Tuesday 30 January 2024

जिहां देवता मनला मिलथे सजा

माई भंगाराम के अदालत : जिहां दोष सिद्ध होय म देवता मनला मिलथे सजा
    हमर इहाँ के मूल निवासी समाज के कतकों परंपरा अइसन हे, जेला देश दुनिया म अउ कहूँ देखे या सुने बर नइ मिलय. अइसने परंपरा म हर बछर भादो महीना म होने वाला माई भंगाराम के मंदिर म लगइया  अदालत घलो हे, जिहां अपन देवत्व के अंतर्गत आने वाला काम-बुता अउ लोगन के दुख-सुख ले जुड़े सरेखा ले संबंधित कारज म सफल नइ होय म दोषी देवता ल सजा दिए जाथे.
    माई भंगाराम के अदालत केशकाल घाटी के ऊपर मंदिर म अउ ठउका अइसनेच  बस्तर राज के जुन्ना ठीहा, जे ह अब धमतरी जिला के कुर्सीघाट बोराई मार्ग म आथे भादो महीना के अंधियारी पाख म शनिच्चर के दिन लगथे.
   माई भंगाराम के अदालत लगे के पहिली के 6 शनिच्चर के देवी देवता मन के विशेष रूप ले सेवा-पूजा करे जाथे. तेकर पाछू फेर सातवाँ शनिच्चर के आसपास के 9 परगना के जम्मो देवी देवता के संगे-संग पुजारी, सिरहा गुनिया, मांझी, गायता अउ मुखिया मन ए भादो जातरा म संघरथें. ए भादो जातरा या कहिन माई भंगाराम के अदालत या दरबार के खास बात ए आय के एमा माईलोगिन मन बर इहाँ संघरना प्रतिबंधित होथे.
   माई भंगाराम के अदालत म जिहां बंजारी माता, कुंवरपाठ बाबा अउ नरसिंह नाथ के आगू म सबो देवी देवता मन के साल भर के लेखा-जोखा के हिसाब होथे. 
   देवी देवता मन के प्रतिनिधि के रूप म पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता अउ मुखिया मनला देवता मन के पक्ष रखे के अवसर दिए जाथे. अउ जब ए प्रतिनिधि मन के दलील म घलो देवता मन ऊपर लगे निष्क्रियता के दोष ले मुक्त नइ हो पावय, त संबंधित देवता ल उंकर दोष के छोटे बड़े के अनुसार निलंबन, बर्खास्तगी या फेर सजा-ए-मौत के सजा दे जाथे. 
   निलंबन के स्थिति म वो देवता ल एक विशेष जगा म रख दिए जाथे, जिहां उंकर मन बर जेल के मानक ठउर होथे. बाद म उंकर काम फेर सही जनाय म वापस देव ठउर म संघार लिए जाथे.
   बर्खास्त के सजा म संबंधित देवता ल तीर के नरवा म विसर्जित कर दिए जाथे. ठउर अइसने सजा-ए-मौत के सजा म घलो उनला सीधा सीधा विसर्जित कर दिए जाथे.
   हमर बस्तर के ए परंपरा आदि काल ले सरलग चले आवत हे, अउ आगू घलो चलत रइही. जब तक हम अपन परंपरा के सम्मान करत रहिबो, अपन आस्था ऊपर अडिग रहिबो.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Sunday 28 January 2024

