सुरता//
कोसमनारा के तपस्वी बाबा के दरबार म हाजरी...
छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म एक ले बढ़ के एक साधू, संत, तपस्वी अउ कर्मयोगी मन के बेरा-बेरा म अवतरण होवत रेहे हे. एक अइसने हठयोग के तपस्वी बाबा हें, रायगढ़ ले लगे गाँव कोसमनारा म, जिहां उन 16 फरवरी 1998 ले आज तक सरलग तपस्यारत हें.
बाबा जी के जनम कोसमनारा ले 19 किमी दुरिहा बसे गाँव डूमरपाली म 12 जुलाई 1984 के किसान पिता दयानिधि अउ महतारी हंसमती साहू के घर होए हे. बचपन म उंकर नांव धरिन हलधर, फेर उंकर पिता उनला मया करके 'सत्यम' कहिके बलावंय. इही सत्यम ह आगू चलके बाबा सत्यनारायण के रूप म चिन्हारी बनगे.
मोर उहाँ पहुंचे के संजोग दुएच पइत होए हे. पहिली बार साहित्यिक यात्रा के संगे-संग आध्यात्मिक यात्रा के रूप म अउ दूसर पइत विशुद्ध आध्यात्मिक यात्रा.
सन् 2014 के जनवरी महीना म एक दिन नवापारा- राजिम के शिक्षक- साहित्यकार दिनेश चौहान जी मोला फोन करीस, चलना भैया कोनो डहार घूमे ले जाबो, घर म खुसरे खुसरे जी असकटागे हे. मैं वोला बताएंव, डॉ. सुखदेव राम साहू जी घलो अइसने काहत रिहिन हें, त चलव कोनो डहर चलथन.
बाते-बात म जोंग डारेन के रायगढ़ जाबोन. जाए के दिन के आवत ले रायगढ़ जाए खातिर चार झन होगेन. चेतन भारती जी घलो तैयार होगे. मैं डा. बलदेव जी ल फोन कर के बात दिएंव के फलाना दिन हमन रायगढ़ आवत हवन चार झन. एती सुखदेव राम जी घलो रायगढ़ नगर निगम म तब इंजीनियर के रूप म कार्यरत भागवत प्रसाद साहू जी ल बता देइन के हमन चार झन इतवार के बिहनिया वाले गाड़ी म आबो, अउ दूसर दिन सोमवार के बिहनियच लहुट जाबो, तेमा सब अपन- अपन काम बुता म चले जावन.
इतवार के मंझनिया करीब एक बजे रायगढ़ पहुंचेन. रेलवे स्टेशन म भागवत प्रसाद साहू जी गाड़ी ले के हमन ल लेगे खातिर पहुँचगे राहंय. एती डा. बलदेव के घलो फोन आगे के तुंहर मन के सम्मान म रायगढ़ के सब साहित्यकार मन कवि गोष्ठी के आयोजन रखे हें. जेवन-पानी के बेवस्था घलो इहें हे.
इंजीनियर साहेब हमन ल लेके बताए ठउर म पहुंचाइन. हमन देखेन ते उहाँ कोरी भर के पुरती वो डहर के साहित्यकार मन पहुंचे राहंय. हमर मन के उहाँ पहुंचते सम्मान अउ गोष्ठी के तैयारी करे लागिन. हमन वोमन ल बताएन, हमर मन के असली उद्देश्य तो कोसमनारा वाले बाबा जी के दरबार म हाजरी देके उंकर दर्शन करना आय. फेर आपमन साहित्यिक कार्यक्रम घलो रख दिए हव, त एला जतका जल्दी हो सकय निपटाए के उदिम करव.
वोमन बताइन, मई-जून के उसनत मंझनिया म अभी उहाँ कहाँ जाहू. अतका जुवर उहाँ कोनो नइ राहय, बस बाबा जी भर समाधि म बइठे होहीं. सांझ के होवत ले इहाँ साहित्यिक कार्यक्रम म संघरव. हमन राजधानी रायपुर ले चार झन साहित्यकार आए हें कहिके आपमन के सम्मान म ए उदिम ल करे हवन. उंकर मनके बताए-समझाए म हमन कार्यक्रम म पूरा रेहेन.
इंजीनियर साहेब ही हमर मनके वोती के मार्गदर्शक रिहिन हें. वोमन कहिन, दिन बूड़े के बाद जाबोन. वोमन बताइन, नगर निगम के द्वारा वो डहर के सड़क आदि ल बनवाय के जवाबदारी मुंही ल मिले रिहिसे, तेकर सेती वोती के सबो रद्दा अउ लोगन मनला जानथंव. आपमन चाहहू त बाबा जी संग गोठबात घलो करवा देहूं, फेर वोकर खातिर रतिहा म 12 बजे के बाद तक रूके बर लागही, काबर ते बाबा जी अर्धरात्रि के बाद ही चोबीस घंटा म एक बार आधा-एक घंटा खातिर समाधि ले उठथें अउ जेन भी नित्यकर्म, दूध फल आदि लेना हे तेला करथें.
