Thursday 25 July 2019

परबुधिया के हाथ कइसे संउपन...

परबुधिया के हाथ म कइसे सउंपन अस्मिता  डोर
एती-तेती के हाहा भकभक म उन ठउका देही बोर
जिनकर समझ नइए अपन-बिरान अउ चिन्हार के
उंकर खांध संग अपन खांध हम कइसे देवन जोर
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान रायपुर
मो.9826992811

जतका बड़का सपना वतके संघर्ष...

जतका बड़का सपना होथे संघर्ष घलो वतके होथे
अलकर भुइयां पटपर रद्दा काटांखूंटी घलो मिलथे
इही सबला चतवारत जूझत बढ़त जाबे लक्ष्य डहर
तभे सफलता के मोर मुकुट माथा म जी संगी सजथे
-सुशील भोले-9826992811

Tuesday 23 July 2019

मंत्र जागरण के परब "हरेली"

मांत्रिक जागरण के परब हरेली...
छत्तीसगढ़ राज के जतका मूल परब-तिहार हे, सबके संबंध कोनो न कोनो रूप ले अध्यात्म संग जरूर हे। ए बात अलग आय के आज हम उंकर मूल कारण ल भूलागे हावन, तेकर सेती प्रकृति या खेती-किसानी संग जोड़ के वोला कृषि संस्कृति के रूप म बताए अउ जाने लगथन।
इहां के संस्कृति म सावन महीना के पहला परब "हरेली" के संग घलो अइसनेच बात हे। ए दिन जम्मो किसान अपन नांगर- बक्खर संग आने जम्मो कृषि यंत्र के धो-मांज के पूजा करथें। एकरे सेती एकर चिन्हारी ल कृषि पर्व के रूप म बताए जाथे। फेर एकर आध्यात्मिक पक्ष के अनदेखा कर देथें।
आप सबो झन जानथौ के इही दिन के आगू रतिहा जम्मो गाँव मन म गाँव बनाए के परंपरा ल घलो पूरा करे जाथे। इहां के ग्रामीण संस्कृति म "बइगा" कहे जाने वाला "मांत्रिक" मन इही दिन अपन-अपन मंत्र के पुनर्पाठ करथें। माने साल भर म वोला फिर से जागृत करथें। कतकों झन मन इही दिन मांत्रिक गुरु अउ शिष्य घलो बनाथें। गुरु शिष्य के रूप म परब मनाथें।
इहां ए बात जाने के लाइक हे, के सावन महीना के इही अमावस के दिन महादेव ह मांत्रिक शक्ति के उदगार या प्रकट करे हें। अइसे कहे जाथे के, उन अपन त्रिशूल म बंधाए सिंघिन ल फूंक के मंत्र मन के उद्घोष करे हें, उनला प्रगट करे हें। अब ये कतका सही अउ कतका कल्पना के बात आय, एला तो उहिच ह जानय, फेर ए बात सोला आना सच आय, के हरेली परब के संबंध अध्यात्म संग जरूर हे।
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान रायपुर
मो.9826992811

Monday 22 July 2019

पढ़ें.. समझें.. ऊँ नमः शिवाय 🙏

पढ़ें..और..समझें...ऊँ नम: शिवाय 🙏

आजकल प्रतिदिन संदेश आ रहे हैं कि महादेव को दूध की कुछ बूंदें चढाकर शेष निर्धन बच्चों को दे दिया जाए। सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन हर भारतीय त्योहार पर ऐसे संदेश पढ़कर थोड़ा दुख होता है। दीवाली पर पटाखे ना चलाएं, होली में रंग और गुलाल ना खरीदें, सावन में दूध ना चढ़ाएं, उस पैसे से गरीबों की मदद करें। लेकिन त्योहारों के पैसे से ही क्यों? ये एक साजिश है हमें अपने रीति-रिवाजों से विमुख करने की।

हम सब प्रतिदिन दूध पीते हैं तब तो हमें कभी ये ख्याल नहीं आया कि लाखों गरीब बच्चे दूध के बिना जी रहे हैं। अगर दान करना ही है तो अपने हिस्से के दूध का दान करिए और वर्ष भर करिए। कौन मना कर रहा है। शंकर जी के हिस्से का दूध ही क्यों दान करना?

अपने करीब उपलब्ध किसी आयुर्वेदाचार्य के पास जाकर पूछिये कि वर्ष के जिन दिनों में शिव जी को दूध का अभिषेक किया जाता है उन दिनों में स्वास्थ्य की दृष्टि से दूध का न्यूनतम सेवन किया जाए जिससे मौसमानुसार शरीर में वात और कफ न बढे जिससे हम निरोगी रहे ऐसा आयुर्वेद कहता है कि नहीं।

आप अपने व्यसन का दान कीजिये दिन भर में जो आप सिगरेट, पान-मसाला, शराब, मांस अथवा किसी और क्रिया में जो पैसे खर्च करते हैं उसको बंद कर के गरीब को दान कीजिये | इससे आपको दान के लाभ के साथ साथ स्वास्थ्य का भी लाभ होगा।

महादेव ने जगत कल्याण हेतु विषपान किया था इसलिए उनका अभिषेक दूध से किया जाता है। जिन महानुभावों के मन में अतिशय दया उत्पन्न हो रही है उनसे मेरा अनुरोध है कि एक महीना ही क्यों, वर्ष भर गरीब बच्चों को दूध का दान दें। घर में जितना भी दूध आता हो उसमें से ज्यादा नहीं सिर्फ आधा लीटर ही किसी निर्धन परिवार को दें। महादेव को जो 50 ग्राम दूध चढ़ाते हैं वो उन्हें ही चढ़ाएं।

शिवलिंग की वैज्ञानिकता ....

