Sunday 18 May 2014

अब छत्तीसगढ़ी को दें संवैधानिक अधिकार ...



शंख ध्वनियां गूंज उठीं दिल्ली के दरबार
चारों दिशाएं गा रहीं नमो-नमो सरकार 
तब छत्तीसगढ़ भी अपने स्वर में गा रहा है गान
अब तो दे दो छत्तीसगढ़ी को भाषा का सम्मान 
भाषा का सम्मान यह अधिकार हमारा 
फिर जर्रा-जर्रा गाएगा गुणगान तुम्हारा। 

राज्य पुर्नगठन आयोग की स्थापना के साथ सन् 1956 में छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन प्रारंभ हुआ, और इसी के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर भाषा का दर्जा देने की मांग भी चल रही है।

भारतीय जनता पार्टी के अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री मंत्रित्वकाल में 1 नवंबर सन् 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा को संवैधानिक दर्जा तब भी नहीं दिया गया। उस समय अजीत जोगी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी थी। तब यह आरोप लगाया जाता था कि राज्य में अलग पार्टी की सरकार होने के कारण इसे पूर्ण रूप से राज्य नहीं बनाया गया अर्थात भाषा विहीन राज्य बना दिया गया है।

इसी बीच केन्द्र में भी मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बन गई, तब कांग्रेस वाले भाषा की बात पर मौन धारण कर लिए और भाजपा वाले छत्तीसगढ़ी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए केन्द्र की कांग्रेस सरकार को कोसती रही।

इस बीच 28 नवंबर 2006 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर छत्तीसगढ़ी को इस प्रदेश की राजभाषा के रूप में मान्यदा दे दी गई तथा मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की पहल पर 14 अगस्त 2007 को छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन कर इसके कार्यालय का उद्घाटन भी कर दिया गया।

काफी समय के पश्चात यह सुखद संयोग बना है कि इस प्रदेश के साथ ही साथ केन्द्र में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, ऐसे में ऐसा यह उम्मीद लगाना स्वाभाविक हो जाता है कि छत्तीसगढ़ी को अब संवैधानिक दर्जा अवश्य प्राप्त होगा। यह भाषा अब इस छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजकाज और शिक्षा की भाषा बनेगी। यहां के मूल निवासियों को अपनी मातृभाषा में लिखने, पढऩे और कामकाज करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो जाएगा। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ही इस देश में एक ऐसी पार्टी है, जो भाषा, संस्कृति और अस्मिता का महत्व समझती है और न सिर्फ महत्व समझती है अपितु इस दिशा में ठोस और सार्थक कार्य भी करती है।

ऐसे में हमारे प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह और अभी-अभी सांसद के रूप में चुनकर गए प्रदेश के सभी सांसदों से यह अपेक्षा बढ़ जाती है कि छत्तीसगढ़ी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए शीघ्रताशीघ्र सार्थक प्रयास करें। छत्तीसगढ़ी महतारी को उसका संपूर्ण स्वरूप प्रदान करें।

सुशील भोले
संपर्क : म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल -  sushilbhole2@gmail.com
ब्लाग -  http://mayarumati.blogspot.in/
---------------
दैनिक छत्तीसगढ़ की रविवारीय पत्रिका *इतवारी अखबार* के 25 मई 2014 के अंक में मेरा लेख...

No comments:

Post a Comment