सुरता//
छत्तीसगढ़ म साहित्य के पहला कुंभ
दिसंबर महीना लगते कोंवर जुड़ जनाए ले धर लेथे. तब होत बिहनिया रउनिया तापत पेपर पढ़े के अलगेच सुख होथे. पेपर पढ़त एक समाचार म नजर थोकन बनेच गड़गे. लिखाय राहय- रायपुर म अखिल भारतीय स्तर के साहित्य महोत्सव के आयोजन के तैयारी चलत हे. आम तौर म ए जानत राहन, अइसन किसम के साहित्य, संस्कृति या कला ले जुड़े जम्मो बड़का आयोजन ल इहाँ के संस्कृति विभाग डहर ले करे जाथे. फेर ए समाचार म लिखाय राहय के छत्तीसगढ़ शासन के जनसंपर्क विभाग ह ए आयोजन ल करवाने वाला हे, जेमा देश भर नामी साहित्यकार, पत्रकार अउ कलाकार मन ल नेवता दिए जाही.
तब मैं सांध्य दैनिक छत्तीसगढ़ के साप्ताहिक पत्रिका 'इतवारी अखबार' के संपादन कारज देखत रेहेंव. उहाँ प्रेस म बइठे अपन रोज के बुता म भुड़े रेहेंव, तइसने जनसंपर्क विभाग के अधिकारी अउ हमर साहित्यिक संगवारी त्रिजुगी कौशिक जी आइन अउ "रायपुर साहित्य महोत्सव" आयोजित करे के बारे म बताइन. हां महूं आजेच के पेपर म पढ़े हंव कहिके बताएंव. त वोमन कहिन- वोकरेच सेती तो तोर जगा आए हंव. उन बताइन के एकर पहला दिन के उद्घाटन सत्र छत्तीसगढ़ ऊपर आधारित रइही, एमा आपला संचालन के बुता ल पूरा करना हे.
उन विस्तार ले जानकारी देवत बताइन- अवइया 12, 13 अउ 14 दिसंबर 2014 के छत्तीसगढ़ के इतिहास म पहिली बेर अखिल भारतीय स्तर के साहित्य कुंभ के आयोजन जनसंपर्क विभाग करत हे. एमा तीनों दिन एकक घंटा के अलग-अलग सत्र रइही. एमा एक मंडप म छत्तीसगढ़ ले संबंधित विषय हे, जेकर मोला दू वरिष्ठ साहित्यकार तो मिलगे हे, तीसरा मैं आपला लेना चाहत हंव.
मैं हव बन जही कहेंव, त उन बताइन- ए सत्र म डा. रमेन्द्रनाथ मिश्र जी छत्तीसगढ़ के इतिहास अउ पुरातत्व ऊपर व्याख्यान दिहीं. नंदकिशोर तिवारी जी छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति ऊपर अउ आपला कार्यक्रम के संचालन करते-करत छत्तीसगढ़ के साहित्यिक इतिहास ल घलो बतावत चलना है. मैं हव कहेंव त उन फेर कहिन- तुंहर ए सत्र के दूनों आदरणीय मन संग फोन म गोठ-बात कर के कार्यक्रम के बारे म अउ गोठिया लेहू.
मैं गुनेंव 'इतवारी अखबार' के ए अंक ल "रायपुर साहित्य महोत्सव" ल समर्पित करना चाही. काबर ते छत्तीसगढ़ के इतिहास म पहिली बेर अतका बड़का साहित्यिक आयोजन होवत हे, वोला स्मरणीय अउ संग्रहणीय बनाए जाना चाही. अखबार के प्रधान संपादक सुनिल कुमार जी संग ए गोठियाएंव, त उहू हव बढ़िया हे कहिन. तहाँ ले मैं चारों मुड़ा के साहित्यकार मन संग संपर्क कर-कर के एकर खातिर प्रकाशन सामग्री मंगाए लागेंव. खूब सामग्री आइस, अउ एमा सबले बढ़िया सहयोग हमर रायपुर के ही बड़का साहित्यकार जयप्रकाश मानस जी ले मिलिस.
