Wednesday 10 January 2024

कोंदा भैरा के गोठ-12

कोंदा भैरा के गोठ-12

-हमर इहाँ कतकों अइसन संत-महात्मा होए हें, जेकर ज्ञान अउ दर्शन ल उंकर अनुयायी मन लुकाए या एती-तेती भटकाए के उदिम घलो कर डारथें जी भैरा.
    -हाँ.. अइसन ढंग के तो महूं ल जनाथे जी कोंदा.
    -अब देखना सतगुरु कबीर साहेब ल ही.. वो मन निराकार परमात्मा के उपासना के रद्दा तो बताए हें, फेर वोला उन साकार अउ निराकार दूनोंच रूप एकेच आय घलो कहे हें, फेर उंकर ए महत्वपूर्ण बात ल  अनुयायी मन कहाँ बताथें.. उल्टा उन साकार के नॉव म अंते-तंते गोठियाए के उदिम जरूर कर देथें.
    -हाँ जी.. कतकों झनला अइसन गोठियावत तो महूं सुने हौं.
   - जबकि कबीर साहेब के महत्वपूर्ण ग्रंथ 'बीजक' के एक पद उन कहे हें-"ज्यूं बिम्बहिं प्रतिबिम्ब समाना, उदिक कुम्भ बिगराना, कहैं कबीर जानि भ्रम भागा शिव ही जीव समाना".. एकर ले स्पष्ट हे- उन दूनोंच ल एके कहे हें.. जइसे समुंदर म छछले पानी निराकार होथे, फेर उही पानी ल एक मरकी म भर देबे, त वो मरकी के रूप धर लेथे..  माने साकार हो जाथे.
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-अहा..जाड़ ह भारी दंदोरत हे जी भैरा.. चलना रउनिया तापे बर नइ जावस? 
    -चलना संगी कोंदा.. ए मकरसंक्रांति कब आही तेने ल गुनथौं जी.. तब बुजा जाड़ के सपेटा ले थोकिन बाॅंचे असन जनाही.. अभी तो भारी लेद-बरेद होगे हे भई हमर असन सियान-सामरत मनला.
   -हाँ ए बात तो हे जी.. मकरसंक्रांति के पाछू  फेर बसंत के आरो घलो जनाए लगही.. वइसे दिन ह बड़का होय के शुरुआत तो 21 दिसंबर ले ही होगे हावय जी संगी.. फेर जनाय असन लागथे हमन ल मकर संक्रांति के सुरूज नरायन के उत्तरायण होए के पाछू ही.
   -अच्छा.. अइसे हे का? 
   -हहो.. सबले बड़का रतिहा 22 दिसंबर के होथे. वोकर पाछू फेर रतिहा के बेरा म कमी अउ दिन के बेरा म बढ़ोत्तरी होवत जाथे, जे हा 21 जून तक चलथे. इही 21 जून ह बछर भर के सबले बड़का दिन होथे, जेला आजकाल हमन विश्व योग दिवस के रूप म मनाथन.
   -हव मनाथन तो.. तहाँ ले दिन छोटे अउ रतिहा बड़का होय के शुरुआत हो जाथे कहिदे.
   -हहो.. अइसने बानी के दिन अउ रात म घट-बढ़ चलत रहिथे.
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-हसदेव के जंगल ल फेर काटे-उजारे के सोर सुनावत हे जी भैरा.
   -हाँ सुनावत तो हे जी कोंदा.. अब देश के विकास खातिर बिजली चाही, त कोइला खदान के संख्या म बढ़ोत्तरी तो करेच बर लागही.
   -फेर मोला ए ह उचित नइ जनावय संगी.. सरकार ल ऊर्जा के वैकल्पिक व्यवस्था डहार जादा चेत करना चाही.
   -हाँ करना तो चाही.. काबर हमला विकास खातिर बिजली चाही त मानव जाति संग जम्मो जीव-जंत के रक्षा खातिर जंगल-झाड़ी घलो चाही.
   -सिरतोन आय.. बिना जंगल-झाड़ी अउ पर्यावरण के काकरो भी जिनगी के कल्पना नइ करे जा सकय. 
   -हव जी.. सौर ऊर्जा जेन हमर बर सबले बड़का ऊर्जा के स्रोत हो सकथे, तेकर वतका उपयोग नइ हो पावत हे, जतका होना चाही.
    -सबो किसम के वैकल्पिक ऊर्जा के व्यवस्था होना चाही. सरकार ह बिजली बिल हाफ जइसन योजना के द्वारा जनता ल जेन सोहलियत देथे, तेन जम्मो पइसा ल वैकल्पिक ऊर्जा खातिर लगाना चाही, तभे हमला भविष्य म विकास अउ पर्यावरण के संघरा दर्शन हो पाही.
