Saturday 3 September 2022

दानेश्वर शर्मा पहला छत्तीसगढ़ी कवि रिकार्ड होवइया

3 फरवरी पुण्यतिथि म सुरता//
नामी ग्रामोफोन अउ कैसेट कंपनी म रिकार्ड होवइया पहला छत्तीसगढ़ी कवि दानेश्वर शर्मा
     हमन जब कभू छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक मंच के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत के जागरण अउ गौरवशाली रूप के बात करथन त वोकर शुरुआत 'चंदैनी गोंदा' ले ही करथन. फेर चंदैनी गोंदा के जनम होय के पहिली घलो सन् 1965 म ही दानेश्वर शर्मा जी के रचना मन के रिकार्डिंग देश के नामी ग्रामोफोन कंपनी 'हिज़ मास्टर्स वायस' ले मंजुला दासगुप्ता जी के आवाज म रिकार्ड होके आगे रिहिसे, अउ वोमा रिकार्ड होए चारों गीत- 1. कइसे के बेटी मैं तोला वो भेजंव.. 2. चल मोर जॅंवारा मड़ई देखे जाबो.. 3. मइके ल देखे होगे साल गा, भइया तुमन निच्चट बिसार देव.. 4. तपत कुरु भई तपत कुरु, बोल रे मिट्ठू तपत कुरु.  ग्रामोफोन के संगे-संग आकाशवाणी के माध्यम ले चारों धूम मचावत रिहिसे.
    दानेश्वर शर्मा जी के जनम दुरुग जिला के गाँव मेड़ेसरा म सियान गंगा प्रसाद जी द्विवेदी अउ महतारी इंदिरा देवी जी के घर सन् 1931 के सितम्बर महीना म अनंत चौदस के दिन होए रिहिसे. फेर स्कूल म भर्ती करवाए खातिर उंकर जनमदिन तिथि ल 10 माई 1931 लिखवा दिए गइस, जेहा आज सरकारी रिकार्ड म चारों मुड़ा चलत हे.
    दानेश्वर शर्मा जी जतका सुग्घर रचनाकार रिहिन हें, वतकेच सुग्घर वक्ता अउ कवि मंच के संचालक घलो रिहिन हें. मोर सौभाग्य आय, सन् 1988 के दिसम्बर महीना म रायपुर के रामदयाल तिवारी स्कूल म होय छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य प्रचार समिति के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन म उंकर संचालन म होय कवि सम्मेलन म मोला पहिली बेर कविता पाठ करे के अवसर मिले रिहिसे. बाद म तो कतकों मंच अउ कार्यक्रम म संघरे के अवसर मिलत राहय. दानेश्वर शर्मा जी जब 'छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग' के अध्यक्ष पद म बिराजिन तब विशेष रूप ले उंकर संगति मिलिस. उंकर कार्यकाल म छपे आयोग के वार्षिक स्मारिका म संपादक मंडल के सदस्य के रूप म काम करे के अवसर घलो मिलिस. शर्मा जी के ए अध्यक्षीय कार्यकाल ल एक सफल कार्यकाल के रूप म सदा दिन सुरता करे जाही.
    दानेश्वर शर्मा जी के रचना मनला इहाँ के कतकों गायक गायिका मन अपन स्वर देके इहाँ के संगीत जगत म जिहां अपन अलगे चिन्हारी बनाइन, उहें उंकर रचना मन देश के नामी पत्र-पत्रिका- अखण्ड ज्योति, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, नागपुर टाइम्स (अंगरेजी) ले लेके स्थानीय कतकों पत्रिका मन म छपे के संगे-संग आकाशवाणी के नागपुर, रायपुर, भोपाल, इंदौर, रीवां, छतरपुर अउ इलाहाबाद आदि केन्द्र ले प्रसारित होवत राहय. वोमन हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के संगे-संग अंगरेजी अउ संस्कृत म घलो लिखॅंय. दैनिक भास्कर अउ नवभारत म 'लोक दर्शन' के नाम ले कालम घलो लिखिन.
