Wednesday 25 May 2022

छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान बर संघर्ष रामाधार कश्यप

6 जुलाई पुण्यतिथि म सुरता//
छत्तीसगढ़ के शोषण अउ स्वाभिमान बर जिनगी भर संघर्ष करीन रामाधार कश्यप जी....

राज बनगे राज बनगे, देखे सपना धुआँ होगे
चारों मुड़ा कोलिहा मन के, देखौ हुआँ हुआँ होगे...

का-का सपना देखे रिहिन, पुरखा अपन राज बर
नइ चाही उधार के राजा, हमला सुख-सुराज बर
राजनीति के पासा लगथे, महाभारत के जुआ होगे...

    छत्तीसगढ़ राज आन्दोलन के संगे-संग छत्तीसगढ़िया मन के शोषण, स्वाभिमान अउ अधिकार खातिर जतका झन संघर्ष करे रिहिन हें, सब के मन म ए बात ह जरूर उठत रिहिसे, के का जेन उद्देश्य ल लेके छत्तीसगढ़ राज के आन्दोलन म संघरेन, वो ह आज राज बने के कोरी भर बछर बुलके के बाद घलो पूरा हो पाय हे? अउ कहूँ नइ हो पाय हे, त काबर नइ हो पाय हे? का एकर खातिर हमला सरलग संघर्ष के रद्दा ल जारी नइ रखना चाही?

     छत्तीसगढ़ राज के स्वप्नदृष्टा डाॅ. खूबचंद बघेल के संग खांध म खांध जोर के संघर्ष करइया रामाधार कश्यप जी के मन घलो ए पीरा जिनगी भर जनावय. जब कभू उंकर संग बात होवय त उन ए बात ल जरूर फोरियावयं अउ एकर बर लगातार संघर्ष करत रहे के बात करयं.

    जांजगीर-चांपा जिला के गाँव चोरभट्ठी म महतारी जानकी देवी अउ सियान भुवन प्रसाद जी कश्यप घर 26 नवंबर 1936 के जनमे रामाधार कश्यप जी संग मोर पहिली बार भेंट तब होए रिहिसे, जब वोमन राज्यसभा के सांसद रिहिन हें. रायपुर के सर्किट हाउस म रूके रिहिन हें. तब उंकर एक राजनीति क्षेत्र के संगवारी छत्रपाल सिरमौर जी ह मोला उंकर संग भेंट करवाए बर लेगे रिहिन हें. असल म रामाधार जी तब छत्तीसगढ़िया मन के शोषण अउ स्वाभिमान ल स्वर दे खातिर छत्तीसगढ़ी भाषा म एक दैनिक अखबार निकालना चाहत रिहिन हें. मोला वोकर जिम्मेदारी सौंपे खातिर बलवाए रिहिन हें.

    वो दिन करीब घंटा भर उंकर संग बइठना होए रिहिसे. छत्तीसगढ़ राज आन्दोलन के शुरुआत ले लेके वर्तमान के दशा-दिशा अउ स्थिति सबके ऊपर जबर चर्चा होए रिहिसे. छत्तीसगढ़ी भाषा म अखबार निकाले के संबंध म उंकर विचार रिहिसे- छत्तीसगढ़िया मन के अधिकार, शोषण अउ संघर्ष के बात ल इहाँ अभी जतका भी मिडिया के मंच हे, कोनो ह सम्मान जनक स्थान अउ महत्व नइ देवय, तेकर सेती आम छत्तीसगढ़िया आज राज निर्माण होए के अतेक दिन बाद घलो शोषित अउ उपेक्षित हे. एकर असली कारण ए आय के, इहाँ के जम्मो मिडिया मन गैर छत्तीसगढ़िया मनके हाथ म हे. एकरे सेती वोमन अपन लोगन मनला तो सजावत-बढ़ावत रहिथें, फेर हमर आदमी मन के न्यायसंगत बात ल घलो लुकाए-तोपे के षडयंत्र करथे. बने गतर के छापय घलो नहीं.

