Monday 9 May 2022

वो चिट्ठी पाती के दिन..

सुरता//
वो चिट्ठी-पाती के दिन...
    इंटरनेट अउ मोबाइल के आविष्कार होए के बाद आज भले पोस्ट कार्ड, अंतर्देशीय पत्र अउ लिफाफा के दिन ह इतिहास के अंग बनगे हवय, फेर एक बेरा अइसनो रिहिसे, जब इंकर मन के अगोरा म डॅंकहार बाबू के सइकिल के घंटी सुने बर कान हमेशा बेचैन राहय. कभू महीना भर म त कभू अठोरिया म त कभू बिहाने दिन डॅंकहार बाबू के आरो संग मयारु संगी के आरो मिल जावत रिहिसे.
    सन् 1869 म आस्ट्रेलिया ले शुरू होय पोस्टकार्ड ह भारत म सन् 1879 के जुलाई महीना म आइस हे. तब इहाँ एकर कीमत 3 पइसा रिहिस. फेर हमन तब एकर माध्यम ले सोर संदेशा ले दे के चालू करेन जब ए ह 15 पइसा के होगे रिहिस, जेन ह 50 पइसा के होवत ले चलिस. तब मैं हाईस्कूल म पढ़त रेहेंव. रायपुर के रामदयाल तिवारी स्कूल म. तब हमर गाँव के संगी मन कभू-कभार एकाद पाती पठो देवत रिहिन हें. जवाब म महूं वोमन ल पठो देवत रेहेंव. फेर वोकर सुरता ह गंज अकन दिन ले राहय. फलाना ह का-का लिखे रिहिसे, अउ मैं ह जवाब म का लिखेंव. स्कूल के किताब मन के आखर ल भुला जावत रेहेन फेर संगी संग होए पाती के गोठबात ल कभू नइ भुलावत रेहेन. अइसन भुलाए बिसराए के तब चालू होइस जब मोला नंगत के चिट्ठी-पाती भेजे बर लागय अउ मोर जगा घलो नंगत के आए के जोंग माढ़िस. ए बेरा तब आइस जब 9 दिसंबर 1987 के मैं छत्तीसगढ़ी भाखा के पहला मासिक पत्रिका "मयारु माटी" के प्रकाशन संपादन शुरू करेंव. तब अतका जादा पाती आवय, के वोमन ल पढ़े अउ जवाब दे म ही घंटों पहा जावत रिहिसे. वोमा के कतकों जेन विशेष किसम के लागय,  कोनो वरिष्ठ साहित्यकार के या कोनो बड़का नेता या मंत्री आदि के तेला तो फाइल बना के धर घलो लेवत रेहेंव.
    हमन इतिहास के जुन्ना पन्ना ल लहुटाथन त इहू जाने ल मिलथे, के पोस्टकार्ड के जनम होए के पहिली घलो संदेश देके चलन रिहिसे.   पहिली ए बुता खातिर पोंसे अउ सिखोए-पढ़ोए परेवा मन के माध्यम ले सोर-संदेशा भेजे जावत रिहिसे. पहिली के राजा-महाराजा मन एकर खातिर विशेष संदेशिया घलो राखत रिहिन हें, जेमा पल्ला दौड़इया घोड़ा मनला एकर खातिर विशेष रूप ले खवा-पिया के राखे जावय.
    आज इंटरनेट अउ मोबाइल के आविष्कार ह ए सबो उदिम अउ जिनिस ल इतिहास के अंग बना देइस. फेर मोला आजो सुरता हे, जब कुछु खास पाती ल हमन महीनों धरे राहन. कापी-किताब म लुका छिपा के राखन. मोला सुरता हे, छायावाद के प्रवर्तक कवि पद्मश्री पं. मुकुटधर पाण्डेय जी के एक पाती (संदेश) ल तो मैं अपन पहला कविता संकलन 'छितका कुरिया' म ब्लाक बनवा के छपवाए घलो रेहेंव. अब अइसन किसम के संदेश ह घलो ईमेल या व्हाट्सएप के माध्यम ले मिल जाथे. तब काकरो हाथ के लिखे पाती या संदेश ल सुरक्षित राखे के बात ह भुसभुसहा असन जनाथे. अब तो सइघो किताब घलो ह पीडीएफ के माध्यम ले मिनट भर म एती ले ओती चल देथे. पूरा दुनिया भर म बगर जाथे. तब काकरो मयारुक पाती अउ मोती कस लिखे अक्षर के सुरता कहाँ ले आही?
    आज तो मोला खुद सुरता नइए के मैं आखरी पाती कोन ल अउ कब लिखे रेहेंव. फेर जो हो, चिट्ठी-पाती के माध्यम ले जे अपनापन अउ खुशी तब मिलत रिहिसे वो ह आज के  विडियो कालिंग के  माध्यम ले होवइया मुंह देखिक-देखा गोठ-बात म घलो नइ मिलय.
जय हो मोर संगी के पाती
तोर सुरता आथे दिन-राती
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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