12 दिसंबर के मैं जल्दी नहा-धो के तैयार होगेंव. हमर सत्र के दूनों अउ प्रतिभागी डा. रमेन्द्रनाथ मिश्र अउ नंदकिशोर तिवारी जी संग फोन म मुंहाचाही घलो होगे. वोमन बेरा म पंडाल म ही संघरबो कहिन. वोकर मन संग गोठियावत खानी ही जनसंपर्क विभाग के अधिकारी डहरिया जी के मोर जगा फोन आगे. उन कहिन- मैं आपला ले खातिर आवत हंव, कोन जगा भेंट होही. मैं अपन घर के पता बताएंव, तहाँ उन झट पहुंची गें. तहाँ ले हमन लाल रामकुमार सिंह ल ले खातिर गेन, फेर उहाँ ले सीधा कार्यक्रम स्थल 'पुरखौती मुक्तांगन'.
पुरखौती मुक्तांगन तो पहिली घलो गे रेहेन, फेर लोगन के अतका भीड़ अउ रौनक कभू नइ देखे रेहेन. चारों मुड़ा जिहां तक नजर जावय लोगन के मुड़िच मुड़ी दिखय. हमन मुख्य दरवाजा म पहुंचेन त संग म रेहे अधिकारी डहरिया जी के माध्यम ले जम्मो प्रतिभागी मन बर अलग से बनाए गे पहचान पत्र ल हमर मन के टोटा म अरको दिन, संग म छत्तीसगढ़ शासन के अलग-अलग विभाग मन ले संबंधित पत्रिका मन ले भरे दू भारी-भरकम झोला घलो धरा दिन. मोर बर बड़ा अलकरहा होगे राहय, काबर ते पहिलीच ले इतवारी अखबार के विशेषांक निकाले राहन तेकर सइघो चुंगड़ी भर बोझा फेर एदे शासकीय किताब मन के झोला.
मैं एको संगी देखेंव त आगूच म देश भर ले आए किताब मन के प्रकाशक मन के ओरी-ओर स्टाल लगे राहय. मोला डा. सुधीर शर्मा अउ वोकर वैभव प्रकाशन के सुरता आइस. फोन करेंव त पता चलिस, एदे भइगे दूसरा नंबर के स्टाल उंकरे आय. मैं जम्मो किताब अउ पत्रिका मन के झोला ल उंकर स्टाल म रख के अपन मंडप, जेमा हमन ल अपन प्रस्तुति देना रिहिसे, वोती चल देंव.
अपन ठीहा 'मुकुटधार पाण्डेय मंडप' म पहुंचेंव त उहाँ डा. रमेन्द्रनाथ जी संग भेंट होगे, फेर नंदकिशोर तिवारी जी नइ दिखत रिहिन, तभे उंकर फोन आइस- सुशील भाई मैं रायपुर के तीरेच म पहुंचगे हंव बस आधा घंटा म पंडाल म पहुँच जाहूं. एती जनसंपर्क विभाग के अधिकारी मन हमन ल चेता दे राहंय- 11 बजे मतलब ठीक 11 बजे मंच म चढ़ जाना हे. काबर ते आज उद्घाटन सत्र आय मुख्यमंत्री के संगे-संग अउ आने मंत्री, विधायक अउ बड़का अधिकारी मन इहाँ पहुंचही.
उहाँ अलग-अलग सत्र के संचालन खातिर इहाँ के तीन पुरखा साहित्यकार मन के सुरता म तीन बड़का-बड़का पंडाल बने रिहिसे. पहला के नाम रिहिसे- गजानन माधव मुक्तिबोध मंडप, दूसरा के- मुकुटधर पाण्डेय मंडप अउ तीसरा के- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी मंडप. एकर छोड़ इहाँ के कलाकार मन के विविध कला के प्रदर्शन खातिर अलग-अलग अउ ठउर बनाए गे रिहिसे.
हमन मुकुट धर पाण्डेय मंडप म बइठे रेहेन. 11 बजे बर बस पांच मिनट बांचगे रिहिसे फेर नंदकिशोर तिवारी जी अभी तक आए नइ रिहिन हें. मोला चिंता असन लागिस त रमेन्द्रनाथ जी ल कहेंव- कइसे करबो, बेरा तो मंच म जाए के होगे हे अउ नंदकिशोर जी दिखत नइए. रमेन्द्रनाथ जी कहिन- हमन दूनों झन खींच लेबो, एक घंटा ह का मायने रखथे? तैं शुरूआत करत मोला आमंत्रित कर देबे. मैं आधा घंटा तो खींचच देहूं, तहाँ ले तहूं अपन वक्तव्य देवत दू-तीन ठोक कविता घलो हकन देबे, हो जाही एक घंटा.
