न्याय दिलाने गरीब-गुरबों को बना था एक वाद
बंदूक की भाषा में अब तक जो करता है परिवाद
रक्त-बीज सा खेल रहा वह वन-कांतर में खेल
दुश्मन देशों से कर बैठा जो अस्त्र-शस्त्र का मेल
बना आतंकी अपने ही घर दुख का बहा रहा मवाद
बड़े शर्म से कहते हैं हम, अब उसको नक्सलवाद
सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811
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