Monday 28 June 2021

मोर प्राथमिक शाला पढ़ई

सुरता//
मोर प्राथमिक शाला के पढ़ई..
  प्राथमिक शाला के पढ़ई मोर दू जगा होइस. मोर जनम भाठापारा शहर म 2 जुलाई 1961 के होए रिहिसे तेकर सेती चौथी तक उहें पढ़त रेहेंव, फेर चौथी पढ़त बेर  हमर घर एक अइसन घटना घटिस, ते मोला चौथी के परीक्षा देवाय के अवसर नइ मिलिस.
  तब हमन भाठापारा के हथनी पारा म राहत रेहेन. मेन हिन्दी स्कूल म मोर सियान शिक्षक रिहिन तेकर सेती महूं ल अपने स्कूल म भर्ती कर देइन. फेर मोला स्कूल लेगे अउ लाने के बुता हमर गुरुजी लेखराम साहू जी करयं. असल म उन हमर परोसी घलो रिहिन तेकर सेती मोर स्कूल अवई-जवई उंकरे संग होवय.
  उही बखत छत्तीसगढ़ी सेवक के संपादक जागेश्वर प्रसाद जी घलो पढ़े खातिर अपन गाँव ले भाठापारा आए राहंय, अउ अपन डोकरी दाई दूनों हमरे परोस म राहंय. तब जागेश्वर प्रसाद के ही ड्यूटी मोला खेलाए-कूदाए अउ घुमाए के राहय.
  तीसरी तक तो बने-बने बीतीस. चौथी म ठउका परीक्षा चालू होवइया रिहिसे, तइसने म हमर गाँव नगरगांव ले दुखद खबर आइस, के हमर कका देवचरण जी के एक सड़क दुर्घटना म देवलोक गमन होगे. हमर सियान तुरते हमन ल परिवार सहित गाँव ले आइन.
   जवान बेटा के अइसन अचानक चले जाए के सेती हमर बबा अउ दाई खाए-पिए ल छोड़ दे राहंय. त फेर हमर सियान ह मोला अउ मोर छोटे बहिनी ल गाँवेच म छोड़ दिस. इही लइका मनला देख के डोकरी-डोकरा मन घलो दू मुठा खा लिहीं सोच के. अइसे किसम मोला कक्षा चौथी ल दूसरइया बछर फेर गाँव म पढ़े बर लागिस.
   पांचवीं कक्षा के तब बोर्ड परीक्षा होवय. हमर गाँव नगरगांव तब पढ़ई म पूरा धरसींवा ब्लॉक (जिला-रायपुर) म पहला नंबर राहय. हमर प्रधान पाठक लखनलाल दुबे जी खुद पांचवीं कक्षा ल पढ़ावंय. वोमन हमन ल दिन मान तो स्कूल म पढ़ाबेच करंय. रतिहा घल़ो अपन घर पढ़े खातिर सबो लइका ल बलावंय.
   तब हमर गाँव म बिजली नवा-नवा आए राहय. फेर एकर अंजोर ह चारों मुड़ा बगर नइ पाए राहय. गाँव के गली-संगसी मन घलो आधा अंजोर आधा अंधियार बरोबर राहय. एकरे सेती हमन सबो लइका रात के कंडिल धर के जावन गुरुजी घर पढ़े बर. लइका उमर म बदमासी घलो सुझथे. रतिहा जब गुरुजी घर ले लहुटन त अंधियार असन जगा म टूरी मन के कंडिल ल फूंक के बुझा देवन अउ यहीदे भूत हे कहिके वोमन ल डरवावन. रोज के धंधा राहय. टूरी मन हमन ल अबड़ बखानंय. आज तक ए सुरता ह नइ भुलाए हे.
  हमन सबो लइका पांचवीं म बढ़िया नंबर ले पास होएन. जब हमन पांचवीं म पढ़त रेहेन, उही बखत हमर गाँव म मिडिल स्कूल खुले के आदेश आए राहय, फेर वोमा शर्त ए राहय, के गाँव वाले मन स्कूल भवन ल बनाही, तब मिडिल के पढ़ई चालू करे जाही.
  गुरुजी मन गाँव के पंच-सरपंच मन संग बइठ के भवन बनाए के रद्दा निकालिन. एक कुरिया ल तो सरपंच ह अपन डहर ले बनवा दुहूं कहिस. फेर अतके म तो स्कूल चालू होवय नहीं. तब गुरुजी मन रद्दा निकालिन. हमन ल गाँव भर बैंड बाजा संग छेरछेरा मंगवाय बर लेगंय. लोगन बोरा-बोरा भर हांसी खुसी धान अउ नगदी घलो देवंय.
स्कूल भवन के बनत ले कतकों झन श्रमदान घलो करंय. हमूं मन स्कूल तीर के मुरमी खदान ले मुरमी डोहार के उहाँ पटकन अउ पथरा म कूचर-कूचर के बरोबर करन. अइसे तइसे मिडिल स्कूल घलो बनीस. फेर मैं अपन गाँव के नवा बने स्कूल म सातवीं तक ही पढ़ पाएंव. आठवीं कक्षा ले हमर सियान ह  मोला रायपुर ले आइस.
-सुशील भोले