कोंदा भैरा के गोठ-14

कोंदा भैरा के गोठ-14

-आजकाल के लइका मन ठकठक ले अकेल्ला जाथें अउ अपन सुवारी ल बिदा करा के लान लेथें जी भैरा.
   -भइगे काला कहिबे जी कोंदा.. हमर पाहरो म तो बरात जाए ले जादा लेठवा जाए म निक जनावय.
   -सिरतोन कहे संगी.. बरात म तो चारेच घंटा के आनंद फेर लेठवा जवई तो चार-छै दिन के मजा राहय. जतका उंकर लाग-मानी ततका घर एकक दिन नेवता परय. होली परब ल देखत राहन.. काबर ते एकरे बाद पठौनी के नेंग होवय.
   -हव ना.. नवा बहुरिया ल नवरात बर लवई ल शुभ माने जावय.. अब तो जादा उमर म बिहाव होथे तेकर सेती बहुरिया ह तुरतेच ससुरार म रेहे लगथे.
    -हव जी.. पहिली लइकई उमर म बिहाव होवय, तेकर सेती सज्ञान होय के पाछू फेर गौना या कहिन पठौनी होवय. अब तो ए गवन के नेंग ल होली बखत कर दिए जाथे. नवा बहुरिया ह पहला होली ल अपन मइके म मानथे तेकर रूप म. 
   -हाँ.. नेंग तो हो जाथे, फेर लेठवा कहाँ कोनो ल लेगथे.
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-सबो गाँव म अपन देवता-धामी मन के मान-गौन के परंपरा ल अलगेच देखे बर मिलथे जी भैरा.
   -हाँ ए बात तो हे जी कोंदा.. अब देखना अभी बुलकिस हे तेने बिरस्पत के ए हमर रइपुर-भांठागांव म ठाकुर देव के पूजा करिन हें.. उहाँ के सियान मन बताइन के अइसन हर पॉंच बछर म करथें, अउ दिन म करथें.
   -ठाकुर देव के पूजा तो हमन रोजेच करथन संगी.
   -हव गा.. उहू मन रोजेच करथें, फेर जमीन भीतर जेन कोनो मरकी-करसी म भर के गड़ियाए रहिथें, तेन ल हेर के पॉंच बछर म एक पइत करथें.. ओकर ठउर म भुइयॉं के ऊपर ले तो रोजेच करथें.
   -अच्छा... अइसे हे.. हमर गाँव म तो जे दिन गाँव बनाथें तेन दिन भुइयॉं ले हेर के पूजा करथें.. हर बछर.. रतिहा बेरा.
   -हाँ ए तो हे.. फेर कतकों गाँव म तो भुइयॉं के ऊपरेच म आसन दिए रहिथें ठाकुर देव ल जी.
   -सबके अपन-अपन मान्यता अउ परंपरा हे संगी.
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-आज भगवान राम ह अयोध्या म पॉंच सौ बछर के पाछू बालरूप म बिराजत हे जी भैरा.. एकरे सेती ए पबरित बेरा म इहाँ के उंकर ममियारो 'चंदखुरी' के गजब सुरता आवत हे, के एकर नॉव 'चंदखुरी' कइसे धराइस होही? 
   -ठउका बात ल जाने के विचार उठत हे तोर मन म जी कोंदा.. कतकों गुनिक मन के कहना हे के चंदखुरी नॉव ह भगवान राम के बालपन म इहाँ के धुर्रा-माटी म खेले के सेती ही धराए हे.
   -कइसे भला? 
   अरे भई.. जब लइकई म माता कौशल्या संग भगवान तीजा-पोरा माने बर इहाँ आवय, त बिहनिया ले लेके संझौती गरुवा धरसत बेरा ले उंकर मन के खुर म उड़त धुर्रा-माटी म खेलत राहय.
   -अच्छा..! 
   -हव.. रामचंद्र के चंद्र अउ गरुवा के खुर ले उड़ियावत धुर्रा जेला खुरी कहे जाथे.. ए दूनों ले मिल के होगे- चंद्रुखुरी... इही चंद्रखुरी ह लोकरूप धरत 'चंदखुरी' होगे.
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-ए ह कतका बड़ संजोग आय जी भैरा के काली जे दिन भगवान राम के अयोध्या म प्राणप्रतिष्ठा होइस, ठउका उहिच दिन हमर इहाँ के रामनामी समाज के मन के मेला घलो रिहिसे, जे ह बछर भर म एकेच दिन भराथे.
    -इही ल तो भगवान के सच्चा भक्ति अउ वोला स्वीकार करना कहिथें जी कोंदा. जे मनला कभू मंदिर म खुसरे बर तक मना कर दिए रिहिन हें, आज भगवान उनला सउंहे स्वीकार कर लिस.
   -हव भई.. जॉंजगीर-चांपा के एक नान्हे गाँव चारपारा के परशुराम ल दलित होए के सेती मंदिर म जावन नइ दे गे रिहिसे, तेकर सेती ए ह बछर 1890 के आसपास रामनामी समाज के स्थापना करे रिहिसे, ए कहिके के भगवान तो सबो जगा हे वोला पाए बर कोनो मंदिर जाए के जरूरत हे ना उहाँ पूजा करे के. अउ मंदिर म नइ जावन दे के विरोध स्वरूप अपन पूरा देंह म ही राम राम गोदवा डरिस. आज ए ह एक पूरा संप्रदाय के रूप धर ले हे, एकर अनुयायी मन अपन शरीर के संगे-संग घर के कोठ मन म घलो राम राम लिखवाए रहिथें. हर बछर भजन मेला के आयोजन करथें, जेमा नवा दीक्षा लेवइया मनला दीक्षा घलो देथें.
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-छेरछेरा पुन्नी के जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. हमर पुरखा मन कतेक सुंदर परब अउ ओकर ले जुड़े परंपरा बनाए हवय ना.
   -हव जी अब ए छेरछेरा ल ही देख ले छोटे बड़े सबके भेद ल भुलावत समरसता के कतेक सुघ्घर संदेश देथे.
   -हव जी.. सबो झन एक-दूसर घर छेरछेरा मॉंगे बर जाथें अउ देथें घलो.. अउ एकर माध्यम ले कतकों लोककल्याण के बुता घलो हो जाथे.
   -हव सिरतोन आय.. हमर गाँव के मिडिल स्कूल के भवन ल छेरछेरा मॉंग के ही बनवाए रेहेन, फेर हर बछर छेरछेरा म सकेले पइसा ले ही स्कूल म खेलकूद के सामान घलो लेवन.
   -कतकों गाँव म रामकोठी घलो तो छेरछेरा के सेती ही लबालब भरे रहिथे.
   -कुहकी पारत अउ डंडा नाचत छेरछेरा मॉंगे बर जावन त कतेक निक लागय ना.
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-हमर इहाँ एक परंपरा हे जी भैरा के जब काकरो घर कोनो लइका के जनम होथे त किन्नर मनला वो लइका के नजर उतारे अउ बलैया ले बर विशेष रूप ले बलाए जाथे.
    -हाँ ए बात तो हे जी कोंदा.. एला बहुते शुभ माने जाथे, तेकरे सेती किन्नर मनला अइसन बेरा म बढ़िया दान-दक्षिणा देके बिदा करे जाथे.
   सही आय संगी.. अइसने अभी 22 जनवरी के जब अयोध्या म भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा होइस हे ना.. त ओकर सबले पहिली नजर उतार के बलैया लिस हमर रायपुर शहर के किन्नर सौम्या ह. 
   -अच्छा.. हमर रायपुर के सौम्या ह..! 
  -हव जी सौम्या ल एकर खातिर विशेष रूप ले नेवता भेज के बलवाए गे रिहिसे. प्राण प्रतिष्ठा म 5 हजार साधु संत अउ साध्वी मन सकलाय रिहिन हें, जेमा सौम्या घलो शामिल रिहिसे. सौम्या ह प्राण प्रतिष्ठा के बाद सबले पहिली अपन नृत्य के प्रस्तुति दिस, तहाँ ले फेर भगवान के नजर उतार के बलैया लिस. एकर खातिर हमर रायपुर के सौम्या ल इतिहास म सुरता करे जाही, के वो ह पहला किन्नर रिहिस जे ह भगवान के नजर उतार के बलैया लिस.
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-हमर इहाँ जब कोनो देवी-देवता के पूजा उपासना के बाद घलो जब गांव म या हमर जिनगी म आय विपदा दूरिहा नइ जाय, त वो देवता ल माई भंगाराम के अदालत म शिकायत कर के सजा दे जाथे जी भैरा.
   -अच्छा.. अइसनो होथे जी कोंदा..! 
   -हव.. केशकाल घाटी के ऊपर जेन भंगाराम माई के मंदिर हे ना उहाँ हर बछर भादो महीना के अंधियारी पाख म शनिच्चर के दिन भादो जातरा के आयोजन करे जाथे, वोमा दोष सिद्ध होय म सजा दे जाथे, जेमा दोष के छोटे बड़े के आधार म निलंबन, मान्यता समाप्ति या सजा-ए-मौत तक के सजा सुनाए जाथे.
   -वाह भई..! 
   -देवी देवता के पक्ष रखे के घलो मौका मिलथे, जेमा उंकर प्रतिनिधि के रूप म पुजारी, गायता, सिरहा, मांझी या मुखिया उपस्थित रहिथे.
   -ए परंपरा ह तो सुनेच म अद्भुत जनावत हे जी..! 
   -हाँ.. भंगाराम माई जगा जाए के पहिली सेवा समिति के सदस्य मनला देवी देवता के प्रतीक ल थाना लेगना परथे. उहाँ थाना म तैनात जवान मन देवी देवता के पूजा करथें, फेर पुलिस के सुरक्षा म देवी देवता मनला भंगाराम माई मंदिर तक लेगे जाथे.
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-अभी एक आध्यात्मिक कथावाचक के पंडाल म इहाँ के एक नामी हास्य कवि ल छत्तीसगढ़ी लोककला के प्रदर्शन करे बर केहे गिस त जानत हस जी भैरा वो का सुनाइस तेला? 
   -अरे आध्यात्मिक पंडाल आय त कोनो ज्ञान-दर्शन ऊपर आधारित लोककला के बात बताइस होही जी कोंदा.
   -नहीं संगी.. वो सुनाइस- सबके लउठी रिंगी-चिंगी, मोर लउठी कुसवा रे.. अउ झींक-पुदक के डौकी लानेंव तेनो ल लेगे मुसवा रे.. 
   -अरे ददा रे.. आध्यात्मिक पंडाल म अइसन उजबक गोठ गा...! 
   -हव भई.. मोला समझ नइ आइस, के वो तथाकथित महान हास्य कवि ह छत्तीसगढ़ के लोककला के प्रदर्शन करिस या अपन फूहड़ सोच के ते?
   -ए तो फूहड़ सोच के ही प्रदर्शन आय संगी.. राउत नाचा के दोहा ही सुनाना रिहिसे, त एक ले बढ़ के एक ज्ञान अउ दर्शन के दोहा हे तेला सुनाना रिहिसे, फेर ए हास्य वाले मन न तो कोनो स्थान के महत्व ल समझय अउ ना  मंच के ही गरिमा ल.
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-हमर पुरखा मन दान के अबड़ महात्तम बतावय जी भैरा.
   -हव सही आय जी कोंदा.. दान के अबड़ महात्तम हावयच.. अन्नदान, जलदान जइसन कतकों दान फेर ए  सबले बढ़ के गुप्त दान ल काहंय, जब कोनो विशेष अवसर म दिए जावय.
   -हव जी, फेर अब तो लोगन दान ल प्रदर्शन के जिनिस बनावत जावत हें.
   -सही आय जी.. अब तो पेपर म समाचार अउ विज्ञापन तक छपवाथें, के फलाना ल अतका दान करे हवन कहिके.
   -बहुत अकन संस्था वाले मन तो इहिच उदिम करथें. आठ-दस झन संघरा जाथें, अउ एक ठन आमा ल एकाद झन रोनहुत लइका ल धरावत फोटो खिंचवा लेथें.
   -कभू कभू तो अइसनो देखे ले मिलथे, के जतका के दान नइ दे राहंय, तेकर ले जादा पइसा देके वोकर विज्ञापन करथें. तोला का जनाथे संगी.. अइसन दान के कोनो महत्व हे.. का अइसन किसम के दान ल परमार्थ या पुण्य के भागी होय के श्रेणी म रखे जाही?
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Monday 22 January 2024

हमर छत्तीसगढ़ के रामनामी

छत्तीसगढ़ के रामनामी; जिंकर रोम-रोम म बसे हे निर्गुण राम
   एक दलित जवनहा छोकरा ल मंदिर म नइ जावन दिस त वो ह ओकर विरोध स्वरूप अपन देंह म राम राम गोदवा डारिस अउ आगू चल के एक नवा संप्रदाय के स्थापना घलो कर डारिस, जेला आज हम सब 'रामनामी संप्रदाय' के रूप म जानथन.
   ए ह बछर 1890 के आसपास के बात आय. जिला जांजगीर-चॉंपा के गाँव चारपारा के जवनहा परशुराम ल दलित समाज के होय के सेती मंदिर म जावन नइ दे रिहिन हें, त वो ह एकर विरोध म अपन पूरा देंह भर राम राम गोदवा लिस, अउ निर्गुण उपासना के रद्दा म भक्ति मार्ग के एक नवा रद्दा बना दिस. ओकर कहना रिहिस के परमात्मा ल पाए बर न कोनो मंदिर जाए के जरूरत हे अउ न ही उहाँ बइठ के पूजा करे के जरूरत हे.
    ए रामनामी समाज के मन कतकों पइत रायपुर आवत रहिथें. अइसने एक बेरा इहाँ के मुख्यमंत्री निवास म मोर एकर मन संग भेंट होए रिहिसे त उंकर संग मुंहाचाही होए रिहिसे. वोमा के एक सियान ह कहे रिहिसे- 'आज लोगन हमन ल रामनामी के रूप म भगवान राम के उपासक बताए के प्रयास करथे, फेर हमन अयोध्या वाले राजा दशरथ के बेटा राम के नहीं, भलुक सर्वव्यापी निराकार ब्रह्म ल राम के रूप म मानथन अउ ओकरे उपासना करथन. 
   रामनामी समाज के लोगन के बिहनिया सूत के उठे ले लेके रतिहा सोवा के परत ले पूरा बेरा राम के जाप अउ सुमरनी म ही बीतथे. ए मन निर्गुण ब्रम्ह के उपासना करथें तेकर सेती न तो कोनो मंदिर जावंय अउ न कानो मूर्ति के पूजा करंय. फेर हां.. पूजा के बेरा इन एक लकड़ी के खंभा गड़ियाथें. सरी अंग म राम राम तो गोदवाएच रहिथें, इंकर कपड़ा-लत्ता अउ घर के कोठ मन म तको राम राम लिखाय रहिथे.
   निर्गुण उपासना के कतकों संप्रदाय म लंबा चोंगा गढ़न के कुर्ता या सलूखा पहिने के परंपरा दिखथे, ठउका अइसनेच इहू मन पॉंव के घुठुवा तक लामे कपड़ा पहिरथें. पॉंव म घुंघरू बांधथें अउ मुड़ म मंजूर पॉंखी के मुकुट पहिरथें.
   ए रामनामी समाज वाले मन के जीविका के मुख्य साधन खेती-किसानी ही आय. अब तो इंकर मन के संख्या पहिली ले थोकिन कम जनाथे, फेर बछर 1920 के आसपास जब एकर संस्थापक परशुराम ह देंह त्याग करिस वो बखत इंकर संख्या 20,000 अकन रिहिसे.
   अब तो रामनामी समाज के उपासक मनला देश के कतकों जगा के आध्यात्मिक अउ सांस्कृतिक आयोजन म घलो बलाए जाथे, जिहां ए मन अपन निर्गुण भक्ति मार्ग के अंतर्गत प्रस्तुति देथें.
   कतकों लोगन रामनामी मनला कबीर पंथ या सतनाम पंथ आदि ले जोड़े के प्रयास करथे, फेर ए ह सही नइ जनावय. जइसे इंकर जुड़ाव अयोध्या वाले राम संग नइए ठउका वइसनेच कबीर या सतनाम वाले निर्गुण उपासना संग घलो नइए. ए मन एक स्वतंत्र उपासना मार्ग के अनुयायी आयं, जिंकर अब तो स्वतंत्र चिन्हारी घलो बनगे हवय.
   रामनामी समाज वाले मन हर बछर एक जबर मेला के आयोजन करथें, जेमा सबो रामनामी जुरियाथें. ए मेला के अवसर म जे मन रामनामी उपासना के भक्ति मार्ग म आना चाहथें, वो मनला दीक्षा दिए जाथे.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Saturday 20 January 2024