     वोमन छत्तीसगढ़ राज आन्दोलन के बेरा के सुरता करत बताए रिहिन हें- '28 जून 1969 के वोमन अपन संगी मन संग मिलके भोपाल के विधानसभा भवन म पर्ची फेंक के ए अंचल के विधायक मन जगा जवाब मांगे रिहिन हें. ए घटना के सेती तब भारी बवाल माते रिहिसे. एक दिन के सजा घलो सुनाए गे रिहिसे. तब रामाधार जी डाॅ. खूबचंद बघेल जी द्वारा स्थापित 'छत्तीसगढ़ भातृसंघ' म जुड़े रिहिन हें. वो पर्ची वाले घटना के तब अतका असर होए रिहिसे, के तत्कालीन राज्यपाल के द्वारा एक परिपत्र जारी कर के 'छत्तीसगढ़ भातृसंघ' के कोनो भी किसम के कार्यक्रम म सरकारी कर्मचारी मन के भाग ले या वोमा सदस्यता ले म प्रतिबंध लगाए गे रिहिसे. ए परिपत्र के कश्यप जी जबर विरोध करे रिहिन हें. तब सरकार ह अपन वो परिपत्र ल निरस्त कर रिहिसे. ए घटना ल छत्तीसगढ़ भातृसंघ के बड़का जीत के रूप म देखे जावत रिहिसे.

    रामाधार जी डाॅ. खूबचंद बघेल के सैद्धांतिक रूप म जबर अनुयायी रिहिन हें. एकरे सेती डाॅ. बघेल जब कभू बिलासपुर क्षेत्र के दौरा म राहयं त रतिहा ल कश्यप जी के इहाँ ही बितावयं.
    रामाधार कश्यप जी के चार बेटी अउ दू बेटा के भरे-पूरे परिवार म उंकर सबले बड़े बेटी डाॅ. शारदा कश्यप जी संग घलो मोर अच्छा संबंध रिहिसे. हमन छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति अउ जम्मो अस्मिता के संरक्षण संवर्धन खातिर एक समिति 'आदि धर्म जागृति संस्थान' के गठन करे रेहेन, एमा शारदा जी के सक्रिय सहयोग मिलत रहय. उंकर माध्यम ले घलो रामाधार जी के गतिविधि मन के जानकारी मिलत रहय. हमर इही समिति के वार्षिकोत्सव जेन 3 मार्च 2021 के रायपुर के वृंदावन सभागार म संपन्न होए रिहिसे, एमा कश्यप जी घलो अतिथि के रूप म शामिल होए रिहिन हें. अउ ए ह कतेक संयोग के बात आय, के हमर समिति के इही कार्यक्रम ह कश्यप जी के जिनगी के अंतिम सार्वजनिक कार्यक्रम साबित होइस. तब महूं लकवा के अटैक के सेती शारीरिक रूप ले अकेला कहूँ आए-जाए के लाइक नइ रेहेंव. कश्यप जी तब मोर पीठ ल थपथपा के आशीष देवत कहे रिहिन हें- 'जल्दी ठीक हो, छत्तीसगढ़ महतारी ल तोर बहुत जरूरत हे.'

    हमर वो वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के कुछ दिन बाद ही बिलासपुर ले संदेश आइस के  6 जुलाई 2021 के उन ए नश्वर दुनिया ले बिदागरी लेके परमधाम के आसन ग्रहण कर लिन. उंकर सुरता ल पैलगी-जोहार🙏

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Sunday 22 May 2022

मुर्गा अउ सरकार...

मुर्गा अउ सरकार के
सोच म
एक खास समानता हे.
मुर्गा जइसे समझथे-
वोकरे बाॅंग दे ले ही
सुरूज ऊथे
ठउका सरकार घलो
अइसनेच भरम म रहिथे-
वोकरेच ढिंढोरा पीटे म ही
लोगन के जिनगी म
अच्छा दिन आथे.
ए तो
सुरूज के निरंतरता
अउ
लोगन के
जबर मेहनत के भरोसा सेती
हर युग म
हर काल म
अउ हर हाल म
अंधियारी के छाती चीर के
वो ह सुख के
अंजोर परघाथे
जिनगी ल महकाथे
दुनिया ल सजाथे.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Thursday 19 May 2022