Friday 25 June 2021

झोंक लेवव जुड़वास....


असाढ़ आगे बरखा लेके ए महीना आय खास
गांव बस्ती के शीतला देवी झोंक लेवव जुड़वास 
तेल हरदी धर सुमिरत हावन तोला करत जोहार
रोग-राई अउ महामारी ले बचा अब तुंहरे हे आस
(जुड़वास परब के जम्मो संगी मनला जोहार-भेंट)
-सुशील भोले
आदि धर्म जागृति संस्थान
मो.9826992811

साहित्य के पहला कुंभ

सुरता//
छत्तीसगढ़ म साहित्य के पहला कुंभ
   दिसंबर महीना लगते कोंवर  जुड़ जनाए ले धर लेथे. तब होत बिहनिया रउनिया तापत पेपर पढ़े के अलगेच सुख होथे. पेपर पढ़त एक समाचार म नजर थोकन बनेच गड़गे. लिखाय राहय- रायपुर म अखिल भारतीय स्तर के साहित्य महोत्सव के आयोजन के तैयारी चलत हे. आम तौर म ए जानत राहन, अइसन किसम के साहित्य, संस्कृति या कला ले जुड़े जम्मो बड़का आयोजन ल इहाँ के संस्कृति विभाग डहर ले करे जाथे. फेर ए समाचार म लिखाय राहय के छत्तीसगढ़ शासन के जनसंपर्क विभाग ह ए आयोजन ल करवाने वाला हे, जेमा देश भर नामी साहित्यकार, पत्रकार अउ कलाकार मन ल नेवता दिए जाही.
   तब मैं सांध्य दैनिक छत्तीसगढ़ के साप्ताहिक पत्रिका 'इतवारी अखबार' के संपादन कारज देखत रेहेंव. उहाँ प्रेस म बइठे अपन रोज के बुता म भुड़े रेहेंव, तइसने जनसंपर्क विभाग के अधिकारी अउ हमर साहित्यिक संगवारी त्रिजुगी कौशिक जी आइन अउ "रायपुर साहित्य महोत्सव" आयोजित करे के बारे म बताइन. हां महूं आजेच के पेपर म पढ़े हंव कहिके बताएंव. त वोमन कहिन- वोकरेच सेती तो तोर जगा आए हंव. उन बताइन के एकर पहला दिन के उद्घाटन सत्र छत्तीसगढ़ ऊपर आधारित रइही, एमा आपला संचालन के बुता ल पूरा करना हे.
   उन विस्तार ले जानकारी देवत बताइन- अवइया 12, 13 अउ 14 दिसंबर 2014 के छत्तीसगढ़ के इतिहास म पहिली बेर अखिल भारतीय स्तर के साहित्य कुंभ के आयोजन जनसंपर्क विभाग करत हे. एमा तीनों दिन एकक घंटा के अलग-अलग सत्र रइही. एमा एक मंडप म छत्तीसगढ़ ले संबंधित विषय हे, जेकर मोला दू वरिष्ठ साहित्यकार तो मिलगे हे, तीसरा मैं आपला लेना चाहत हंव.
   मैं हव बन जही कहेंव, त उन बताइन- ए सत्र म डा. रमेन्द्रनाथ मिश्र जी छत्तीसगढ़ के इतिहास अउ पुरातत्व ऊपर व्याख्यान दिहीं. नंदकिशोर तिवारी जी छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति ऊपर अउ आपला कार्यक्रम के संचालन करते-करत छत्तीसगढ़ के साहित्यिक इतिहास ल घलो बतावत चलना है. मैं हव कहेंव त उन फेर कहिन- तुंहर ए सत्र के दूनों आदरणीय मन संग फोन म गोठ-बात कर के कार्यक्रम के बारे म अउ गोठिया लेहू.
   मैं गुनेंव 'इतवारी अखबार' के ए अंक ल "रायपुर साहित्य महोत्सव" ल समर्पित करना चाही. काबर ते छत्तीसगढ़ के इतिहास म पहिली बेर अतका बड़का साहित्यिक आयोजन होवत हे, वोला स्मरणीय अउ संग्रहणीय बनाए जाना चाही. अखबार के प्रधान संपादक सुनिल कुमार जी संग ए गोठियाएंव, त उहू हव बढ़िया हे कहिन. तहाँ ले मैं चारों मुड़ा के साहित्यकार मन संग संपर्क कर-कर के एकर खातिर प्रकाशन सामग्री मंगाए लागेंव. खूब सामग्री आइस, अउ एमा सबले बढ़िया सहयोग हमर रायपुर के ही बड़का साहित्यकार जयप्रकाश मानस जी ले मिलिस.