बोइर के झुंझकुर म मिलिस नवा माचिस

वो चैत नवरात के सुरता//
जब बोइर के झुंझकुर म मिलिस नवा माचिस 
    भगवान राम के ममियारो चंदखुरी के माता कौशल्या धाम तब अतका सुघ्घर रूप नइ धरे पाए रिहिसे. मोर साधना काल के चैत नवरात के बेरा आय. 
   बछर 1995 के चैत नवरात. वो बखत मैं साधना के अंतर्गत हफ्ता म एकाद दू दिन गाँव अड़सेना म शीत कुमार साहू जी के इहाँ कभू-कभार रुक के कुछू कुछू आवश्यक जप-तप कर लेवत रेहेंव. 
    एक दिन शीत कुमार कहिथे- चलव गुरुदेव चंदखुरी म कौशल्या माता के दरस कर आथन. मोर शुरू ले आदत रिहिसे- जइसे मैं सावन सोमवार के शिवजी के मंदिर दरस करे बर चल देवत रेहेंव, ठउका वइसनेच नवरात म कोनो न कोनो माता के ठउर म घलो पहुँची जावत रेहेंव. 
   शीत कुमार के बात मोला जंचीस. हव एदे लकठा के तो बात आय. सइकिल म जाबो तभो घंटा भर म अड़सेना ले चंदखुरी पहुँच जाबो. 
    हमन दू-चार मनखे सइकिल के सवारी करत चंदखुरी पहुँच गेन. वो बखत चंदखुरी के कौशल्या धाम ह अतका विकसित नइ होए रिहिसे. तब तरिया के पानी ल नहाक के मंदिर जाना परय. गाँव वाले मन नवरात के बेरा म मंदिर ले तरिया के पार तक बॉंस अउ बल्ली मन ल बॉंध के चैली के रस्ता बना दे राहय. उही रच-रच बाजत चैली म रेंगत हमन कौशल्या मंदिर गेन. 
   कौशल्या मंदिर के दरसन के ए ह मोर पहला मौका रिहिसे. चंदखुरी ले मोर गाँव जादा दुरिहा नइए, फेर शायद माता जी के दरसन के भाग पहिली नइ जोंगाय रिहिसे.
    तब पूरा मंदिर परिसर अद्दर असन दिखत राहय. गर्भगृह म माता जी के नवरात वाले जोत जलत राहय. गाँव के बइगा अउ सेउक मन उंकर सेवा म लगे राहंय. हमन जब उहाँ पहुँचेन त मंझनिया होगे राहय, तेकर सेती दर्शक के रूप म एके-दुए लोगन वो मेर रहिन. मंदिर के बाहिर म एक खप्पर माढ़े राहय, तेकरे आगी म सिपचा-सिपचा के सब हूम-धूप अउ अगरबत्ती बारत राहंय. फेर मोर गुरु ह मोला अगरबत्ती आदि बारे बर आरुग आगी के उपयोग करे के सीख दिए रिहिसे, तेकर सेती मैं वो खप्पर के आगी म अगरबत्ती नइ बारेंव.
   उहाँ जतका लोगन रिहिन सबो जगा माचिस आदि मॉंगेंव, तेमा आरुग आगी म अगरबत्ती सिपचा सकंव, फेर वो बखत ककरोच जगा माचिस नइ रिहिस.
   मैं अबड़ जुवर ले उही जगा खड़े खड़े माता कौशल्या ल सुमिरत खड़ेच रेहेंव. फेर मन म का होइस ते मंदिर के परिक्रमा करे लगेंव. वो बखत मंदिर परिसर एकदम अद्दर राहय. चारों मुड़ा कांटा-खुंटी जामे अउ बगरे राहय. उखरा पॉंव रेंगे म घलो अलहन बानी के जनावय. तभो ले मैं गुनेंव- जादा नहीं ते कम से कम एक भॉंवर तो किंजरबेच करहूं.
   हिम्मत कर के माता कौशल्या ल सुमिरत, के हे दाई तोर दरबार म मैं आज पहिली बेर आए हौं, अउ तोर ठउर म बिन अगरबत्ती जलाए चल देहूं तइसे जनाथे. परिक्रमा करत मंदिर के पाछू मुड़ा पहुंचेंव, त एक झुंझकुर बोइर के पेड़ म ओधे एक पखरा देखेंव. वो पखरा म जटायु के चित्र बने रिहिसे. आज इही स्थान ल जटायु मोक्ष स्थल के रूप म बताए जाथे. अब तो ए जगा के बोइर पेड़ अउ सब कटही झाड़ी मन कटा के चिक्कन चॉंदन ठउर बनगे हे.
   मोला उही झुंझकुर बोइर पेड़ के एक डारा म एकदम नवा माचिस टंगाय दिखिस. पहिली तो बड़ा ताज्जुब लागिस के अइसन अलकर जगा म कोन नवा माचिस ल मढ़ाय होही कहिके. मैं एती-ओती चारों मुड़ा ल देखेंव शायद ककरो होही त पूछ के अगरबत्ती जलाए बर मॉंग लेहूं कहिके. फेर वो जगा तो कोनोच नइ दिखिन.
   फेर का गुनेंव ते वो माचिस ल धर के मंदिर जगा आएंव अउ भीतरी म जाके अगरबत्ती जला के माता कौशल्या के जोहार पैलगी करेंव अउ संग व ओला धन्यवाद घलो देंव के दाई तैं मोला अगरबत्ती जलाए के ठउका अवसर दिए तेकर बर जोहार हे.
   बाद म जब अगरबत्ती जला के मैं मंदिर भीतर ले निखलेंव, त शीत कुमार ह पूछीस- काकर जगा माचिस भीड़ा डारे गुरुदेव? त वोला सबो किस्सा ल बताएंव, अउ फेर माचिस ल वापिस उही बोइर पेड़ के झुंझकुर म मढ़ाए के बात कहेंव, त शीत कुमार कहिथे- ए ह कोनो दूसर के नोहय गुरुदेव.. ए ह तोरेच आय. माता जी ह तोला अपन पूजा करे बर दिए हे, तभे तो जिहां कोनो मनखे नइ जा सकय, तिहां तोला एकदम नवा माचिस बिन सील टूटे वाला मिले हे, उहू म बोइर पेड़ के झुंझकुर म. अइसे काहत वो ह वो माचिस ल अपन पेंठ के खीसा म धर लिस अउ घर आए के बाद पूजा ठउर म चिनहा के रूप म मढ़ा दिस. शायद आज तक वो माचिस ह वोकर पूजा ठउर म माढ़े होही.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा.9826992811