शोषित वर्ग के स्वाभिमान बर संघर्ष.. केयूर भूषण

1 मार्च जयंती म सुरता//
शोषित वर्ग के स्वाभिमान बर संघर्ष करइया साहित्यिक पुरखा केयूर भूषण..
    वइसे तो मैं सन् 1983 ले रायपुर के साहित्यिक गतिविधि मन म संघरे बर धर लिए रेहेंव, फेर केयूर भूषण जी ल साहित्यकार के रूप म तब जानेंव, जब छत्तीसगढ़ी भाखा के पहला मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' निकाले के उदिम करेंव. एकर पहिली मैं केयूर भूषण जी ल सिरिफ राजनीतिक मनखे होही समझत रेहेंव, काबर ते तब उन सन् 1980 ले लगातार दू बेर रायपुर लोकसभा के निर्वाचित सदस्य रिहिन. फेर जब मयारु माटी के प्रकाशन के संग चारों मुड़ा के लेखक मन संग मेल-भेंट अउ उठई-बइठई होए लागिस, तब केयूर जी संग घलो उठना-बइठना होए लागिस. उही बखत गम पायेंव, के एमन तो राजनीतिक ले जादा साहित्यिक अउ सांस्कृतिक मनखे आयॅं. तब केयूर भूषण जी मोला अपन छत्तीसगढ़ी उपन्यास 'कुल के मरजाद' के पांडुलिपि ल छापे खातिर दिए रिहिन हें, जेला 'मयारु माटी' म सरलग छापत रेहेन.
    बेमेतरा जिला के गाँव जांता म महतारी रोहनी देवी अउ सियान मथुरा प्रसाद मिश्रा जी के घर 1 मार्च 1928 के जनमे केयूर भूषण जी लइकई अवस्था ले ही आजादी के आन्दोलन म संघरगे रिहिन. सन् 1942 के महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन म उन भाग लिए रिहिन अउ गिरफ्तार घलो होए रिहिन. तब उन रायपुर के केन्द्रीय जेल म बंद रहे जम्मो राजनीतिक बंदी मन म सबले कम उमर के बंदी रिहिन. उन अइसन दू-तीन बेर जेल यात्रा करिन. फेर आजादी के आन्दोलन म भीड़ेच रिहिन.
    देश ल आजादी मिले के बाद उन कम्युनिस्ट पार्टी म शामिल होके किसान, मजदूर अउ विद्यार्थी मनके आन्दोलन म सक्रिय रिहिन. संत विनोबा भावे जी के भूदान आन्दोलन म घलो शामिल रिहिन. महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ म जिला ले लेके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक के जिम्मेदारी ल उन निभाइन.
    केयूर भूषण जी हरिजन उत्थान के बुता म न सिरिफ शारीरिक रूप ले भलुक मानसिक रूप ले घलो समर्पित रहिन. मोला सुरता हे, उन जब कभू मोला चिट्ठी-पाती लिखंय, त चिट्ठी के सबले ऊपर म 'जय सतनाम' जरूर लिखंय. उन काहंय घलो- छत्तीसगढ़ के संत पुरुष मन म मैं गुरु बाबा घासीदास जी ल जतका मानथौं वतका अउ कोनो ल नइ मानौं. आज इहाँ के ए बहुसंख्यक शोषित समाज ह विदेशी धरम के जाल म नइ झपा पाइस, त एहा सिरिफ घासीदास जी के पुण्य कारज के ही सेती आय. हमला उंकर हमेशा ऋणी रहे ल परही. अस्पृश्यता निवारण खातिर वोमन पंजाब म आतंकवाद के बेरा राजिम ले भोपाल तक जबर पदयात्रा घलो करे रिहिन हें. इहाँ मुंगेली क्षेत्र के पांडातराई म दलित मनके मंदिर प्रवेश खातिर घलो बड़का आन्दोलन करे रिहिन हें.