   12 दिसंबर के मैं जल्दी नहा-धो के तैयार होगेंव. हमर सत्र के दूनों अउ प्रतिभागी डा. रमेन्द्रनाथ मिश्र अउ नंदकिशोर तिवारी जी संग फोन म मुंहाचाही घलो होगे. वोमन बेरा म पंडाल म ही संघरबो कहिन. वोकर मन संग गोठियावत खानी ही जनसंपर्क विभाग के अधिकारी डहरिया जी के मोर जगा फोन आगे. उन कहिन- मैं आपला ले खातिर आवत हंव, कोन जगा भेंट होही. मैं अपन घर के पता बताएंव, तहाँ उन झट पहुंची गें. तहाँ ले हमन लाल रामकुमार सिंह ल ले खातिर गेन, फेर उहाँ ले सीधा कार्यक्रम स्थल 'पुरखौती मुक्तांगन'.
   पुरखौती मुक्तांगन तो पहिली घलो गे रेहेन, फेर लोगन के अतका भीड़ अउ रौनक कभू नइ देखे रेहेन. चारों मुड़ा जिहां तक नजर जावय लोगन के मुड़िच मुड़ी दिखय. हमन मुख्य दरवाजा म पहुंचेन त संग म रेहे अधिकारी डहरिया जी के माध्यम ले जम्मो प्रतिभागी मन बर अलग से बनाए गे पहचान पत्र ल हमर मन के टोटा म अरको दिन, संग म छत्तीसगढ़ शासन के अलग-अलग विभाग मन ले संबंधित पत्रिका मन ले भरे दू भारी-भरकम झोला घलो धरा दिन. मोर बर बड़ा अलकरहा होगे राहय, काबर ते पहिलीच ले इतवारी अखबार के विशेषांक निकाले राहन तेकर सइघो चुंगड़ी भर बोझा फेर एदे शासकीय किताब मन के झोला.
   मैं एको संगी देखेंव त आगूच म देश भर ले आए किताब मन के प्रकाशक मन के ओरी-ओर स्टाल लगे राहय. मोला डा. सुधीर शर्मा अउ वोकर वैभव प्रकाशन के सुरता आइस. फोन करेंव त पता चलिस, एदे भइगे दूसरा नंबर के स्टाल उंकरे आय. मैं जम्मो किताब अउ पत्रिका मन के झोला ल उंकर स्टाल म रख के अपन मंडप, जेमा हमन ल अपन प्रस्तुति देना रिहिसे, वोती चल देंव.
   अपन ठीहा 'मुकुटधार पाण्डेय मंडप' म पहुंचेंव त उहाँ डा. रमेन्द्रनाथ जी संग भेंट होगे, फेर नंदकिशोर तिवारी जी नइ दिखत रिहिन, तभे उंकर फोन आइस- सुशील भाई मैं रायपुर के तीरेच म पहुंचगे हंव बस आधा घंटा म पंडाल म पहुँच जाहूं. एती जनसंपर्क विभाग के अधिकारी मन हमन ल चेता दे राहंय- 11 बजे मतलब ठीक 11 बजे मंच म चढ़ जाना हे. काबर ते आज उद्घाटन सत्र आय मुख्यमंत्री के संगे-संग अउ आने मंत्री, विधायक अउ बड़का अधिकारी मन इहाँ पहुंचही.
  उहाँ अलग-अलग सत्र के संचालन खातिर इहाँ के तीन पुरखा साहित्यकार मन के सुरता म तीन  बड़का-बड़का पंडाल बने रिहिसे. पहला के नाम रिहिसे- गजानन माधव मुक्तिबोध मंडप, दूसरा के- मुकुटधर पाण्डेय मंडप अउ तीसरा के- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी मंडप. एकर छोड़ इहाँ के कलाकार मन के विविध कला के प्रदर्शन खातिर अलग-अलग अउ ठउर बनाए गे रिहिसे.
   हमन मुकुट धर पाण्डेय मंडप म बइठे रेहेन. 11 बजे बर बस पांच मिनट बांचगे रिहिसे फेर नंदकिशोर तिवारी जी अभी तक आए नइ रिहिन हें. मोला चिंता असन लागिस त रमेन्द्रनाथ जी ल कहेंव- कइसे करबो, बेरा तो मंच म जाए के होगे हे अउ नंदकिशोर जी दिखत नइए. रमेन्द्रनाथ जी कहिन- हमन दूनों झन खींच लेबो, एक घंटा ह का मायने रखथे? तैं शुरूआत करत मोला आमंत्रित कर देबे. मैं आधा घंटा तो खींचच देहूं, तहाँ ले तहूं अपन वक्तव्य देवत दू-तीन ठोक कविता घलो हकन देबे, हो जाही एक घंटा.