Wednesday 17 January 2024

कोंदा-भैरा के गोठ-13

कोंदा-भैरा के गोठ-13

-जब इंदिरा गाँधी ह ए देश के प्रधानमंत्री रिहिसे तेन बखत मीसा लगा के अबड़ झन सामाजिक अउ राजनीतिक कार्यकर्ता मनला जेल म धाॅंध दे रिहिसे तेकर सुरता हे नहीं जी भैरा? 
   -खंचित सुरता हे जी कोंदा.. इहाँ तो ए मनला लोकतंत्र सेनानी के रूप म सम्मान राशि घलो दे जावत रिहिसे.
   -हाँ.. अब फेर ए मनला सम्मान राशि मिलइया हे, जेला पाछू के सरकार ह बंद कर दे रिहिसे.
  -ए तो बने बात आय संगी.. जइसे देश के आजादी खातिर आन्दोलन करइया मनला सम्मान दिए गइस वइसने लोकतंत्र ल बचाने वाला मनला घलो सम्मान मिलना चाही, फेर मोला आजतक एक बात के गजब ताज्जूब होथे संगी.
  -का बात के जी? 
  -भई छत्तीसगढ़ राज खातिर घलो तो इहाँ के लोगन कतकों पीढ़ी तक सरलग संघर्ष करत रहें हें, त फेर ए छत्तीसगढ़ राज आन्दोलनकारी मनला आज तक कोनो किसम के मान-सम्मान काबर नइ दिए जाय?
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-सकट जोहार जी भैरा.
   -जोहार जी कोंदा.. कइसे आजे आय का जी संगी.
   -हव आज छेरछेरा परब के बाद के चउथ आय ना.. लगते माघ के? 
   -हव आय तो.
   -हाँ आज महतारी मन अपन लइका मनला जम्मो किसम के संकट ले बचाए खातिर उपास रइहीं अउ रतिहा चौथ के चंदा ल अरघ देके फरहार करहीं.
   -हाँ करथें तो जी.. अइसने कमरछठ म घलो सगरी म शिव पार्वती के पूजा कर के लइका मनला पिड़ौरी छूही के पोतनी म मार के उपास टोरथें.
   -हव.. महतारी मन बर तो लइका मन ही सबले बढ़ के होथे.. एकरे सेती उन इंकरे चिंता फिकर अउ जतन जादा करथें. अउ तैं जानथस आज के परब ल का के सेती मनाए जाथे? 
   -बताना भई. 
   -भगवान गणेश के पहिली वाले मुड़ी के सुरता अउ सम्मान म. अभी जेन फोटो म देखथन ना.. ए ह बाद म जब भोलेनाथ ह हाथी के मुड़ी ल लगाए रिहिसे तेन वाला आय. एकर पहिली शिव जी ह वोकर मुड़ी ल काट दिए रिहिसे ना.. उही कटे वाले मुड़ी ह चंदा म जाके समाहित होगे रिहिसे. आज संकटी चतुर्थी के जेन चंदा ल अरघ दिए जाथे तेन उही गणेश जी ल देने वाला अरघ आय.
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-संक्रांति जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. फेर एला तो काली 14 जनवरी के जोहारे रेहेन का? 
   -हाँ फेर अब अवइया 72 बछर तक 15 जनवरी के जोहारबोन.
   -वाह भई..! 
   -ए ह सुरूज देवता के हर बछर 20 मिनट देरी ले धनु राशि ले मकर राशि म जाए के सेती होवत हे संगी.
   -अच्छा..! 
   -हहो.. जे मन सुरूज, चंदा अउ जम्मो ग्रह नक्षत्र मन के सरलग गिनती करत रहिथें, तेकर मन के कहना हे- सुरूज देवता ह हर बछर धनु राशि ले मकर राशि म जाय म 20 मिनट के देरी करत जावत हे. ए बीस मिनट ह 72 बछर म पूरा 24 घंटा के माने एक दिन अउ रात के फरक पर जाथे, एकरे सेती ए संक्रांति ह बछर 2008 ले ही 15 जनवरी के होगे रिहिसे, फेर वोकर बेरा ह सुरूज देवता के संझौती बूड़े के पहिली हो जावत रिहिसे तेकर सेती 14 जनवरी के ही मकर संक्रांति मनावत आवत रेहेन, फेर ए बछर 14 जनवरी के रतिहा 9.35 बजे ही सुरूज बूड़गे रिहिसे, तेकर सेती उदय तिथि म 15 जनवरी के मकर संक्रांति मनावत हावन अउ 2081 तक 15 जनवरी के मनाबो तहाँ ले 16 जनवरी जोंगाही.
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-कभू-कभू आस्था ह अंधविश्वास अउ नासमझी के चोला ओढ़ लेथे जी भैरा.
    -कइसे गढ़न के जी कोंदा? 
   -अब देखना 22 जनवरी के भगवान राम के अयोध्या म बनत नवा मंदिर म प्राणप्रतिष्ठा हे, त कतकों अइसन गर्भवती महतारी हें जे मन चाहत हें के उंकर लइका के जनम उहिच दिन होवय, तेमा उनला भगवान के बिराजे के सुरता सबर दिन राहय अउ वोकर लइका ह भगवाने कस भागमानी हो जाय. ज्योतिष मन घलो कहि दे हें के वो दिन होवइया लइका मन पराक्रमी अउ भाग्यशाली होहीं कहिके.
   -अच्छा... प्राकृतिक रूप ले अइसन होवत हे त एमा बुराई का हे जी.. ए तो बने बात ए. 
   -प्राकृतिक नहीं जी संगी.. ए गर्भवती मन डॉक्टर मन जगा संपर्क करत हें, तेमा आॅपरेशन के माध्यम ले उही दिन लइका जनम ले सकय. 
   -प्राकृतिक रूप ले उही दिन जनम होय ले वो दिन के जेन ग्रह नक्षत्र के योग होही तेकर सुफल मिल सकथे, फेर अप्राकृतिक रूप ले बरपेली जनम देवाय म घलो उही फल मिल सकही का.. ए बात के संसो जनाथे संगी.
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-बसंत पंचमी के जोहार जी भैरा.
   -जोहार संगी कोंदा.. अब मौसम ह थोकिन निक असन जनाइस ना.
   -हव जी सरस्वती दाई के जयंती संग जाड़ के दंदोरई ह उरके असन भावत हे. 
   -हव.. फेर ए बसंत पंचमी ह हमर छत्तीसगढ़ म अंडा पेड़ गड़ियाए के अउ नंगाड़ा गदकाए के घलो परब आय जी.
   -हाँ ए बात तो हे.. होले डांड़ ठउर म रोज रतिहा फाग सर्राबो जी अउ होलिका ल बढ़ावत जाबो.
   -फेर हमन छत्तीसगढ़ म जेन होले बढ़ोथन वो ह होलिका नहीं संगी.. कामदेव के प्रतिरूप आय. 
   -अच्छा..! 
   -हमर इहाँ कामदहन के परब मनाए जाथे. वोकरे सेती बसंत पंचमी ले लेके फागुन पुन्नी तक के लगभग चालीस दिन होले डांड़ ठउर म वासनात्मक गीत अउ नृत्य आदि के चलन चलथे, काबर ते कामदेव अउ ओकर सुवारी रति मिल के शिव तपस्या भंग करे बर अइसने चरित्तर रचे रिहिन हें.
   -हव जी.. होलिका तो सिरिफ एके दिन म चीता रचवा के खुद वोमा भसम होगे रिहिसे, तब चालीस दिन के परब काबर? अउ वासनात्मक शब्द, नृत्य अउ गीत ले ओकर का संबंध?
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Tuesday 16 January 2024

कोंदा-भैरा बर दू डांड़.. परदेशी राम वर्मा

'कोंदा-भैरा के गोठ' बर मोर दू डांड़
-डॉ. परदेशी राम वर्मा

   छत्तीसगढ़ी भाषा बर लइकापन ले संसो करइया सुशील भोले ह जिनगी भर ठोसलगहा काम करिस. रोजी-रोजगार, पइसा-कौड़ी कुछू ल अपन जीवन म ओहा कमतिहा महत्तम के समझिस अऊ भाषा-संस्कृति, छत्तीसगढ़ महतारी के जय जयकार के बूता म भिड़गे. हरि ठाकुर, पवन दीवान के जौन परंपरा हे, वोला सुशील ह अपन पीढ़ी म सबले बढ़िया समझ के आगू बढ़े के कोशिश करिस. अब चारों मुड़ा ओकर नाव हे. छत्तीसगढ़ी भाषा के लेखक अऊ छत्तीसगढ़ी संस्कृति धरम के मरम जनइया के रूप म. 
   पहिली तुतारी के चार छ: डांड़ रोज लिखिस. ओकर लेख, कविता म जौन मरयादा अऊ ठठ्ठा हे वोहा ओला पाठक मन के दुलरवा लेखक बनाइस. पेपर वाले मन सुशील के रचना ल जगा तो दीन फेर ओकर अंतस के पीरा के भभका ल जादा नइ झेले सकिन त सुशील ह सोशलमीडिया ला अपन बात केहे बर मंच बनाइस. अऊ होए लागिस चारों मुड़ा सोर. कोंदा-भैरा के गोठ ल दिनों दिन पेपरो वाला मन छापे लगिन.
   कोंदा-भैरा के गोठ म छत्तीसगढ़ी भाषा के मिठास, बानगी, बियंग के धार, विषय के जानकारी के रंग देखते बनिस. बहुत लोकप्रिय होइस ये लेखन हा. साल भर सुशील हा एला लिखिस. अब एक बछर पूरा होइस त राजभाषा आयोग के सचिव अनिल भतपहरी जी हा आगू बढ़ के एला पीठ थपथपाइस. आशा हे जल्दी छप के किताब के रूप म हमर हाथ म आही 'कोंदा-भैरा के गोठ' हा. 
    नाव गजब सुग्घर चुनिस सुशील हा.
   अपन जीवन म लगातार अभाव अऊ नाहक विरोध ला झेलत सुशील हा ताल ठोक के सच्चाई लिखथे.
   सच के जर पताल म ये कहावत हे. आय हे तेन अपन जाय के बेरा म जाबे करही, फेर कोनो मनखे अपन काम के कारण सदा सुरता करे के योग्य बन जाथे.
    सुशील भोले हा सदा अइसने काम करे हे. 
   उम्मर म मोर ले छोटे ए तब आसिरबाद अऊ संगवारी लेखक साथी ये त बधाई, मंगलकामना.
    -डॉ. परदेशी राम वर्मा
       संपादक- अगासदिया
अध्यक्ष छत्तीसगढ़ जनवादी लेखक संघ
एल. आई. जी.18, आमदी नगर, हुडको, भिलाई (छत्तीसगढ़)
मुंहाचाही- 9827993494

अपन बात.. कोंदा भैरा के गोठ

अपन बात//
सोशलमीडिया म कॉलम लिखे के उदिम.. 
 