    मोला सुरता हे, गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के जम्मो कार्यक्रम म हमन जरूर संघरत रेहेन. डॉ. खूबचंद बघेल जी के जयंती के बेरा म आयोजित होवइया साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम म जेकर संयोजक मैं खुद राहत रेहेंव, केयूर भूषण जी वोमा जरूर आवयं. अउ इहाँ के शोषित समाज के संगे-संग जम्मो छत्तीसगढ़ी अस्मिता ऊपर उंकर वक्तव्य होवय.
    केयूर भूषण जी एक बड़का राजनीतिक मनखे होए के बावजूद निच्चट सरल अउ सादगी पसंद मनखे रिहिन. उन शहर भीतर जब कहूँ दिखतीन त सइकिल के सवारी करत ही दिखतीन. अपन जिनगी के संझौती बेरा तक उनला हम सइकिल म किंजरत देखेन. उन काहय घलो- मोर शरीर आज 80-85 बछर के उमर घलो एकदम फीट अउ स्वस्थ दिखथे तेकर राज इही सइकिल चलई ह आय. उंकरेच कहे म महूं सइकिल ल अपन सफर के संगवारी बनाए रेहेंव.
    केयूर भूषण जी के लेखनी सरलग चलत रहिस. वोमन कविता, कहानी, निबंध, व्यंग्य, उपन्यास जइसन सबोच विधा म लिखिन. मैं मयारु माटी के संगे-संग अउ कतकों पत्र-पत्रिका मन म उंकर रचना मनला छापत रेहेंव. उंकर व्यंग्य संग्रह 'देवता मन के भुतहा चाल' के तो प्रूफ आदि के बुता ल घलो करे रेहेंव.
    केयूर भूषण जी के प्रकाशित कृति मन म लहर (कविता संग्रह), कुल के मरजाद (उपन्यास), कहाँ बिलागे मोर धान कटोरा (उपन्यास), नित्य प्रवाह (प्रार्थना अउ भजन संग्रह), कालू भगत (कहानी संग्रह), आॅंसू म फिले अॅंचरा (कहानी संग्रह), मोर मयारुक हीरा के पीरा (निबंध संग्रह), डोंगराही रद्दा (कहानी संग्रह), लोक-लाज (उपन्यास), समे के बलिहारी (उपन्यास), देवता मन के भुतहा चाल (व्यंग्य संग्रह) आदि प्रमुख हे.
    केयूर भूषण जी के लेखनी जादा करके छत्तीसगढ़ी म ही जादा चलिस. उन छत्तीसगढ़ी के बारे कहयं- 'छत्तीसगढ़ी साहित्य ह अब बने पोठ होवत हे. सबो किसम के साहित्य लिखे जावत हे, फेर एमा छत्तीसगढ़ी के आरुग शब्द जतके जादा आही, वतकेच जादा एमा सुंदराही आही. जब छत्तीसगढ़ी म हिन्दी या आने भाखा के शब्द सांझर-मिंझर होए लगथे, त वोकर मिठास म फरक आ जथे. जिहां तक हो सकय मिलावट ले बांचयं अउ खोज-खोज के छत्तीसगढ़ी के शब्द मनला अपन लेखन म शामिल करयं.'
    केयूर भूषण जी साहित्य लेखन के संगे-संग पत्रकारिता ले घलो जुड़े रिहिन हें. वोमन साप्ताहिक छत्तीसगढ़, साप्ताहिक छत्तीसगढ़ संदेश, त्रैमासिक हरिजन सेवा (नई दिल्ली) अउ मासिक अंत्योदय (इंदौर) के संपादन घलो करे रिहिन हें. आज देश भर म पहचान बनाए रायगढ़ म होवइया 'चक्रधर समारोह' ल चालू करवाए म घलो केयूर भूषण जी के बड़का योगदान हे. ए सब रचनात्मक बुता मन के सेती सन् 2001 के छत्तीसगढ़ राज्योत्सव म उनला पं. रविशंकर शुक्ल सद्भावना पुरस्कार ले सम्मानित करे गे रिहिसे.
    केयूर भूषण जी अपन देंह-पॉंव के गजब चेत राखयं. प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम ले जतन करयं. तेकर सेती शारीरिक रूप ले गजब चेम्मर अउ स्वस्थ रिहिन. फेर ए नश्वर दुनिया म आने वाला मनला एक दिन बिदागरी लेना ही परथे. उहू मन 3 मई 2018 के इहाँ ले बिदागरी ले लेइन.
    उंकर सुरता ल पैलगी-जोहार🙏
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Wednesday 18 May 2022