   मंच म आयोजक मन डहर ले एक सदस्य आइस. हमन ल आमंत्रित करिस. हम दूनों झन गेन. फूल-माला होइस, तहाँ ले मैं संचालन खातिर माइक म आएंव. अपन वक्तव्य देवत रमेन्द्रनाथ जी ल आमंत्रित करेंव. रमेन्द्रनाथ जी अपन वक्तव्य देवत रिहिन हें, तेकरे बीच म नंदकिशोर जी घलो पहुँचगे. मोला हाय म हाय असन लिगिस. फेर हमर मन के सत्र ह बढ़िया ढंग ले संपन्न होइस.
  हमर सत्र पूरा होए के बाद फेर पूरा आयोजन स्थल ल घूम घूम के देखेन. हमर मन जगा जम्मो कार्यक्रम के सूची रहय, कोन मंडप म कतका बेरा का कार्यक्रम हे. अपन रुचि के मुताबिक वतका जुवर वो मंच म पहुँच जावन. सांझ के घर आए के बेरा फेर डहरिया जी के संग होगेन. रद्दा म वोमन मोला कहिन- काली थोरिक एक जुवरिया मोला सिरपुर जाए खातिर संग दे देतेव.
  वोमन बताइन के स्टार प्लस टीवी म वो बखत बालीवुड कलाकार आमिर खान के संचालन म जेन कार्यक्रम आथे- 'सत्यमेव जयते' वोकर पूरा टीम इहाँ आए हे, काली संझा उंकर मन के हमरे मंडप म कार्यक्रम हे. वोमन चाहथें, के एक जुवर सिरपुर भ्रमण कर लेवन. आप संग म चलतेव त मोला सोहलियत हो जातीस. मैं तैयार होगेंव.
  बिहान भर डहरिया जी कार धर के मोर घर आगे. उहाँ ले सत्यमेव जयते के जम्मो सदस्य रूके राहंय, वो होटल गेन उहाँ ले सिरपुर. रद्दा म वो मुंबई के पहुना मन पूछिन- हमन अभी तीन नवा बने म ए छत्तीसगढ़ ल ही जादा विकसित रूप म देखत हन. इहाँ के सड़क मनला देखथन त लागथे, के मुंबई म किंजरत हन. आखिर अतेक जल्दी ए राज्य के विकास कइसे होगे?
  मैं कहेंव- छत्तीसगढ़ प्राकृतिक रूप ले बहुत संपन्न राज्य आय. इहाँ राजस्व के आवक भरपूर हे, फेर पहिली वो राजस्व के मात्र 12 ले 15 प्रतिशत भाग ही छत्तीसगढ़ के विकास म लगत रिहिसे, बाकी के 85 प्रतिशत ल शेष मध्यप्रदेश म लगा देवत रिहिन हें, तेकर सेती इहाँ विकास नइ हो पावत रिहिसे. चारों मुड़ा के सड़क के संगे-संग अउ जम्मो जिनिस ह अदियावन असन दिखय. अब अलग राज्य बने के बाद पूरा के पूरा राजस्व के आवक ह छत्तीसगढ़ म ही लगथे, तेकर सेती विकास दिखथे. अउ कई विषय म उंकर संग गोठ-बात होइस. वोमन सिरपुर मंदिर म मोर जगा अलग से साक्षात्कार लेके विडियो रिकार्डिंग घलो करिन अपन कार्यक्रम म प्रसारित करबो कहिके. तीन के बजत ले वापस पुरखौती मुक्तांगन पहुँच गेन.
   तीसरा अउ ए आयोजन के आखिरी दिन इतवार परे राहय तेकर सेती अथाह भीड़ राहय. पूरा छत्तीसगढ़ के कोना- कोना ले लोगन जुरियाए राहंय. देश भर ले आए जम्मो पहुना मन के संगे-संग हमर इहाँ के संगी मन संग घलो मेल भेंट होइस. ए आयोजन के झरे बाद घलो महीना भर असन एकरेच संबंध म संगी मन संग गोठ-बात होवय. अवइया बछर फेर जुरियाबो काहन, फेर ए संजोग दुबारा नइ बन पाइस. जनसंपर्क विभाग हाथ खड़ा कर दिस, के हमर नियमित वाला काम म भारी व्यावधान आ जाथे. हां संस्कृति विभाग करवाना चाहय, त आर्थिक फंड ल हम जनसंपर्क विभाग के डहर ले दे देबो, फेर आयोजन म कार्यकर्ता मन के भूमिका हमन नइ निभा सकन. संस्कृति विभाग के ए डहर चेत करे के अभी तक अगोरा हे. का इहू ह असली कुंभ कस बारा बछर म एके बेर आए करही??
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