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-अभी के नवा सरकार म ए नारा ह गजब सोर बगरावत हे जी भैरा- 'हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे'.
   -वइसे बात तो सिरतोन जनाथे जी कोंदा.. काबर ते हमन ल अलग राज के चिन्हारी तो इहीच मन दिए हें.
   -हाँ जी.. फेर हमर महतारी भाखा ल हिंदी संग संघार के राजभाषा के दर्जा घलो तो इंकरेच बखत मिले रिहिसे.
   -सिरतोन कहे संगी.. फेर तोला अइसे नइ जनावय के ए राजभाखा के गोठ ह अभी तक अधुरच असन हे? 
   -हाँ.. हे बर तो अधुरच हे.. अउ जब तक ए ह शिक्षा अउ राजकाज के भाखा नइ बन जाही तब तक अधूरा रइही.
   -मोला इहू जरूरी जनाथे संगी के छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ी साहित्य अकादमी अउ सांस्कृतिक संवर्धन संस्थान के गठन घलो होना चाही.
    -जरूर होना चाही.. साहित्य अकादमी म साहित्यकार मनला संघार के कारज करना चाही, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग म वो मनला संघारना चाही, जे मन इहाँ के महतारी भाखा खातिर ही सरलग कारज करत हें. अइसने कला-संस्कृति खातिर कारज करइया मनला सांस्कृतिक संवर्धन संस्थान म संघार के कारज करना चाही. तभे हमर चिन्हारी के सबो अंग के बढ़वार सही गढ़न के हो पाही.
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-एक डहार जिहां बिजली खातिर हसदेव के जंगल ल उजारे के उदिम चलत हे, उहें बस्तर के एक गाँव टाइपदर ले बोहाने वाला नरवा गणेशबहार ले पनबिजली बना के दू सौ एकड़ खेत मन के सिंचाई करे के संग गाँव म अंजोर बगराए बर 16 किलोवॉट बिजली अमराए के खबर आए हे जी भैरा.
    -ए तो गजब निक खबर आय जी कोंदा.. हमन तो कब के गोहरावत हावन के वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत मनला बढ़ाए जाय.
   -हव जी.. जगदलपुर ले 40 किमी दुरिहा कावापाल पंचायत के अंतर्गत अवइया गाँव टाइपदर म ए पनबिजली के कारनामा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर के प्रोफेसर पुनीत सिंह ह करे हे.
   -अच्छा..! 
   -हव.. अपन खुद के पइसा ले संगी.. वोला ए कारज ल सफल करे म 14 बछर लागे हे.. बछर 2009 म ए उदिम म उन भीड़े रिहिन हें, तेन ह अब सफल होइस हे.
   -वाह भई.. जब एक अकेल्ला मनखे ह अपन खुद के प्रयास ले अतेक बड़े बुता कर सकथे, त सरकार संग जम्मो समाज मन एकमई प्रयास करहीं, तब तो अउ जबर बुता हो जाही संगी.
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-हमर छत्तीसगढ़ के तीन किसम के धान म कैंसर के रोग ल ठीक करे के तत्व पाए गे हे जी भैरा.
    -ए तो गजब के खबर आय जी कोंदा.. वइसे कोन कोन किसम के धान म? 
    -गठवन, महाराजी अउ लाइचा.. ए तीन किसम के धान म फेफड़ा अउ स्तन कैंसर के कोशिका मनला खतम करे के गुण भाभा एटामिक रिचर्स सेंटर अउ इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा करे गे शोध कारज म होय हे. वइसे अभी ए शोध कारज ह मुसवा मन ऊपर ही होय हे, मनखे मन ऊपर करे खातिर केंद्र सरकार जगा अनुमति माँगे गे हवय. 
    -बहुत बढ़िया जी संगी.
    -वइसे इहाँ के कृषि विवि जगा 23250 किसम के धान हे, जेमा के 13 किसम के धान ल औषधीय गुण खातिर चिन्हे गे हे, जेमा के ए तीन ऊपर शोध कारज होय हे. वैज्ञानिक मन के कहना हे- रोज कहूँ एमा के 200 ग्राम चॉंउर के सेवन करे जाय त हमर शरीर म कैंसर रोके खातिर पर्याप्त तत्व पहुँच जाही.
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-'हमन बनाए हन, त हमीं मन सजाबो' ए नारा ह सुने म कतका सुघ्घर लागथे जी भैरा.
    -हाँ लागथे तो जी कोंदा.. भई जे मन अपन घर-कुरिया ल बनाथें, उहिच मन तो वोला सजाथे-सम्हराथे घलो न. 
