Sunday 10 May 2015

अपूर्णता के पूर्ण कवि : सुशील भोले


"कवि सुशील भोले की छत्तीसगढ़ी कविता पैरे की तरह नहीं, जिसे पाठक पगुराते रहे; यह हरी घास की तरह है जिसमें रस भी है ।" यह कहना था वरिष्ठ समीक्षक और लेखक डाॅ. सुशील त्रिवेदी जी का - हर कविता आगे जाने का रास्ता बताती है । पूर्ण होकर भी अपूर्ण रहती है । सुशील इसी अपूर्णता के पूर्ण कवि हैं । ताराचंद विमलादेवी फाउंडेशन वृंदावन लाइब्रेरी पठक मंच, सिविल लाईन रायपुर, सृजनगाथा डाट काम, छत्तीसगढ़ मित्र,एवं वैभव प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार 9 मई 2015 को सिविल लाईन रायपुर स्थित सभाभार में आयोजित सुशील भोले के एकल काव्यपाठ के अवसर पर बोल रहे थे।

वरिष्ठ कथाकार तेजिन्दर ने कहा सुशील की कविताएँ मेरे मन की कविताएँ है जो अपने कथन को लेकर, अपने आसपास को लेकर लिखते हैं । दरअसल कविता का घर ही हमारा घर है ।

वरिष्ठ कवि विश्वरंजन के अनुसार भोले की कविताएँ कई स्तरों पर अर्थायित होती हैं ।

अपने प्रमुख वक्तव्य में जयप्रकाश मानस ने कहा कि मैं दोहराऊँ तो सुशील के पास मौलिक बिम्ब, वांछित छंद और लय के साथ कविता के सरोकार को सिद्ध करने का सामर्थ्य है। उनकी कविताएँ छत्तीसगढ़ के आमजन के संघर्ष की पहचान कराती हैं । करुणा जगाकर उन्हें जूझने की ओर ले चलती हैं ।

छत्तीसगढ़ी के युवा कवि रसिक बिहारी अवधिया ने भोले की कविता-यात्रा को याद करते हुए परस्पर अनुवाद की ओर ध्यान आकर्षित किया ।

युवा लेखक-समीक्षक डाॅ. सुधीर शर्मा ने कवि के जीवन संघर्ष और उनके रचनात्मक जीवन की साम्यता को रेखांकित किया ।

वृंदावन लायब्रेरी पाठक मंच, सृजन गाथा डाॅट काॅम और वैभव प्रकाशन के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न एकल कविता पाठ और समीक्षा गोष्ठी का संचालन किया युवा लेखक किरण अवस्थी ने ।

आयोजन के प्रारंभ में वरिष्ठ कवि श्री भोले ने अपनी कविताओं, गीतों और अनुवाद का मनबोधी पाठ किया ।
इस मौके पर निसार अली, राजेन्द्र ओझा, उमा तिवारी, प्रकाश अवस्थी, प्रवीण गोधेजा, के पी सक्सेना दूसरे, चेतन भारती, अनिल श्रीवास्तव, सीमा, डाॅ. जे आर सोनी, अमरनाथ त्यागी, अंबर शुक्ल, मुरलीधर नेताम, लक्ष्मीनारायण लाहोटी, एन एस फरिकार, राजेन्द्र चंद्राकर, चेतन भारती के अलावा युवा पाठक मौजूद थे ।








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