Wednesday 23 June 2021

प्रेरक व्यक्तित्व सुशील भोले

*नवा पीढ़ी बर प्रेरक व्यक्तित्व सुशील भोले*

    हमर अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुशील भोले जी ह अपन जीवन के 62 बसंत 2 जुलाई के पूरा करत हे। मोर बड़ सौभाग्य रहिन कि भोले जी ल बड़ नजदीक से जाने अउ सुने बर मिलिन, काबर भोले जी के पैतृक गाँव नगरगांव ह मोरो गाँव ये। ओकर जीवन के आदर्श ह केवल कुर्मी समाज भर नहीं वरन पूरा जनमानस ल प्रभावित करे हे। साहित्य के प्रति ओकर अडिग आस्था ल देख के मँय नतमस्तक हो जथव। वइसे तो हमर गाँव ल साहित्यकार के गाँव तको कहि सकथव। डॉ. ध्रुवकुमार वर्मा, रंगू प्रसाद नामदेव जी ह माटी के मान बढ़ाइस। अउ अब श्री सुशील भोले जी ह कलम साधना ले माटी ल  महकावत हवै। मोर बर बड़ गौरव के बात हरे हमन अनेकों मंच मा काव्य पाठ संघरा तको करे हन। एक संवेदनशील, विचारवान अउ जागरूक साहित्यकार के साथ मंच साझा करइ गौरव के बात तो रहिबे करही। हिंदी होय या छत्तीसगढ़ी भाखा कोनो भी विधा मा ओकर कलम सरलग चलते रहिथे। श्रृंगार होय चाहे शोषण या श्रम होय, उँकर कलम ह लिखे मा नइ डरय। एक निर्भिक साहित्यकार भोले जी के श्रम गीत याद आथे-
*सुन सुन बोली कान पिरागे, आश्वासन के धार बोहागे।*
*घुड़ुर घाड़र लबरा बादर कस, अब तो तोरो दिन सिरागे।*
*हमला आँसू कस बूँद नहीं, अब महानदी कस धार चाही।*
*चिटिक खेत अउ भर्री नहीं, हम ला सफ्फो खार चाही।*
*हमर हाथ मा जबर कमइया, धरती सरी चतवार चाही।*
अइसन गीत के सिरजइया सुशील भोले जी के जन्म 02/07/1961 दू जुलाई उन्नीस सौ इकसठ मा भाटापारा मा होय रिहिस. उंकर पिताजी ह उहें गुरुजी रिहिन फेर गाँव उकर मन के नगरगाँव ह आय । पिता स्व. रामचन्द्र वर्मा, माता- स्व. उर्मिला देवी वर्मा, माता पिता के बड़का संतान सुरेश वर्मा दूसरइया सुशील वर्मा मिथलेश वर्मा, कमलेश वर्मा चार भाई अउ दू झन बहिनी प्रभा अउ सरोज वर्मा
पिताजी स्व.राम चन्द्र वर्मा प्राथमिक शाला मा गुरुजी रहिन। उनकर पिता जी द्वारा लिखित प्राथमिक हिंदी व्याकरण अउ रचना अनुपम प्रकाशन रायपुर  ले छप के  मध्य प्रदेश राज्य के समे कक्षा तीसरी चौथी पाँचवी के पाठ्य पुस्तक मा चलय। पिताजी के लेखन ले प्रेरणा लेके सुशील जी ह तको लेखन के क्षेत्र मा आइस। सुशील जी के परिवार मध्यम वर्गीय परिवार रिहिस हे। 1994 ले 2015 के बीच मा आध्यात्मिक साधना काल मा
