Monday 2 May 2022

भाषा बिन संस्कृति कइसे बाॅंचही??

भाषा बिन संस्कृति कइसे बाॅंचही सरकार..?
हमर घर
बारों महीना खाए जाथे
बासी अउ बोरे
तभो ले
श्रमिक संगी मनला
सम्मान दे खातिर
1 मई के अउ खाएन
माई-पिल्ला खाएन
संग म फोटू खिंचाएन.
आने बछर घलो खाबो
श्रमिक संगी मन संग
खाॅंध म खॉंध जोरबो.
फेर एक बात के मोला
समझ नइ आवत हे,
बिन भाषा के
अकेल्ला संस्कृति भर ह
कइसे बॉंचे पाही?
एकर जबर संसो होवत हे.
हम सब जानथन-
अस्मिता के चिन्हारी तो
दूनों होथे-
भाषा अउ संस्कृति.
इंकरे माध्यम ले
दुनिया म लोगन
हमला जान अउ
पहचान पाथें.
फेर अभी तक तो
सरकार ह
न राजभाषा आयोग के
गठन करे हे
न तो
छत्तीसगढ़ी ल
शिक्षा के माध्यम बनाए हे.
तब तहीं बता
एक आॅंखी ल मूंदे रहिबे
अउ एके आॅंखी भर म
नटेर के देखत रहिबे,
त का
हमर जम्मो चिन्हारी ल
जगजग ले देखे पाबे ?
तब तैं
कइसे गुन डरे सरकार
संस्कृति के नाॅंव म
कुछ कला अउ परंपरा भर के
आरो ले म
जम्मो अस्मिता के
चिन्हारी अउ बढ़वार हो जाही?
सिरतोन म तोला
इहाँ के अस्मिता के संसो हे
त तोला
भाषा अउ संस्कृति
दूनों के
संगे-संग
सुध ले बर परही
तभे
हमर अस्मिता के सोर
पूरा दुनिया म बगरही.
-सुशील भोले
मो/व्हा. 9826992811

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