    वइसे तो मैं रायपुर ले निकलइया दैनिक अखबार नव भास्कर, तरुण छत्तीसगढ़, अमृत संदेश मन म साप्ताहिक स्तंभ या कहिन कॉलम गजब लिखत रेहे हौं. साप्ताहिक छत्तीसगढ़ी सेवक, इतवारी अखबार अउ मासिक 'मयारु माटी' म घलो थोर-बहुत लिखे के उदिम होय रिहिसे, फेर सोशलमीडिया म रोज के लिखना ह नवा अनुभव अउ प्रयोग आय. 

   दैनिक 'राष्ट्रीय हिन्दी मेल' म वइसे कुछ दिन तक 'तुतारी' शीर्षक ले रोज चार-छै डांड़ म लिखे के उदिम घलो करत रेहेंव, जेन वो अखबार के पहला पृष्ठ म पहला काॅलम के सबले नीचे के भाग म छपय. फेर वो लिखई म अखबार के संपादक अउ मालिक के राजनीतिक विचारधारा अउ संबंध के सुरता घलो राखे बर लागय, तेकर सेती मन के बात लिखना ह मुश्किल कस जनावय. एकरे सेती तीन-चार महीना के पाछू लिखना बंद कर दिए रेहेंव.

    जबकि ए सोशलमीडिया के प्लेटफार्म ह तो 'अपन हाथ जगन्नाथ' बरोबर हे. जस मन म विचार आवय लिख लौ, फेर एहू मा मोर संग हर वर्ग के लोगन जुड़े हें. राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, व्यवसायी, गृहस्थ, छात्र आदि सबो किसम के लोगन हें, त थोर-बहुत उंकरो मन के चेत राखे बर लागथे.

    वइसे तो मैं पहिली सोशलमीडिया म रोज के चार डांड़ के एक नान्हे कविता संग संदर्भित फोटो पोस्ट करे के उदिम घलो करत रेहेंव, जेला लोगन गजब सॅंहरावत रिहिन हें, फेर एकर मन के विषय कोनो परब, तिहार या विषय विशेष ही राहत रिहिसे. कतकों अइसन विषय अउ घटना हे, जे मन एमा संघर नइ पावत रिहिन हें, जे मन म अपन विचार आना ज़रूरी जनावय.

     अइसने बेरा म एक दिन अखबार म पढ़े बर मिलिस, के हमर इहाँ के एक प्रतिष्ठित राजनीतिक मनखे ह दूसर राज्य म जाके उहाँ के महतारी भाखा के मान बढ़ावत हे. मोला सुरता हे, ए उही मनखे आय, जेकर जगा हमन हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची म शामिल करे खातिर संसद म बात रखे बर गोहराए रेहेंन, तब वो ह हमन ल लंदर-फंदर जवाब दे के टरका दिए रिहिसे. तब हमन वो बखत वोकर ए व्यवहार के निंदा करत रायपुर के अखबार मन म नंगत के समाचार छपवाए रेहेन. आज जब अखबार म वोकर दूसर राज्य के महतारी भाखा खातिर उमड़त मया ल देखेव त मोला थोक रिस असन लागिस, त फेर गुनेंव के अइसन राजनीतिक दुमुंहा मन बर कुछू सोंटा वाले गोठ घलो होना चाही. तब मन म विचार आइस, के सोशलमीडिया म चार-छै शब्द अउ डांड़ म अपन बात कहे वाले गोठ लिखना चाही. 

    गूगल महराज के कृपा ले एक ठन कार्टून मिलिस, जेमा  अइसे-तइसे कर के लिखेंव -'कोंदा-भैरा के गोठ' अउ वोमा अपन मन म उठत बात ल लिख के सोशलमीडिया के जम्मो प्लेटफार्म म ढील दिएंव.

   संयोग ले वो दिन (26 फरवरी 2023) छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के वार्षिक जलसा रायपुर के दूधाधारी संत्सग भवन म होवत रिहिसे. चारों मुड़ा के छत्तीसगढ़ी प्रेमी मन जुरियाए रिहिन हें. मोर वो पोस्ट के गजब तारीफ करीन अउ ए उदिम ल सरलग लिखे के बात कहीन. कतकों झन फोन अउ मेसेज घलो करीन. फेर तो चारों मुड़ा ले लोगन के सुघ्घर सुघ्घर प्रतिक्रिया सरलग आवत गिस.

    आगू चल के कोंदा-भैरा वाले कार्टून ल साहित्यकार संगी दिनेश चौहान जगा छत्तीसगढ़ी परिवेश म बनवाएंव. अब तक ए धारावाहिक ह लोकप्रिय होए लगे रिहिसे, काबर ते कतकों झन एला अपन टाईम लाईन के संगे-संग अउ आने समूह म शेयर करे लगे रिहिन हें. कतकों झन तो एमा लिखे खातिर विषय घलो सुझाए लगिन अउ कतकों साहित्यिक संगी मन तो कोंदा-भैरा ल संबोधित करत रचना घलो लिखे लगिन. ए सबो ह ए धारावाहिक के सफलता के संगे-संग मोर बर प्रोत्साहन के बुता करीस.

    आगू चल के रायगढ़ ले प्रकाशित होवइया दैनिक 'सुघ्घर छत्तीसगढ़' ह 4 सितम्बर '23 ले अपन पहला पेज के पहला कॉलम म  एला सबले ऊपर म ठउर दिए लगिस. एकर खातिर मैं सुघ्घर छत्तीसगढ़ के संपादक यशवंत खेडुलकर जी के संग शमीम भाई अउ उंकर जम्मो संगी मन के जोहार करत हौं.

   सुघ्घर छत्तीसगढ़ असन ही कोरबा अउ रायपुर ले संघरा छपइया अखबार दैनिक 'लोकसदन' के 'झॉंपी' अंक म घलो कोनो कोनो कड़ी ल व्यंग्य के रूप म छापे गे हवय, तेकर खातिर मैं झॉंपी के जोखा करइया सुखनंदन सिंह धुर्वे 'नंदन' जी ल जोहार करत हौं.
    
    सोशलमीडिया म जुड़े मोर जम्मो पाठक मन के घलो मैं जोहार करत हौं, जेकर मन के प्रोत्साहन अउ पंदोली देवई के सेती ए धारावाहिक ह एक किताब के रूप म आप सबके आगू म आ पावत हे.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Monday 15 January 2024

बछर भर के 'कोंदा-भैरा.. '

बछर भर के 'कोंदा-भैरा.. '
   सोशलमीडिया म धारावाहिक के रूप म लिखे के उदिम करे 'कोंदा-भैरा के गोठ' ल आज 26 फरवरी'24 के एक बछर पुरगे.

   एक राजनीतिक मनखे के महतारी भाखा खातिर दिखे दूमुंहा चरित्तर के सेती आक्रोश के रूप म 26 फरवरी'23 ले चालू होय 'कोंदा-भैरा के गोठ' ल शुरू-शुरू म व्यंग्य के शैली म लिखे के उदिम करे गिस, फेर धीरे-धीरे अइसनो विषय मनला एमा संघारे के मन होइस, जे मन म विशुद्ध गंभीरता अउ चिंतन-मनन जरूरी रिहिसे, तेकर सेती ए धारावाहिक के लेखन शैली अउ विषय म विविधता आवत गिस.

   शुरू-शुरू म जब ए धारावाहिक ल लिखे लगेन त लोगन के गजब प्रतिक्रिया आवय, कतकों झन फोन अउ मेसेज कर के घलो प्रोत्साहित करंय, फेर धीरे-धीरे एमा कमी आवत गिस, जेन स्वाभाविक घलो हे. वइसे एक-दू लोगन कोंदा-भैरा के ही शैली म लिखे के प्रयास घलो करीन, भले उन वोला सरलग नइ चला पाईन. कतकों लोगन ए धारावाहिक के कतकोन कड़ी ल अपन टाईम लाईन के संगे-संग अउ आने समूह मन म शेयर कर देथें, ठउका अइसनेच कतकों झन तो कोंदा अउ भैरा शब्द के प्रयोग ल अपन रचना मन म उपयोग करत रहिथें. ए सबो ह ए धारावाहिक के सफलता के चिन्हारी तो आएच मोर बर प्रोत्साहन के उदिम घलो आय. 

   बछर 2023 के 4 सितंबर ले रायगढ़ ले दैनिक के रूप म छपत अखबार 'सुघ्घर छत्तीसगढ़' के पहला पेज के पहला कॉलम म एला सबले ऊपर म सरलग ठउर दिए जावत हे, इहू ह मोर बर प्रोत्साहन के बड़का कारण आय, एकर खातिर मैं सुघ्घर छत्तीसगढ़ के संपादक यशवंत खेडुलकर जी अउ शमीम भाई के संग जम्मो सहयोगी मन ल जोहार करत हौं.

   'सुघ्घर छत्तीसगढ़' असन ही कोरबा अउ रायपुर ले संघरा छपइया अखबार दैनिक 'लोकसदन' के 'झॉंपी' अंक म घलो 'कोंदा-भैरा के गोठ' के कोनो कोनो कड़ी ल कभू-कभू व्यंग्य के रूप म ठउर दे दिए जाथे. एकरो खातिर मैं 'झॉंपी' के सरेखा करइया सुखनंदन सिंह धुर्वे 'नंदन' जी के जोहार करत हौं.

