Friday, 11 June 2021

गिरौदपुरी यात्रा... सुरता

सुरता//
साहित्यकार मन के गिरौदपुरी धाम यात्रा..
    हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी म धर्म उपदेश देवत "मनखे-मनखे एक बरोबर" के जयघोष करइया गुरु घासीदास बाबा जी के जन्म भूमि, कर्म भूमि अउ तपो भूमि के दर्शन करे के अबड़ दिन के साध रिहिसे. फेर ए साध ह तब पूरा होइस, जब 2 अगस्त 2015 दिन इतवार के अखिल भारतीय गुरु घासीदास साहित्य अकादमी अउ मिनी माता फाउंडेशन द्वारा रायपुर के वरिष्ठ साहित्यकार मनला गिरौदपुरी के जन्म अउ कर्म भूमि,  तप भूमि छाता पहाड़ अउ पंचकुंड यात्रा के संगे-संग माता शबरी के धाम शिवरीनारायण के घलो एक संग दर्शन करवाए गिस.
   साहित्यकार मन के ए आध्यात्मिक यात्रा म छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त साहित्यकार डा. सुशील त्रिवेदी, सद्भावना दर्पण के संपादक साहित्यकार गिरीश पंकज, सृजन गाथा डाट काम के संपादक जयप्रकाश मानस, डा. सुधीर शर्मा, अजय किरण अवस्थी, सुशील भोले, प्रवीण गोधेजा, मुकेश वर्मा के संगे-संग यात्रा के आयोजन संस्था डहर ले डा. जे.आर. सोनी अउ रामस्वरूप टंडन जी शामिल रहिन.
    ए बात ल तो आज सबो जानत हें, वर्णव्यवस्था अउ मूर्ति पूजा के नांव म ए देश म जब भेदभाव अउ अत्याचार अपन चरम म पहुंचत गिस, तब कतकों महात्मा अउ गुरु मन पीड़ित वर्ग के उत्थान खातिर जबर अभियान चलाए रिहिन हें. ए रद्दा म गौमत बुद्ध, गुरु नानक देव ले लेके कबीर दास जी जइसे महान विचारक अउ समाज सुधारक मन सामाजिक अउ धार्मिक जागरण कर के पीड़ित वर्ग के लोगन ल आध्यात्मिक अउ सामाजिक ताकत देइन. अइसने हमर छत्तीसगढ़ राज म गुरु घासीदास जी ह सतपुरूष के उपासना करत शोषित पीड़ित अउ उपेक्षित लोगन ल एकफेंट कर के सामाजिक उत्थान के जबर बुता करे रिहिन हें.
  गुरु घासीदास जी के जनम के संबंध म जेन जानकारी मिलथे, वोमा सबले जादा प्रमाणित शासकीय तौर म लिखे गजेटियर ल माने जाथे. सन् 1993 म लिखे गे रायपुर जिला के गजेटियर के अनुसार गुरु घासीदास जी के जनम अगहन पूर्णिमा दिन सोमवार 18 दिसंबर 1756 ई. के एक कृषक परिवार म ग्राम गिरौदपुरी जिला -रायपुर (अब बलौदाबाजार) म होए रिहिसे. घासीदास जी के पूर्वज पवित्र दास जी संपन्न किसान रिहिन. पवित्र दास ले मेदिनी दास, दुकालु दास, सगुन दास, मंहगु दास अउ फेर घासीदास जी होइन. घासीदास जी के पीढ़ी ल 1756 ले 1850 तक माने गे हे. घासीदास जी के बिहाव सिरपुर निवासी किसान अंजोरी दास जी के बेटी सफुरा संग नान्हेपन म होगे रिहिसे. उंकर चार बेटा अउ एक बेटी होइन. बेटा म अमरदास, बालकदास, आगरदास अउ अड़गढ़िया दास होइन. बेटी के नांव सुभद्रा बाई रिहिस, जेकर बिहाव बिलासपुर जिला के गाँव कुटेला म होए रिहिसे.