   -फेर राजनीति क्षेत्र के बनई अउ संवरई ह थोरिक आने बानी के जनावत हे संगी.
   -कइसे भला? 
   -हमर इहाँ के पुरखौती मेला-मड़ई के संस्कृति म फेर नकली कुंभ झपइया हे तइसे जनावत हे.
    -अइसे का..! 
   -हहो.. इहाँ के राजिम पुन्नी मेला ल कुंभ के नॉव दे के पारंपरिक स्वरूप ल पहिली बिगाड़े रिहिन हें, तेला तो जानते हावस.
    -हव जी.. पाछू वाले सरकार ह वोला जस के तस पुन्नी मेला के स्वरूप म लाने रिहिसे.. इही हमर परंपरा घलो आय. 
   -हव.. उहीच ल फेर कुंभ के नॉव म जतर-कतर करबो काहत हें.. अभी के नवा सरकार के संस्कृति मंत्री के गोठबात ले अइसने आरो मिलत हे.
   -फेर ए ह बने बात नोहय संगी.. मेला ल बड़का स्वरूप दे के तो स्वागत करथन, फेर एकर नॉव अउ स्वरूप के बदलई ह इहाँ के परंपरा के हत्या बरोबर हे.
   -सही आय जी.. कम से कम आदिवासी मुखिया के कार्यकाल म तो परंपरा के बिगाड़ के भरोसा नइ रिहिसे.
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-हमर छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज के मनला जानथस नहीं जी भैरा? 
   -हाँ जानबे कइसे नहीं जी कोंदा.. हमन उनला रमरमिहा कहिथन.
   -हाँ ठउका जाने.. ए मन असल म दलित वर्ग के आय, जे मनला इहाँ के धरम-करम के गौंटिया मन मंदिर-देवाला म जाके पूजा-दरसन करे बर छेंका-रूंधा कर दिए रिहिन हें.
   -अच्छा..! 
   -हव.. मैं एकर मन संग कतकों बेर मुंहाचाही करत रेहे हौं.
   -अच्छा.. 
  -हव.. तब ए मन बतावंय के हमन ल जब मंदिर-देवाला म जाए के रोका-छेंका होगे, त हमन निराकार ब्रह्म ल राम के रूप मान के वोकरे उपासना करे लगेन.. एकरे सेती सैकड़ों बछर ले अपन देंह-पॉंव, कपड़ा-लत्ता सबोच म राम राम गोदवा डारथन. एमा के एक झन सियान ह बतावत रिहिसे के हमर राम ह राजा दशरथ के बेटा नहीं, भलुक निराकार ब्रह्म आय. 
   -चाहे कोनो रूप के उपासना होय संगी.. आय तो राम के ही उपासना.. अउ अइसन बेरा म जब पूरा देश दुनिया के लोगन 22 जनवरी के अयोध्या म रामलला के प्राण प्रतिष्ठा  होय के नेवता झोंक के उहाँ जावत हें, त एहू रामभक्त मनला नेवता तो मिलना ही चाही.
   -कहे बर तो सिरतोन कहिथस संगी, फेर ए मनला आजो कहूँ सिरिफ दलित नजरिया ले ही देखे जावत होही त धरम के गौंटिया मन कइसे इनला उहाँ देखे अउ नेवते सकहीं?
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-सुनत हस जी भैरा.. मरे मनखे के दशगात्र जेला ए मन कतला कहिथें उही दिन वोकर नॉव म बजार भराथे, जिहां रुपिया पइसा म नहीं, भलुक पखरा म समान बिसाए जाथे.
   -अइसन सिरतोन होथे जी कोंदा? 
   -हव.. हमर बस्तर के ए ह पुरखौती परंपरा आय. कोनो मनखे के मरे के बाद उनला देवता बरोबर पितर मान के वोकर बर गाँव के बने असन जगा म बजार लगाए जाथे.. उंकर मान्यता हे के जब तक मृतक के सबो क्रियाकर्म नइ हो जाय तब तक वोकर आत्मा ह अपन घर के आसपास ही रहिथे, एकरे सेती वोकर बर सबो किसम के जिनिस मन के बजार लगाए जाथे.. तेमा वो ह अपन मनपसंद के जिनिस बिसा लेवय. अभी पाछू दिन जगदलपुर जगा के चितापदर गाँव म अइसने बजार भराए रिहिसे.
   -बढ़िया परंपरा हे भई.. ए किसम पूरा अंतिम संस्कार होय के पाछू फेर वो मृतात्मा ह पितरदेव म शामिल होथे कहिदे.
   -हव.. ए बेरा म मृतक के घर वाले मनला अशुभहा माने जाथे, तेकर सेती भंडारी के देखरेख म ए सबो कारज होथे.