   चार-छै डांड़ मन म संवाद के रूप म लिखे जावत ए धारावाहिक ल कभू छत्तीसगढ़ी साहित्य के अंग माने जाही या नइ माने जाही, ए बात के तो मोला आकब नइए, फेर हाॅं.. छत्तीसगढ़ी ल विविध शैली अउ रूप म लिखे जाना चाही, ए बात के मैं समर्थक हौं. मोर मानना हे- हम सिरिफ कविता, कहानी जइसन पारंपरिक लेखन रूप तक ही सीमित रहिबोन त ए भाखा ल सर्वग्राह्य भाखा नइ बना पावन. मैं चाहथौं के छत्तीसगढ़ी के पाठक एक इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट, कृषि वैज्ञानिक ले लेके सामाजिक, राजनीतिक अउ आध्यात्मिक सबोच वर्ग के लोगन बनंय, अउ अइसन तभे हो सकथे जब छत्तीसगढ़ी म कविता, कहानी ले इतर अउ जम्मोच विषय अउ विधा म लिखे जाय.

   'कोंदा-भैरा' इही इतर लेखन रूप के एक प्रयोग आय, अउ मोला खुशी हे के एकर पाठक वर्ग म वो जम्मोच वर्ग के लोगन हें, जिनला म मैं ऊपर म उल्लेखित करे हावौं. 

   सोशलमीडिया म चार-छै डांड़ ल पढ़ के लोगन आगू बाढ़ जाथें, तेकरे सेती मोर ए उदिम रहिथे, के एकर हर कड़ी ह चारेच छै डांड़ म ही उरक जाय. 

    आप जम्मो गुणी अउ हितवा मन के पंदोली अउ प्रोत्साहन दे के सेती 'कोंदा-भैरा के गोठ' सरलग एक बछर पूरा कर पाईस, तेकर सेती मैं जम्मोच झन के जोहार करत हौं.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Wednesday 10 January 2024

