Friday 3 June 2022

मुकुटधर पाण्डेय जी के आशीर्वचन

सुरता//
मोर पहला कविता संग्रह 'छितका कुरिया' म पद्मश्री पं. मुकुटधर पाण्डेय जी के आशीर्वचन...
    छायावाद के प्रवर्तक, पद्मश्री, साहित्य वाचस्पति पं. मुकुटधर पाण्डेय जी के आशीर्वचन के सौभाग्य मोला तब मिले रिहिसे, जब मैं अपन नान्हे उमर मनके कविता ल 'छितका कुरिया' के नॉंव ले अपन जिनगी के पहला काव्य संकलन निकलवाए रेहेंव.
     महाशिवरात्रि 8 मार्च 1989 के लिखे अपन आशीर्वचन ल देवत श्रद्धेय पाण्डेय जी तब कहे रिहिन हें- 'मैं अपन जिनगी म कोनो रचनाकार खातिर पहिली बेर छत्तीसगढ़ी भाषा म संदेश या आशीर्वचन लिखे हौं.'
    वो बखत आज जइसे कम्प्यूटर अउ आफसेट प्रिंटिंग के जमाना नइ रिहिसे, तेकर सेती मैं उंकर वो आशीर्वचन के ब्लाक बनवा के संकलन म छपवाए रेहेंव. आशीर्वचन के लेखा देखव-
"श्रीराम"
नवोदित कवि सुशील वर्मा (वो बखत मैं अपन नाम सुशील वर्मा ही लिखत रेहेंव) के काव्य संकलन 'छितका कुरिया' म नाम के अनुरूप गरीबी रेखा ल पार करइया हमर मजदूर किसान मन के जीवन के विदग्धता पूर्ण चित्रण हवय. एमा एक तरफ तो गंवई गाँव के उमंग, उत्साह अउ भोलापन हे, प्रकृति सौंदर्य के सुघ्घर झॉंकी हे, तो दूसर तरफ शोषण कर्ता मन के विरुद्ध आक्रोश हे. कवि म यथार्थ अउ कल्पना के बढ़िया मेल हवय. कवि म प्रतिभा हे. उनमें अपन माटी के पीरा अउ महक समाय हवय. एतके नहीं उन मा युग के पहिचान अउ ओला वाणी देहे के सामरथ घलो हवय. भाषा शिल्प म मार्जन के जरूरत हवय. लेखनी धीरे 2 मंजाथे, ए बात ल ध्यान म रखना चाही.
    अभी तक मैं उनकर सम्पादकीय रूप के प्रशंसक रहेंव. उन कर दुवारा सम्पादित 'मयारु माटी' के छत्तीसगढ़ी साहित्य के इतिहास म स्थायी महत्व रइही, ए बात जानत हौं. फेर उन कर कवि रूप ल देख के अउ ज्यादा खुशी होइस. 'छितका कुरिया' संकलन पढ़ के मोला 'होनहार बिरवान के होत चीकने पात' वाला उक्ति याद आ गइस.
    उज्जवल भविष्य के कामना सहित..
मुकुटधर पाण्डेय
रायगढ़
महाशिवरात्रि

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