Monday 13 June 2022

अपन गोठ.. चार डांड़.. बिहनिया जोहार

अपन गोठ...
  
   सोशलमीडिया के आए ले अपन टाईम लाईन के संगे-संग संगी-जहुरिया मनला बिहनिया के जोहार-पैलगी करे के उदिम ह बनेच बाढ़गे हे. इही परंपरा ह मोला 'चार डांड़' लिखे खातिर प्रेरित करिस. मैं गुनेंव- रोज सुग्घर बिहान या रतिहा जोहार करे ले अच्छा हे, कुछू दू-चार डांड़ के सामयिक गोठ लिखे जाय.
     फेर मैं जिनगी भर दैनिक अखबार म बुता करे हौं. उहाँ 'फोटो कैप्शन' दे के परंपरा हे. फोटो कैप्शन माने दिन-बादर के या कुछू फोटो विशेष संग दू आखर लिख के अखबार के कोनो विशेष जगा म वोला ठउर दिए जाथे. मोर अखबार लाईन के आदत ह ए 'चार डांड़' मनला फोटो संग सोशलमीडिया म पठोए के आदत बनिस.
     कतकों लोगन एला गजब पसंद करंय. कहाँ ले सुग्घर- सुग्घर फोटो खोज के वोकर संग चार डांड़ लिखथस कहंय. फेर ए सबला एक जगा सकेल के किताब के रूप दे के बात न मैं सोचे रेहेंव न संगी मन कहे रिहिन.
    एक दिन वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. सत्यभामा आड़िल जी कहिन के एमन के तैं किताब छपवा, भूमिका ल मैं लिखहौं. फेर मैं कहेंव- मैं तो अभी लकवा रोग के अभेरा के सेती पाछू चार बछर अकन ले खटिया के रखवारी करत हौं, अइसन म एला छपवाए खातिर भाग-दौड़ कोन करही? त दीदी सुझाव देइन, कोनो साहित्यकार मनला जोंग. मैं एकर खातिर शिक्षक साहित्यकार  अशोक पटेल 'आशु' जी ल खंधोलेंव. उन तुरते तइयार होगे. अशोक जी के भाग-दौड़ अउ सहयोग के सेती ए 'चार डांड़' मन आज किताब के रूप धर पावत हें.
    एमा का साहित्य हे, का नहीं एला तो गुनिक सुजान मन ही टमड़ पाहीं. मैं तो सिरिफ बीमारी के बेरा ल खटिया म बइठे पहवाय बर लिखत चलत हौं. ठउका अइसने 'सुरता' घलो लिखत हौं. एमन सिरिफ मोर बीमारी के बेरा ल पहवाय खातिर लिखे गे उदिम आय. तभो ले सुरता मन के घलो एक किताब 'सुरता के संसार' नाॅंव ले छप के आगे हे. आगू अउ आही अइसे जनाथे, काबर ते लिखई अभी चलतेच हे.
   आप सबके मया, दुलार अउ आशीष के अगोरा म-
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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