छत्तीसगढ़ म सांस्कृतिक जागरण के पुरोधा दाऊ रामचंद्र देशमुख

25 अक्टूबर जयंती म सुरता//
छत्तीसगढ़ म सांस्कृतिक जागरण के पुरोधा दाऊ रामचंद्र देशमुख
   सन् 1971 के 7 नवंबर के जुड़हा रतिहा के सुरता छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक इतिहास म सबर दिन अंजोरी बगरावत जगजग ले अमर रइही. काबर ते इही दिन दुरूग तीर के गाँव बघेरा म लोक-संस्कृति के जागरण काल के जयघोष "चंदैनी गोंदा" के प्रथम प्रस्तुति के रूप म होए रिहिसे.
    दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के संयोजन म होए ए ऐतिहासिक प्रस्तुति ल तो मोला देखे के सौभाग्य नइ मिल पाए रिहिसे, फेर संगीतकार खुमान साव जी के संचालन म प्रदर्शित होए ए 'चंदैनी गोंदा' ल मैं जरूर देखे रेहेंव. भिलाई पावर हाउस म होए वो कार्यक्रम के जानकारी मोला खुद दाऊ जी ही दे रिहिन हें. तब वो मंच म दाऊ जी के सम्मान होए रिहिसे. तब मैं छत्तीसगढ़ी सिनेमा के नायक अउ बरछाबारी के संपादक रहे चंद्रशेखर चकोर संग उहाँ पहुंचे रेहेंव.
    दुरुग जिला (अब बालोद) के गाँव पिनकापार म महतारी मालती देवी अउ सियान गोविन्द प्रसाद जी के घर 25 अक्टूबर 1916 के जनमे दाऊ रामचंद्र देशमुख जी संग मोर चिन्हारी सन् 1987 के नवंबर-दिसंबर महीना म तब होए रिहिसे, जब छत्तीसगढ़ी भाखा के पहला मासिक पत्रिका "मयारु माटी" के विमोचन करे खातिर उंकर जगा कार्यक्रम के पहुना बने खातिर अनुमति ले बर वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी संग उंकर घर पहुंचे रेहेन. बाद म तो हमेशा मेल-भेंट होवत राहय. कतकों बखत मैं उंकर घर बघेरा म रतिहा घलो रहि जावत रेहेंव. तब दाऊ जी संग चंदैनी गोंदा के संगे-संग छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया मन ले जुड़े विविध विषय म चर्चा होवय. तब जनावय, के दाऊ जी के भीतर छत्तीसगढ़ ल लेके कतका पीरा भरे हे, अउ ए सबके समाधान खातिर उंकर मन म का-का उपाय या रद्दा हे.
    ए बात सही आय के दाऊ जी ल चंदैनी गोंदा के माध्यम ले ही राष्ट्रीय अउ अंतर्राष्ट्रीय स्तर म जादा प्रतिष्ठा अउ चिन्हारी मिलिस, फेर लोककला के संरक्षण अउ संवर्धन खातिर उन सन् 1950 ले ही 'छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंच' के गठन के साथ ही लगगे रिहिन हें. एकर माध्यम ले उन तब के नाचा शैली म परिमार्जन करिन अउ वोला एक सम्मानजनक रूप देइन. वोमन कला के मनोरंजनात्मक रूप ल एक विचारधारा म जोड़त  वैचारिक क्रांति के रद्दा तक लेगे के भगीरथ उदिम करिन. आज हम छत्तीसगढ़ी गीत संगीत म, इहाँ के सांस्कृतिक मंच मन म, नवा पीढ़ी के रचनाकार मन म छत्तीसगढ़ी अस्मिता ले जुड़े विषय म बेधड़क बोलत अउ लिखत देखथन, सब उंकरे बोए बिजहा के परसादे देखथन-सुनथन.
    आज तो छत्तीसगढ़ राज बने के कोरी भर बछर ले आगर होगे हे. इहाँ के भाखा संस्कृति अउ कला खातिर इहाँ के सरकार ह कतकों उदिम करत रहिथे, तभो वो सब उदिम ह अधूरा जनाथे. तब वो बेरा के बात गुनव, जब लोगन छत्तीसगढ़ी बोले-बताए अउ अउ अपन चिन्हारी बताए म लजाए असन करय. वो बखत अइसन बुता ल धर के आगू अवई ह कतेक जब्बर छाती वाले के बुता रिहिस होही? फेर दाऊ जी अपन धुन के पक्का रिहिन. उन पूरा छत्तीसगढ़ ले कलाकार मनला छांट-निमार के अपन संग जोड़त गिन. इनमा  मदन निषाद, लालूराम, ठाकुरराम, भुलवा दास, बाबूदास, मालाबाई, फिदा बाई आदि प्रमुख रिहिन. दाऊ जी ए बखत कला के संवर्धन के संगे-संग जनसेवा अउ समाज सुधार के कारज म ही लगावंय.
