Saturday 30 May 2015

तोर देख लेथंव जुआँ..












आ बइठ ले थोरिक गोई, तोर देख लेथंव जुआँ
नइ झरय तोर एक्को चूंदी, कर देथंव बने ठुआँ
रात-दिन तो किंजरत रहिथस, का एती का वोती
एकरे सेती लटियारिन सहीं होगे हे रूआँ-रूआँ

सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811

Friday 29 May 2015

आओ मन की बात करें....







आओ मन की बात करें, कुछ कहने की शुरूआत करें
जो अँधेरे बाँट रहे हैं, मिलकर उन पर घात करें...

सत्य सहमा सिसक रहा है, साहस हर पल बिखर रहा है
आशाओं का दीप भंवर में, जाने कैसे सिहर रहा है
अस्तित्व बचाने इनका, सभी जतन दिन-रात करें.....

झूठ सिंहासन पर बैठा है, बना हुआ देखो वाचाल
तांडव करता है निसदिन वह, दे दे कर के ताल
चलो उठायें आज मशालें, और खुशियों की बरसात करें...

सुशील भोले 
 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

Thursday 28 May 2015

तैं तो भट्ठी म भर देथस.....



















अउ कहां तैं जाहूं कहिथस, बेरा हे मुंधियार के
कब के रस्ता जोहत हावंव गोंड़ी दिया ल बार के
लइका मन भुखाये हवंय, फेर दाना नइहे एको
तैं तो भट्ठी म भर देथस सब मोह-मया ल टार के

सुशील भोले
मो. 080853-05931, 098269-92811

Tuesday 26 May 2015

बड़े शर्म से कहते हैं...नक्सलवाद....
















न्याय दिलाने गरीब-गुरबों को बना था एक वाद
बंदूक की भाषा में अब तक जो करता है परिवाद
रक्त-बीज सा खेल रहा वह वन-कांतर में खेल
दुश्मन देशों से कर बैठा जो अस्त्र-शस्त्र का मेल
बना आतंकी अपने ही घर दुख का बहा रहा मवाद
बड़े शर्म से कहते हैं हम, अब उसको नक्सलवाद

सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811

Saturday 23 May 2015

ककरो मुड़ म पागा खपय....


















ककरो मुड़ म पागा खपय हमला का करना हे
कोनो बनय साहेब-सिपाही हमला नइ धरना हे
हमर बुता तो बस एक्के हे सोन चिरइया के रखवारी
कोनो झन पांखी कतरय, बस इही चेत करना हे
सुशील भोले
 मो. 80853-05931, 98269-92811

Friday 22 May 2015

तू-तू मैं-मैं खेलें...
















आओ सदन में बैठकर, कुछ तू-तू मैं-मैं खेलें
देश की भोली जनता पर, चुटकी भी कुछ ले लें

एक सत्र में तुम सत्ता पर और दूजे में मैं बैठूंगा
कुछ बुनियादी मुद्दों पर प्रश्न बाण-सा फेकूंगा
जनता के आँसू को भी तो, न्याय-मंदिर में उड़ेलें...

चुनाव बहुत अभी दूर है, फिर क्यों घटे महँगाई
जो खर्च हुए हैं वोटर पर, उसकी भी हो भरपायी
आजू-बाजू के चमचों को, कब तक जेब से झेलें....

याददाश्त कमजोर है, तब क्यों सिरदर्द उठायें
सत्य-झूठ के सांचे में, बस उनको हम उलझायें
फिर हरियाली पर विधान की, फुर्सत से दंड पेलें...

सुशील भोले
 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -   sushilbhole2@gmail.com

Thursday 21 May 2015

मुर्गा का भ्रम...
















मुर्गा को भ्रम हो गया है
कि उसकी बांग से ही
सूर्योदय होता है।
सरकार भी कुछ ऐसे ही
मुगालते में है
कि
उसके ढिंढोरा पीटने से ही
लोगों के जीवन में
अच्छा समय आता है।
यह तो सूर्य की निरंतरता
और
लोगों के परिश्रम का परिणाम है
कि
हर युग में
हर काल में
हर अंधेरे की छाती चीरकर
उसने
सुख का उजाला लाया है
जीवन को महकाया है
दुनिया को सजाया है।

सुशील भोले 
54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com

Wednesday 20 May 2015

...पर खेत अभी भी सूखे हैं

जाल बिछे हैं नदियों के पर खेत अभी भी सूखे हैं
देखो घर में अन्नदाता के, बच्चे कब से भूखे हैं
चूस रहे हैं जलस्रोतों को दानव बने सभी कारखाने
इसीलिए तो आमजनों के जीवन अब तक रूखे हैं

सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811

Tuesday 19 May 2015

जब से तुम बने हो आप...



















