Monday, 28 June 2021

मोर प्राथमिक शाला पढ़ई

सुरता//
मोर प्राथमिक शाला के पढ़ई..
  प्राथमिक शाला के पढ़ई मोर दू जगा होइस. मोर जनम भाठापारा शहर म 2 जुलाई 1961 के होए रिहिसे तेकर सेती चौथी तक उहें पढ़त रेहेंव, फेर चौथी पढ़त बेर  हमर घर एक अइसन घटना घटिस, ते मोला चौथी के परीक्षा देवाय के अवसर नइ मिलिस.
  तब हमन भाठापारा के हथनी पारा म राहत रेहेन. मेन हिन्दी स्कूल म मोर सियान शिक्षक रिहिन तेकर सेती महूं ल अपने स्कूल म भर्ती कर देइन. फेर मोला स्कूल लेगे अउ लाने के बुता हमर गुरुजी लेखराम साहू जी करयं. असल म उन हमर परोसी घलो रिहिन तेकर सेती मोर स्कूल अवई-जवई उंकरे संग होवय.
  उही बखत छत्तीसगढ़ी सेवक के संपादक जागेश्वर प्रसाद जी घलो पढ़े खातिर अपन गाँव ले भाठापारा आए राहंय, अउ अपन डोकरी दाई दूनों हमरे परोस म राहंय. तब जागेश्वर प्रसाद के ही ड्यूटी मोला खेलाए-कूदाए अउ घुमाए के राहय.
  तीसरी तक तो बने-बने बीतीस. चौथी म ठउका परीक्षा चालू होवइया रिहिसे, तइसने म हमर गाँव नगरगांव ले दुखद खबर आइस, के हमर कका देवचरण जी के एक सड़क दुर्घटना म देवलोक गमन होगे. हमर सियान तुरते हमन ल परिवार सहित गाँव ले आइन.
   जवान बेटा के अइसन अचानक चले जाए के सेती हमर बबा अउ दाई खाए-पिए ल छोड़ दे राहंय. त फेर हमर सियान ह मोला अउ मोर छोटे बहिनी ल गाँवेच म छोड़ दिस. इही लइका मनला देख के डोकरी-डोकरा मन घलो दू मुठा खा लिहीं सोच के. अइसे किसम मोला कक्षा चौथी ल दूसरइया बछर फेर गाँव म पढ़े बर लागिस.
   पांचवीं कक्षा के तब बोर्ड परीक्षा होवय. हमर गाँव नगरगांव तब पढ़ई म पूरा धरसींवा ब्लॉक (जिला-रायपुर) म पहला नंबर राहय. हमर प्रधान पाठक लखनलाल दुबे जी खुद पांचवीं कक्षा ल पढ़ावंय. वोमन हमन ल दिन मान तो स्कूल म पढ़ाबेच करंय. रतिहा घल़ो अपन घर पढ़े खातिर सबो लइका ल बलावंय.
   तब हमर गाँव म बिजली नवा-नवा आए राहय. फेर एकर अंजोर ह चारों मुड़ा बगर नइ पाए राहय. गाँव के गली-संगसी मन घलो आधा अंजोर आधा अंधियार बरोबर राहय. एकरे सेती हमन सबो लइका रात के कंडिल धर के जावन गुरुजी घर पढ़े बर. लइका उमर म बदमासी घलो सुझथे. रतिहा जब गुरुजी घर ले लहुटन त अंधियार असन जगा म टूरी मन के कंडिल ल फूंक के बुझा देवन अउ यहीदे भूत हे कहिके वोमन ल डरवावन. रोज के धंधा राहय. टूरी मन हमन ल अबड़ बखानंय. आज तक ए सुरता ह नइ भुलाए हे.
  हमन सबो लइका पांचवीं म बढ़िया नंबर ले पास होएन. जब हमन पांचवीं म पढ़त रेहेन, उही बखत हमर गाँव म मिडिल स्कूल खुले के आदेश आए राहय, फेर वोमा शर्त ए राहय, के गाँव वाले मन स्कूल भवन ल बनाही, तब मिडिल के पढ़ई चालू करे जाही.
  गुरुजी मन गाँव के पंच-सरपंच मन संग बइठ के भवन बनाए के रद्दा निकालिन. एक कुरिया ल तो सरपंच ह अपन डहर ले बनवा दुहूं कहिस. फेर अतके म तो स्कूल चालू होवय नहीं. तब गुरुजी मन रद्दा निकालिन. हमन ल गाँव भर बैंड बाजा संग छेरछेरा मंगवाय बर लेगंय. लोगन बोरा-बोरा भर हांसी खुसी धान अउ नगदी घलो देवंय.
स्कूल भवन के बनत ले कतकों झन श्रमदान घलो करंय. हमूं मन स्कूल तीर के मुरमी खदान ले मुरमी डोहार के उहाँ पटकन अउ पथरा म कूचर-कूचर के बरोबर करन. अइसे तइसे मिडिल स्कूल घलो बनीस. फेर मैं अपन गाँव के नवा बने स्कूल म सातवीं तक ही पढ़ पाएंव. आठवीं कक्षा ले हमर सियान ह  मोला रायपुर ले आइस.
-सुशील भोले

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