    दाऊ जी एक बखत मोला बताए रिहिन हें- छत्तीसगढ़ राज्य के स्वपनदृष्टा जेन रिश्ता म उंकर ससुर जी घलो रिहिन डाॅ. खूबचंद बघेल जी के चिट्ठी जेन वोमन 22 फरवरी 1969 के लिखे रिहिन हें, वोकर ले प्रभावित होके वोमन 'चंदैनी गोंदा' के सिरजन म आगू बढ़िन.' दाऊ जी बताए रिहिन के, डाॅ. खूबचंद बघेल जी उनला छत्तीसगढ़ के नवनिर्माण खातिर आव्हान करत लिखे रहिन हें, के समाज के जनजागरण म आपके स्थायी भूमिका बनत हे. मैं चाहथौं आप समाज म वो भूमिका म आवौ, जेन अभी मैं करत हौं.  हमला आपके कलात्मक प्रतिभा के घलो जरूरत हे. अब आप वइसन नइ रेहेव, जइसन पहिली रेहेव. आप सिरिफ चिंतन, लेखन अउ निर्देशन के दृष्टि ले सोचव. महू योगदान देहूं. हमला छत्तीसगढ़ के हर हालत म नवनिर्माण करना हे.'
    डॉ. खूबचंद बघेल जी के वो चिट्ठी ह 'चंदैनी गोंदा' के सिरजन के इतिहास रचे म जबर बुता करिस. चंदैनी गोंदा के भव्यता अउ लोकप्रियता के डंका बजे लगिस. बताथें- एक बेर पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी के कार्यक्रम रिहिसे अउ उहिच बेरा म थोरके दुरिहा म 'चंदैनी गोंदा' के कार्यक्रम घलो रिहिसे. बताथें, इंदिरा गाँधी जी के कार्यक्रम म लोगन के उपस्थिति नहीं के बरोबर रिहिसे. एकर कारण जाने खातिर जब इंदिरा जी पूछिन, त उनला बताए गिस के बाजू के गाँव म 'चंदैनी गोंदा' के कार्यक्रम चलत हे, जिहां लोगन उमड़े परे हे, वोकरे सेती इहाँ उपस्थिति नहीं के बरोबर हे.
    'चंदैनी गोंदा' के प्रस्तुति छत्तीसगढ़ म तो होबेच करय, एकर छोड़े उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश आदि राज्य मन म घलो सफलता पूर्वक होइस. अखिल भारतीय लोककला महोत्सव यूनेस्को द्वारा आयोजित भोपाल के सम्मेलन म एला भारी सराहना मिलिस.
    दाऊ जी अपन जिनगी के आखरी बेरा तक छत्तीसगढ़ी कला संसार खातिर समर्पित रिहिन. मोर सौभाग्य आय, छत्तीसगढ़ी भाखा के पहला मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' के विमोचन 9 दिसंबर 1987 के मैं उंकरेच पबरित हाथ ले करवाए रेहेंव. तब छत्तीसगढ़ी मंच के एक अउ साधक दाऊ महासिंह चंद्राकर जी वो कार्यक्रम के अध्यक्षता करे रिहिन हें.
    कला, साहित्य अउ संस्कृति के त्रिवेणी संगम दाऊ रामचंद्र जी देशमुख 13 जनवरी 1998 के रतिहा ए नश्वर दुनिया ले बिदागरी लेइन. फेर जब तक छत्तीसगढ़ म गौरवशाली कला-संस्कृति के गोठ होवत रइही, तब तक दाऊ जी ल सम्मान के साथ सुरता करे जाही.
    अभी दाऊ जी के व्यक्तित्व कृतित्व ऊपर डाॅ. सुरेश देशमुख जी के संपादन म एक अच्छा ग्रंथ 'चंदैनी गोंदा : छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा' नाॅंव ले आए हे. जे लोगन या शोधार्थी मन छत्तीसगढ़ी कला ऊपर कारज करत हें, वोकर मन बर ए ह बड़ उपयोगी साबित हो सकत हे.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Saturday 14 May 2022

छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सर्जक काव्योपाध्याय

11 सितम्बर स्मरण दिवस//
छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सर्जक काव्योपाध्याय हीरालाल चंद्रनाहू
    छत्तीसगढ़ी भाखा ह आज अंतर्राष्ट्रीय अगास म पाॅंखी लगाके उड़ान भरत हे, त एकर नेंव म 11 सितम्बर सन् 1984 के काव्योपाध्याय के उपाधि ले सम्मानित होय हीरालाल जी चंद्रनाहू के दूरदर्शी सोच अउ कारज ह पोठ बुता करे हे, कहिबो त कुछू अनफभिक नइ होही.
    हीरालाल जी वो बखत छत्तीसगढ़ी व्याकरण के रचना करिन जब हिन्दी के घलो कोनो सर्वमान्य  व्याकरण प्रकाशित नइ हो पाए रिहिसे. एकरे सेती सन्  1881 ले 1985 तक म लिखे उंकर ए व्याकरण ल सन् 1890 म अंगरेजी म अनुवाद कर के छत्तीसगढ़ी अउ अंगरेजी म समिलहा छपवाने वाला विश्वप्रसिद्ध व्याकरणाचार्य सर जार्ज ए ग्रियर्सन ह हीरालाल जी के आभार व्यक्त करत लिखे रिहिन हें- "हीरालाल जैसे विद्वानों के कारण ही हम भिन्न-भिन्न भाषाओं के बीच सेतु बनाने के अपने प्रयास में सफल हो पाते हैं."
    हीरालाल जी के जनम रायपुर के तात्यापारा म सन् 1856 म महतारी राधाबाई अउ सियान बालाराम चंद्रनाहू जी के घर होए रिहिसे. वइसे उंकर मूल गाँव धमतरी जिला के कुरूद तहसील के गाँव राखी (भाठागाॅंव) आय. इहाँ एक बात ल जानना जरूरी हे, के हीरालाल जी के जन्म अउ निधन के निश्चित अउ प्रमाणित तिथि के जानकारी अभी नइ मिल पाए हे. हमर अपन समिति 'नव उजियारा साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्था ' के माध्यम ले गजब खोजबीन करेन, फेर सफल नइ हो पाएन. अइसने उंकर मूल फोटो घलो नइ मिल पाइस. तब सब इतिहासकार, साहित्यकार अउ सामाजिक विद्वान मन के सलाह अउ सुझाव म एक मानक रेखाचित्र (ए लेख संग संलग्न हे) बनवाए रेहेन. सौभाग्य ले आज इही रेखाचित्र ह सरकारी, गैरसरकारी, साहित्यिक अउ सामाजिक सबो जगा के आयोजन म चलत हे. वइसने जन्म अउ निधन के प्रमाणित जानकारी नइ मिले के सेती वोमन ल जेन 11 सितम्बर 1884 के 'काव्योपाध्याय' के उपाधि मिले रिहिसे, तेने तिथि ल सबो विद्वान मन के सर्वसम्मति निर्णय ले 'स्मरण दिवस' के रूप म मनाथन, हीरालाल जी के सुरता करथन, उंकर छत्तीसगढ़ी खातिर करे गे कारज के सेती आभार व्यक्त करथन.
    हीरालाल जी के प्राथमिक शिक्षा रायपुर म ही होए रिहिसे. सन् 1874 म उन जबलपुर ले मेट्रिक पास करिन तब सिरिफ 19 बछर के उमर म सन् 1875 म ही उन रायपुर जिला म सहायक शिक्षक के पद म नियुक्ति पागे रिहिन हें. हीरालाल जी लइकई ले ही पढ़ाकू मनखे रिहिन, एकरे सेती उन खुद के प्रयास ले ही उर्दू, उड़िया, बांग्ला, मराठी अउ गुजराती भाषा सीख गये रिहिन अउ उन जम्मो भाखा म वो बखत उपलब्ध रेहे मुख्य पोथी मनला पढ़ डारे रिहिन.
    सन् 1881 म उंकर लिखे 'शाला गीत चंद्रिका' नवल किशोर प्रकाशन नई दिल्ली ले छप के आइस, कुछ विद्वान प्रकाशन संस्था ल लखनऊ के बताथें. इही कृति खातिर बंगाल के राजा सौरेन्द्र मोहन टैगोर (ठाकुर) उनला  सम्मानित करे रिहिन हें. हीरालाल जी के एक अउ अमर कृति 'दुर्गायन' खातिर सन् 1884 म राजा सौरेन्द्र मोहन टैगोर उनला स्वर्ण पदक देके सम्मानित करे रिहिन हें. 