हमन कहेन, कभू अउ आबो त भले गोठिया लेबो, अभी बस दर्शन भर करबो अउ लहुट आबो. काबर ते दिन भर के सफर फेर साहित्यिक कार्यक्रम देंह थरथरा गेहे. वोमन ठीक हे कहिन अउ फेर हमन बाबा जी के दरबार जाए बर निकल गेन. उहाँ पहुंचेन त लोगन के गजब भीड़ राहय. उहाँ पता चलिस के गर्मी के दिन म रतिहा बेरा ही दर्शनार्थी मन के जादा भीड़ रहिथे.
जब हमन लाईन म लगके बाबा जी के तीर म पहुंचेन त उन समाधि के अवस्था म आगे रिहिन हें. सुखदेव राम जी मोर जगा पूछिस, बाबा जी ह दूनों आंखी ल मूंदे कइसे अंटियाए असन बइठेच बइठे ऊपर-नीचे होवत हे?
तब मैं उनला बताएंव, यही तो समाधि के अवस्था आय. ए अवस्था म जीव अउ शिव एकेच हो जाथे. वोकरे सेती ए अवस्था म समाधिस्थ मनखे ल न भूख लागय न पियास, न जाड़ जनावय न घाम. सुखदेव राम जी कहिस- हां भई, एकर मरम ल तहीं जान सकथस, काबर ते तहूं साधना मार्ग के मनखे अस.
हमन बाबा जी के दर्शन कर के बाद दरबार म चारों मुड़ा किंजर-किंजर के बाकी सब जगा ल देखेन. घर अउ अपन खातिर प्रसाद झोंकेन, तहाँ ले वापस इंजीनियर साहेब के घर आए बर निकल गेन. रद्दा म इंजीनियर साहेब बाबा जी के उंकर जन्मभूमि डूमरपाली ले कोसमनारा आए के घटना ल बताइन. उन बताइन, बाबा जी बचपन ले ही आध्यात्मिक किसम के रिहिन हें. एक बार गाँव के तरिया के बाजू म जेन शिव जी के मंदिर हे, उही म लगातार 7 दिन तक तपस्या म बइठगे रिहिन हें. गाँव वाले के संगे-संग उंकर सियान मन के समझाए ले वोमन घर तो लहुट आइन, फेर शिव भक्ति के चिभिक म उन बूड़गे रिहिन.
14 बछर के उमर म एकदिन वोमन स्कूल जाए खातिर घर ले बस्ता धर के तो निकलिन फेर स्कूल नइ गेइन. सफेद कुर्ता अउ खाकी रंग के हाफ पेंठ जेन स्कूल के ड्रेस होथे उहिच म रायगढ़ डहर रेंग परिन. अपन गाँव ले 19 किमी दूरिहा रेंगते रेंगत कोसमनारा बस्ती ले थोक दुरिहा बंजर भुइयां म तीर तखार म बगरे पथरा मनला सकेल के वोला शिवलिंग के रूप देइन अउ अपन जीभ ल काट के वोमा चढ़ा दिन. कुछ दिन तो लोगन ल उंकर कोनो किसम के सोर-संदेशा नइ मिलिस, फेर पाछू चारों मुड़ा के लोगन ल एकर खबर मिलगे. तहांले लोगन के उंकर दर्शन खातिर आना घलो चालू होगे.
इंजीनियर साहेब बताइन के बाबा जी अपन जीभ ल काट के शिव जी ल चढ़ा दिए हें, तेकर सेती गोठिया तो नइ सकंय फेर समाधि ले घंटा भर खातिर जब उठथें, त उहाँ जुरियाए भक्त मन संग इशारा म जरूर गोठियाथें.
मोर उहाँ दुसरइया पइत जवई 2018 के सावन महीना म होइस. हमर समिति 'आदि धर्म जागृति संस्थान' के उपाध्यक्ष अउ इहाँ के लोकप्रिय लोकगायिका अनुसुइया साहू जी एक दिन मोला फोन कर के कहिस, कोसमनारा वाले बाबा जी के बारे म अबड़ सुने हंव, एको दिन दर्शन करे ले जातेन का?
मैं तुरते तैयार हो गेंव. वइसे भी सावन के महीना म सोमवार के दिन मंदिर जाए के मोर छात्र जीवन ले ही आदत हे. मैं कहेंव, ठीक हे अवइया इतवार के इहाँ ले निकलबोन, रतिहा रायगढ़ म बीताबो अउ सोमवार के बिहनियच ले बाबा जी के दरबार म हाजरी लगा लेबो. फेर अइसे घटना घटिस ते अनुसुइया तो वो दिन नइ जा पाइस, तभो मैं अकेल्लच जाके बाबा जी के दर्शन कर आएंव.
आज तो रायगढ़ तीर के ए कोसमनारा गाँव ह एक तीर्थ के रूप धर लिए हे. बारों महीना दर्शनार्थी मन के आवक-जावक लगे रहिथे. बाबा जी के तपस्या ठउर ह घलो दर्शनीय स्थल के रूप म विकसित होगे हवय, फेर आज घलो उन अपन मुड़ ऊपर छइहां नइ करन दे हें. उहिच खुल्ला छत के अवस्था म ही आज घलो उंकर घोर तपस्या चलतेच हे.
उंकर तप, साधना अउ निष्ठा ल नमन..
ऊँ नमः शिवाय 🙏🌹🙏
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Monday, 7 June 2021
कोसमनारा के तपस्वी बाबा के दरबार म
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