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-हिंदी दिवस के जोहार जी भैरा.
   -अरे.. 14 सितम्बर के तो जोहारे रेहे न संगी कोंदा.. फेर आज अउ..!
   -हव जी आज विश्व हिंदी दिवस आय न.. अउ 14 सितम्बर के हमर राष्ट्रीय हिंदी दिवस रिहिसे.
   -अच्छा.. त एला दू अलग अलग पइत मनाए के अलग अलग कारण होथे का? 
   -नहीं जी संगी.. उद्देश्य तो एके आय.. हिंदी के प्रसार करना ही.. हाँ भई दूनों के भौगोलिक क्षेत्र के विस्तार भर म अंतर हे, एक सिरिफ देश भर म हे अउ दूसर पूरा दुनिया म हे.
    -तारीख म घलो तो अंतर हे..! 
   -हव.. 14 सितम्बर 1949 के संविधान सभा म पारित हिंदी ल बछर 1953 ले आधिकारिक रूप म राष्ट्रीय हिंदी दिवस तो मनावत आवत हवन, फेर जब 10 जनवरी 1974 के हिंदी के पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन नागपुर म होइस त फेर इही 10 जनवरी ल हिंदी ल अंतर्राष्ट्रीय स्तर म प्रचार करे बर विश्व हिंदी दिवस घलो मनाए लगेन.. एकरे आज जोहार हे.
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-हमर इहाँ अइसन कतकों सामाजिक धार्मिक क्षेत्र के ऐतिहासिक व्यक्तित्व होए हें जी भैरा जेकर मन के नॉव ल बदल के आने-आने कर के मूल चिन्हारी ल अनदेखा करे जावत हे.
   -अइसन महूं ल जनाथे संगी.. छत्तीसगढ़ म अइसन कतकों ठउर हे जेला बाहिर ले आए लोगन या उंकर आस्था के मापदंड म लहुटा दिए गे हे.
   -हव जी.. अब हमर छत्तीसगढ़ के हृदय स्थल राजिम के ऐतिहासिक मंदिर राजिमलोचन ल ही देख ले, ए ह भक्तिन राजिम दाई के नॉव म रिहिसे, फेर अब वोकर चिन्हारी राजीवलोचन के रूप म होगे हे.
   -हाँ.. ए बात तो हे.. राजिम दाई ल भगवान के मूर्ति ह इहाँ त्रिवेणी संगम म मिले रिहिसे, जेला वो ह मंदिर म स्थापित करे बर दिए रिहिसे, तेकर सेती वो देवता ल राजिमलोचन कहे गिस.
   -हव जी अउ संग म वो शहर के नॉव ल घलो राजिम दाई के नॉव म ही राजिम रखे गिस.
   -सही आय संगी.. अइसन जम्मो उदिम ह हमर पुरखौती चिन्हारी मन के अनदेखी आय..हमर रायपुर के बूढ़ा तरिया के घलो तो इही हाल हे.. संबंधित जिम्मेदार लोगन ल एमा चेत करना चाही.
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-हमर सुप्रीम कोर्ट ह भले किन्नर मनला तृतीय लिंग के चिन्हारी देके उनला समानता के अधिकार अउ पहचान दिए हे, तभो ले एकर मन के उपेक्षा अउ तिरस्कार सबोच डहार देखे ले मिल जाथे जी भैरा.
   -सिरतोन आय जी कोंदा.. दाई-ददा, घर-परिवार सबोच म उपेक्षित होय के सेती ए मन एकांकी जीवन जीए बर मजबूर हें.
   -हव जी.. वइसे हमर छत्तीसगढ़ शासन ह ए मनला पुलिस विभाग म भर्ती करे के उदिम शुरू करे हे.. एक दू विभाग म घलो इंकर पूछ-परख होवत हे, फेर जब तक समाज ह ए मनला अपन अंग मान के बरोबरी के सम्मान नइ दिही तब तक सब बिरथा हे.
   -हव संगी.. अभी रायपुर म इंकर मन के 7 ले 10 जनवरी तक अखिल भारतीय महासम्मेलन होइस हे, जेमा देश भर के किन्नर समाज के प्रमुख मन सकलाय रिहिन हें.. अपन दुख-सुख ऊपर गोठ करीन हें.. फेर मीडिया ल देख ले एकर मन के बने असन सोर-खबर नइ लिन.
   -हव जी.. जेन खबर के कोनो मतलब नइ राहय, तेन मन तो रेडियो टीवी अउ पेपर मन म छाए रहिथे, फेर समाज के अतेक महत्वपूर्ण अंग ह खबर म बने गतर के ठउर नइ पाइस.
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