अर्थोपार्जन के काम ले अलग रहे के कारन गरीबी के तको के सामना करे बर पड़े हे परिवार ल। उनकर पिता जी के नाँव नगरगाँव मा दू एकड़ के खेती एक कच्चा मकान अउ एक खलिहान रिहिस चारों भाई मन के बँटवारा होय ले खेती अउ सिकुड़गे। सुशील जी ल संजय नगर, रायपुर के मकान बस बँटवारा मा मिले रिहिस हे।
सुशील जी ह हायर सेकंडरी अउ आई टी आई करे के बाद रोजी रोटी बर प्रेस मा कम्पोजिटर के काम तको करिन, प्रेस मा काम करत आगू बढ़िस अउ दैनिक अग्रदूत साप्ताहिक पत्रिका म उँकर प्रतिभा ल देख के संपादकीय काम के जिम्मेदारी दिस। 1983-84 मा ओकर पहिली कविता के प्रकाशन होइस। प्रदेश के यशस्वी पत्रकार साहित्यकार प्रो. विनोद शंकर शुक्ल जी ह उँकर रचना मा संसोधन करके फेर छपवाइस तब ले सुशील जी के लेखनी ह सरपट दउँड़े बर लगगे। उही बीच मा दैनिक तरूण, दैनिक अमृत संदेश अउ दैनिक छत्तीसगढ़ मा सह संपादक के पद मा तको काम करिन।1988 से 2005 तक खुदे के व्यवसाय बर प्रिंटिंग प्रेस के संचालन अउ मासिक पत्रिका "मयारू माटी" के प्रकाशन संपादन अउ साथे मा आडियो कैसेट रिकार्डिंग स्टूडियो के संचालन तको करिन। 'मयारू माटी' ह छत्तीसगढ़ी भाषा के पहिली संपूर्ण मासिक पत्रिका आय।
सुशील जी के बिहाव श्रीमती बसंती देवी वर्मा से होइस जेकर से तीन बिटिया रत्न नेहा, वंदना, ममता के रूप मा मिलिस। तीनों बिटिया के शादी करके एक तरह से गंगा नहा डरे हे।
सुशील भोले जी के प्रकाशित कृतियाँ मा
*छितका कुरिया (काव्य संग्रह), दरस के साध (लंबी कविता), जिनगी के रंग (गीत अउ भजन* *संकलन), ढेंकी (कहानी संकलन), आखर अंजोर (छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति ल उजागर करत लेख मन के संकलन), भोले के गोले (व्यंग्य संग्रह), सब ओखरे संतान (चारगोड़िया मनके संकलन), सुरता के संसार (संस्मरण)*
कालम लेखन मा भोले जी ह तको अगुवा रिहिन-
तरकश अउ तीर दैनिक नव भास्कर 1990, आखर अंजोर दैनिक तरूण 2006-07, डहर चलती दैनिक अमृत संदेश 2009, गुड़ी के गोठ साप्ताहिक इतवारी अखबार 2010ले 2015, बेंदरा बिनास 1988-89, किस्सा कलयुगी हनुमान के 1988-89,
प्रदेश अउ राष्ट्रीय स्तर मा गंज अकन पत्र पत्रिकाओं मा कविता, कहिनी, समीक्षा, साक्षात्कार नियमित रूप ले प्रकाशन होत राहय।
लहर अउ फूलबगिया आडियो कैसेट मा उँनकर गीत लेखन अउ गायन के एक नवा अंदाज सुने देखे बर मिलथे। भजन गायन अउ गीत गावत तको कइ ठन सांस्कृतिक मंच मा भोले जी दिख जथे। गुजरात के राजधानी अहमदाबाद मा 8 अक्टूबर 2017 मा भारत सरकार के साहित्य अकादमी ह गुजराती अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य के आयोजन करे रिहिस जेन मा सुशील भोले जी ह तको कविता पाठ करे रिहिस हे उँकर साथ डा. केशरी लाल वर्मा, डॉ. परदेशी राम वर्मा, रामनाथ साहू अउ मीर अली मीर जी ह तको प्रतिभागी रिहिन हे।
