जिनगी के संगवारी
ए ह प्रकृति के बनाए व्यवस्था आय, के बिन संगवारी के कोनो जीव के जिनगी पहावय नहीं. एकरे सेती जम्मो जीव घर ले परिवार अउ फेर परिवार ले समाज के रद्दा म आगू बढ़त जाथे. तब जिनगी के ए लंबा रेंगान म कतकों लोगन आवत जाथें, जुड़त जाथें अउ बेरा-बखत के मुताबिक छूटत घलो जाथे. फेर ए रद्दा म कोनो अइसन संगी घलो जुड़थे, जे जुड़े के बेरा ले लेके जिनगी के बिरादरी तक हमेशा संग म रहिथे. चाहे घाम-छांव के दिन हो या फेर सुख-दुख या बीपत के. अइसन संगी कभू डहर चलती जुड़ जाथे, त कभू पूरा रीति रिवाज अउ सामाजिक मान्यता के साथ.
मोर जिनगी म अइसन जुड़ाव सन् 1984 के अक्ती परब के दिन होइस. शुरू-शुरू म तो मोला ए जुड़ाव ह बरपेली होगे हे तइसे कस जनाइस, फेर अब जब जिनगी के संझौती बेरा म आके पूरा जिनगी के हर पड़ाव के लेखा-सरेखा करत गुणा-भाग कर के देखेंव त लागिस, मोर जिनगी के जेन अलग-अलग पड़ाव अउ कारज रिहिसे तेकर खातिर ऊपर वाला के ए ह एकदम वाजिब व्यवस्था रिहिस.
मोर जिनगी के ए खास संगवारी के नांव हे- बसंती देवी. गाँव गोढ़ी, थाना धरसींवा, जिला रायपुर के किसान रामसहाय अउ कालिन्दी देवी के घर जन्माष्टमी 22-8-1965 के जन्मे बसंती ले मोला तीन झन बेटी- नेहा, वंदना अउ ममता मिलिस, जेकर मन के संग ए संझौती बेरा के दिन घलो बने हांसत-कुलकत सुग्घर बीतत हे. आज बसंती के सेवा, समर्पण अउ त्याग ल सम्मान के साथ सुरता करत ए चार डांड़-
अक्ती परब म जोरे गाँठ दिन-दिन होइस अउ सजोर
तप-साधना के बेरा म घलो वो होइस नहीं कमजोर
सुख-दुख घाम-छांव सबो ल सहिके सजाए हे फुलवारी
जबर चेम्मर फेर निचट सरु हे मोर जिनगी के संगवारी
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
Tuesday, 22 June 2021
जिनगी के संगवारी
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