'दुर्गायन' म हीरालाल जी दुर्गा सप्तशती के दोहा मनला प्रस्तुत करे रिहिन हें. इही कृति खातिर बंगाल संगीत अकादमी कलकत्ता द्वारा उनला "काव्योपाध्याय' के उपाधि ले सम्मानित करे गे रिहिसे. काव्योपाध्याय के उपाधि ल वो बखत के सबले प्रतिष्ठित उपाधि माने जावत रिहिसे. हीरालाल जी के मूल नाम हीरालाल चंद्रनाहू रिहिसे, एकरे सेती उन अपन नाम हीरालाल चंद्रनाहू ही लिखंय, फेर काव्योपाध्याय के उपाधि मिले के बाद उन हीरालाल काव्योपाध्याय लिखे लागिन. फेर हमर मनके जिहाॅं तक सुझाव हे, के अब उंकर नॉंव ल 'काव्योपाध्याय हीरालाल चंद्रनाहू' लिखे जाना चाही. काबर ते उपाधि ल हमेशा नाम के पहिली लिखे जाथे, नाम के बाद नहीं. जइसे- भारतरत्न फलाना, पद्मभूषण फलाना या पद्मश्री फलाना आदि आदि... नाम के बाद वो मनखे के सरनेम या उपनाम ल ही लिखे के परंपरा हे, उपाधि ल नहीं.
    आगू चलके हीरालाल जी ल धमतरी के एंग्लो वर्नाकुलर टाऊन स्कूल म प्रधान पाठक के नौकरी मिलगे रिहिसे. एकर पहिली कुछ दिन उन बिलासपुर म घलो पढ़ावत रिहिन हें. हीरालाल जी एक योग्य अउ समर्पित शिक्षक होए के संगे-संग अग्रणी सामाजिक कार्यकर्ता घलो रिहिन हें, एकरे सेती उनला धमतरी नगर पालिका के अध्यक्ष बने के सम्मान घलो मिले रिहिसे.
     हीरालाल जी लइका मन खातिर बाल मनोविज्ञान ऊपर आधारित हिन्दी म 'बालोपयोगी गीत' अउ अंगरेजी म 'रायल रीडर भाग-1 अउ रायल रीडर भाग-2 लिखिन. बालोपयोगी गीत संगीतबद्ध रिहिसे, तेकरो खातिर उनला बंगाल संगीत अकादमी डहार ले सम्मानित करे गे रिहिसे.
    हीरालाल जी के लिखे छत्तीसगढ़ी व्याकरण ह सबले जादा प्रसिद्ध होइस. एकर कतकों भाषा म अनुवाद होए हे. विश्वप्रसिद्ध व्याकरणाचार्य सर जार्ज ए ग्रियर्सन ह वो बखत पूरा भारत के लगभग सबोच भाषा मनके सर्वेक्षण करवाए रिहिन हें, तब ए बेरा म उनला सिरिफ छत्तीसगढ़ी भर के व्याकरण ह वैज्ञानिक दृष्टिकोण ले व्यवस्थित देखे बर मिले रिहिसे. एला देख के उन अतेक प्रभावित होइन, के हीरालाल जी के सम्मान करत उंकर नाम ल लिखत 'एशियाटिक सोसाइटी आॅफ बंगाल' शोध पत्रिका के खंड 49 भाग 1 म अनुवाद अउ संपादित कर छपवाए रिहिन हें. एकर सेती हीरालाल जी के संगे-संग छत्तीसगढ़ी भाखा ल घलो अंतर्राष्ट्रीय स्तर म चिन्हारी मिलिस.
    आगू चलके हीरालाल जी के छत्तीसगढ़ी व्याकरण म थोर-बहुत संशोधन करके लोचन प्रसाद पाण्डेय जी ह राय बहादुर हीरालाल जी के मार्गदर्शन म विस्तारित करत मध्यप्रदेश शासन के माध्यम ले छपवाए रिहिन हें. हमर रायपुर के इतिहासकार प्रभूलाल मिश्रा अउ डाॅ. रमेन्द्रनाथ मिश्रा मन घलो उंकर व्याकरण ऊपर आधारित एक ग्रंथ लिख के छपवाए हें.
     हीरालाल जी सामाजिक अउ साहित्यिक गतिविधि मन म अतेक जादा मगन राहंय, के अपन सेहत डहार जादा चेत नइ कर पावत रिहिन हें. एकरे सेती उन सन् 1890 के अक्टूबर महीना म सिरिफ 34 बछर के उमर म ही ए दुनिया ले बिरादरी ले लेइन. फेर अतकेच नान्हे उमर उन छत्तीसगढ़ी भाखा अउ साहित्य खातिर जेन बड़का अउ पोठ बुता करे हें, वो ह अतुलनीय हे. उंकरे भरोसा आज छत्तीसगढ़ी ल अंतर्राष्ट्रीय स्तर म चिन्हारी मिले हे. उंकरेच भरोसा हम छाती ठोक के छत्तीसगढ़ी ल भाषा आय कहिके बता सकथन. उंकर सुरता ल नमन करत सरकार डहार ले अभनपुर के महाविद्यालय मन के नाम ल उंकर सुरता म रखे गे हावय.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811