सम्मान अउ पुरस्कार के बात करबो त भोले जी ल 2010 मा  छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग ले आयोजित कार्यक्रम मा भाषा सम्मान ले सम्मानित करे जा चुके हावै। बहुत अकन सामाजिक संगठन साहित्यिक संगठन, सांस्कृतिक संगठन मा भोले जी सम्मानित होय हे।
सुशील भोले जी के रुझान ह बचपन ले अध्यात्म मा हावय तेकरे सेती अध्यात्म मा वोला कबीर दास बहुत पसंद हे। उँकर पसंदीदा लेखक राष्ट्रीय मा मुंशी प्रेमचंद, अंर्तराष्ट्रीय मा गोर्की अउ स्थानीय मा लोक जीवन अउ जन चेतना बगरइया जम्मो लेखक बहुते पसंद हे।
उकरे सेती वोहा छत्तीसगढ़ के मूल आदिधर्म अउ संस्कृति ल बिशेष रूप ले लिखथे, वाचन करथे, अउ प्रकाशन अउ जमीनी स्तर मा पुनस्र्थापित करे के काम करथे। इही कारन आय 1994 से 2008 तकरीब 14 साल तक साहित्य, संस्कृति, कला ला सिरजाय खातिर गृहस्थ जीवन ल अलग करके आध्यात्मिक साधना मा लीन होगे रिहिन। जब गाँव आइन त हमन देख के अकबका गेयेन हमन सोचन येहा साधु बनगे तइसे लागथे कहिके गोठियावन फेर पूछे के हिम्मत नइ जुटा पात रेहेन।
आज उँकर इच्छा हवै छत्तीसगढ़ के मूल आदि धर्म अउ संस्कृति के मापदंड मा ही इहाँ के सांस्कृतिक- इतिहास के पुर्नलेखन होवय. उँकर कहना हावय अभी तक जेन भी लिखे हे, लिखाय हे उत्तर भारत ले आय ग्रन्थ के हिसाब ले लिखे हवै। येकरे सेती अइसन कोनों ग्रन्थ ल छत्तीसगढ़ के धर्म संस्कृति इतिहास के मानक नइ मान सकन आज जरूरत हावै छत्तीसगढ़ के संस्कृति अउ धर्म, इतिहास ल इहाँ के अपन मूल संदर्भ मा लिखा जाय। इही कहना हे भोले जी के।
वर्तमान मा भोले जी 24 अक्टूबर 2018 से लकवा ले ग्रसित हे, तभो ले घर मा रहिके साहित्य साधना अनवरत करत हे। नवा पीढ़ी बर सीखे के एक सबक आय अतका दुख तकलीफ मा अइसन जीवटता वाले व्यक्ति ल मँय बचपन से देखत सुनत आवत हौं।
दुख के पहाड़ टूट अँधियारी रात भोले जी के जीवन मा आय हे, हम सब के पूरा बिश्वास हे निराशा के बादर छटही अउ भोले जी के जिनगी मा सूरज नवा बिहान लेके आही। अइसन कामना करत श्री सुशील भोले जी ल 62 साल पूरा होय के गाड़ा गाड़ा बधाई देवत शुभकामनाएँ पठोवत हँव।
वर्तमान मा भोले जी के पता हे-45-191 डॉ. बघेल गली संजय नगर, रायपुर
मोबाइल 98269-92811

