Monday 18 May 2015

छिन भर के ये जिनगी ये...

















कब का होही नइये भरोसा छिन भर के ये जिनगी ये
रट ले टूटथे सबले पहिली, जस डारा के फुनगी ये
तैं कतकों साज-संवागा करले, ये माटी के पुतरी के 
फेर भरभर ले उझर जाही, ये करजा के खनगी ये

सुशील भोले
मो. 80853-05931, 98269-92811

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