कोंदा भैरा के गोठ-12

कोंदा भैरा के गोठ-12

-हमर इहाँ कतकों अइसन संत-महात्मा होए हें, जेकर ज्ञान अउ दर्शन ल उंकर अनुयायी मन लुकाए या एती-तेती भटकाए के उदिम घलो कर डारथें जी भैरा.
    -हाँ.. अइसन ढंग के तो महूं ल जनाथे जी कोंदा.
    -अब देखना सतगुरु कबीर साहेब ल ही.. वो मन निराकार परमात्मा के उपासना के रद्दा तो बताए हें, फेर वोला उन साकार अउ निराकार दूनोंच रूप एकेच आय घलो कहे हें, फेर उंकर ए महत्वपूर्ण बात ल  अनुयायी मन कहाँ बताथें.. उल्टा उन साकार के नॉव म अंते-तंते गोठियाए के उदिम जरूर कर देथें.
    -हाँ जी.. कतकों झनला अइसन गोठियावत तो महूं सुने हौं.
   - जबकि कबीर साहेब के महत्वपूर्ण ग्रंथ 'बीजक' के एक पद उन कहे हें-"ज्यूं बिम्बहिं प्रतिबिम्ब समाना, उदिक कुम्भ बिगराना, कहैं कबीर जानि भ्रम भागा शिव ही जीव समाना".. एकर ले स्पष्ट हे- उन दूनोंच ल एके कहे हें.. जइसे समुंदर म छछले पानी निराकार होथे, फेर उही पानी ल एक मरकी म भर देबे, त वो मरकी के रूप धर लेथे..  माने साकार हो जाथे.
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-अहा..जाड़ ह भारी दंदोरत हे जी भैरा.. चलना रउनिया तापे बर नइ जावस? 
    -चलना संगी कोंदा.. ए मकरसंक्रांति कब आही तेने ल गुनथौं जी.. तब बुजा जाड़ के सपेटा ले थोकिन बाॅंचे असन जनाही.. अभी तो भारी लेद-बरेद होगे हे भई हमर असन सियान-सामरत मनला.
   -हाँ ए बात तो हे जी.. मकरसंक्रांति के पाछू  फेर बसंत के आरो घलो जनाए लगही.. वइसे दिन ह बड़का होय के शुरुआत तो 21 दिसंबर ले ही होगे हावय जी संगी.. फेर जनाय असन लागथे हमन ल मकर संक्रांति के सुरूज नरायन के उत्तरायण होए के पाछू ही.
   -अच्छा.. अइसे हे का? 
   -हहो.. सबले बड़का रतिहा 22 दिसंबर के होथे. वोकर पाछू फेर रतिहा के बेरा म कमी अउ दिन के बेरा म बढ़ोत्तरी होवत जाथे, जे हा 21 जून तक चलथे. इही 21 जून ह बछर भर के सबले बड़का दिन होथे, जेला आजकाल हमन विश्व योग दिवस के रूप म मनाथन.
   -हव मनाथन तो.. तहाँ ले दिन छोटे अउ रतिहा बड़का होय के शुरुआत हो जाथे कहिदे.
   -हहो.. अइसने बानी के दिन अउ रात म घट-बढ़ चलत रहिथे.
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-हसदेव के जंगल ल फेर काटे-उजारे के सोर सुनावत हे जी भैरा.
   -हाँ सुनावत तो हे जी कोंदा.. अब देश के विकास खातिर बिजली चाही, त कोइला खदान के संख्या म बढ़ोत्तरी तो करेच बर लागही.
   -फेर मोला ए ह उचित नइ जनावय संगी.. सरकार ल ऊर्जा के वैकल्पिक व्यवस्था डहार जादा चेत करना चाही.
   -हाँ करना तो चाही.. काबर हमला विकास खातिर बिजली चाही त मानव जाति संग जम्मो जीव-जंत के रक्षा खातिर जंगल-झाड़ी घलो चाही.
   -सिरतोन आय.. बिना जंगल-झाड़ी अउ पर्यावरण के काकरो भी जिनगी के कल्पना नइ करे जा सकय. 
   -हव जी.. सौर ऊर्जा जेन हमर बर सबले बड़का ऊर्जा के स्रोत हो सकथे, तेकर वतका उपयोग नइ हो पावत हे, जतका होना चाही.
    -सबो किसम के वैकल्पिक ऊर्जा के व्यवस्था होना चाही. सरकार ह बिजली बिल हाफ जइसन योजना के द्वारा जनता ल जेन सोहलियत देथे, तेन जम्मो पइसा ल वैकल्पिक ऊर्जा खातिर लगाना चाही, तभे हमला भविष्य म विकास अउ पर्यावरण के संघरा दर्शन हो पाही.
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-अभी के नवा सरकार म ए नारा ह गजब सोर बगरावत हे जी भैरा- 'हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे'.
   -वइसे बात तो सिरतोन जनाथे जी कोंदा.. काबर ते हमन ल अलग राज के चिन्हारी तो इहीच मन दिए हें.
   -हाँ जी.. फेर हमर महतारी भाखा ल हिंदी संग संघार के राजभाषा के दर्जा घलो तो इंकरेच बखत मिले रिहिसे.
   -सिरतोन कहे संगी.. फेर तोला अइसे नइ जनावय के ए राजभाखा के गोठ ह अभी तक अधुरच असन हे? 
   -हाँ.. हे बर तो अधुरच हे.. अउ जब तक ए ह शिक्षा अउ राजकाज के भाखा नइ बन जाही तब तक अधूरा रइही.
   -मोला इहू जरूरी जनाथे संगी के छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ी साहित्य अकादमी अउ सांस्कृतिक संवर्धन संस्थान के गठन घलो होना चाही.
    -जरूर होना चाही.. साहित्य अकादमी म साहित्यकार मनला संघार के कारज करना चाही, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग म वो मनला संघारना चाही, जे मन इहाँ के महतारी भाखा खातिर ही सरलग कारज करत हें. अइसने कला-संस्कृति खातिर कारज करइया मनला सांस्कृतिक संवर्धन संस्थान म संघार के कारज करना चाही. तभे हमर चिन्हारी के सबो अंग के बढ़वार सही गढ़न के हो पाही.
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-एक डहार जिहां बिजली खातिर हसदेव के जंगल ल उजारे के उदिम चलत हे, उहें बस्तर के एक गाँव टाइपदर ले बोहाने वाला नरवा गणेशबहार ले पनबिजली बना के दू सौ एकड़ खेत मन के सिंचाई करे के संग गाँव म अंजोर बगराए बर 16 किलोवॉट बिजली अमराए के खबर आए हे जी भैरा.
    -ए तो गजब निक खबर आय जी कोंदा.. हमन तो कब के गोहरावत हावन के वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत मनला बढ़ाए जाय.
   -हव जी.. जगदलपुर ले 40 किमी दुरिहा कावापाल पंचायत के अंतर्गत अवइया गाँव टाइपदर म ए पनबिजली के कारनामा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर के प्रोफेसर पुनीत सिंह ह करे हे.
   -अच्छा..! 
   -हव.. अपन खुद के पइसा ले संगी.. वोला ए कारज ल सफल करे म 14 बछर लागे हे.. बछर 2009 म ए उदिम म उन भीड़े रिहिन हें, तेन ह अब सफल होइस हे.
   -वाह भई.. जब एक अकेल्ला मनखे ह अपन खुद के प्रयास ले अतेक बड़े बुता कर सकथे, त सरकार संग जम्मो समाज मन एकमई प्रयास करहीं, तब तो अउ जबर बुता हो जाही संगी.
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-हमर छत्तीसगढ़ के तीन किसम के धान म कैंसर के रोग ल ठीक करे के तत्व पाए गे हे जी भैरा.
    -ए तो गजब के खबर आय जी कोंदा.. वइसे कोन कोन किसम के धान म? 
    -गठवन, महाराजी अउ लाइचा.. ए तीन किसम के धान म फेफड़ा अउ स्तन कैंसर के कोशिका मनला खतम करे के गुण भाभा एटामिक रिचर्स सेंटर अउ इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा करे गे शोध कारज म होय हे. वइसे अभी ए शोध कारज ह मुसवा मन ऊपर ही होय हे, मनखे मन ऊपर करे खातिर केंद्र सरकार जगा अनुमति माँगे गे हवय. 
    -बहुत बढ़िया जी संगी.
    -वइसे इहाँ के कृषि विवि जगा 23250 किसम के धान हे, जेमा के 13 किसम के धान ल औषधीय गुण खातिर चिन्हे गे हे, जेमा के ए तीन ऊपर शोध कारज होय हे. वैज्ञानिक मन के कहना हे- रोज कहूँ एमा के 200 ग्राम चॉंउर के सेवन करे जाय त हमर शरीर म कैंसर रोके खातिर पर्याप्त तत्व पहुँच जाही.
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-'हमन बनाए हन, त हमीं मन सजाबो' ए नारा ह सुने म कतका सुघ्घर लागथे जी भैरा.
    -हाँ लागथे तो जी कोंदा.. भई जे मन अपन घर-कुरिया ल बनाथें, उहिच मन तो वोला सजाथे-सम्हराथे घलो न. 
   -फेर राजनीति क्षेत्र के बनई अउ संवरई ह थोरिक आने बानी के जनावत हे संगी.
   -कइसे भला? 
   -हमर इहाँ के पुरखौती मेला-मड़ई के संस्कृति म फेर नकली कुंभ झपइया हे तइसे जनावत हे.
    -अइसे का..! 
   -हहो.. इहाँ के राजिम पुन्नी मेला ल कुंभ के नॉव दे के पारंपरिक स्वरूप ल पहिली बिगाड़े रिहिन हें, तेला तो जानते हावस.
    -हव जी.. पाछू वाले सरकार ह वोला जस के तस पुन्नी मेला के स्वरूप म लाने रिहिसे.. इही हमर परंपरा घलो आय. 
   -हव.. उहीच ल फेर कुंभ के नॉव म जतर-कतर करबो काहत हें.. अभी के नवा सरकार के संस्कृति मंत्री के गोठबात ले अइसने आरो मिलत हे.
   -फेर ए ह बने बात नोहय संगी.. मेला ल बड़का स्वरूप दे के तो स्वागत करथन, फेर एकर नॉव अउ स्वरूप के बदलई ह इहाँ के परंपरा के हत्या बरोबर हे.
   -सही आय जी.. कम से कम आदिवासी मुखिया के कार्यकाल म तो परंपरा के बिगाड़ के भरोसा नइ रिहिसे.
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-हमर छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज के मनला जानथस नहीं जी भैरा? 
   -हाँ जानबे कइसे नहीं जी कोंदा.. हमन उनला रमरमिहा कहिथन.
   -हाँ ठउका जाने.. ए मन असल म दलित वर्ग के आय, जे मनला इहाँ के धरम-करम के गौंटिया मन मंदिर-देवाला म जाके पूजा-दरसन करे बर छेंका-रूंधा कर दिए रिहिन हें.
   -अच्छा..! 
   -हव.. मैं एकर मन संग कतकों बेर मुंहाचाही करत रेहे हौं.
   -अच्छा.. 
  -हव.. तब ए मन बतावंय के हमन ल जब मंदिर-देवाला म जाए के रोका-छेंका होगे, त हमन निराकार ब्रह्म ल राम के रूप मान के वोकरे उपासना करे लगेन.. एकरे सेती सैकड़ों बछर ले अपन देंह-पॉंव, कपड़ा-लत्ता सबोच म राम राम गोदवा डारथन. एमा के एक झन सियान ह बतावत रिहिसे के हमर राम ह राजा दशरथ के बेटा नहीं, भलुक निराकार ब्रह्म आय. 
   -चाहे कोनो रूप के उपासना होय संगी.. आय तो राम के ही उपासना.. अउ अइसन बेरा म जब पूरा देश दुनिया के लोगन 22 जनवरी के अयोध्या म रामलला के प्राण प्रतिष्ठा  होय के नेवता झोंक के उहाँ जावत हें, त एहू रामभक्त मनला नेवता तो मिलना ही चाही.
   -कहे बर तो सिरतोन कहिथस संगी, फेर ए मनला आजो कहूँ सिरिफ दलित नजरिया ले ही देखे जावत होही त धरम के गौंटिया मन कइसे इनला उहाँ देखे अउ नेवते सकहीं?
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-सुनत हस जी भैरा.. मरे मनखे के दशगात्र जेला ए मन कतला कहिथें उही दिन वोकर नॉव म बजार भराथे, जिहां रुपिया पइसा म नहीं, भलुक पखरा म समान बिसाए जाथे.
   -अइसन सिरतोन होथे जी कोंदा? 
   -हव.. हमर बस्तर के ए ह पुरखौती परंपरा आय. कोनो मनखे के मरे के बाद उनला देवता बरोबर पितर मान के वोकर बर गाँव के बने असन जगा म बजार लगाए जाथे.. उंकर मान्यता हे के जब तक मृतक के सबो क्रियाकर्म नइ हो जाय तब तक वोकर आत्मा ह अपन घर के आसपास ही रहिथे, एकरे सेती वोकर बर सबो किसम के जिनिस मन के बजार लगाए जाथे.. तेमा वो ह अपन मनपसंद के जिनिस बिसा लेवय. अभी पाछू दिन जगदलपुर जगा के चितापदर गाँव म अइसने बजार भराए रिहिसे.
   -बढ़िया परंपरा हे भई.. ए किसम पूरा अंतिम संस्कार होय के पाछू फेर वो मृतात्मा ह पितरदेव म शामिल होथे कहिदे.
   -हव.. ए बेरा म मृतक के घर वाले मनला अशुभहा माने जाथे, तेकर सेती भंडारी के देखरेख म ए सबो कारज होथे.
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-हिंदी दिवस के जोहार जी भैरा.
   -अरे.. 14 सितम्बर के तो जोहारे रेहे न संगी कोंदा.. फेर आज अउ..!
   -हव जी आज विश्व हिंदी दिवस आय न.. अउ 14 सितम्बर के हमर राष्ट्रीय हिंदी दिवस रिहिसे.
   -अच्छा.. त एला दू अलग अलग पइत मनाए के अलग अलग कारण होथे का? 
   -नहीं जी संगी.. उद्देश्य तो एके आय.. हिंदी के प्रसार करना ही.. हाँ भई दूनों के भौगोलिक क्षेत्र के विस्तार भर म अंतर हे, एक सिरिफ देश भर म हे अउ दूसर पूरा दुनिया म हे.
    -तारीख म घलो तो अंतर हे..! 
   -हव.. 14 सितम्बर 1949 के संविधान सभा म पारित हिंदी ल बछर 1953 ले आधिकारिक रूप म राष्ट्रीय हिंदी दिवस तो मनावत आवत हवन, फेर जब 10 जनवरी 1974 के हिंदी के पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन नागपुर म होइस त फेर इही 10 जनवरी ल हिंदी ल अंतर्राष्ट्रीय स्तर म प्रचार करे बर विश्व हिंदी दिवस घलो मनाए लगेन.. एकरे आज जोहार हे.
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-हमर इहाँ अइसन कतकों सामाजिक धार्मिक क्षेत्र के ऐतिहासिक व्यक्तित्व होए हें जी भैरा जेकर मन के नॉव ल बदल के आने-आने कर के मूल चिन्हारी ल अनदेखा करे जावत हे.
   -अइसन महूं ल जनाथे संगी.. छत्तीसगढ़ म अइसन कतकों ठउर हे जेला बाहिर ले आए लोगन या उंकर आस्था के मापदंड म लहुटा दिए गे हे.
   -हव जी.. अब हमर छत्तीसगढ़ के हृदय स्थल राजिम के ऐतिहासिक मंदिर राजिमलोचन ल ही देख ले, ए ह भक्तिन राजिम दाई के नॉव म रिहिसे, फेर अब वोकर चिन्हारी राजीवलोचन के रूप म होगे हे.
   -हाँ.. ए बात तो हे.. राजिम दाई ल भगवान के मूर्ति ह इहाँ त्रिवेणी संगम म मिले रिहिसे, जेला वो ह मंदिर म स्थापित करे बर दिए रिहिसे, तेकर सेती वो देवता ल राजिमलोचन कहे गिस.
   -हव जी अउ संग म वो शहर के नॉव ल घलो राजिम दाई के नॉव म ही राजिम रखे गिस.
   -सही आय संगी.. अइसन जम्मो उदिम ह हमर पुरखौती चिन्हारी मन के अनदेखी आय..हमर रायपुर के बूढ़ा तरिया के घलो तो इही हाल हे.. संबंधित जिम्मेदार लोगन ल एमा चेत करना चाही.
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-हमर सुप्रीम कोर्ट ह भले किन्नर मनला तृतीय लिंग के चिन्हारी देके उनला समानता के अधिकार अउ पहचान दिए हे, तभो ले एकर मन के उपेक्षा अउ तिरस्कार सबोच डहार देखे ले मिल जाथे जी भैरा.
   -सिरतोन आय जी कोंदा.. दाई-ददा, घर-परिवार सबोच म उपेक्षित होय के सेती ए मन एकांकी जीवन जीए बर मजबूर हें.
   -हव जी.. वइसे हमर छत्तीसगढ़ शासन ह ए मनला पुलिस विभाग म भर्ती करे के उदिम शुरू करे हे.. एक दू विभाग म घलो इंकर पूछ-परख होवत हे, फेर जब तक समाज ह ए मनला अपन अंग मान के बरोबरी के सम्मान नइ दिही तब तक सब बिरथा हे.
   -हव संगी.. अभी रायपुर म इंकर मन के 7 ले 10 जनवरी तक अखिल भारतीय महासम्मेलन होइस हे, जेमा देश भर के किन्नर समाज के प्रमुख मन सकलाय रिहिन हें.. अपन दुख-सुख ऊपर गोठ करीन हें.. फेर मीडिया ल देख ले एकर मन के बने असन सोर-खबर नइ लिन.
   -हव जी.. जेन खबर के कोनो मतलब नइ राहय, तेन मन तो रेडियो टीवी अउ पेपर मन म छाए रहिथे, फेर समाज के अतेक महत्वपूर्ण अंग ह खबर म बने गतर के ठउर नइ पाइस.
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Monday 1 January 2024

अई .. इहाँ के रहइया नोहय...