-विजेंद्र वर्मा
ग्रा. पो. नगरगाँव (धरसींवा)
जिला -रायपुर (छत्तीसगढ़)
मोबा. नं.9424106787

Tuesday 22 June 2021

जिनगी के संगवारी

जिनगी के संगवारी
   ए ह प्रकृति के बनाए व्यवस्था आय, के बिन संगवारी के कोनो जीव के जिनगी पहावय नहीं. एकरे सेती जम्मो जीव घर ले परिवार अउ फेर परिवार ले समाज के रद्दा म आगू बढ़त जाथे. तब जिनगी के ए लंबा रेंगान म कतकों लोगन आवत जाथें, जुड़त जाथें अउ बेरा-बखत के मुताबिक छूटत घलो जाथे. फेर ए रद्दा म कोनो अइसन संगी घलो जुड़थे, जे जुड़े के बेरा ले लेके जिनगी के बिरादरी तक हमेशा संग म रहिथे. चाहे घाम-छांव के दिन हो या फेर सुख-दुख या बीपत के. अइसन संगी कभू डहर चलती जुड़ जाथे, त कभू पूरा रीति रिवाज अउ सामाजिक मान्यता के साथ.
  मोर जिनगी म अइसन जुड़ाव सन् 1984 के अक्ती परब के दिन होइस. शुरू-शुरू म तो मोला ए जुड़ाव ह बरपेली होगे हे तइसे कस जनाइस, फेर अब जब जिनगी के संझौती बेरा म आके पूरा जिनगी के हर पड़ाव के लेखा-सरेखा करत गुणा-भाग कर के देखेंव त लागिस, मोर जिनगी के जेन अलग-अलग पड़ाव अउ कारज रिहिसे तेकर खातिर ऊपर वाला के ए ह एकदम वाजिब व्यवस्था रिहिस.
   मोर जिनगी के ए खास संगवारी के नांव हे- बसंती देवी. गाँव गोढ़ी, थाना धरसींवा, जिला रायपुर के किसान रामसहाय अउ कालिन्दी देवी के घर जन्माष्टमी 22-8-1965 के जन्मे बसंती ले मोला तीन झन बेटी- नेहा, वंदना अउ ममता मिलिस, जेकर मन के संग ए संझौती बेरा के दिन घलो बने हांसत-कुलकत सुग्घर बीतत हे. आज बसंती के सेवा, समर्पण अउ त्याग ल सम्मान के साथ सुरता करत ए चार डांड़-
अक्ती परब म जोरे गाँठ दिन-दिन होइस अउ सजोर
तप-साधना के बेरा म घलो वो होइस नहीं कमजोर
सुख-दुख घाम-छांव सबो ल सहिके सजाए हे फुलवारी
जबर चेम्मर फेर निचट सरु हे मोर जिनगी के संगवारी
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811