मंच म आयोजक मन डहर ले एक सदस्य आइस. हमन ल आमंत्रित करिस. हम दूनों झन गेन. फूल-माला होइस, तहाँ ले मैं संचालन खातिर माइक म आएंव. अपन वक्तव्य देवत रमेन्द्रनाथ जी ल आमंत्रित करेंव. रमेन्द्रनाथ जी अपन वक्तव्य देवत रिहिन हें, तेकरे बीच म नंदकिशोर जी घलो पहुँचगे. मोला हाय म हाय असन लिगिस. फेर हमर मन के सत्र ह बढ़िया ढंग ले संपन्न होइस.
हमर सत्र पूरा होए के बाद फेर पूरा आयोजन स्थल ल घूम घूम के देखेन. हमर मन जगा जम्मो कार्यक्रम के सूची रहय, कोन मंडप म कतका बेरा का कार्यक्रम हे. अपन रुचि के मुताबिक वतका जुवर वो मंच म पहुँच जावन. सांझ के घर आए के बेरा फेर डहरिया जी के संग होगेन. रद्दा म वोमन मोला कहिन- काली थोरिक एक जुवरिया मोला सिरपुर जाए खातिर संग दे देतेव.
वोमन बताइन के स्टार प्लस टीवी म वो बखत बालीवुड कलाकार आमिर खान के संचालन म जेन कार्यक्रम आथे- 'सत्यमेव जयते' वोकर पूरा टीम इहाँ आए हे, काली संझा उंकर मन के हमरे मंडप म कार्यक्रम हे. वोमन चाहथें, के एक जुवर सिरपुर भ्रमण कर लेवन. आप संग म चलतेव त मोला सोहलियत हो जातीस. मैं तैयार होगेंव.
बिहान भर डहरिया जी कार धर के मोर घर आगे. उहाँ ले सत्यमेव जयते के जम्मो सदस्य रूके राहंय, वो होटल गेन उहाँ ले सिरपुर. रद्दा म वो मुंबई के पहुना मन पूछिन- हमन अभी तीन नवा बने म ए छत्तीसगढ़ ल ही जादा विकसित रूप म देखत हन. इहाँ के सड़क मनला देखथन त लागथे, के मुंबई म किंजरत हन. आखिर अतेक जल्दी ए राज्य के विकास कइसे होगे?
मैं कहेंव- छत्तीसगढ़ प्राकृतिक रूप ले बहुत संपन्न राज्य आय. इहाँ राजस्व के आवक भरपूर हे, फेर पहिली वो राजस्व के मात्र 12 ले 15 प्रतिशत भाग ही छत्तीसगढ़ के विकास म लगत रिहिसे, बाकी के 85 प्रतिशत ल शेष मध्यप्रदेश म लगा देवत रिहिन हें, तेकर सेती इहाँ विकास नइ हो पावत रिहिसे. चारों मुड़ा के सड़क के संगे-संग अउ जम्मो जिनिस ह अदियावन असन दिखय. अब अलग राज्य बने के बाद पूरा के पूरा राजस्व के आवक ह छत्तीसगढ़ म ही लगथे, तेकर सेती विकास दिखथे. अउ कई विषय म उंकर संग गोठ-बात होइस. वोमन सिरपुर मंदिर म मोर जगा अलग से साक्षात्कार लेके विडियो रिकार्डिंग घलो करिन अपन कार्यक्रम म प्रसारित करबो कहिके. तीन के बजत ले वापस पुरखौती मुक्तांगन पहुँच गेन.
तीसरा अउ ए आयोजन के आखिरी दिन इतवार परे राहय तेकर सेती अथाह भीड़ राहय. पूरा छत्तीसगढ़ के कोना- कोना ले लोगन जुरियाए राहंय. देश भर ले आए जम्मो पहुना मन के संगे-संग हमर इहाँ के संगी मन संग घलो मेल भेंट होइस. ए आयोजन के झरे बाद घलो महीना भर असन एकरेच संबंध म संगी मन संग गोठ-बात होवय. अवइया बछर फेर जुरियाबो काहन, फेर ए संजोग दुबारा नइ बन पाइस. जनसंपर्क विभाग हाथ खड़ा कर दिस, के हमर नियमित वाला काम म भारी व्यावधान आ जाथे. हां संस्कृति विभाग करवाना चाहय, त आर्थिक फंड ल हम जनसंपर्क विभाग के डहर ले दे देबो, फेर आयोजन म कार्यकर्ता मन के भूमिका हमन नइ निभा सकन. संस्कृति विभाग के ए डहर चेत करे के अभी तक अगोरा हे. का इहू ह असली कुंभ कस बारा बछर म एके बेर आए करही??
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Friday, 25 June 2021
साहित्य के पहला कुंभ
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