अई .. इहाँ के रहइया नोहय... 
    मशाल के भभका अंजोर म चिकारा, तमुरा अउ करताल संग म होवत खड़े साज ले कनिहा म तबला पेटी बांध के नाचत नाचा ले लेके आज के जगर-बगर अंजोर म झॉंय-झिपिंग होवत सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप म भले सरलग बढ़ोत्तरी देखे जावत हे, फेर जिहां तक मंचीय गरिमा के बात हे, त एकर संदर्भ अउ प्रस्तुति म वो ह थोरिक कमी आए असन जनाथे.
   मैं ह नाचा के वो खड़े साज वाले रूप ल घलो देखे हौं, जेमा मशाल के अंजोर म गाँव के कोनो चौंक-चाकर जगा म चार ठन बांस ल गड़िया के रात भर विशुद्ध जनरंजन के कार्यक्रम देखाए जावय. बिना माईक के होवइया ए कार्यक्रम म पारंपरिक गीत मन के संगे-संग समसामयिक विषय मन ऊपर तुकबंदी के शैली म जोड़े गे गीत मन के बीच म सामाजिक अउ राजनैतिक विसंगति ले जुड़े विषय म बड़ सुघ्घर गढ़न के पिरोए जाय. वो बेरा ह स्वाधीनता आन्दोलन के रिहिसे तेकर सेती नाचा प्रसंग मन म गाँधी बबा के संग देश ल आजादी देवया के जबर उदिम के आरो मिल जावत रिहिसे.
    खड़े साज के बाद हारमोनियम तबला संग बइठ के गावत-बजावत नाचा के घलो अबड़ मजा ले हावन. तब तक माईक अउ कमती पॉवर वाले बिजली-बत्ती आगे रिहिसे. 
    हमन स्कूल-कॉलेज के पढ़त ले एकर भारी आनंद ले हावन. वइसे तो हमर खुद के गाँव नगरगाँव म घलो अलवा-जलवा नाचा पार्टी रिहिसे, तभो कोस दू-चार कोस के दुरिहा म कोनो गाँव म नाचा होय के आरो मिलय त दू-चार संगी संघर के उहाँ सइकिल म धमकीच देवत रेहेन. हमर गाँव के खंड़ म बसे बोहरही धाम म हर बछर महाशिवरात्रि के बेरा तीन दिन के जबर मेला भराथे. एमा रतिहा बेरा नाचा के कार्यक्रम तो होबेच करथे. कभू-कभू तो अइसनो हो जावय के एकेच रतिहा म दू अलग अलग जगा एके संग नाचा के कार्यक्रम चल जावय. तब हमन दर्शक दीर्घा के नाचा प्रेमी होय के संग वालंटियर के बुता घलो कर डारत रेहेन. तब परी मनला मोजरा देखाय के अलगेच सेवाद राहय. तीन-सेलिया टार्च के बटन ल चपक के परी के मुंह म अंजोर मारन त वो ह स्टेज म नचई-गवई ल छोड़ के हमर मन तीर म आ धमकय. 
   हमन सब संगी बरार के पॉंच-दस जतका सका जाय ततका रुपिया देके बिदा करन तहाँ ले वोहा मंच म जाके सर्रावय-
    अई.. इहाँ के रहइया नोहय.. रहिथे नगरगाँव गा.. अउ का सुशील कहिथे तइसे वोकर नॉव गा.. पास म बलाके मयारु दिसे दू के नोट गा..  मैं तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा करती हूँ.. अउ सुनथस गा बजकाहर का किहिसे तेला..? 
   -ले सुनाना बाई.. सुनाना ओ.. 
   -ओ किहिसे- चलना-चलना जाबो बोहरही के बजार .. तोर बर लुहूं चूरी-पटा अउ पहिनाहूं सोनहा ढार.. 
    बछर 1970 के दशक म फेर नाचा ल अउ परिष्कृत कर के सांस्कृतिक मंच के स्वरूप दे गइस. दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ल एकर श्रेय जाथे. जइसे खड़े साज ल हारमोनियम तबला संग बइठ के नाचा के सुघ्घर रूप दे के श्रेय दाऊ मंदरा जी ल जाथे ठउका वइसनेच.
    मैं व्यक्तिगत रूप ले साहित्य अउ पत्रकारिता के संग जुड़े रेहे के संग ही आडियो रिकार्डिंग स्टूडियो के संचालन घलो करत रेहेंव, तेकर सेती मोर उठक-बइठक ह कला, साहित्य, संगीत सबोच क्षेत्र के पोठहा लोगन संग होवत रिहिसे. इंकर मन संग मुंहाचाही घलो होवय, जेला पत्र-पत्रिका म छापत घलो रेहेन. 
    खड़े साज ले जेन नाचा अउ फेर नाचा ले सांस्कृतिक मंच तक के विकासयात्रा होवत हमर ए मंचीय प्रस्तुति ह आगू बढ़े हे, तेकर संबंध म मैं दाऊ रामचंद्र देशमुख, दाऊ महासिंह चंद्राकर, खुमान साव, कोदूराम वर्मा, लक्ष्मण मस्तुरिया आदि जइसन जम्मोच कला-संस्कृति के रखवार मन संग गोठबात करत रेहेंव. सबोच झन एकर विषय अउ प्रस्तुति म सरलग आवत गिरावट ऊपर चिंतित रिहिन. अभी जइसे कवि सम्मेलन के मंच मन म हास्य के नॉव म फूहड़ता अउ अश्लीलता घलो ह अपन ठउर बना डारथे ठउका वइसनेच सांस्कृतिक मंच म घलो एकर मन के आरो मिल जाथे.
    पहिली गीत-संगीत ल विस्तार दे बर तावा आइस, जेला ग्रामोफोन काहन. एकर पाछू आडियो कैसेट आइस. इही आडियो कैसेट के चलन बाढ़े के संग इहाँ के मयारुक गीत मन म हल्का-फुल्का गीत मन धीरे धीरे संघरत गीन. तब फेर ए कैसेट के गीत के हल्का पन ह मंच के प्रस्तुति म घलो जनाए लगिस. एक बेरा अइसनो आइस जब एकरे मन के बोलबाला दिखे लागिस. ए मनला प्रोत्साहित करे म आडियो कैसेट कंपनी वाले मन के विशेष हाथ हे, जे मन आडियो के संगे-संग विडीयो घलो बनाए लगे रिहिन हें. वइसे बड़का सांस्कृतिक मंच वाले मन तो कइसनो कर के मंच के गरिमा ल बचाए के जतन करत रहिथें आजो करत हें, फेर जे मन चार-छै झनला जोर-सकेल के गावत-नाचत रहिथें अइसने मन आडियो विडीयो कंपनी वाले मन के झॉंसा म झट फंस जाथें. उन जइसे गढ़न के नाचे-गाये बर कहिथें, बिन सोचे-गुने वइसनेच कूद-फांद देथें.
    हमर लोक संगीत के अइसन दुर्दशा ल देख के कतकों बेर विचार आथे- जइसे सिनेमा मन के प्रदर्शन के पहिली उनला फिल्म प्रमाणन बोर्ड ले अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी होथे, ठउका वइसनेच लोक कला अउ संगीत क्षेत्र खातिर घलो एक अइसे संस्थान बनना चाही, जे ह अइसन जम्मो किसम के गीत, संगीत अउ सांस्कृतिक प्रस्तुति मन के सोर-खबर लेवत राहय.
   सांस्कृतिक मंच मन के भारी बढ़ोत्तरी के बाद घलो अभी नाचा पार्टी वाले मन के कभू-कभार दर्शन हो जाथे. ए पार्टी वाले मन के प्रदर्शन ल देख के अभी घलो मन ल थोक संतोष जनाथे, के इन फूहड़ता अउ अश्लीलता ले अभी घलो इनला बंचा के राखे हावंय.
   अभी बीते बछर म नाचा कलाकार डोमार सिंह कुंवर ल पद्मश्री के उपाधि ले सम्मानित करे गे रिहिसे जे हा हमर पुरखौती परंपरा के संरक्षण संवर्धन खातिर प्रोत्साहित करे के बड़का उदिम आय. भरोसा हे, अउ दूसर कलाकार मन घलो पुरखौती परंपरा ल संजो के रखे के रद्दा म आगू आहीं. मंच के गरिमा ल बनाए रखहीं.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811