खांस-खांस कर भैया जब से तुम बने हो आप
उम्मीदें जाग गईं थीं धुलेंगे भ्रष्टाचार के पाप
लेकिन तुम तो केवल, एक ही टेर लगाते हो
लिए जिद्द की लाठी अपनों को ढेर लगाते हो
बन गये हो तुम  बिल्कुल जैसे पंचायत खाप
बिना सुने न्याय की बातें फैसला अंगूठा छाप


सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811

Monday 18 May 2015

छिन भर के ये जिनगी ये...

















कब का होही नइये भरोसा छिन भर के ये जिनगी ये
रट ले टूटथे सबले पहिली, जस डारा के फुनगी ये
तैं कतकों साज-संवागा करले, ये माटी के पुतरी के 
फेर भरभर ले उझर जाही, ये करजा के खनगी ये

सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811

Saturday 16 May 2015

मन म थोरिक गुन लेवौ.....















कोनो काम करे के पहिली मन म थोरिक गुन लेवौ
नफा-नुकसान का होही सुपा म छिन भर फुन लेवौ
कोन काहत हे का-का इहू बात ल तो गुनना चाही
फेर बदरा-घुनहा ल छोड़ सुघ्घर ठोसहा चुन लेवौ

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Friday 15 May 2015

कब आयेंगे अच्छे दिन....



















एक वर्ष तो बीत गया अब और कितने बीतेंगे दिन
लोग उंगलियों में गिन रहे, कब आयेंगे अच्छे दिन
सिकुड़ रहा है डर कर देखो छप्पन इंच का सीना
कभी महंगाई भ्रष्टाचार और चुनावी वादों को गिन

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Thursday 14 May 2015

कब तक ठगत रइहौ ....















कब तक ठगत रइहौ तुम कहिके सबले बढिय़ा
पिया-पिया के सस्ता दारू बना दिये हौ कोढिय़ा
परिया परगे चारोंमुड़ा का खेती का रोजी-रोटी
राज करत हें ठग्गू-जग्गू गुलाम हे छत्तीसगढिय़ा

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Wednesday 13 May 2015

पाके फर.. जाने कब गिर जाही...












पाके फर ह पेंड़ ले टुप ले जाने कब गिर जाही
भले कतकों गुरतुर होथे फेर तुरते वो सर जाही
बस अइसनेच जिनगी होथे मनखे के घलो संगी
गुरतुर होथे संझा बेरा, फेर तुरते उहू बुड़ जाही 

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Tuesday 12 May 2015

मोर मयारुक दाई तोला....



















अंगरी धर-धर रेंगे सीखेंव, पारत तोला गोहार
मोर मयारुक दाई तोला हे, गाड़ा-गाड़ा जोहार
काल कहूं अनदेखना करते कोनो बात के सेती 
त कइसे आज चढ़ पातेंव सफलता के ये पहार

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Sunday 10 May 2015

अपूर्णता के पूर्ण कवि : सुशील भोले


"कवि सुशील भोले की छत्तीसगढ़ी कविता पैरे की तरह नहीं, जिसे पाठक पगुराते रहे; यह हरी घास की तरह है जिसमें रस भी है ।" यह कहना था वरिष्ठ समीक्षक और लेखक डाॅ. सुशील त्रिवेदी जी का - हर कविता आगे जाने का रास्ता बताती है । पूर्ण होकर भी अपूर्ण रहती है । सुशील इसी अपूर्णता के पूर्ण कवि हैं । ताराचंद विमलादेवी फाउंडेशन वृंदावन लाइब्रेरी पठक मंच, सिविल लाईन रायपुर, सृजनगाथा डाट काम, छत्तीसगढ़ मित्र,एवं वैभव प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार 9 मई 2015 को सिविल लाईन रायपुर स्थित सभाभार में आयोजित सुशील भोले के एकल काव्यपाठ के अवसर पर बोल रहे थे।

वरिष्ठ कथाकार तेजिन्दर ने कहा सुशील की कविताएँ मेरे मन की कविताएँ है जो अपने कथन को लेकर, अपने आसपास को लेकर लिखते हैं । दरअसल कविता का घर ही हमारा घर है ।