   हमन 2 अगस्त'15 के बिहनिया 9 बजे रायपुर ले निकलेन. डा. जे.आर. सोनी जी हमन ल रस्ता म जावत खानी बतावत रिहिन हें, रायपुर ले सीधा गिरौदपुरी जाबो. पहिली जन्मभूमि के दर्शन करबो, फेर कर्मभूमि जाबो. उहाँ कुतुबमीनार ले भी ऊंचा जेन जैतखाम बने हे, वो सबला देखत फेर दुसरइया जुवर बाबा जी के तपोभूमि छाता पहाड़ जाबो तहाँ ले उहिच डहर ले बार नवापारा अभ्यारण होवत  वापिस रायपुर आ जाबो.
    हमर मन के गिरौदपुरी के पहुंचत ले मंझनिया के 12 बजगे राहय. उहाँ गेन त पता चलिस के जन्मभूमि तक बड़का गाड़ी मन नइ जा सकय, तेकर सेती रेंगत जाए बर लागही. अगस्त के महीना माने पानी-बादर के दिन. रेंगत गेन त गली म पानी रेंगे के चिनहा दिखत राहय. जन्मभूमि जगा पहुंचेन, त वोकर आगू म एक चौंरा असन बने रिहिसे, जेमा एक जैतखाम अउ एक बोर्ड गड़े रिहिसे. बोर्ड म गुरु घासीदास जन्म स्थान लिखाय रिहिसे. हमन ल लागिस के इही जन्मस्थान आय. तब सोनी जी बताइन, ए ह जन्मस्थान वाले घर के बाहरी भाग आय. एदे जेन घर दिखत हे न वोकर अंदर हे जन्मस्थान ह. काहत हमन ल घर के भीतर लेगिन. उहाँ घर के भीतर एक झन नोनी भर राहय, जे ह जेवन बनावत राहय. हमन ल उहाँ आए देखिस त वो नोनी ह बाबाजी जिहां जन्म लिए हें, वो कुरिया म लेगिस. वो छोटे असन कुरिया म एक अखंड जोत जलत रिहिस. उही जगा एक कुर्सी म सादा कपड़ा ऊपर खड़ाऊ माढ़े रिहिसे. हमन वोकर दर्शन पैलगी करेन. तहाँ ले कर्मभूमि जाए खातिर निकल गेन.
    कर्मभूमि स्थल पहुंचेन, त लागिस, कोनो बड़का तीरथ-बरत म आगे हावन. जन्मभूमि अउ कर्मभूमि स्थल के विकास म अतेक अंतर कइसे हे? त सोनी जी बताइन, जन्मभूमि के देखरेख अउ सबो व्यवस्था ल उही घर वाला मन ही बिना ककरो सहयोग के खुदे करथें. जबकि इहाँ कर्मभूमि म एक ट्रस्ट हे जेन ह एकर देखभाल अउ विकास के काम करथे. तेकर सेती दूनों जगा के विकास म अतका अंतर दिखत हे. उन कहिन, फेर हमन कोशिश करत हवन के जन्मभूमि के देखभाल घलो एकाद समिति या ट्रस्ट के माध्यम ले हो जाय, तेमा उहू स्थान के गरिमामय विकास हो सकय. (ए लेख संग संलग्न जम्मो फोटो उही दिन के खींचे आय).
    सोनी जी के मार्गदर्शन म हमन कर्मभूमि ल अच्छा से देखेन-घूमेन, बाबा जी के आशीष लेन. तब फेर नवा-नवा बने विशाल जैतखंभ देखे बर गेन. तब वोकर विधिवत उद्घाटन नइ हो पाए रिहिसे, तेकर सेती उहाँ कोनो ल जाए के अनुमति नइ रिहिसे. तब सोनी जी उहाँ के व्यवस्था देखइया मन ल बताइन के, ए मन सब रायपुर के वरिष्ठ साहित्यकार आंय, हमन इनला विशेष रूप ले इहाँ के दर्शन कराए खातिर ही लाने हावन. त फेर सिरिफ हमन ल ही विशाल जैतखंभ म जावन दिन. जैतखंभ म ऊपर चढ़े खातिर लिफ्ट तो लगे रिहिसे, फेर उद्घाटन नइ होए के सेती वो ह चलत नइ रिहिसे. त फेर हमन दर्शन करे बर आए हावन त वोकर महत्व तो रेंगत जवई म ही हे, काहत रेंगत ही पूरा ऊपर तक चढ़ेन.