    उंकर छपे किताब मनके सूची घलो बड़का हे- छत्तीसगढ़ के लोक गीत (सन् 1962), हर मौसम में छंद लिखूंगा (हिन्दी गीत संग्रह 1993), लव कुश (खण्ड काव्य 2001), लोक-दर्शन (सनातन, इस्लाम, जैन, बौद्ध, मसीही, सिख आदि दर्शन व पर्व मन ऊपर निबंध संग्रह 2003), तपत कुरु भई तपत कुरु (छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह 2006), गीत अगीत (हिन्दी काव्य संग्रह 2007) आदि हे.
    देश के कतकों काव्य संग्रह मन के संगे-संग रविशंकर विश्वविद्यालय के एम. ए. (हिन्दी) के लोक साहित्य विषय खातिर घलो उंकर रचना संग्रहित रहिस.
    दानेश्वर शर्मा जी के चर्चा शिकागो विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित 'रिवोलुशनिज्म इन छत्तीसगढ़ी पोएट्री' म प्रोफेसर डाॅ. नरेंद्र देव वर्मा द्वारा लिखे लेख के माध्यम ले घलो होए हे. वोमन विश्व प्रसिद्ध संस्था 'फोर्ड फाउंडेशन' द्वारा भारत म विकास खातिर सरकारी अउ गैर सरकारी संगठन मनके 11 पुस्तक मनके संपादकीय सलाहकार रहे हें.
    भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा हर बछर होवइया 'लोककला महोत्सव' के वोमन संस्थापक-संयोजक रहे हें, जिहां ले पंथी नर्तक देवदास बंजारे, पंडवानी गायिका पद्मभूषण तीजन बाई, रितु वर्मा जइसन अंतर्राष्ट्रीय कलाकार मन छत्तीसगढ़ी के डंका बजाइन. हमर मनके सौभाग्य आय, हमू मनला वरिष्ठ साहित्यकार टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी के नाटक 'गंवइहा' ल ए प्रतिष्ठित मंच म प्रस्तुत करे के अवसर मिले रिहिसे.
    जिनगी के संझौती बेरा म दानेश्वर शर्मा जी श्रीमद भागवत महापुराण अउ देवी पुराण के बढ़िया प्रवचनकार के रूप म घलो जाने जावत रिहिन हें. उनला 2006 म राष्टपति द्वारा साहित्य सम्मान के संगे-संग अउ कतकों संस्था मनके डहार ले सम्मान मिले रिहिसे.
    3 फरवरी 2022 के रतिहा 8.10 बजे 91 बछर के उमर म दानेश्वर शर्मा जी ए नश्वर दुनिया ले बिरादरी लेके परमधाम के रद्दा धर लेइन. आज बिरादरी तिथि म उंकर सुरता ल पैलगी जोहार करत उंकर एक रचना-

डोंगरी सहीं अंटियावव तुम, नंदिया जस लहराव
ये जिनगी ल जीए खातिर, फूल सहीं मुस्कावव

निरमल झरना झरथय झरझर  परवत अउ बन मा
रिगबिग बोथय गोंदाबारी कातिक अघ्घन मा
दियना सहीं बरव झमाझम, कुवाॅं सहीं गहिरावव
ये जिनगी ल जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

तन के धरम हे मन भर करना बूता पर हित मा
हिरदे ला जलरंग करव तुम मया के अमरित मा
बिजली सहीं चमकव चमचम बादर जस घहरावव
ये जिनगी ल जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

काॅंटा खूॅंटी तो रद्दा मा दस ठन आही गा
लेकिन रेंगत पाॅंव के छइहाॅं धर नइ पाहीं गा
बघवा सहीं रुतबा राखव, हिरना जस मेछरावव
ये जिनगी ल जीए खातिर फूल सहीं मुस्कावव

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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