वरिष्ठ कवि विश्वरंजन के अनुसार भोले की कविताएँ कई स्तरों पर अर्थायित होती हैं ।

अपने प्रमुख वक्तव्य में जयप्रकाश मानस ने कहा कि मैं दोहराऊँ तो सुशील के पास मौलिक बिम्ब, वांछित छंद और लय के साथ कविता के सरोकार को सिद्ध करने का सामर्थ्य है। उनकी कविताएँ छत्तीसगढ़ के आमजन के संघर्ष की पहचान कराती हैं । करुणा जगाकर उन्हें जूझने की ओर ले चलती हैं ।

छत्तीसगढ़ी के युवा कवि रसिक बिहारी अवधिया ने भोले की कविता-यात्रा को याद करते हुए परस्पर अनुवाद की ओर ध्यान आकर्षित किया ।

युवा लेखक-समीक्षक डाॅ. सुधीर शर्मा ने कवि के जीवन संघर्ष और उनके रचनात्मक जीवन की साम्यता को रेखांकित किया ।

वृंदावन लायब्रेरी पाठक मंच, सृजन गाथा डाॅट काॅम और वैभव प्रकाशन के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न एकल कविता पाठ और समीक्षा गोष्ठी का संचालन किया युवा लेखक किरण अवस्थी ने ।

आयोजन के प्रारंभ में वरिष्ठ कवि श्री भोले ने अपनी कविताओं, गीतों और अनुवाद का मनबोधी पाठ किया ।
इस मौके पर निसार अली, राजेन्द्र ओझा, उमा तिवारी, प्रकाश अवस्थी, प्रवीण गोधेजा, के पी सक्सेना दूसरे, चेतन भारती, अनिल श्रीवास्तव, सीमा, डाॅ. जे आर सोनी, अमरनाथ त्यागी, अंबर शुक्ल, मुरलीधर नेताम, लक्ष्मीनारायण लाहोटी, एन एस फरिकार, राजेन्द्र चंद्राकर, चेतन भारती के अलावा युवा पाठक मौजूद थे ।








Friday 8 May 2015

लबरा होगे न्याय-व्यवस्था...














लबरा होगे न्याय-व्यवस्था बिजरावत हे बइमान
खुडवा सहीं खेलत हावंय एला कतकों सलमान
गरीब-गुरबा खातिर चलथे लाठी-डंडा ह भारी
फेर पद-पइसा वाला बनथे, एकर बर भगवान

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

देखौ तो किसान...



















काहत रहिथन भले उनला हम भुइयां के भगवान
फेर कतेक करलई के जीवन जीथे देखौ तो किसान
कभू बाढ़ कभू सूखा या भूमि-अधिग्रहण के सेती
बिलबिलावत भूख-करजा म देवत हे अपन परान

सुशील भोले 

मो. 80853-05931, 98269-92811

Thursday 7 May 2015

पांव फिसल तो जाही रे...























सम्हल-सम्हल के रेंगबे बइहा पांव फिसल तो जाही रे
फेर झन कहिबे ठोकर खाके बताये नहीं कुछु-कांही रे....

ये दुनिया तो निच्चट बिच्छल जब देख पांव फिसलथे
आगू बढ़त देख के कतकों, गोड़ ल धर के तीरथें
पग-पग डबरा-खंचका इहां कब कोन मेर धंस जाही रे...


अपन-बिरान के दिखय नहीं अब ककरो चेहरा ले भेद
थोरको भरम होही ककरो बर त वोला देबे बिल्कुल खेद
बनके अपन नइते बैरी ह, पीठ म छूरा धंसवाही रे...

जब तैं सम्हल जाबे त सुन दूसर ल घलो सम्हाल लेबे
हर जीव ल सांस लिए बर, सुख के पल दू पल देबे
इही धरम के मूल भाव ये, नइ मानही ते पछताही रे...

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल - sushilbhole2@gmail.com

Wednesday 6 May 2015

तोर डोंगा डोंगहार.....













कइसे डगमड करथे गा तोर डोंगा डोंगहार
बीच धारा म बोर दिही का ये केंवची पतवार
लिच ले हालत हे ये जस आय गोरी के कनिहा
अइसे म कइसे नहकाबे तैं बिन बोरे वो पार

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811


Tuesday 5 May 2015

ददा देथे हमला सुख के ठांव......
