   जैतखंभ के नीचे उतरत ले बनेच बेरा होगे राहय, त सोनी जी कहिथें- चलौ पहिली कोनो जगा जेवन कर लिए जाय, तेकर पाछू फेर आगू के रद्दा धरबोन. वोमन बताइन के इहाँ ले बस थोरके दुरिहा म महानदी के पुलिया हे, जेन ह बलौदाबाजार अउ जांजगीर जिला ल जोड़थे, उही जगा बढ़िया असन ढाबा हे, तिहां चलथन.
   ढाबा म जेवन करत बेरा पता चलिस के ए पुलिया के वो पार तो शिवरीनारायण हे. त डा. सुशील त्रिवेदी जी कहिन, अरे अतेक लकठा आगे हावन त चलौ शबरी माता के ठउर के घलो दर्शन कर लेथन.
     सबो झन हां म हां मिलाएन तहां ले शिवरीनारायण चल दिएन. उंहो बने देखेन किंदरेन. मैं पहिली घलो उहाँ गे रेहेंव, फेर मंदिर के भीतर गर्भगृह म नइ जा पाए रेहेंव. इहू बखत जब हमन उहाँ गेन त उहाँ के पुजारी मन गर्भगृह के भीतर जाए के कोनो ल अनुमति नइहे किहिस. फेर जब उनला बताए गिस के एमन सब रायपुर के साहित्यकार आंय, संग म छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे डा. सुशील त्रिवेदी जी घलो संग म हें, त फेर मुख्य पुजारी ह खुदे हमन ल भीतर लेगिस. उहाँ पहिली बार देखे बर मिलिस के भगवान शिवरीनारायण के पांव के नीचे म जलधारा प्रवाहित हे. पुजारी बताइस, के ए ह महानदी आय भगवान के चरण पखारे खातिर ए जगा स्वयं प्रकट होए हे.
   बेरा बनेच होए ले धर ले रिहिसे. सोनी जी कहिन के जल्दी चले बर लागही, काबर ते बाबा जी के तपोभूमि छाता पहाड़ ह बनेच दुरिहा हे. फेर उहाँ आप सबो साहित्यकार मन के आज के यात्रा अउ बाबा घासीदास जी के संबंध म वक्तव्य घलो लेना हे. असल म हमर मनके ए पूरा यात्रा के मिनीमाता फाउंडेशन द्वारा विडियो रिकार्डिंग करे जावत रिहिसे.
   हमन ल छाता पहाड़ के पहुंचत ले बनेच बेरा होगे रिहिसे, तभो बेरा बूड़े बर अभी बहुत जुवर बांचे रिहिसे. सोनाखान क्षेत्र के अंतर्गत अवइया ए ठउर म हमन ल आत्मिक शांति के अद्भुत अहसास होइस. छाता पहाड़ के दर्शन परिक्रमा करे के पाछू हमन वो पांच कुंड मनला देखे बर गेन, जेकर जल ल देके बाबाजी ह शारीरिक मानसिक असाध्य रोग ले ग्रसित लोगन ल उंकर ले मुक्ति देवावत रिहन हें.
  मुंधियार होए असन होए ले धरिस, तब उही जगा के चातर जगा म हमन ल बइठार  के वो दिन के यात्रा अउ अनुभव के वक्तव्य रामशरण टंडन जी एंकर के रूप म लिन. सबो झन अपन- अपन अनुभव के बात बताइन. महूं अपन बात राखेंव, संग म मिनीमाता अउ छत्तीसगढ़ महतारी के बीच सामंजस्य स्थापित करत अपन एक गीत घलो सुनाएंव-
मोतियन चंउक पुराएंव जोहार दाई
डेहरी म दीया ल जलाएंव जोहार दाई
छत्तीसगढ़ महतारी परघाए बर
अंगना म आसन बिछाएंव...
   ए गाना ल सुने के बाद डा. त्रिवेदी जी मोला कहिन- सुशील आज के तो तैं ह मंच ल लूट लिए रे.
   दिन बुड़े ले धर ले रिहिसे तइसने हमन रायपुर वापसी खातिर निकलेन. आवत- आवत मन म ए चार लाईन गूंजे लागिस-
गुरु बाबा के कहना हे- मनखे-मनखे एक समान
सतमारग अउ सत बानी ले ही आही नवा बिहान
सब सिरजे हें एक जोति ले इहीच हमर पहचान
ऊंच नीच के भेद करत करथौ कइसे फेर अभिमान
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

No comments:

Post a Comment