भारत का रेडियोएक्टिविटी मैप उठा लें, तब हैरान हो जायेगें ! भारत सरकार के न्यूक्लिअर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।

शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लियर रिएक्टर्स ही हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे।

महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे किए बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल, आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले है।

क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।

भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।

शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।

तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर  अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।

ध्यान दें, कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है।

जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है।विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।

अपना व्यवहार बदलो अपने धर्म को बदलने का प्रयास मत करो।

🌹!!ॐ नम: शिवाय !!🌹

बइगा बबा के चेला...

बइगा बबा के जम्मो चेला जगाहीं मंतर शक्ति
आदि धरम के परब हरेली दिखही श्रद्धा भक्ति
गांव-गांव म उत्सव मनाहीं जम्मो मूल निवासी
तब मया-आशीष गजब बरसाहीं भोले-कैलासी
🌷सुशील भोले-9826992811

आगे हरेली तिहार...

रच-रच रच-रच गेंड़ी चघबो आगे हरेली तिहार
जम्मो मूल निवासी मनला हे  गाड़ा-गाड़ा जोहार
आवौ मिल परन करीन, संस्कृति करत हे गोहार
कोनो अनदेखना झन मेटे पावय लेबो एला पोटार
🌷सुशील भोले-9826992811

Wednesday 17 July 2019

भेदभाव के पोषक यें जे....

भेदभाव ले भरे व्यवस्था के जे मन पोषक यें
धरम नहीं असल म उन मानवता के शोषक यें
छोड़व अइसन ग्रंथ-गुरु ल जे तुंहला अलगाथें
आदिदेव के धर लौ रद्दा जे समता के द्योतक यें
🌷सुशील भोले-9826998211
संजय नगर, रायपुर

चौमासा संग आगे जोंधरी...

चौमासा संग आगे बारी के जोंधरी
लटलट ले फरे हे जइसे सम्हरे हे परी
दगदगावत अंगरा म फूटत ले सेंक ले
फेर सेवाद ले ले संग सावन के झड़ी
😁सुशील भोले

Tuesday 16 July 2019

सुक्खा सावन कइसे परघावन...

सुक्खा सावन तोला कइसे के परघावन
आने बछर तो नंगत मया के गीत गावन
फेर ए दरी दिखथे अभी ले दुकाल के छापा
त कइसे तोर सुवागत म सवनाही मनावन
-सुशील भोले

Monday 8 July 2019

भोजली परब...

भोजली परब...
छत्तीसगढ़ के संस्कृति म कतकों अइसन परब-तिहार हे, जे ह मौलिक स्वरूप खातिर पूरा देश म अलग जनाथे, चिन्हब म आथे। अइसने परब म इहाँ के "भोजली परब" के सुरता घलो आथे।
भोजली परब ल सावन महीना के अंजोरी पाख म मनाए जाथे। एकर बोए के तिथि म आने आने जानकर मन के आने आने विचार हे। कतकों एला पंचमी तिथि ले मानथें, त कतकों सप्तमी ले।
एक मान्यता इहू हावय के पहिली जब इहाँ के हर गाँव अउ शहर म नागपंचमी के दिन जम्मो अखाड़ा मन म कुश्ती के आयोजन करे जावय, त कुश्ती सिराए के बाद संझा बेरा वो अखाड़ा के माटी ल लान के उही माटी म भोजली बोए के कारज संपन्न करे जावय। फेर अब न तो अखाड़ा के चलन जादा देखब म आवय न कुश्ती के, अइसन म अखाड़ा के माटी म भोजली बोए के रिवाज कहाँ देखब म आही?
भोजली बोए के बाद, जइसे जंवारा के सेवा करे जाथे, वइसनेच भोजली के घलो सावन पुन्नी के राखी चढ़ाए के बाद विसर्जन के करत ले रोज संझा-बिहनिया सेवा करे जाथे।
-सुशील भोले

Sunday 7 July 2019

साधना के रद्दा धराइस सीताराम....

साधना के रद्दा धराइस मोला सीताराम
फेर संग आइस नहीं वो करे लगिस आराम
बड़ बुता बांचे हे अभी मूल संस्कृति के रद्दा म
फेर सिध पारे बिन एला छुवन नहीं आने काम
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान रायपुर
मो.व्हा.9826992811