आती-जाती थोर सुरताती जस पेंड़ ह देथे छांव
सुघ्घर अइसने ददा देथे, हमला सुख के ठांव
कइसनो बीपत के बेरा हो, वो तभो लेथे संवार
वोकरे परसादे पाये हावन कुल, गोत्र अउ नांव

सुशील भोले 
मो. 80853-05931, 98269-92811

Saturday 2 May 2015

दूधाधारी मठ

दूधाधारी मंदिर का भीतरी भाग

राम मंदिर

लेखक सुशील भोले प्रसाद ग्रहण करते

संकट मोचन हनुमान जी

बालाजी मंदिर

राम मंदिर की परिक्रमा में भगवान विष्णु के विविध अवतार

राम मंदिर की परिक्रमा में भगवान विष्णु के विविध अवतार

राम मंदिर की परिक्रमा में भगवान विष्णु के विविध अवतार

दूधाधारी महाराज का समाधि स्थल
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की पश्चिम दिशा में स्थित ऐतिहासिक दूधाधारी मठ की स्थापना विक्रम संवत 1610 में हुई है। बताते हैं कि दूधाधारी के नाम से विख्यात स्वामी श्री बलभद्र दास जी यहां जिस समय आये तब यह इलाका घने जंगल के रूप में जाना जाता था। यहीं पर निर्जन जंगल के बीच श्री संकट मोचन हनुमान जी की मूर्ति थी, जिस पर एक गाय अपने स्तन से दूध चढ़ाया करती थी। बलभद्र दास जी उसी दूध को पीकर रहते थे। कहते हैं कि उनका नाम इसीलिए दूधाधारी पड़ा।

दूधाधारी जी के यहां पर रहने के साथ ही उनकी ख्याति चारों ओर होने लगी। इसे सुनकर नागपुर के राजा रघु भोसले उनके दर्शनार्थ यहां आये और उनसे आशीर्वाद के रूप में पुत्र प्राप्त किये। इन्ही राजा रघु भोसले ने यहां पर सबसे पहले स्वामी बालाजी भगवान मंदिर का विक्रम संवत 1610 में निर्माण करवाया, जो कि श्री संकट मोचन हनुमान जी के ठीक सामने स्थित है।

इस मठ के अंदर वर्तमान में जो सबसे बड़ा मंदिर है, उसका निर्माण भगवान बालाजी मंदिर निर्माण के करीब 200 वर्षों  के बाद हुआ है। इस मंदिर में भगवान राम अपने अनुजों एवं भार्या के साथ विराजित हैं।
इस मठ का संचालन दूधाधारी महाराज के शिष्य परंपरा के माध्यम से होता है। वर्तमान में रामसुंदर दास जी दसवें मठाधीश के रूप में यहां का संचालन कर रहे हैं।  

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
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Friday 1 May 2015

मानवता की सेवा....


















तेरा दर्शन तेरा अर्चन, किसका तू नाम लेवा
मेरा तो बस एक ही दर्शन मानवता की सेवा...

तू कहता है धर्म बचाने उठाएं चलो हथियार
निर्बल पर शासन करें, और बनायें लाचार
मेरा धर्म तो यह कहता है इनको ही मानो देवा...

ऊंंच-नीच और जाति-भेद, गौरव होगा तेरा
नारी को बुर्खा में बांधना मजहब होगा तेरा
मेरा गौरव समता में, सब मिलकर करें कलेवा...

तू महलों में बैठा हो या मजहब के आसन पर
तेरा कब्जा हो चाहे, दुनिया भर के राशन पर
मेरा तो बस श्रम का आसरा इसमें ही मेरा मेवा...

सुशील भोले 
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
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हमर हाथ हे जबड़ कमइया........










चिटिक खेत अउ भर्री नहीं, हमला सफ्फो खार चाही
हमर हाथ हे जबड़ कमइया, धरती सरी चतवार चाही...

हमर पेट ह पोचवा हे अउ, तोर कोठी म धान सरत हे
हमरे खातिर तोर गाल ह, बोइर कस बम लाल होवत हे
गाय-गरु कस पसिया नहीं, अब लेवना के लगवार चाही....

तन बर फरिया-चेंदरी नहीं, अउ तैं कहिथस जाड़ भागगे
घर म भूरीभांग नहीं तब, सुख के कइसे उमर बाढग़े
चिरहा कमरा अउ खुमरी नहीं, अब सेटर के भरमार चाही...

ठाढ़ चिरागे दूनों पांव ह, जरत मंझनिया के सेती
हमर देंह ह होगे हे का, कइसे रे तोरेच पुरती
अब बेंवई परत ले साहन नहीं, हमला सुख-सत्कार चाही...

सुन-सुन बोली कान पिरागे, आश्वासन के धार बोहागे
घुड़ुर-घाडऱ लबरा बादर कस, अब तो तोरो दिन सिरागे
हमला आंसू कस बूंद नहीं, अब महानदी कस धार चाही....

सुशील भोले 
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