आके भरे घनघोर जंगल म छोड़े रहेंव फूल असन लइका मन ल । तेन कहाँ होही।
बम्हनीन जिद करे लगीस।गांव वाले मन बतात रहीन हमरे बेटी बरोबर दिखथे ।
बाम्हन के मन म घलो बेटी मन से मिले के चाह रहीस।पूछत पूछत उही राज म पहुंच गे । उहाँ तरिया म हाथ मुंह ल धोइस । फेर उही घाट तीर म बइठ गे।  मने मन गुने लगीस पहली छोटे बेटी घर जाहूं सीधा बड़े के घर जाना ठीक नई हे ।
लोगन मन ल मंत्री के घर जाय के रद्दा पूछे लगीस । कहय मोर बेटी हे । कोनो ओखर  बात ल नई पतियावय उल्टा ओखर हंसी उड़ावय । कहां ये अउ कहाँ मंत्राणी जी।
लम्बा सफर ऊपर ले कई दिन ले बरोबर खाय पिये के ठिकाना नहीं । एकदम दीन-हीन ,क्षजर्जर काया , झुके कनिहा।
एक झन ल ओखर ऊपर दया आगे कहिस चल बबा मैं तोला मंत्री जी के घर बतावथ हैं।
उहाँ उंकर छोटे बेटी जेन मंत्रानी बनगे रिहिस, तेन ह अपन दाई-ददा ल चिन्ह डारिस अउ उनला पोटार के रोवत अपन घर भीतर लेगिस. तहाँ ले बड़े बहिनी के बारे म घलो बताइस.
    बाम्हन बम्हनिन दूनों झनला अपन गलती खातिर पछतावा होइस. आखिर म सब भूल-चूक माफ होगे. सब खुशी खुशी रहिन खाइन.

मोर कहानी पुरगे.. दार भात चुरगे
प्रस्तुति : सुशील भोले
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